4 February 2017

924 प्यार मदहोश आलम याद बेवफ़ा बदनाम धूल चेहरे बरस रोते आईना शायरी


924

आईना, Mirror

उसकी यादमें हम बरसों रोते रहें;
बेवफ़ा वो निकले बदनाम हम होते रहें;
प्यारमें मदहोशीका आलम तो देखिये;
धूल चेहरेपें थी और हम आईना साफ़ करते रहें...

May I continue to cry in her memory for years;
She turns out to be unfaithful and I continue to be disgraced;
Look at the state of intoxication in love;
There was dust on our faces and we kept cleaning the mirror...

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