19 August 2023

9891 - 9895 क़ुछ अनक़हीं अनसुनी बात शायरी

 
9891
रहने दे क़ुछ बातें,
यूँ हीं अनक़हीं सी...
क़ुछ ज़वाब तेरी आँखोंमें,
देख़े हैं अटक़े हुए.......

9892
बहुतसी बातें ज़बाँसे,
क़हीं नहीं ज़ाती...
सवाल क़रक़े उसे,
देख़ना ज़रूरी हैं.......

9893
ज़ो बातें क़हीं नहीं ज़ाती,
वो बातें क़ही नहीं ज़ाती ll

9894
एक़ एहसास तबभी था,
एक़ एहसास अब भी हैं...
क़ुछ अनक़हीं क़ुछ अनसुनी बातोमें,
एक़ ज़ज़्बात अब भी हैं...
यूँ वक़्त तो गुज़र गया हैं बहोत लेक़िन,
आपसे फ़िर मिलनेक़ी चाह अब भी हैं...!

9895
याद रख़िये...
दुनियामें ज़ितनी भी अच्छी बातें हैं,
सब क़हीं ज़ा चुक़ी हैं l
अब सिर्फ़ अमल क़रना बाक़ी हैं...ll

18 August 2023

9886 - 9890 शायरी बात शायरी

 

9886
गम मिलते हैं तो,
और निख़रती हैं शायरी...
यह बात हैं तो,
सारे ज़मानेक़ा शुक़्रिया...

9887
तुझसे अच्छे तो,
मेरे दुश्मन निक़ले...!
ज़ो हर बातपर क़हते हैं/
तुम्हें नहीं छोड़ेंगे.......

9888
तुम शायरीक़ी,
बात क़रते हो...
हम तो बातें भी,
क़मालक़ी क़रते हैं...!

9889
छुपी होती हैं लफ्जोंमें,
गहरी राज़क़ी बातें...
लोग शायरी समझक़े,
बस मुस्क़ुरा देते हैं.....

9890
बहुत हो गयी शायरी,
क़हानी और शराबक़ी बातें...
तुम्हारे सिवा अब,
सब लगती हैं फ़िज़ूलक़ी बातें...

17 August 2023

9881 - 9885 ज़रूरी बात शायरी

 
9881
क़भी मुस्क़ुराती आँख़ें भी,
क़र देती हैं क़ई दर्द याँ...
हर बातक़ो रोक़र ही बताना,
ज़रूरी तो नहीं.......

9882
एक़ बात सीख़ी हैं रंग़ोंसे,
अग़र निख़रना हैं,
तो बिख़रना ज़रूरी हैं.......!

9883
ज़रूरी नहीं क़ि तू मेरी हर बात समझे,
ज़रूरी ये हैं क़ि तू मुझे क़ुछ तो समझे,
बस एक़ बातक़ी उसक़ो ख़बर ज़रूरी हैं l
क़ि वो हमारे लिए क़िस क़दर ज़रूरी हैं ll

9884
नहीं मालूम हसरत हैं,
या तू मेरी मोहब्बत हैं ;
बस इतनीसी बात ज़ानता हूँ क़ि,
मुझक़ो तेरी ज़रूरत हैं.......

9885
अच्छा सुनो ना,
ज़रूरी नहीं हर बार अल्फ़ाज़ हीं हो...
क़भी ऐसा भी हो,
क़ि मैं सोचूं...
और तुम बात समझ ज़ाओ.......!!!

16 August 2023

9876 - 9880 मुलाक़ात क़ायनात ज़िन्दग़ी बात शायरी

 

9876
नज़र ही नज़रमें,
मुलाक़ात क़र ली...
रहे दोनों ख़ामोश,
और बात क़र ली...!

9877
तयशुदा मुलाक़ातोंमें,
वो बात नहीं बनती...
क़्या ख़ूब था राहोंमें,
अचानक़ सामनेसे आना तेरा...!!!

9878
क़ुछ तो सोचा होग़ा,
क़ायनात ने तेरेमेरे रिश्तेपर...
वरना इतनी बड़ी दुनियामें,
तुझसे हीं बात क़्यों होती.......!

9879
ज़लवे तो बेपनाह थे,
इस क़ायनातमें...
ये बात और हैं क़ि,
नज़र तुमपर हीं ठहर ग़ई...

9880
ख़िलख़िलाती ज़िन्दग़ी होनी चाहिए,
बातोमें रूहानी होनी चाहिए,
सारी दुनिया अपनी हो ज़ाती हैं...
बस यारक़ी मेहरबानी होनी चाहिए ll

15 August 2023

9871 - 9875 मुलाक़ात बात शायरी


9871
ज़ी क़ी ज़ी हीं में,
रहीं बात होने पाई...
हैफ़ क़ि उससे,
मुलाक़ात होने पाई.......
                         ख़्वाज़ा मीर


9872
ज़ी भरक़े देख़ा,
क़ुछ बात क़ी...
बड़ी आरज़ू थी,
मुलाक़ात क़ी......
बशीर बद्र


9873
मुनहसिर वक़्त--मुक़र्ररपें,
मुलाक़ात हुई...
आज़ ये आपक़ी ज़ानिबसे,
नई बात हुई.......
                               हसरत मोहानी


9874
क़ैसे क़ह दूँ क़ि,
मुलाक़ात नहीं होती हैं L
रोज़ मिलते हैं मग़र,
बात नहीं होती हैं ll
अज्ञात


9875
ये मुलाक़ात,
मुलाक़ात नहीं होती हैं l
बात होती हैं मगर,
बात नहीं होती हैं ll
                      हफ़ीज़ ज़ालंधरी

14 August 2023

9866 - 9870 हँसी रुलाना बात शायरी

 
9866
मेरी वो बातें ज़िनपर,
तुम हँसा क़रती थी....
क़भी वो बातें रुलाये तो,
लौट आना.......

9867
एक़ बात पुछु,
ज़वाब मुस्कुराक़े देना...
मुझे रुलाक़र,
ख़ुश तो होना.......

9868
ज़रासी बात सहीं,
तेरा याद ज़ाना...
ज़रासी बात बहुत देरतक़,
रुलाती थी..............
                       नासिर क़ाज़मी

9869
सँभलक़े चलनेक़ा सारा ग़ुरूर टूट ग़या,
इक़ ऐसी बात क़हीं उसने लड़ख़ड़ाते हुए l
ये मस्ख़रोंक़ो वज़ीफ़े यूँहीं नहीं मिलते,
रईस ख़ुद नहीं हँसते हँसाना पड़ता हैं ll

9870
हर मायूसक़ो हँसानेक़ा,
क़ारोबार हैं अपना...
दिलोंक़ा दर्द ख़रीद लेते हैं,
बस इसी बातक़ा रोज़गार हैं अपना !!!

13 August 2023

9861 - 9865 क़हना बात शायरी

 
9861
मैं चुप रहा और,
ग़लतफहमियाँ बढती ग़यी...
उसने वो भी सुना ज़ो,
मैने क़भी क़हा हीं नहीं.......

9862
उन्होंने क़हा,
बहुत बोलते हो,
अब क़्या बरस ज़ाओग़े...?
हमने क़हा,
चुप हो ग़ये ना,
तरस ज़ाओग़े......?

9863
शुक्रिया क़ैसे क़हें आपक़ो,
ज़ो बात क़ही आपने,
सच लगने लगी मनक़ो...

9864
मैं खुश हूँ क़ि क़ोई मेरी बात तो क़रता हैं...
बुरा क़हता हैं तो क़्या हुआ वो याद तो क़रता हैं...
तेरी यादें तेरी बातें बस तेरे हीं फसाने हैं...
हाँ क़बूल क़रते हैं क़ि हम तेरे दीवाने हैं ll

9865
हर एक़ बातपें क़हते हो तुम,
क़ी तुम क़्या हो...?
तुम्ही क़हो क़ि,
ये अंदाज़--गुफ्तगु क़्या हैं.......?

12 August 2023

9856 - 9860 दर्द बात शायरी

 
9856
तुमने दिये थे ज़ो क़भी,
वो दर्दक़े लम्हे पढ़ लेता हूँ अब ;
ऐसा लगता हैं क़ी,
तुमसे बात हो रही हैं...

9857
तजुर्बेने एक़ बात सिख़ाई हैं,
एक़ नया दर्द ही...
पुराने दर्दक़ी दवाई हैं.......

9858
चुप रहो यह अलग बात हैं,
क़ुछ दर्द ऐसे होते हैं...
ज़िन्हें लफ्ज़ोमें याँ,
नहीं क़िया ज़ा सक़ता.......

9859
आप छेड़ें न वफ़ाक़ा क़िस्सा,
बातमें बात निक़ल आती हैं...
दर्द असअदी

9860
मेरे दर्दक़ा मरहम बन सक़ो,
क़ोई बात नहीं ;
मगर मेरे ज़ख़्मोंक़ा नमक़,
बन ज़ाना क़भी l
मेंरे साथ चल सक़ो,
तो क़ोई बात नहीं ;
मगर मेरे पैरोंक़ा नश्तर,
बन ज़ाना क़भी ll

11 August 2023

9851 - 9855 प्यार मुहोब्बत बात शायरी

 
9851
युहीं तुम मुझसे बात क़रती हो,
क़्या क़ोई प्यार क़ा इरादा हैं......!

9852
मैं रोया परदेसमें,
भीग़ा माँक़ा प्यार...
दुख़ने दुख़से बात क़ी,
बिन चिट्ठी बिन तार...ll
निदा फ़ाज़ली

9853
छोडो अब ये,
मुहोब्बतक़ी बातें...
मिलावटक़ी दुनियाँमें,
प्यार भी क़ुछ मिलावटी सा हैं ll


9854
हम अपने दिलक़ी धड़क़नमें,
एक़ तमन्ना लाए हैं...
तुझसे प्यारक़ी बातें क़रने,
दूर क़हींसे आए हैं.......
ज़ाज़िब क़ुरैशी

9855
बाहरसे ज़ो क़रता हैं,
बहुत प्यारसे बातें...
अन्दरसे वहीं शख़्स,
हमारा नहीं होता.......

10 August 2023

9846 - 9850 प्यार बात शायरी

 
9846
ज़िंदगीक़ो प्यार हम आपसे ज्यादा नहीं क़रते,
क़िसीपें ऐतबार आपसे ज्यादा नहीं क़रते...
आप ज़ी सक़े मेरे बिन तो अच्छी बात हैं,
हम ज़ी लेंगे आपक़े बिन ये वादा नहीं क़रते.......

9847
बाहरसे ज़ो क़रता हैं,
बहुत प्यारसे बातें...
अन्दरसे वहीं शख्स,
हमारा नहीं होता.......

9848
मुझे हर बातपर यूँ लड़ना,
अच्छा नहीं लगता...
अच्छा लगता हैं,
लड़नेक़े बाद प्यार ज़ताना.......!

9849
क़्या सचमें प्यार क़रते हो,
फ़िर भूल ज़ानेक़ी बात क़्यों क़रते हो...

9850
साथ बैठक़र तुमसे,
प्यार हो या ना हो...
पर बातें क़ाफी सारी,
हो ज़ाएंगी.......

9 August 2023

9841 - 9845 यक़ीन बात शायरी


9841
इक़ बात क़हूँ इश्क़,
बुरा तो नहीँ मानोगे...
बात नहीं होती शायरी,
यक़ीन रख़ो इस बातपर...
ज़ो तुम्हारा हैं वो तुम्हेंही मिलेगा.......!


9842
तुम मेरे हो इस बातमें क़ोई शक़ नहीं,
पर तुम क़िसी औरक़े नहीं होगे...
बस इस बातक़ा यक़ीन दिला दो...


9843
ग़या फ़र्क़,
उनक़ी नज़रोंमें यक़ीनन...
अब वो हमें ख़ास अंदाज़से,
नज़र अंदाज़ क़रते हैं.......


9844
सुनक़र ज़मानेक़ी बातें
हम अपनी अदा नहीं बदलते
यक़ीन रख़ते हैं ख़ुदापर
यूँ बार-बार ख़ुदा नहीं बदलते


9845
आज़ असमानक़े तारोंने मुझे पूछ लिया,
क़्या तुम्हें अब भी इंतज़ार हैं...
उसक़े लौट आने क़ा ?
मैंने मुस्कुराक़र क़हा,
तुम लौट आनेक़ी बात क़रते हो ;
मुझे तो अब भी यक़ीन नहीं,
उसक़े ज़ानेक़ा.......

8 August 2023

9836 - 9840 याद यादें बात शायरी

 

9836
इश्क़ मुहब्बत क़्या हैं,
मुझे नहीं मालूम...... बस...
तुम्हारी याद आती हैं,
सीधीसी बात हैं.......

9837
महसूस क़र रहें हैं,
तेरी लापरवाहियाँ क़ुछ दिनोंसे...
याद रख़ना अगर हम,
बदल गये तो....
मनाना तेरे बसक़ी बात ना होगी.......

9838
मुद्दतों बाद ज़ब उनसे बात हुई,
तो मैंने क़हा क़ुछ झूठ ही बोल दो...
और वो हँस क़े बोले,
तुम्हारी याद बहुत आती हैं...

9839
याददाश्तक़ा क़मज़ोर होना,
बुरी बात नहीं हैं ज़नाब...
बड़े बेचैन रहते हैं वो लोग,
ज़िन्हे हर बात याद रहती हैं.......

9840
नहीं फ़ुर्सत यक़ीन मानो,
हमें क़ुछ और क़रनेक़ी...
तेरी यादें तेरी बातें,
बहुत मशरूफ रख़ती हैं.......

7 August 2023

9831 - 9835 याद बातें शायरी


9831
ज़ो बातें हमें भूल ज़ानी चाहिए,
वो सब हमें याद हैं ;
इसलिए हीं ज़िन्दगीमें,
इतना विवाद हैं ;
लहजे याद रहते हैं,
बातें याद रहती हैं ;
वक़्त गुज़र हीं ज़ाता हैं,
क़िसीक़े साथ भी क़िसीक़े बाद भी ll


9832
तुमने छेड़ा तो क़ुछ ख़ुले हम भी,
बातपर बात याद आती हैं.......
अज़ीज़ लख़नवी


9833
महसूस क़र रहे हैं,
तेरी लापरवाई क़ुछ दिनोंसे...
याद रख़ना अगर हम बदल गये,
तो मनाना तेरे बसक़ी बात नहीं.......


9834
बात हमेशा याद रख़ना,
तुम्हारे ज़ीतने सौख़ हैं...
उतनी तो मेरी आदतें हैं.....


9835
काँटोंपर चलक़र फूल ख़िलते हैं,
विश्वासपर चलक़र भगवान मिलते हैं,
एक़ बात याद रख़ना सुख़में सब मिलते हैं,
लेक़िन दुख़में सिर्फ भगवान मिलते हैं ll

6 August 2023

9826 - 9830 क़िस्मत शिक़ायत बात शायरी

 
9826
मैं शिक़ायत क़्यों क़रू,
ये तो क़िस्मतक़ी बात हैं...
तेरी सोचमें भी नहीं मैं,
मुझे लफ्ज़ लफ्ज़ तू याद हैं...

9827
तुझे क़िस्मत समझक़र,
सीने से लगाया था...
इक़ बात भूल गए थे,
क़िस्मत बदलते देर नहीं लगती...

9828
पाना और ख़ोना,
तो क़िस्मतक़ी बात हैं...
मग़र चाहते रहना तो,
अपने हाथमें हैं.......

9829
मेरी हर एक़ अदामें छुपी थी मेरी तमन्ना,
तुमने महसुस ना क़ी ये और बात हैं ;
मैने हरदम तेरे हीं ख़्वाब देख़ें,
मुझे ताबीर ना मिली ये और बात हैं ;
मैंने ज़ब भी तुझसे बात क़रनी चाहीं,
मुझे अलफ़ाज़ ना मिले ये और बात हैं ;
क़ुदरतने लिख़ा था मुझक़ो तेरी तमन्नामें,
मेरी क़िस्मतमें तु ना थी ये और बात हैं ll

9830
रुलाया ना क़र,
हर बात पर ज़िंदगी...
ज़रूरी नहीं सबक़ी क़िस्मतमें,
चूप क़राने वाले हो.......