12 June 2020

6011 - 6015 रौशनी आसमान घटा हुक्म शीशा गम तलब मयकश बारिश शायरी


6011
घटा देखकर ख़ुश हुईं लड़कियाँ,
छतोंपर खिले फूल बरसातके...
                                  मुनीर नियाज़ी

6012
आसमान पर छा गई,
घटा घोर-घनगोर...
जाएँ तो जाएँ कहाँ,
वीरानेमें शोर...
भगवान दास एजाज़

6013
बरसी वहीं वहीं पर,
समन्दर थे जिस जगह...
ऊपरसे हुक्म था तो,
घटाएँ भी क्या करें...!

6014
मयकशो देर हैं,
क्या दौर चले बिस्मिल्लाह...
आई हैं शीशा-ओ-साग़रकी,
तलबगार घटा.......!
      आग़ा अकबराबादी

6015
इन्हीं गमकी घटाओंसे,
खुशीका चाँद निकलेगा;
अंधेरी रातके पर्दोंमें,
दिनकी रौशनी भी हैं ll

6006 - 6010 आँखें आँसू दामन राहत फिक्र मसरूफ वुसअत मुहब्बत गम दर्द याद रब शायरी


6006
कभी आँसू कभी सजदे,
कभी हाथोंका उठ जाना...
मुहब्बतें नाकाम होजाये तो,
रब बहुत याद आता हैं.......
              हसरत अज़ीमाबादी


6007
याद-ए-माज़ी अज़ाब हैं, यारब...
छीनले मुझसे हाफ़िज़ा मेरा.......
अख़्तर अंसारी


6008
यारब हुजूमे-दर्दको दे,
और वुसअतें...
दामन तो क्या,
अभी मेरी आँखें भी नम नहीं...
                        जिगर मुरादाबादी

6009
यारब, यह भेद क्या हैं कि,
राहत फिक्रने इन्साँको,
और गममें,
गिरिफ्तार किया हैं...
जोश मल्सियानी


6010
मैं मसरूफ था बिरयानीके,
नुक्स निकालनेमें...
और वो सूखी रोटी के लिये,
रबको लाख शुकराना दे गया...!

10 June 2020

6001 - 6005 इश्क़ वास्ते फ़िजा फ़िदा तारा क़यामत तन्हाई जुदाई मुहब्बत बरसात रब शायरी



6001
क्यों  फ़िरदौसको,
दोजमें मिलालें यारब...!
सैरके वास्ते थोड़ीसी,
फ़िजा और सही.......!
                          मिर्जा गालिब

6002
टूटा तारा देखकर,
उसने कहा माँगो कुछ रबसे...
कुछ दे सकता अगर,
तो क्यों टूटता सबसे.......

6003
रब किसीको किसीपर फ़िदा करें,
करें तो क़यामत तक जुदा करें l
ये माना की कोई मरता नहीं जुदाईमें,
लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाईमें ll

6004
खुदको तुझसे जोड़ दिया हैं,
बाकी सब रबपर छोड़ दिया हैं...!

6005
जी करता हैं तेरे संग भीगू,
मोहब्बतकी बरसातमें...
और रब करें उसके बाद तुझे,
इश्क़का बुखार हो जाएँ.......!

9 June 2020

5996 - 6000 दिल दीवाने बे-क़रार होश महफ़िल ज़रूरत जहन वजह सुकून शायरी



5996
सुना हैं तेरी महफ़िलमें,
सुकून--दिल भी मिलता हैं...
मगर हम जब तिरी महफ़िलसे आए,
बे-क़रार आए.......

5997
बकद्रे-होश हर इकको,
यहाँ रंज मिलता हैं...
सुकूनसे रहते हैं,
यहाँ सिर्फ दीवाने...!

5998
थोड़ा सुकून भी,
ढुँढिए साहब...
ये ज़रूरते तो,
कभी खत्म होगी...

5999
चुप रहना,
कितना सुकून देता हैं...
खुदको भी और,
दूसरोंको भी.......

6000
किसीको याद करनेकी,
वजह नहीं होती हर बार...
जो सुकून देते हैं वो,
जहनमें जिया करते हैं...!

5991 - 5995 दिल इश्क़ दर्द राहत ज़िंदगी ज़माने चाहत इनकार मय आफ़त सुकून शायरी



5991
तेरे होनेसे अब राहत नहीं,
सुकून मेरा अब वाहिदमें...
अब इस दिलको,
तेरी चाहत नहीं.......

5992
साहिलके सुकूनसे,
किसे इनकार हैं लेकिन;
तूफ़ानसे लड़नेमें,
मज़ा ही कुछ और हैं ll

5993
ये तेरे इश्क़का झोंका,
कितना सुकून देता हैं...
दर्द चाहे कितना भी हो,
दिलपर मरहम देता हैं...
दिल्लगीमें तेरी,
खो चुके हैं कुछ इस कदर की...
सातों सुरोंको छोड़कर,
मन तेरेही सुरमें गाने लगता हैं...!

5994
हमको तो मिल सका,
फ़क़त इक सुकून--दिल...
ज़िंदगी वरना,
ज़मानेमें क्या था.......

5995
मय-कदा हैं,
यहाँ सुकूँसे बैठ l
कोई आफ़त,
इधर नहीं आती ll
   अब्दुल हमीद अदम

7 June 2020

5986 - 5990 दिल ज़रुरतें नसीब ख़्वाहिशे पल सुकून शायरी



5986
ज़रुरतें तो कभी ख़त्म नहीं होती,
सुकून ढूंढिये...
और वो तो फ़क़ीरोंके,
दरपरही नसीब होता...

5987
चलें चलकर,
सुकूनही ढूंढ़ लाएँ...
ख़्वाहिशे तो,
खत्म होनेसे रहीं...

5988
चलो थोड़ा,
सुकूनसे जिया जाएँ...
जो दिल दुखाते हैं,
उनसे थोड़ा दूर रहा जाएँ...

5989
सुकूनकी बात मत कर,
गालिब.......
बचपनवाला इतवार,
अब नहीं आता...

5990
थक गयी हूँ हररोज भीड़से,
सुलझते, उलझते;
बस एक सुकूनसा चाहती हूँ,
कुछ पल सिर्फ,
तुमसे सहेजते सँवरते.......!
                                    भाग्यश्री

6 June 2020

5981 - 5985 फ़ुर्सत बात लफ़्ज़ इश्क़ याद वक़्त जुनून ख़्वाहिश पल सुकून शायरी



5981
फ़ुर्सत ही महंगी हैं...
वरना सुकून तो,
इतना सस्ता हैं की,
चायकी प्यालीमें मिल जाता हैं...!

5982
नहीं आता मुझे यूँ,
दूर रहकर सुकून से रह लेना...
मेरी ख्वाहिश है कि,
हर पल मैं बात करुँ तुमसे...!

5983
लोग कहते हैं,
रातको सोनेसे सुकून मिलता हैं l
हमने वो वक़्त भी,
किसीकी यादोमें बिता दिया.......

5984
उसने लफ़्ज़ोंमें इश्क़ कहा,
मैने जुनून लिखा...!
उसने अपना नाम कहा,
मैने सुकून लिखा.......!!!


5985
सुकून तो हमे भी नहीं आता,
आपसे दूर रहनेमें...
पर क्या करें... जुटे हैं,
अपनोकी ख़्वाहिशे पुरी करनेमें...

5976 - 5980 मोहब्बत प्यार राह ज़ख्म अश्क रब ताबीज इंतज़ार इजहार इबादत शायरी



5976
किसीको राह दिखलाई,
किसीका ज़ख्म सहलाया;
किसीके अश्क जब पोंछे,
इबादतका मज़ा आया ll

5977
इबादतमें बहुत,
ताकत हैं जनाब...
फकत धागा भी,
ताबीज बन जाता हैं...!

5978
जो पूछते हैं,
बिन देखे, बिन मिले...
मोहब्बत कैसे होती हैं...?
कह दो उनसे,
बिल्कुल उस खुदाकी,
इबादत जैसी होती हैं.......!

5979
इंतज़ार, इजहार, इबादत...
सब तो किया मैंने...
और कैसे बताऊँ,
प्यारकी गहराई क्या हैं...?

5980
तो क्या हुआ जो,
तुम नहीं मिलते हमसे...
मिला तो रब भी नहीं,
पर इबादत कहाँ रुकी हमसे...!

4 June 2020

5971 - 5975 इश्क़ ख्याल रोशनी जनाजा तन्हाई शायरी



5971
तेरे ख्यालमें डूबके,
अक्सर.......
अच्छी लगी तन्हाई...!

5972
ऐसा कम ही होता हैं,
जब सूरज तो हैं पर रोशनी नहीं;
चाँद तो हैं पर चाँदनी नहीं,
ऐसा कम ही होता हैं,
वो तो हैं पर तन्हाई भी ll

5973
जला हुआ जंगल,
छुपकर रोता रहा तन्हाईमें...
लकड़ी उसीकी थी,
उस दियासलाईमें.......

5974
क़ैद मंजूर हैं,
तेरे इश्क़की मुझको...
आज़ाद तन्हाई मग़र,
सही नहीं जाती.......

5975
सारा ही शहर उसके,
जनाजेमें था शरीक...
तन्हाईयोंके खौफसे जो,
शख्स मर गया.......!

5966 - 5970 दिल इश्क़ याद सफ़र ख्याल ख्वाब परेशान तनहा शायरी



5966
तुझसे ज्यादा तेरी यादको,
हैं मुझसे हमदर्दी...!
देखती हैं मुझे तनहा तो,
बिन पूछे चली आती हैं...!!!

5967
तेरी यादें भी ...
मेरे बचपनके खिलौने जैसी हैं ;
तनहा होता हूँ तो,
इन्हें लेकर बैठ जाता हूँ...!

5968
तेरे होते हुए,
जाती थी दुनिया सारी...
आज तनहा हूँ तो,
कोई नहीं आने वाला.......

5969
रखलो दिलमें संभालकर,
थोड़ीसी यादें हमारी...
रह जाओगे जब तनहा,
बहुत काम आयेंगे हम...!

5970
मेरे तनहा सफ़रको,
आसान करो तुम...
मेरे ख्वाबोमें आकर मुझे,
जरा परेशान करो तुम...!

2 June 2020

5961 - 5965 इश्क़ बेरुखी गम ख़ुशी तनहा तलाश शायरी



5961
पहले जो था,
वो सिर्फ़ उनकी तलाश थी...
लेकिन जो उनसे मिलके हुआ हैं,
वो इश्क़ हैं.......!

5962
मैं कलको,
तलाशता रहा दिनभर...
और शाम होते होते,
मेरा आज डूब गया...

5963
ना ख़ुशीकी तलाश हैं,
ना गम--निजातकी आरज़ू...
मैं खुदसे नाराज़ हूँ,
तेरी बेरुखीके बाद.......

5964
खुबी और खामी,
दोनो होती हैं लोगोमें...
आप क्या तलाशते हो,
यह मायनें रखता हैं.......

5965
मैं तनहा हूँ,
मुझे तलाशता भी कौन...?
रोज खोता हूँ,
फिर खुदको ढूढ़ लाता हूँ...!

5956 - 5960 दिल इश्क़ जिंदगी ज़ख्म हुनर किरदार शुक्र जज्बात सनम तलाश शायरी



5956
जिंदगीमें कभी भी अपने,
किसी हुनरपें घमंड मत करना;
क्यूँकी पत्थर जब पानीमें गिरता हैं,
तो अपने ही वजनसे डूब जाता हैं|

5957
मुझे हर किसीको,
अपना बनानेका हुनर आता हैं...
तभी मेरे बदनपर रोज़,
एक घाव नया नज़र आता हैं...!

5958
मुमकिन हैं मेरे किरदारमें,
बहुतसी कमीयाँ होगी;
पर शुक्र हैं किसी जज्बातसे खेलनेका,
हुनर नहीं आया.......!

5959
ज़ख्म छुपाना भी,
एक हुनर हैं वरना...
यहाँ हर एक मुट्ठीमें,
नमक हैं.......

5960
सनम इश्क़का हुनर,
क्या बखूबी दिखाते हो...!
दिल खुद चुराते हो और,
चोर हमें बताते हो.......!!!