2671
महफिल भी रोयेगी, हर दिल भी
रोयेगा,
डूबी जो मेरी
कश्ती तो साहील
भी रोयेगा,
इतना प्यार बिख़ेर देंग़े जमानेमें हम,
की मेरी
मौतपें मेरा
कातील भी रोयेगा...
2672
" लब्ज़
ही ऐसी चीज़ हैं,
जिसकी वजहसे इंसान
या तो दिलमें उतर जाता हैं,
या दिलसे
उतर जाता हैं ! "
2673
ज़िन्दगीके
इस कश्मकशमें,
वैसे तो मैं भी
काफ़ी बिजी हुँ,
लेकिन वक़्तका बहाना बनाकर,
अपनोंको
भूल जाना मुझे
आजभी नहीं
आता !
2674
जमाना बहोत तेज
चल रहा हैं साहेब...
एक दिन कुछ
न लिखू,
तो
लोग मुझे भूलने
लगते हैं;
जिसका दर्द उसीका दर्द,
बाक़ी सबके लिए
वो तमाशा हैं... ||
2675
याददाश्तका कमज़ोर होना...
बुरी बात नहीं
हैं जनाब...
बड़े बेचैन रहते हैं वो लोग...
जिन्हे हर बात
याद रहती हैं;
कही लगता हैं
वो हमे सता
रहे हैं...
कभी लगा कि
वो करीब आ
रहे हैं...
कुछ लोग होते
हैं आँसुओकी तरह,
पता ही नहीं
लगता साथ दे रहे
हैं...
या छोड़के
जा रहे हैं.......!