8441
मेरा तो ज़ो भी क़दम हैं,
वो तेरी राहमें हैं...
क़े तू क़हीं भी रहें,
तू मेरी निग़ाहमें हैं.......
8442तुझसे ना मिलनेक़ी,क़सम ख़ाक़र भी...हर राहमें तुझे हीं,ढूँढा हैं मैंने.......
8443
ज़िंदग़ीक़ी राहमें मिले होंग़े,
हज़ारों मुसाफ़िर तुमक़ो...
ज़िंदग़ीभर ना भुला पाओग़े,
वो मुलाक़ात हूँ मैं.......!
8444फ़ूल हम क़िसीक़ी राहमें,बिछा न पाये क़ोई ग़म नहीं...राहक़े क़ाँटोंक़ो चुनलें हम,यह भी क़ोई क़म तो नहीं...
8445
ज़िस राहपर हरबार मुझे,
अपना क़ोई छलता रहा l
फ़िर भी न ज़ाने क़्यूँ मैं,
उसी राहपर हीं चलता रहा l
सोचा बहुत इस बार,
रोशनी नहीं धुँआ दूँग़ा l
लेक़िनमैं चिराग़ था फ़ितरतसे,
ज़लना था ज़लता रहा ll