30 April 2019

4186 - 4190 अंदाज फिदा फनाह रोना इज़हार बैचैन इश्क़ अल्फाज़ शख़्स शोर चीख खामोशी शायरी


4186
बडा ही खामोशसा अंदाज हैं तेरा...
समझ नहीं आता,
फिदा हो जाऊँ...
या फनाह हो जाऊँ.......!

4187
काश तू सुन पाता,
खामोश सिसकियाँ मेरी;
आवाज़ करके रोना तो,
मुझे आज भी नहीं आता...

4188
इज़हारे इश्क़का,
मज़ा तो तब हैं...
मैं खामोश रहूँ,
और वो बैचैन.......!

4189
ये जो खामोशसे,
अल्फाज़ लिखे हैं ना;
पढना कभी ध्यानसे,
चीखते कमाल हैं.......!

4190
लोग शोरसे,
जाग जाते हैं और;
मुझे एक शख़्सकी खामोशी...
सोने नहीं देती.......!

25 April 2019

4181 - 4185 जिंदगी अरमान शिकवा इंतजार जवाब बातें सौदा लफ्ज आँख भरोसा धोखा खामोशी शायरी


4181
अरमान था तेरे साथ जिंदगी बितानेका,
शिकवा हैं खुदके खामोश रह जानेका;
दीवानगी इससे बढकर और क्या होगी,
अज भी इंतजार हैं तेरे आनेका...

4182
रहने दे कुछ बातें,
यूँ ही अनकहीसी...
कुछ जवाब तेरी मेरी,
खामोशीमें अटके ही अच्छे हैं...!

4183
खामोशियोंसे मिल रहे हैं,
खामोशियोंके जवाब...
अब कैसे कहे की मेरी,
उनसे बातें नही होती.......!

4184
तुम भी खामोश,
हम भी खामोश...
लफ्जोका सौदा,
अब आँखोंसे होने लगा हैं...

4185
मुझे खामोश़ देखकर इतना,
क्यों हैरान होते हो...
कुछ नहीं हुआ हैं बस,
भरोसा करके धोखा खाया हैं...

24 April 2019

4176 - 4180 दिल दुनिया आँख निगाह आदत रिश्ते लिबास साँस जनाजा फिक्र वसीयत हैसियत शायरी


4176
झटसे बदल दूं,
इतनी हैसियत आदत हैं मेरी;
रिश्ते हों या लिबास,
मैं बरसों चलाता हूँ.......!

4177
इन्सानियत दिलमें होती हैं,
हैसियतमें नहीं...
ऊपरवाला केवल 'कर्म',
देखता हैं वसीयत नहीं...

4178
आँखोंपर उनकी निगाहोंने,
दस्तख़त क्या किए...
हमने साँसोंकी वसीयत,
उनके नाम कर दी.......!

4179
सुख दुःख निभाना,
तो कोई फूलोसे सीखे...
बरात हो या जनाजा,
साथ जरुर देते हैं.......!

4180
फिक्रमें होते हैं,
तो खुद जलते हैं...
बेफिक्र होते हैं,
तो दुनिया जलती हैं.......!

23 April 2019

4171 - 4175 प्यार वक्त हालात जज्बात महसूस बात राज कफ़न उम्र अहमियत लिबास हैसियत शायरी


4171
बदल जाऊँ तो मेरा नाम 'वक्त' रखना,
थम जाऊँ तो 'हालात',
छलक जाऊँ तो मुझे 'जज्बात' कहना,
महसूस हो जाऊँ तो 'प्यार' समझना !!!

4172
हम जिसे छिपाते फिरते हैं उम्रभर,
वही बात बोल देती हैं...
शायरी भी क्या गजब होती हैं,
हर राज खोल देती हैं.......

4173
अहमियत यहाँ,
हैसियतको मिलती हैं l
हम हैं की,
जज्बात लिए फिरते हैं ll

4174
"लिबास तय करता हैं,
बशरकी हैसियत;
कफ़न ओढ़ लो तो दुनिया,
कांधेपे उठाती हैं "

4175
लिबाससे मत तय करो,
तुम मेरी हैसियत...
अभी कफ़न ओढ़ लूंगा तो,
कंधेपर उठाए फिरोगे...!

22 April 2019

4166 - 4170 मोहब्बत याद ज़िंदगी नशा मशहूर दर्द ऐतबार ख़्वाहिश गज़ल इंतज़ार शायरी


4166
तेरी यादोंके नशेमें,
अब चूर हो रहा हूँ...
रोज लिखता हूँ तुम्हें,
और मशहूर हो रहा हूँ...!

4167
"शायरियोंसे बुरा,
लगे तो बता देना;
दर्द बाँटनेके लिए लिखता हूँ,
दर्द देनेके लिए नहीं...!"

4168
बे-शुमारसा कुछ लिखना था...
मैने तुझपे ऐतबार लिख दिया...!!!

4169
एक आख़री ख़त,
लिखनेकी ख़्वाहिश थी मेरी...
पर सुना हैं,
पता बदल गया हैं उनका...

4170
फिर आज कोई गज़ल,
तेरे नाम ना हो जाए...
आज कही लिखते लिखते,
शाम ना हो जाए...
कर रहे हैं इंतज़ार,
तेरे इज़हार--मोहब्बतका...
इसी इंतज़ारमे ज़िंदगी,
तमाम ना हो जाए.......

21 April 2019

4161 - 4165 इश्क़ नसीहत समझ होंठ मुश्किल जज्बात दर्द महसुस नशा आँख शायरी


4161
अच्छी नसीहतोंका असर,
आज कल इसलिए नहीं होता;
क्योंकि लिखनेवाले और पढ़ने वाले,
दोनों ये समझते हैं कि, ये दूसरोंके लिए हैं...

4162
बडा मुश्किल हैं,
जज्बातोको कागज पर उतारना...
हर दर्द महसुस करना पडता हैं,
लिखनेसे पहले.......

4163
मैं अगर नशेमें लिखने लगूँ...
खुदा कसम...
होश जाए तुम्हें.......!

4164
वो ''पानी'' पर इश्क़,
लिखकर भूल गयी...
हम आज भी आँखोंमें,
समंदर भरकर बैठे हैं.......

4165
होंठोपर मेरे सिर्फ...
ऊँगली रखकर गए थे वो...... 
और उस दिनके बाद...
हम सिर्फ लिखकर बोलते हैं.......!

20 April 2019

4156 - 4160 नज़रे ऐतबार दीवाना आँखे किताब पत्थर मुमकिन ठोकर महफ़िल मशवरा शायरी


4156
कर दे नज़रे करम मुझपर,
मैं तुझपे ऐतबार कर दूँ,
दीवाना हूँ तेरा ऐसा,
कि दीवानगीकी हदको पर कर दूँ...

4157
यूँ तो लिखनेको,
दो-चार लाइने लिखते हैं लोग;
पर आँखे तेरी ऐसी कि,
पूरी किताब लिख दूँ...!

4158
जरूर कोई तो लिखता होगा,
कागज और पत्थरका भी नसीब...
वरना ये मुमकिन नहीं की,
कोई पत्थर ठोकर खाये और...
कोई पत्थर भगवान् बन जाये,
और कोई कागज रद्दी और...
कोई कागज गीता बन जाये.......!

4159
भाग्य लिखने वाले,
तुझे एक मशवरा हैं मेरा...
कुछ अच्छा ही लिख दिया कर,
बुरे के लिए तो अपने ही बहुत हैं...!

4160
आओ आज,
महफ़िल सजाते हैं...
तुम्हें लिखकर,
तुम्हें ही सुनाते हैं...!

4151 - 4155 शौक जज्बात जरिया बात तक़दीर कामयाबी लक़ीर साँसें लफ़्ज़ शायरीह


4151
लिखते हैं सदा,
उन्हीके लिए...
जिन्होंने हमे कभी,
पढ़ा ही नहीं.......!

4152
नहीं लिखते हथेलियोंपर,
अब तुम्हारा नाम...
कारोबारमें सबसे,
हाथ मिलाना पड़ता हैं.......!

4153
शौक हीं हैं मुझे जज्बातोंको,
यूँ सरेआम लिखनेका...
मग़र क्या करूँ जरिया बस हीं हैं,
अब तुझसे बात करनेका.......!

4154
लिख सकते किसीकी तक़दीर अगर,
आपकी तक़दीरमें हर ख़ुशी लिख देते हम;
जो मोड़ कामयाबी दिलाये आपको,
हर लक़ीरको उस तरफ मोड़ देते हम...!

4155
छोड़ तो दूँ मैं लिखना,
अभीके अभी, मगर...
किसीकी साँसें चलती हैं,
लफ़्ज़ोंसे मेरी.......!

18 April 2019

4146 - 4150 उम्र मुहब्बत मेहसूस वजूद नुक़्स कोशिश फासला सवाल शौक होश तलाश शायरी


4146
उम्र जाया कर दी,
औरोंके वजूदमें नुक़्स निकालते निकालते...
इतना खुदको तराशते,
तो खुदा हो जाते.......!

4147
मिटानेकी कोशिश,
तुमने भी की, हमने भी की...
हमने फासला और,
तुमने हमारा वजूद...

4148
राख होता हुआ वजूद,
मुझसे थककर सवाल करता हैं;
मुहब्बत करना तेरे लिए,
इतना ही जरुरी था क्या...?

4149
बहुत शौक था मुझे,
सबको जोडकर रखनेका;
होश तब आया जब,
खुदके वजूदके टुकडे हो गये...

4150
कभी शब्दोमें तलाश,
करना जू मेरा;
मैं उतना लिख नही पाता,
जितना मेहसूस करता हूँ...!

17 April 2019

4141 - 4145 दिल धड़कन इश्क़ मर्जी मुमकिन आईना नज़र रुख वजूद शायरी


4141
उनकी मर्जीसे ढल जाऊँ,
हर बार ये मुमकिन नहीं;
मेरा भी वजूद हैं,
मैं कोई आईना नहीं...!

4142
तेरे वजूदमें मैं,
काश यूँ उतर जाऊँ...
देखे ना और मैं,
तुझे नज़र ऊँ.......!

4143
दिलोंमें रहता हूँ,
धड़कने थमा देता हूँ;
मैं इश्क़ हूँ,
वजूदकी धज्जियाँ उड़ा देता हूँ...!

4144
मेरे वजूदमें काश तू उतर जाए...
मैं देखूँ आईना और तू नज़र आए...
तू हो सामने और वक्त ठहर जाए...
ये जिंदगी तूझे यूँ ही देखते हुए गुज़र जाए...!

4145
'तिनका' हूँ तो क्या हुआ,
'वजूद' हैं मेरा;
उड़ उड़के हवाका,
'रुख' तो बताता हूँ...