12 January 2018

2206 - 2210 दिल जिंदगी रास्ता शहद इशारे दिवाने उम्र मिठास रिश्ते वास्ता कमाल लम्हा किताब शायरी


2206
यूँ ही नहीं आती शहदमें मिठास जनाब,
इक राणीके इशारेपर कई दिवाने उम्र बिता देते हैं...
और कोई आकर जला जाता हैं आशियाना,
फिर कहा शहदमें मिठास मिला करती हैं ...!

2207
हीं छोडी कमी,
किसीभी रिश्तेको निभानेमें मैने...!
आने वालेको दिलका रास्ता भी दिया,
और जाने वालेको रबका वास्ता भी दिया...!

2208
कमालका ताना दिया,
आज जिंदगीने मुझे...
कहाँ लिखते तो खूब हो,
कभी अमलभी कर लिया करो...

2209
लम्होंकी किताब हैं जिंदगी , 
ख्यालों और साँसोंका हिसाब हैं जिंदगी ,
कुछ ज़रूरतें पूरी , कुछ ख्वाहिशें अधूरी , 
इन्ही सवालोंके जवाब हैं जिंदगी...!

2210
ऐ जिंदगी...
तू सचमें बेहद खूबसूरत हैं...
फिर भी...
तू अपनोंके बिना अच्छी नहीं लगती...

10 January 2018

2201 - 2205 दिल मुहोब्बत सँभाल आँख जलन तलाश ख्वाब तारीफ़ अलफ़ाज वजह शिक़वे रंगत शायरी


2201
अब तो इन आँखोंसे भी,
जलन होती हैं मुझे...
खुली हो तो तलाश उनकी,
बंद हो तो ख्वाब उनके . . . !

2202
सभी तारीफ़ करते हैं,
मेरे अलफ़ाजोंकी,
कोई क्यूँ नहीं पूछता,
इसकी वजह क्या हैं...

2203
सँभालकर रखिए,
जरा अपने दिलको
जनाब, ...
ये टूटते ही नहीं
चोरी भी बहुत
होते हैं . . .

2204
तुमसे शिक़वे तो
बहुत हैं लेकिन
दिलपें कब्ज़ा अभी
मुहोब्बतका हैं !

2205
रंगत लाई हैं...
शायरोंकी महफ़िल...
दर्द भी कितना...
महकता हैं यहाँ...

9 January 2018

2196 - 2200 दिल याद साँस बेरुखी ज़ालिम ज़माने महसूस फ़िज़ा बेपनाह खुशबु बारिश मशवरा आईना पत्थर शायरी


2196
सिखा दी बेरुखी भी,
ज़ालिम ज़मानेने तुम्हें,
कि तुम जो सीख लेते हो,
हम पर आज़माते हो...

2197
महसूस हो रही हैं,
फ़िज़ामें उसकी खुशबु,
लगता हैं मेरी यादमें,
वो साँसले रहे हैं.......

2198
कभी बेपनाह बरसी,
तो कभी गुम सी हैं...
ये बारिशें भी कुछ कुछ,
तुमसी हैं.......!

2199
“काश आज,
ऐसी बारिश बरसे,
जो तेरी यादोंको भी,
बहा ले जाए.......!”

2200
ये मशवरा हैं,
दिलको पत्थर बनाके रख ,
ये आईना ही रहा 
तो ज़रूर टूटेगा........

8 January 2018

2191 - 2195 दिल ज़िन्दगी दुनियाँ सुकून इजाजत मतलबी तन्हाई कब्जा जुदाई लकीरे वक़्त खुबसूरत याद शायरी


2191
अब कटेगी,
ज़िन्दगी सुकूनसे...
अब हम भी,
मतलबी हो गए हैं...

2192
हम दोनो मिल बैठेंगे,
तो रात गुजर ही जायगी...
तन्हाईका ये कहना,
मुझे अच्छा लगता हैं.......

2193
दिलमें रहनेकी,
इजाजत नहीं मांगी जाती...
ये तो वो जगह हैं,
जहाँ कब्जा किया जाता हैं... !

2194
उसे तो खो दिया,
अब ना जाने किसे खोना हैं...
हाथोंमें जुदाईकी लकीरे,
अब भी बाकी हैं...

2195
कितनी खुबसूरतसी,
हो जाती हैं उस वक़्त दुनियाँ...,
जब हमारा अपना कोई कहता हैं तुम
याद आ रहे हो.......!

7 January 2018

2186 - 2190 दिल दुनियाँ याद गम तन्हाई परच्छाई काग़ज बारीश ख्वाहिश आँख दिल्लगी आवारा आँसू पलक शायरी


2186
याद करते हैं आपको तन्हाईमें,
दिल डूबा हैं गमोंकी गहराईमें,
हमे मत ढूँढो दुनियाँकी भीड़में,
हम मिलेंगे तुम्हे, तुम्हारी ही परच्छाईमें...

2187
अबकी बारीशसे कह दो,
तुम्हारी याद साथ बहा कर ले जाये;
लिखती हूँ जो काग़जपें,
वो सारे ज़ज्बात बहाकर ले जाये...

2188
एक अज़ीबसा रिश्ता हैं,
मेरे और ख्वाहिशोंके दरम्यां,
वो मुझे जीने नहीं देती…
और मैं उन्हे मरने नही देता...!

2189
तुम्हारी दिल्लगी देखो,
हमारे दिलपर भारी हैं...
तुम तो चल दिए हंसकर,
यहाँ बरसात अब भी जारी हैं... !

2190
आँखोंकी गलीमें,
कोई आवारासा आँसू..
पलकोंसे तेरे घरका
पता पूछ रहा हैं.......

6 January 2018

2181 - 2185 दिल जिंदगी बिखर गुजर चाहत रस्ते महफ़िल खजाने ख़ूबसूरत फितरत मुकद्दर खुश नाराज शायरी


2181
चाँदकी महफ़िलमें अनजाने मिल गए,
हमने देखा तो सब जाने पहचाने मिल गए,
मैं बढता गया सच्चके रस्तेपर,
वहींपर मुझे सभ खजाने मिल गए |

2182
कौन कहता हैं,
सॅवारनेसे बढती हैं ख़ूबसूरती...
जब दिलमें चाहत हो,
तो चेहरे अपने आप निखर जाते हैं...!

2183
फितरतमें नहीं हैं,
किसीसे नाराज होना,
नाराज वो होते हैं,
जिनको अपने आपपर गुरुर होता हैं।

2184
इलयचीकी तरह हैं 
मुकद्दर अपना...
महेक उतनी बिखरी,
पिसे गये जितना . . . !

2185
जिंदगी गुजर गयी...
सबको खुश करनेमें ...!
जो खुश हुए वो अपने नहीं थे,
जो अपने थे वो कभी खुश नहीं थे...

5 January 2018

2176 - 2180 दिल रंग आसमान गझल कागज पतंग नजरे बात चाह समझ दिमाग नजर सबूत बेगुनाही कुसुर कैद शायरी


2176
ऐसा नहीं की सिर्फ आसमान ही,
अपने रंग बदलता हैं...
लिखू तुझपर गझल तो,
सफ़ेद कागज भी गुलाबी होता हैं ...!

2177
उनकी छतपर गये थे,
कटी पतंग लूटने...
कम्बख्तसे नजरे क्या मिली,
हाय...दिल लुटाकर आ गये.......

2178
हर बार मुकद्दरको कुसुरवार कहना,
अच्छी बात नहीं...
कभीकभी हम उन्हें भी माँग लेते हैं,
जो किसी औरके होते हैं..."

2179
तुमने समझा ही नहीं...
और, ना समझना चाहा,
हम चाहते ही क्या थे तुमसे...
“तुम्हारे सिवा.......”.

2180
कहाँसे लाएँ अपनी,
बेगुनाहीके पक्के सबूत...!
दिल, दिमाग, नजर...
सब कुछ तो तेरी कैदमें हैं...!

4 January 2018

2171 - 2175 दिल मोहब्बत याद वक़्त इज़ाज़त मामला फुर्सत महफ़िल लिफाफे लहजा शिकायत याद दर्द हुनर पनाह आदत महँगी शायरी


2171
इज़ाज़त हो तो लिफाफेमें रखकर,
कुछ वक़्त भेज दूं ;
सुना हैं कुछ लोगोंको फुर्सत नहीं हैं,
अपनोंको याद करनेकी ...।।

2172
लहजा शिकायतका था,
मगर. . . . . . .
सारी महफ़िल समझ गई,
मामला मोहब्बतका हैं...

2173
हम तो दर्द लेकर भी,
याद करते हैं,
और लोग दर्द देकर भी
भूल जाते हैं . . . !

2174
मैने दिलको भी सिखा दिया हैं,
हुनर हदमें रहनेका;
वरना हरपल ज़िद करता था,
तेरी पनाहमें रहनेकी. . .

2175
हँसते रहनेकी आदत भी,
कितनी महँगी पड़ी हमें...
छोड़ गई वो ये सोच कर कि...
हम दूर रहकर भी खुश हैं.....

3 January 2018

2166 - 2170 इज़ाज़त याद वक़्त फुर्सत जज्बात अल्फ़ाज़ एहसास जान जख्म तकदिर दुश्मन कातिल शौक बात शायरी


2166
यूँ तो तकदिरने,
गम नहीं दिये हमको...
क जख्म हैं जो,
हमने खुद खरीद लिया...

2167
जब जान प्यारी थी,
तो दुश्मन हजारों थे;
अब मरनेका शौक हुवा,
तो कातिल नहीं मिलते !!!

2168
जब मिले थोड़ी फुरसत,
तो अपने मनकी बात हमसे कह लेना..
बहुत खामोश रिश्ते कभी,
जिंदा नहीं रहते...!

2169
जो कह दिया, वो अल्फ़ाज़ थे।
जो कह न सके, वो जज्बात थे।
जो कहते कहते न कह पाये,
वो एहसास थे... वहीं ख़ास थे !!!

2170
इज़ाज़त हो तो लिफाफेमें रखकर,
कुछ वक़्त भेज दूं...
सुना हैं कुछ लोगोंको फुर्सत नहीं हैं,
अपनोंको याद करनेकी .......

2 January 2018

2161 - 2165 दिल प्यार जिंदगी ज़माना साज़िश बेवजह रौशनी शमा परवाना हुकुमत ज़रुरत कश्ती मजाक मौसम गलतफहमि शायरी


2161
बेवजह हैं...
तभी तो दोस्ती हैं,
वजह होती तो.....
साज़िश होती.......

2162
रौशनीके लिए दिया जलता हैं,
शमाके लिए परवाना जलता हैं,
कोई दोस्त न हो तो दिल जलता हैं,
और दोस्त आप जैसा हो जो ज़माना जलता हैं !

2163
दोस्ती इन्सानकी ज़रुरत हैं,
दिलोंपर दोस्तीकी हुकुमत हैं,
आपके प्यारकी वजहसे जिंदा हूँ,
वरना खुदाको भी हमारी ज़रुरत हैं !

2164
समुंदर ना हो तो कश्ती किस काम कीं,
मजाक ना हो तो मस्ती किस काम की,         
दोस्तोंके लिए तो कुर्बान हैं ये जिंदगी,
अगर दोस्त ही ना हो तो फिर ये जिंदगी किस कामकी...

2165
मौसम बहुत सर्द हैं.....
चल ए दोस्त ...
गलतफहमियोंको ,
आग लगाते हैं !

1 January 2018

2156 - 2160 ज़िंदगी मौत शिकायत मंजूर हाँसिल दर काबिल शक्स दुश्मनी मोहब्बत बर्बाद अधूरा लाज़मी शायरी


2156
लोगोंने कुछ दिया,
तो सुनाया भी बहुत कुछ !!
ऐ खुदा...
एक तेरा ही दर हैं,
जहां कभी ताना नहीं मिला

2157
"कौन पूरी तरह काबिल हैं...
कौन पूरी तरह पूरा हैं...
हर एक शक्स कहीं न कहीं...
किसी जगह थोड़ासा अधूरा हैं...

2158
लाज़मी नहीं हैं कि हर किसीको,
मौत ही छूकर निकले....
किसी किसीको छूकर,
ज़िंदगी भी निकल जाती हैं...

2159
शिकायत खुदसे भी हैं
और खुदासे भी,
जो मिलता हैं वो मंजूर नहीं
और जिसे चाहो वो हाँसिल नहीं !

2160
मेरा कुछ ना बिगाड़ सकोगे,
तुम मुझसे दुश्मनी करके,
मुझे बर्बाद करना चाहते हो तो,
मुझसे मोहब्बत कर लो...

2151 - 2155 इश्क दिल मुहबत साँस याद इंतजार महफिल तस्वीर नजर सलाम निगाहें चेहरे मर्जी राज बात खुशबु तसल्ली एहसास शायरी


2151
जब रातको आपकी याद आती हैं,
सितारोंमें आपकी तस्वीर नजर आती हैं,
खोजती हैं निगाहें उस चेहरेको...
यादमें जिसकी सुबह हो जाती हैं.......

2152
उनकी जब मर्जी होती हैं,
वो हमसे बात करते हैं......!
हमारा पागलपन तो देखिये.....!
हम पूरा दिन उनकी मर्जीका
इंतजार करते हैं.......!

2153
यूँ भी तो राज खुल जाऐगा,
अपनी मुहबतका एक दिन...!
महफिलमें हमें छोड़ कर,
सबको जो सलाम करते हो...!!!

2154
चुपकेसे आकर इस दिलमें उतर जाते हो;
साँसोंमें मेरी खुशबु बनके बिखर जाते हो;
कुछ यूँ चला हैं तेरे 'इश्क' का जादू;
सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।

2155
दिलको तसल्ली हैं...
कि वो याद करते हैं
पर बात नहीं करेंगे तो...
एहसास कैसे होगा.......!

30 December 2017

2146 - 2150 दिल ज़िन्दगी बारिश बात याद खुदकुशी उम्मीद आईना जहर राजी खुशी आँसू असर कोशिश वक़्त शायरी


2146
बारिशमें चलनेसे
एक बात याद आई..!!
इंसान जितना संभलके कदम बारिशमें रखता हैं,
उतना संभलकर ज़िन्दगीमें रखे तो
गलतीकी गुन्जाई ही न हो...!

2147
शायरी खुदकुशीका धंधा हैं,
लाश अपनी हैं अपना ही कंधा हैं...
आईना बेचता फिरता हैं शायर,
उस शहरमें जो शहर अंधा हैं...

2148
जहरके असरदार होनेसे,
कुछ नहीं होता,
खुदा भी राजी होना चाहिए,
मौत देनेके लिये !!

2149
हजारो मिठाईयाँ चखी हैं जमानेंमें,
खुशीके आँसूसे मीठा कुछ भी नहीं

2150
कोशिश तो रोज़ करते हैं
के वक़्तसे समझौता करलें...
कम्बख़्त दिलके कोनेमें
छुपी उम्मीद मानती ही नहीं...