29 July 2017

1581 - 1585 दिल धड़कन मोहब्बतें पल अधूरी उम्र असर मौत दुआ खबर बात पसंद अजीब शायरी


1581
मोहब्बतें अधूरी रह जाती हैं...!
तभी तो शायरीयाँ पूरी होती हैं...!

1582
वो बात क्या करूँ जिसकी खबर ही न हो;
वो दुआ क्या करूँ जिसमे असर ही न हो;
कैसे कह दूँ आपको लग जाये मेरी भी उम्र;
क्या पता अगले पल मेरी उम्र ही न हो !!!

1583
मोहब्बत और मौत दोनोंकी पसंद... अजीब हैं...!
एकको दिल चाहिए और दूसरेको धड़कन...!

1584
"मैं तो रंग हुँ तेरे चेहरेका...
जितना तू खुश रहेगी,
उतनाही मैं निखरता जाऊँगा...!

1585
ज़िंदगीमें हमने कभी कुछ चाहा ही नहीं;
जिसे चाहा उसे कभी पाया ही नहीं;
जिसे पाया उसे यूँ खो दिया;
जैसे ज़िंदगीमें कभी कोई आया ही नहीं।

28 July 2017

1576 - 1580 दिल मोहब्बत जिन्दगी आँखे नशा शराब गुरूर सम्भल नींद खातिर शायरी


1576
न रख इतना गुरूर,
अपने नशेमें ए शराब !
तुझसे ज्यादा नशा रखती हैं,
आँखे किसीकी !

1577
रात तो क्या,
पूरी जिन्दगी भी जागकर,
गुजार दूँ तेरी खातिर,
एक बार तू कहकर तो देख,
कि," मुझे तेरे बिना नींद नहीं आती..."

1578
मेरे दिलसे खेल तो रहे हो तुम...
पर जरा सम्भल के;
ये थोडा टूटा हुआ हैं;
कहीं तुम्हे ही लग ना जाए..!

1579
हर चीज़में खुशबु हैं
तेरे होनेकी...!
गजब निशानियाँ दी हैं
तूने चाहतकी.....!!!

1580
क्यूँ हर बातमें कोसते हो
तुम लोग नसीबको,
क्या नसीबने कहा था...
की मोहब्बत कर लो !

27 July 2017

1571 - 1575 दिल मोहब्बत आरजू गुनाह सजा ज़हर दुश्मन खफा सितम खौफ खामोशि लफ्ज सब्र आँख बेखबर शायरी


1571
"गुनाह करके सजासे डरते हैं,
ज़हर पीके दवासे डरते हैं . . .
दुश्मनोंके सितमका खौफ नहीं हमे,
हम तो दोस्तोंके खफा होनेसे डरते हैं !!!"

1572
तुम मुझमे पहले भी थे,
तुम मुझमे आज भी हो।
पहले मेरे लफ्जोमें थे,
अब मेरी खामोशियोंमें हो।

1573
रात तकती रही आँखोमें,
दिल आरजू करता रहा...,
कोई बेसब्र रोता रहा,
कोई बेखबर सोता रहा...

1574
आज मिलते ही उसने...
मेरा नाम पूछ लिया...
बिछड़ते वक्त जिसने कहा था,
तुम बहुत याद आओगे।

1575
क्यूँ कर रहे हो भला,
तुम बगावत खुदसे...
मान क्यों नहीं लेते की;
तुम्हे भी हैं मोहब्बत मुझसे !!!

25 July 2017

1566 - 1570 जिन्दगी मोहब्बत साँस हद शर्त मुलाकात उसूल बिछड़ बेबस काबिल कागज शायरी


1566
चंद लम्होंकी मोहब्बतमें,
यूँ भी ना हदसे गुजर जाना,
शर्तोंकी मुलाकातोंसे बेहतर हैं,
उसूलोंपर बिछड़ जाना...!

1567
सुनो....
या तो मिल जाओ,
या बिछड़ जाओ...!
यूँ साँसोंमें रहकर,
बेबस ना करो......!!

1568
निकाल दिया उसने हमे अपनी जिन्दगीसे,
भीगे कागज कि तरहा।
ना लिखनेके काबिल छोडा,
ना जलानेके काबिल।।

1569
मुहब्बत नहीं हैं नाम,
सिर्फ पा लेनेका...
बिछड़के भी अक्सर दिल,
धड़कते हैं साथ-साथ...!

1570
ना जाने कौन मेरे,
हक़में दुआ पढता हैं,
डूबता भी हु तो,
समुन्दर उछाल देता हैं !!!

24 July 2017

1561 - 1565 मोहब्बत ज़िन्दगीकी हकीकत परवाह ताना लहरें तुफान कश्ती काम जमाना ख़ुशी दर्द अकेले शायरी


1561
मत परवाह कर उनकी, जो आज देते हैं ताना,
झुका देंगे ये सर, जब आएगा तेरा जमाना,
लहरें बन जाए तुफान, कश्तीका काम हैं बहना,
कुछ तो लोग कहेंगे लोगोंका काम हैं कहना !!!

1562
ज़िन्दगीकी हकीकतको
बस इतना जाना हैं;
दर्दमें अकेले हैं और
ख़ुशीमें जमाना हैं...!

1563
रंग तेरी मोहब्बतका
उतर न पाया अबतक,
लाख बार खुदको
आँसुओंसे धोया हमने !!!

1564
"कभी उसको नजरअंदाज न करो,
जो तुम्हारी बहुत परवाह करता हो,
वरना किसी दिन तुम्हें एहसास होगा,
के पत्थर जमा करते करते तुमने हीरा गवा दिया हैं..."

1565
चुप रहना ही बेहतर हैं,
ज़मानेके हिसाबसे दोस्तों,
धोकाखा जाते हैं अक्सर...,
ज्यादा बोलने वाले !

23 July 2017

1556 - 1560 मोहब्बत जिंदगी हाल शर्मिंदा ख़्वाहिश कैदी शख्स हकीक़त सज़ा मज़बूर तवायफ मशहूर शायरी


1556
मेरा हाल देखकर,
मोहब्बत भी शर्मिंदा हैं,
कि ये शख्स सब कुछ हार गया,
फिर भी ज़िंदा हैं...

1557
ख़्वाहिशोंका कैदी हूँ,
मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं…

1558
जिंदगी भी तवायफकी तरह होती हैं..!!
कभी मज़बूरीमें नाचती हैं,
कभी मशहूरीमें...!!

1559
तोड़ना होता तो रिश्ता ना बनाते,
उम्मीद ना होती तो सपने ना सजाते,
एतबार किया हैं हमने आपकी दोस्तीपें,
भरोसा ना होता तो दिलका हिस्सा ना बनाते...

1560
अदाओ वफाओंका,
जमाना गया यारो...
सिक्कोकी खनक बताती हैं,
रिश्ता कितना मजबूत हैं...!

21 July 2017

1551 - 1555 इश्क मोहब्बत जल उम्र बोझ तारीफ़ तस्वीर होश शौक वजूद टुकडे शायरी


1551
गीली लकड़ीसा इश्क,
उन्होंने सुलगाया हैं...
ना पूरा जल पाया कभी,
ना बुझ पाया हैं...!!!

1552
उम्रभर उठाया बोझ,
उस ''खीली'' ने…
और लोग तारीफ़...
''तस्वीर'' की करते रहे.......

1553
बहुत शौक था;
सबको जोडके रखनेका...
होश तब आया जब,
अपने वजूदके टुकडे देखे.......

1554
बड़ा अजीब होता हैं,
ये मोहब्बत हैं खेल भी,
एक थक जाये तो,
दोनों हार जाते हैं...!

1555
वो करीब बहुत हैं,
मगर कुछ दूरियोंके साथ...,
हम दोनों जी तो रहे हैं,
पर बहुतसी मजबूरीयोंके साथ.......

20 July 2017

1546 - 1550 मुहब्बत जिंदगी कारोबार खरीद किमत किस्मत मुकम्मल अधूरे आशिक वजह बात जज्बात रोग शायरी


1546
खरीद सकते उन्हें,
तो अपनी जिंदगी देकर भी खरीद  लेते,
पर कुछ लोग "किमत" से नहीं,
"किस्मत" से मिला करते हैं !!!

1547
मुहब्बत मुकम्मल होती,
तो ये रोग कौन पालता...
अक्सर अधूरे आशिक ही,
शायर हुआ करते हैं...!!!

1548
बेवजह हैं, तभी तो दोस्ती हैं ;
वजह होती, तो कारोबार होता ।

1549
"बात तो सिर्फ
जज्बातोंकी हैं...
वरना... मोहब्बत तो
सात फेरोके बाद भी नहीं होती हैं..."

1550
मसरूफ़ रहनेका अंदाज़,
तुम्हें तनहा ना कर दे ;
रिश्ते फ़ुर्सतके नहीं,
तवज्जोके मोहताज होते हैं !

19 July 2017

1541 - 1545


1541
रुलाया ना कर,
हर बात पर ए जिंदगी ...
जरूरी नहीं सबकी किस्मत मॆं,
चूप कराने वालॆ हो ...

1542
खूबियाँ इतनी तो नही हम मे,
कि तुम्हे कभी याद आएँगे,
पर इतना तो ऐतबार है हमे खुद पर,
आप हमे कभी भूल नही पाएँगे..

1543
आपने नज़र से नज़र कब मिला दी,
हमारी ज़िन्दगी झूमकर मुस्कुरा दी,
जुबां से तो हम कुछ भी न कह सके,
पर निगाहों ने दिल की कहानी सुना दी..

1544
गम को बेचकर खुशी खरीद लेगे,
ख्याबो को बेचकर जिन्दगी खरीद लेगें,
होगी इम्तहान तो देखेगी दुनिया,
खुद को बेचकर आपकी दोस्ती खरीद लेगे…

1445
आज उसनॆ हमॆ एक ऒर दर्द दिया...
तो हमॆं याद आया;  
कॆ दुआओं मॆं हमनॆ ही तो,
सारे दर्द मांगॆ थॆ...!!!

18 July 2017

1536 - 1540


1536
दिन भी अच्छे गुजर रहे थे,
और खुशिया भी .....
ए वक्त ...
बता क्या मिला तुझे .....
उसको मुझसे जुदा करके .......

1537
"मुझसे दोस्त नहीं बदले जाते,
चाहे लाख दूरी होने पर,
यहाँ लोगों के भगवान बदल जाते हैं,
एक मुराद ना पूरी होने पर।।"

1538
रात हुई जब शाम कॆ बाद,
तॆरी याद आई हर बात कॆ बाद,
हमनॆ खामोश रहकर भी देखा,
तॆरी आवाज आई हर सांस कॆ बाद।

1539
चल आ तेरे पैरो पर,
मरहम लगा दूं ऐ मुक़द्दर...
कुछ चोटे तुझे भी आई होगी,
मेरे सपनो को ठोकर मारकर.......

1540
ना छेड़ किस्सा उल्फ़त का,
बड़ी लम्बी कहानी है...
मैं ज़िन्दगी से नहीं हारा,
ये किसी अपने की मेहरबानी है...

1531 - 1535


1531
हम नफरत के काबिल थे,
तो नफरत से ही मार देते...!
क्यों अपनी महफ़िल में बुलाकर...
प्यार से कह दिया ,
" कौन हो तुम.... "

1532
डाल देना अपने ही हाथोसे कफन,
मेरी लाश पर.....के,
तेरे दिये जख्मो के तोहफे,
कोई और ना देख ले.......

1533
अब ना करूँगा,
अपने दर्द को बया किसी के सामने,
दर्द जब मुझको ही सहना है...
तो तमाशा क्यूँ करना.......

1534
दिल सॆ हम जिसको प्यार दॆंगॆ,
सच कॆहॆतॆ है उसकी जिंदगी सवार दॆंगॆ...
दॆख लेना तरस जायॆंगॆ वो लोग उमर भर कॆ लियॆ,
जिनको हम दिल दे निकाल दॆंगॆ.......।

1535
तेरी सांस के साथ चलती है,
मेरी हर धड़कन.......
और तुम पूछते हो,
मुझे याद किया या नही.......

16 July 2017

1526 - 1530


1526
“जहर के असरदार होने से,
कुछ नहीँ होता साहेब...
खुदा भी राजी होना चाहिए,
मौत देने के लिए...!”

1527
मेरे क़दमों में पूरी कायनात
भी रख दी गई ए-बेवफा
हमने तब भी तुम्हारी यादों
का सौदा नहीं किया…..!!

1528
थोड़ी मोहब्बत तो,
तुझे भी थी मुझसे...
वरना इतना वक्त तो न लगता,
सिर्फ एक दिल तोड़ने में...

1529
कभी थक जाओ तुम
दुनिया की महफ़िलों से,
हमें आवाज़ दे देना,
हम अक्सर अकेले होते हैं।

1530
तेरी महफ़िल से उठे तो
किसीको खबर तक ना थी.....

तेरा मुड़-मुड़कर देखना हमें,
बदनाम कर गया.......

15 July 2017

1521 - 1525


1521
अब वफा की उम्मीद भी,
किससे कीजाए भला,
मिट्टी कॆ बनॆ लोग,
कागज मॆं जो बिक जाते है।

1522
अपनी जिंदगी,
अजीब रंग में गुजरी है.....
राज किया दिलों पे
और तरसे मोहब्बत को है.....

1523
उनके इंतजार के मारे है हम,
बस उन्ही कि यादों के सहारे है हम,
दुनिया जीत के करना क्या है अब,
जिसे दुनिया से जितना था उसी से हारे है हम...

1524
मोहोब्बत हर इन्सान को आजमाती है,
किसी सॆ रुठ जाती है,
किसी पॆ मुस्कुराती है,
मोहोब्बत खॆल ही ऎसा है,
किसी का कुछ नही जाता ऒर
किसी की जान ही चली जाती है।

1525
राख बेशक हूँ मगर...
मुझमें हरकत है अभी भी...

जिसको जलने की तमन्ना हो,
हवा दे मुझको.......