27 September 2019

4786 - 4790 दिल मोहब्बत खूबसूरत पैगाम नाम मौत रूह रिश्ता इश्क़ शायरी


4786
मोहब्बतके लिए,
खूबसूरत होनेकी कैसी शर्त...
इश्क़ हो जाए तो,
सब कुछ खूबसूरत लगने लगता हैं...!

4787
मुद्दतों बाद इक,
खत चला हैं मेरे नामसे,
किसीने पैगाम--इश्क़ भेजा हैं,
मेरे नामसे.......!

4788
इश्क़को हमने जो दिल दिया हैं,
उसका दाम हमारी ही मौत हैं !
जो इश्क़को देनेकी गुजारिश हैं...!

4789
मुनासिब समझो तो,
"मौत" ही दे दो... इश्क़...
"दिल" जो दिया हैं,
इतना दाम तो बनता हैं मेरा...

4790
इश्क़के धागेसे,
बांधा ही नहीं मैने उन्हें...
रूहके हर रेशेसे जुड़ा हैं,
उनका मेरा रिश्ता...!

25 September 2019

4781 - 4785 दिल दुनिया घायल जुनून हिज्र नसीब शक तबाह दवा कर्ज बोझ इश्क़ शायरी


4781
इश्क़की दुनियाके कायल सब हैं,
कोई कह देता है कोई छिपा लेता हैं...
मगर;
घायल सब हैं.......!

4782
वो जो इश्क़ हैं,
वही मेरा जुनून हैं...
ये जो हिज्र हैं,
ये मेरा नसीब हैं.......!

4783
राते सुर्फ सर्दियोंमें ही,
लंबी नहीं होती जनाब...
किसीको शक हैं तो,
इश्क़ करके देख लो...

4784
तबाह होके भी,
तबाही दिखती नहीं...!
ये इश्क़ हैं हुज़ूर,
इसकी दवाई बिकती नहीं...!!!

4785
कर्ज होता...
तो उतार भी देते...
कमबख्त इश्क़ था,
दिलपर बोझ ही रहा...!

4776 - 4780 आज़ाद रूखसार इजाजत लब मोहब्बत सजदा बात काबिल दुश्मनी इश्क़ शायरी


4776
इश्क़ और मेरी,
बनती हीं साहब...
वो ग़ुलामी चाहता हैं और,
हम बचपनसे आज़ाद हैं...!

4777
देखते हैं अब,
क्या मुकाम आता हैं साहब...
सूखे पत्तेको इश्क़ हुआ हैं,
बहती हवासे.......

4778
आजान--इश्क़ देती हैं,
तेरे रूखसारकी मस्जिद...!
गर हो इजाजत तो तेरे लबोंपर,
मोहब्बतका सजदा कर लुँ...!!!

4779
ये अलग बात हैं कि,
वो मुझे हासिल नहीं हैं...
मगर उसके सिवाय कोई मेरे,
इश्क़के काबिल हीं हैं...!

4780
इश्क़ तू मुझे जरा,
एक बात तो बता...
तू सबको आजमाता हैं,
या तेरी सिर्फ मुझसे दुश्मनी हैं...?

24 September 2019

4771 - 4775 मोहब्बत उम्र कमाल बाज़ी डर जीत इंतज़ार नासमझी खिलोना इश्क़ शायरी


4771
कच्ची उम्रके उफानोमें,
जो बहे जाए वो इश्क़ क्या...
जुर्रियोंमें भी खिलखिलाए,
वो इश्क़ कमाल होता हैं...!

4772
हिलाकर रख देता हैं,
इंसानकी बुनियाद;
कम्बख्त़ इश्क़ भी किसी,
ज़ल ज़लेसे कम नहीं...!

4773
गर बाज़ी इश्क़की बाज़ी हैं,
जो चाहो लगा दो, डर कैसा...
गर जीत गए तो क्या कहना,
हारे भी तो बाज़ी मात नहीं...

4774
मोहब्बत.......
सब्रके अलावा कुछ हीं,
मैने हर इश्क़को,
इंतज़ार करते देखा हैं...!

4775
इश्क़की नासमझीमें,
सब कुछ गवा बैठा...
उसे खिलोनोकी जरूरत थी,
मैं अपना दिल उसे दे बैठा...

22 September 2019

4766 - 4770 जिंदगी सजदा किताब जरूरतें मोहब्बत इश्क़ शायरी


4766
मनको समझाया था मैने,
इस इश्क़-विश्क़से दूर रहो;
पर ये मन, मन ही मनमें,
अपनी "मनमानी" कर बैठा...!

4767
इश्क़की किताबका,
उसुल हैं जनाब...
मुड़कर देखोगे,
तो मोहब्बत मानी जाएगी...!

4768
इश्क़ वो नहीं,
जो तुझे मेरा कर दे...
इश्क़ वो हैं जो तुझे,
किसी और का ना होने दे...!

4769
इश्क़ क्या,
जिंदगी देगा किसीको...?
ये तो शुरू ही,
किसीपर मरनेसे होता हैं...!

4770
ये तो अपनी अपनी जरूरतें,
सजदा करवाती हैं साहब...
वर्ना इश्क़ और खुदामें आज तक,
खुदाको किसने चुना हैं.......?

21 September 2019

4761 - 4765 मीठा हिसाब इक़रार इंतज़ार दूरियाँ वजह लफ़्ज़ तक़ल्लुफ़ इश्क़ शायरी


4761
"इश्क़"
वो नीमकी डाली हैं,
जिसका नया पत्ता ही,
"मीठा" लगता हैं...

4762
अलग ही होता हैं,
'इश्क़' का हिसाब...
जहां "तुम और मैं दो नहीं",
"एक" होते हैं.......!

4763
जो जीनेकी वजह हैं,
तेरा इश्क़...!
जो जीने नहीं देता,
वो भी हैं तेरा इश्क़...!!!

4764
चंद लफ़्ज़ोंकी तक़ल्लुफ़में,
ये इश्क़ रुक गया...
वो इक़रारपे रुके रहे,
और मैं इंतज़ारपे रुक गया...!

4765
जो दूरियोंमें भी कायम रहा,
वो इश्क़ ही कुछ और था...!

4756 - 4760 मोहब्बत लफ्ज़ रंग आसमाँ आँचल गुलाबी कहानी साँस ख़जाना याद इलाज इश्क़ शायरी


4756
फैला रखा हैं रंग--इश्क़,
आसमाँने आज...
लगता हैं तूने फिरसे,
आँचल लहराया हैं.......!

4757
एक सहर गुलाबी सी,
तेरी बाँहोंमें यूँ पिघले...
तेरे इश्क़से ताबिन्दा,
मेरे आठों पहर निकलें...!

4758
सुनाऊ तो कैसे सुनाऊ,
इश्क़की कहानी हैं...
मैने जी है हर साँस मोहब्बतकी,
चंद लब्जोमें बतानी हैं.......!

4759
मेरा इश्क़, फ़क़ीरी मेरी...
तेरा इश्क़, ख़जाना मेरा...!

4760
लफ्ज़ लफ्ज़ उसकी यादोका,
मेरे ज़हनमें दर्ज हैं...
उसका इश्क़ ही इलाज हैं,
उसका इश्क़ ही मेरा मर्ज़ हैं...!

19 September 2019

4751 - 4755 नज़र बात तौफ़ीक़ गुनाह हमनशीं डर याद इनकार इक़रार इश्क़ शायरी


4751
तुझको हर बार,
नई नज़रसे देखा मैने...
मुझको हर बार,
नया इश्क़ हुआ हैं तुझसे...!

4752
कोई समझे,
तो एक बात कहूँ...
इश्क़ तौफ़ीक़ हैं,
गुनाह नहीं.......!

4753
इसी फनकारी पर,
मरते हैं.......
इश्क़ ना हो जाये तुमसे हमनशीं,
कसमसे बहोत डरते हैं...!

4754
इश्क़की हद भले ही,
तुम तय कर लो;
पर मेरे लिये तुम्हे याद करनेकी,
कोई हद नहीं.......!

4755
इनकारकी सी लज़्ज़त,
इक़रारमें कहाँ...
होता हैं इश्क़ ग़ालिब,
उनकी नहीं नहीं से...!
                       मीर तक़ी मीर

4746 - 4750 नादान काजल जुल्फें इंतजाम मोहब्बत बाजी आँख अश्क़ जान शायरी


4746
थोड़े बदमाश हो तुम,
थोड़े नादान हो तुम;
हाँ मगर ये सच हैं,
हमारी जान हो तुम...!

4747
क्युँ तुले हो मेरी "जान" लेनेको
जनाब...?
"जान" भी "तुम" हो और,
ये जानते भी "तुम" हो...!

4748
ये लाली, ये काजल,
ये जुल्फें भी खुली खुली...
तुम यूँ ही जान मांग लेती,
इतना इंतजाम क्यूँ किया...!

4749
तुमसे किसने कह दिया की,
मोहब्बतकी बाजी हार गए हम...
अभी तो दांवमें चलनेके लिए,
हमारी जान बाकी हैं.......!

4750
जान--तन्हापे,
गुजर जायें हजारो सदमें,
आँखसे अश्क़ रवाँ हों,
ये ज़रूरी तो नहीं...!

18 September 2019

4741 - 4745 ख्वाहिश उम्र फर्ज ख़्वाब कैद आसमान मेहबूब जमानत अरमान शायरी


4741
हजारो ख्वाहिशें ऐसी की,
हर ख्वाहिशपे दम निकले...
बहुत निकले मेरे अरमान,
लेकिन फिर भी कम निकले...!

4742
उम्र गुजर रही हैं,
तराजूके काँटेको संभालनेमें;
कभी फर्ज भारी होते हैं,
तो कभी अरमान.......!

4743
कल यहाँ ख़्वाबोंकी,
फसलें देखना तुम...
आज कुछ अरमान,
अपने बो रहा हूँ...!

4744
करो कैद किसी परिंदेको,
कभी पिंजरेमें।
उसके भी अरमान हैं,
उड़ने दो उसे खुले आसमानमें।।

4745
मेरे मेहबूबके ह्रदयमें,
मुझे उम्रकैद मिले...
थक जायें सारे वकील,
फिर भी जमानत ना मिले...!

17 September 2019

4736 - 4740 हसीन धड़कन साँस यादें आँख आँसू मुस्कान शिकायते अरमान शायरी


4736
चाहा हैं तुम्हें अपने अरमानसे भी ज्यादा,
लगती हो हसीन तुम मुस्कानसे भी ज्यादा, 
मेरी हर धड़कन हर साँस हैं तुम्हारे लिए,
क्या माँगोगे जान मेरी जानसे भी ज्यादा।

4737
दिन बीत जाते हैं सुहानी यादें बनकर,
बाते रह जाती हैं कहानी बनकर,
पर यार हमेशा साथ रहते हैं;
कभी मुस्कान तो कभी,
आँखोंका पानी बनकर...!

4738
खुदको देखकर आईनेमें,
आँसू निकल आये...
दूसरोंको मुस्कान देनेकी खातिर,
खुदको क्या बना लिया.......!

4739
उस मुस्कानसे खूबसूरत, 
और कुछ नहीं हैं...
जो आँसुओंसे संघर्ष कर,
आती हैं.......

4740
यु तो आपसे,
शिकायते बहूत हैं...
पर आपकी एक मुस्कान,
काफी हैं सुलहके लिए.......!