26 March 2021

7321 - 7325 दिल प्यार ज़िक्र ख़ुशी लज़्ज़त इजाज़त ज़िन्दगी राज़ शायरी

 

7321
लोग आज कल मेरी,
ख़ुशीका राज़ पूछते हैं...!
इजाज़त हो तो तुम्हारा,
नाम बता दूँ.......!!!

7322
राज़ किसीको ना कहो तो,
एक बात कहूँ...
हम रफ्ता रफ्ता तेरे,
होते जा रहें हैं.......

7323
ना राज़ हैं ज़िन्दगी,
ना नाराज़ हैं ज़िन्दगी...
बस जो हैं वो,
आज हैं ज़िन्दगी.......

7324
राज़ ये सबको बतानेकी,
ज़रूरत क्या हैं.......
दिल समझता हैं तेरे ज़िक्रमें,
लज़्ज़त क्या हैं.......!!!

7325
दुनियाँमें इतनी रस्में क्यों हैं,
प्यार अगर ज़िंदगी हैं;
तो इसमें कसमें क्यों हैं,
हमें बताता क्यों नहीं ये राज़ कोई,
दिल अगर अपना हैं,
तो किसी और के बसमें क्यों हैं.......!

25 March 2021

7316 - 7320 क़ातिल तन्हा सफर वक़्त करवट दास्तान बेवजह ग़ुरूर तकलीफ मोड़ शायरी

 

7316
देखोगे तो हर मोड़पें,
मिल जाएँगी लाशें...!
ढूँडोगे तो इस शहरमें,
क़ातिल मिलेगा.......!!!
         मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद

7317
कई मोड़ आएंगे,
अभी इस सफरमें...
और हर मोड़के साथ,
दास्तान बनती जाएगी...

7318
वक़्तकी करवटको,
कैसे बदलूँ...?
तुम बेवजह चले गए,
मुँह मोड़के.......

7319
यूँ तो मोड़ जिन्दगीमें,
कुछ ऐसे भी आएंगे;
तकलीफमें होगे तुम,
साथ निभाने वालेही,
तन्हा छोड़ जाएंगे.......

7320
ग़ुरूर हैं मुझमें,
तो तोड़कर दिखा l
मैं दरिया हूँ,
मेरा रास्ता मोड़कर दिखा ll

23 March 2021

7311 - 7315 दिल यकीन ज़िन्दगी वक़्त लम्हात जज्बात अंदाज पुकार साथ राह मोड़ शायरी

 

7311
ज़िन्दगीके हर मोड़पर,
तुम साथ रहना...
चाहे दूर रहो पर,
हमेशा दिलके पास रहना...

7312
जिंदगीके किसी मोड़पर,
अगर तुम लौट भी आये,
तो क्या हैं...
वो लम्हात, वो जज्बात, वो अंदाज...
तो ना अब लौटेंगे कभी,
और शायद...
मेरी तुम्हारे लिए तड़प भी...

7313
खड़ा हूँ उसी मोड़पर,
मैं वापिस लौटा नहीं...
पहले कहा, चुप रहो...
फिर पुकारा भी नहीं.......

7314
ज़िंदगी तुझे अपने ही सफ़रमें,
हम कैसे खो देते हैं...
राह बड़ी सीधी हैं,
मोड़ तो सारे मनके हैं.......!

7315
यकीनन वो अगले मोड़पें,
नहीं रुकने वाला;
मैंने देखा हैं उसे,
वक़्तसे तेज़ भागते हुए ll

22 March 2021

7306 - 7310 मुलाक़ात याद ज़िंदगी हमदर्द मुसाफ़िर मोड़ शायरी

 

7306
कहाँ के रुकने थे रास्ते,
कहाँ मोड़ था, उसे भूल जा...
वो जो मिल गया उसे याद रख,
जो नहीं मिला, उसे भूल जा...
              अमजद इस्लाम अमजद

7207
मुस्कुराते पलकोंपें सनम चले आते हैं,
आप क्या जानो कहाँसे हमारे गम आते हैं...
आज भी उस मोड़पर खड़े हैं जहाँ,
किसीने कहा था कि ठहरो हम अभी आते हैं...

7308
ज़िंदगीके वो,
किसी मोड़पें गाहे गाहे,
मिल तो जाते हैं, पर...
मुलाक़ात कहाँ होती हैं...
                     अहमद राही

7309
हर मोड़पें मिल जाते हैं,
हमदर्द हजारों...
शायद हमारी बस्तीमें,
अदाकार बहुत हैं.......!

7310
मुसाफ़िर हैं हम भी,
मुसाफ़िर हो तुम भी...
किसी मोड़पर फिर,
मुलाक़ात होगी.......
                  बशीर बद्र

21 March 2021

7301 - 7305 दिल ज़िंदगी मोहब्बत दर्द क़सूर ख़ता ग़म तकलीफ सज़ा शायरी


7301
हर इक मोड़पर,
हम ग़मोंको सज़ा दें...
चलो ज़िंदगीको,
मोहब्बत बना दें.......!
                सुदर्शन फ़ाकिर

7302
ये जब्र भी देखा हैं,
तारीख़की नज़रोंने...
लम्होंने ख़ता की थी,
सदियोंने सज़ा पाई...

7303
उसके दिलकी भी,
कड़ी दर्दमें गुज़री होगी...
नाम जिसने भी मुहब्बतका,
सज़ा रखा होगा.......!

7304
कसूर तो,
बहुत किये ज़िन्दगीमें...
पर सज़ा वहाँ मिली,
जहाँ बेक़सूर थे हम.......

7305
सज़ा देनी हमेभी आती हैं,
बेखबर...
पर कोई तकलीफसे गुज़रे,
ये हमे मंजूर नहीं.......

20 March 2021

7296 - 7300 दिल इश्क़ ज़िंदगी मोहब्बत बज़्म याद ग़लतफहमी बेक़सूर रज़ा सज़ा शायरी

 

7296
ग़लतफहमीयोंका बहाना बनाके,
नजरे चुराती हैं हमसे आप;
दिल चुराके मिलनेकी,
ज़ा बारबार देती हैं आप ll

7297
दिल-गिरफ़्ता ही सही,
बज़्म ज़ा ली ज़ाएँ...
याद--ज़ानाँसे कोई,
शाम ख़ाली ज़ाएँ...
अहमद फ़राज़

7298
ज़िंदा हूँ मगर, ज़िंदगीसे दूर हूँ मैं,
ज़ क्यों इस कदर मजबूर हूँ मैं,
बिना गलतीकी ज़ा मिलती हूँ मुझे...
किससे कहूँ की आखिर बेक़सूर हूँ मैं...

7299
इश्क़के खुदासे पूछो,
उसकी ज़ा क्या हैं...
इश्क़ अगर गुनाह हैं,
तो इसकी सज़ा क्या हैं...?


7300
मुझको मोहब्बतकी,
ऐसी
ज़ा ना दे...
या तो जी लेने दे,
या तो मर ज़ाने दे...!

19 March 2021

7291 - 7295 मोहब्बत गुनाह लम्हें वाकिफ खामोश तन्हाई इल्ज़ाम माफ सज़ा ख़ता शायरी

 

7291
गुनहगारोंमें शामिल हैं,
गुनाहोंसे नहीं वाकिफ...
सज़ाको जानते हैं हम,
खुदा ज़ाने ख़ता क्या हैं...?
                 चकबस्त लखनवी

7292
तन्हाईके लम्हें अब तेरी,
यादोंका पता पूछते हैं...!
तुझेमें भूलनेकी बात करूँ तो,
ये तेरी ख़ता पूछते हैं.......!!!

7293
बहुत करीब के,
उसने ये कहा...
कोई ख़ता तो कर कि,
मैं माफ करूँ.......!

7294
नज़रअंदाज़ करनेवाले,
तेरी कोई ख़ता ही नहीं...
मोहब्बत क्या होती हैं,
शायद तुझको पता ही नहीं...!

7295
हर इल्ज़ामका हकदार,
वो हमें बना ज़ाते हैं...
हर ख़ताकी सज़ा,
वो हमें सुना ज़ाते हैं...
और हम हर बार,
खामोश रह ज़ाते हैं...
क्यों कि वो अपने होनेका,
हक जता ज़ाते हैं...!

7286 - 7290 महबूब चाहत खबर बात क़सूर जज्बात जफ़ा याद बेवफ़ा गिला शिकवा शायरी

 

7286
तुम्हारे महबूब हजारों होंगे,
हमारे शैदा भी लाखों लेकिन...
तुमको शिवा मुझको शिवा,
गिला क़रोगे गिला रेंगे...

7287
क्या गिला क़रें उनकी बातोंका, 
क्या शिक़वा करें उन रातोंसे;
​​क़हें भला किसकी खता इसे हम, 
​​कोई खेल गया हैं मेरे जज्बातोंसे;
नींदें छीन रखी हैं तेरी यादोंने,
गिला तेरी दुरीसे करें या अपनी चाहतसे ll

7288
गिला लिखूँ मैं अगर,
तेरी बेवफ़ाईका...
लहूमें ग़र्क़ सफ़ीना,
हो आश्नाईका.......
          मोहम्मद रफ़ी सौदा

7289
शुक्र उसकी जफ़ाका,
हो सका...
दिलसे अपने हमें,
गिला हैं यह.......!

7290
तर्केतअल्लुकात,
खुद अपना सूर था...
अब क्या गिला कि,
उसको हमारी खबर नहीं...!
                       गोपाल मित्तल

17 March 2021

7281 - 7285 दिल गम कातिल नज़र अदा नाराज गिला सितम यक़ीन जुदाईदहलीज यार शायरी

 

7281
बडी कातिलाना अदा हैं,
मेरे यारकी...!
नज़र भी हमपें,
और नाराजगी भी हमसे...!!!

7282
जो कुछ भी हूँ पर, यार...
गुनहगार नहीं हूँ,
दहलीज हूँ, दरवाजा हूँ,
पर मैं दीवार नहीं हूँ.......

7283
धमकिया देता हैं और...
वो भी जुदाईकी !
मोहोबतमें भी देखो...
बदमाशिया मेरे यारकी...!!!

7284
गमे-जहाँ हो,
गमे-यार हो कि तेरे सितम...
जो आये आये कि हम,
दिल कुशादा रखते हैं.......
फैज अहमद

7285
करें किसका यक़ीन,
यहाँ सब अदाकार ही तो हैं...
गिला भी करें तो किससे करें,
सब अपने यार ही तो हैं.......!

16 March 2021

7276 - 7280 क़िस्मत तड़प महफिल इंतिज़ार हसरत बेक़रार शिद्दत शुक्र मिजाज यार शायरी

 

7276
ये थी हमारी क़िस्मत कि,
विसाल--यार होता...
अगर और जीते रहते,
यही इंतिज़ार होता.......
                            मिर्जा गालिब

7277
हसरत--इंतिज़ार--यार पूछ,
हाए वो शिद्दत--इंतिज़ार पूछ...
नून मीम राशिद

7278
नहीं इलाज--ग़म--हिज्र--यार क्या कीजे,
तड़प रहा है दिल--बेक़रार किया कीजे...?
                                                   जिगर बरेलवी

7279
कोई पागल, कोई खब्ती
कोई सौदाई...
महफिले-यार शफाखाना हैं,
बीमारोंका.......ll
कौसर बारानवी

7280
कुछ इस अदासे,
यारने पूछा मेरा मिजाज...
कहना ही पड़ा शुक्र हैं,
परवरदिगारका.......!
                जलील मानिकपुरी

15 March 2021

7271 - 7275 जिस्म मोहब्बत इजाजत दोस्त इत्तफ़ाक़ ख़्वाहिश यार शायरी

 

7271
जिस्म,
तू बेशक बड़ा हो गया...l
दोस्त, मासूमियत, मोहब्बत...
अभीतक बचपनसे नहीं लौटे...ll

7272
कुछ दोस्त सीधेसादे भी,
अच्छे नहीं लगते...
और कुछ कमीने,
जानसे भी प्यारे होते हैं...!

7273
इत्तफ़ाक़से तो नहीं,
टकराये हम सब दोस्तों...
थोड़ी ख़्वाहिश तो,
ख़ुदाकी भी होगी.......!!!

7274
विश्वास करना,
हम दोस्ती अपनी निभाएंगे...
अगर खुदाभी बुलाएगा, तो कह देंगे...
दोस्त इजाजत देगा तो ही आयेंगे...!!!

7275
इन्सान कहते हैं कि,
मेरे दोस्त कम हैं...
लेकिन,
वो ये नहीं जानते कि...
मेरे दोस्तोंमें कितना दम हैं...!

14 March 2021

7266 - 7270 राज़ वसीयत खैरियत अहमियत वास्तव दोस्त यार शायरी

 

7266
हर दोस्तको,
हर राज़ मत बताओ...
सुना हैं दोस्तोंकेभी,
दोस्त होते हैं.......

7267
बच्चे वसीयत पूछते हैं,
रिश्ते हैसियत पूछते हैं;
वो दोस्तही हैं जो,
मेरी खैरियत पूछते हैं...!

7268
हमने अपने नसीबसे ज्यादा,
अपने दोस्तोंपर भरोसा रखा हैं l
क्यूंकि नसीब तो बहोत बार बदला हैं,
पर मेरे दोस्त अभीभी वहीं हैं ll

7269
एक जैसे दोस्त सारे नहीं होते, 
कुछ हमारे होकरभी हमारे नहीं होते; 
आपसे दोस्ती करनेके बाद महसूस हुआ, 
कौन कहता हैं 'तारे ज़मीं पर' नहीं होते...!

7270
कुछ दोस्त वास्तवमें,
अदरक जैसे होते हैं...
उनकी अहमियत उन्हें,
कूटनेपरही पता चलती हैं.......!

12 March 2021

7261 - 7265 ज़िन्दगी रिश्ता खूबसूरत मुकदमा मुलाक़ात उदासी कायनात दोस्त यार शायरी

 

7261
सोचता हूँ... कुछ दोस्तोंपर,
मुकदमा कर दूँ.......
इसी बहाने तारीखोंपर,
मुलाक़ात तो होगी.......!

7262
ज़िन्दगी हमें बहुत,
खूबसूरत दोस्त देती हैं, लेकिन;
अच्छे दोस्त हमें,
खूबसूरत ज़िन्दगी देते हैं...!!!

7263
लोग कहते हैं ज़मींपर,
किसीको खुदा नहीं मिलता l
शायद उन लोगोंको,
दोस्त कोई तुमसा नहीं मिलता ll

7264
मैं कोई रिश्ता नहीं हूँ,
जो निभाओगे मुझे...
बस दोस्त हूँ,
दोस्तीसे ही पाओगे मुझे...!

7265
ज़रासी उदासी हो,
और वो कायनात पलट दे...
ऐसा भी इक,
दोस्त तो होना चाहिए.......!

11 March 2021

7256 - 7260 लम्हा महफ़िल वजह दौलत बात दरार गर्दिश लाजवाब दोस्त यार शायरी

 

7256
इतना रोया हूँ ग़म--दोस्त,
ज़रासा हँसकर...
मुस्कुराते हुए लम्हातसे,
जी डरता हैं.......
                            हसन नईम

7257
तुम हमारी दोस्तीके,
चाहे कितने भी दरवाजे बंद कर लो;
हम वो दोस्त हैं जो,
दरारोंसे भी आएगें.......ll

7258
दौर--गर्दिशमें भी,
जीनेका मज़ा देते हैं...
चंद दोस्त हैं, जो वीरानोंमें भी,
महफ़िल सजा देते हैं...
सुनाई देती हैं अपनी हँसी,
उनकी बातोंमें
दोस्त अक्सर,
जीनेकी वजह देते हैं...ll

7259
ज़रूरी तो नहीं कि,
दौलतही अमीरीका पैमाना हो...
कुछ लोगोंके पास,
दोस्त भी होते हैं.......

7260
आदतें अलग हैं,
मेरी दुनिया वालोंसे...
कम दोस्त रखता हूँ,
पर लाजवाब रखता हूँ...!