29 October 2020

6701 - 6705 दिल मोहब्बत कम्बख्त ख़्वाहिश हिना मेहँदी शायरी

 
6701
मैं लगाऊँगी,
मेहँदी तेरे नामकी...
कम्बख्त रंग चढ़कर,
उतरता ही नहीं.......!

6702
पहले तो मोहब्बतकी,
आजमाईश होगी...
बादमें उसके नामके,
मेहँदीकी ख़्वाहिश होगी...

6703
तू हमेशा रहें,
मेरे साथमें...
जल्दी मेहँदी रचे,
मेरे हाथमें.......

6704
खुदा ही जाने क्यूँ तुम,
हाथोपें मेहँदी लगाती हो...
बड़ी नासमझ हो,
फूलोंपर पत्तोंके रंग चढ़ाती हो...

6705
वो जो सर झुकाए बैठे हैं,
हमारा दिल चुराए बैठे हैं...
हमने कहा, हमारा दिल लौटा दो,
वो बोली, हम तो हाथोमें मेहँदी लगाये बैठे हैं...!

28 October 2020

6696 - 6700 दिल नाम लकीर किस्मत शर्म हिना मेहँदी शायरी

 
6696
वो मेहंदीके हाथोंमें,
क्या तराशेंगे नाम हमारा...
जब नामही छुपा लिखा हैं,
उनके हाथोंमें.......!

6697
करतूतें तो देखियें,
मेहंदीकी...
तेरा नाम क्या लिखा,
शर्मसे लाल हो गई.......!

66978
तूने जो मेहँदी वाले हाथोंमें,
मेरे नाम लिखा हैं...
तुम कहो या कहो,
तुम्हारे दिलका प्यार मुझे दिखा हैं...

6699
मेहंदी रचाई थी,
मैने इन हाँथोंमें...
जाने कब वो मेरी,
लकीर बन गई......

6700
किस्मतकी लकीरें भी,
आज इठलाई हैं...
तेरे नामकी मेहँदी,
जो हाथों उपर रचाई हैं...

27 October 2020

6691 - 6695 सलाम गुनहगार निगाह लफ्ज़ पैगाम ज़ालिम हिना मेहँदी शायरी

 

6691
अल्लाह-रे नाज़ुकी,
कि जवाब--सलाममें...
हाथ उसका उठके रह गया,
मेहंदीके बोझसे.......
                        रियाज़ ख़ैराबादी

6692
हम गुनहगारोंके क्या,
ख़ूनका फीका था रंग...
मेहंदी किस वास्ते,
हाथोंपें रचाई प्यारे...?
मिर्ज़ा अज़फ़री

6693
कुश्ता--रंग--हिना हूँ मैं,
अजब इसका क्या...
कि मिरी ख़ाकसे मेहंदीका,
शजर पैदा हो.......
             मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

6694
मेहंदीके धोके मत रह ज़ालिम,
निगाह कर तू...
ख़ूँ मेरा दस्त-ओ-पा से,
तेरे लिपट रहा हैं.......
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

6695
तेरे मेहंदी लगे हाथोंपें,
मेरा नाम लिखा हैं...!
ज़रासे लफ्ज़में,
कितना पैगाम लिखा हैं...!!!

26 October 2020

6686 - 6690 दिल ख़याल मुश्किल मजबूर हिना मेहँदी शायरी

 

6686
मेहंदी लगानेका जो,
ख़याल आया आपको...
सूखे हुए दरख़्त,
हिनाके हरे हुए.......
                        हैदर अली

6687
मेहंदीने ग़ज़ब,
दोनों तरफ़ आग लगा दी ;
तलवोंमें उधर और,
इधर दिलमें लगी हैं ll

6688
चुराके मुठ्ठीमें,
दिलको छुपाए बैठे हैं...
बहाना ये हैं कि,
मेहंदी लगाए बैठे हैं...!
                     क़ैसर देहलवी

6689
मेहंदी लगाए बैठे हैं,
कुछ इस अदासे वो...
मुठ्ठीमें उनकी दे दे,
कोई दिल निकालके...
रियाज़ ख़ैराबादी

6690
दोनोंका मिलना मुश्किल हैं,
दोनों हैं मजबूर बहुत...
उसके पाँवमें मेहंदी लगी हैं,
मेरे पाँवमें छाले हैं.......
                               अमीक़ हनफ़ी

25 October 2020

6681 - 6685 ज़िन्दगी नज़रें उजाला नाम फरिश्ते खुश ख़्याल बेख़्याल ख़्यालोंकी शायरी

 

6681
किसीको खुश रखनेका,
मौका मिले तो छोड़िये मत...
फरिश्ते होते हैं वह लोग जो,
दूसरोंकी खुशीका ख़्याल रखते हैं...!

6682
जरूरी नहीं की,
कामसे ही इन्सान थक जाए...
कुछ ख़्यालोंका बोझ भी,
इन्सानको थका देता हैं...

6683
खोजते फिरोगे नाम, पता,
अंधेरो और उजालोमें...
अगर मिलेंगे भी तो बस,
कभी ख़्यालोमें कभी सवालोमें...

6684
नज़रें मिली,
तो बेख़्याल हो गए... 
नज़रें झुकी,
तो सवाल हो गए...
 
6685
शमशानकी राख देख,
मनमें एक ख़्याल आया कि...
सिर्फ राख होने के लिए,
हर इंसान ज़िन्दगीमें,
दुसरेसे कितनी बार जलता हैं...

24 October 2020

6676 - 6680 दिल प्यार जिन्दगी जन्नत हकीकत सवाल तसल्ली तबाह ख़्याल ख़्यालोंकी शायरी

 

6676
अब रिहा कर दो,
अपने ख़्यालोंसे मुझे...
लोग सवाल करने लगे हैं, 
कहाँ रहते हो आज कल.......!

6677
तबाह हूँ तेरे प्यारमें,
तुझे दूसरोंका ख़्याल हैं...
कुछ मेरे मसलेपर भी गौर कर,
मेरी तो जिन्दगीका सवाल हैं.......

6678
रोज जाता हैं,
मेरे दिलको तसल्ली देने...
तेरा ख़्याल भी मेरा,
कितना ख़्याल रखता हैं.......!

6679
ख़्यालोंकी हदोके पार,
वो चेहरा नही जाता...
उसको सोचनेके बाद,
और कुछ सोचा नही जाता...!

6680
हमको मालूम हैं,
जन्नतकी हकीकत लेकिन...
दिल खुश रखनेको गालिब,
ये ख़्याल अच्छे हैं.......!
                           मिर्जा गालिब

23 October 2020

6671 - 6675 दिल याद रौनक नज़र उजाला ख़्याल ख़्यालोंकी शायरी

 

6671
उतरही आते हैं,
कलमके सहारे कागजपर...
तेरे ख़्याल कमबख्त,
जिद्दी बहोत हैं.......!

6672
तेरे ख़्यालसे ही,
एक रौनक आ जाती हैं दिलमें;
तुम रूबरू आओगे तो,
जाने क्या आलम होगा...!!!

6673
मेरी हर नज़रमें बसे हो तुम,
मेरी हर कलमपर लिखे हो तुम...
तुम्हें सोच लूँ, तो शायरी मेरी,
ना लिख सकूं, तो वो ख़्याल हो तुम...

6674
लादकर तेरी यादोंका बस्ता,
झुकने लगी हैं, पीठ ख़्यालोंकी...

6675
मिला वो लुत्फ हमको,
डूबकर उनके ख़्यालोंमें...
कहाँ अब फर्क बाकी हैं,
अंधेरे और उजालोंमें.......!

22 October 2020

6666 - 6670 दिल दुनिया दाग़ ख़्वाब अंजुमन ख़याल ख़्याल ख़्यालोंकी शायरी

 

6666
दिलसे ख़याल--यार,
भुलाया जाएगा...
सीनेमें दाग़ हैं कि,
मिटाया जाएगा.......
          अल्ताफ़ हुसैन हाली

6667
उसे क़रीब मैं पाता था,
जिसके होनेसे...
उसीने ज़ेह्नसे मेरा,
ख़याल छीन लिया.......

6668
दुनिया हैं ख़्वाब,
हासिल--दुनिया ख़याल हैं...
इंसान ख़्वाब देख रहा हैं,
ख़यालमें.......
                 सीमाब अकबराबादी

6669
हैं आदमी बजाए ख़ुद,
इक महशर-ए-ख़याल...
हम अंजुमन समझते हैं,
ख़ल्वत ही क्यूँ न हो.......
मिर्ज़ा ग़ालिब

6670
औरतको चाहिए कि,
अदालतका रुख़ करे...
जब आदमीको सिर्फ़,
ख़ुदाका ख़याल हो.......!
                  दिलावर फ़िगार

21 October 2020

6656 - 6660 दिल ज़माने बेवफ़ाई ज़िक्र याद अश्क आरज़ू आँख ख़याल शायरी

 
6656
तिरे ख़यालके हाथों,
कुछ ऐसा बिखरा हूँ...
कि जैसे बच्चा किताबें,
इधर उधर कर दे...
                       वसीम बरेलवी

6657
अश्क आँखमें फिर अटक रहा हैं,
कंकरसा कोई खटक रहा हैं;
मैं उसके ख़यालसे गुरेज़ाँ,
वो मेरी सदा झटक रहा हैं ll

6658
तेरा सोचना, मेरा मशगला...
तुझे देखना, मेरी आरज़ू...
मुझे दिन दे अपने ख़यालका,
मुझे अपने क़ुर्बकी रात दे.......!

6659
मैं अपने दिलसे निकालूँ,
ख़याल किस किसका...
जो तू नहीं तो कोई और,
याद आए मुझे.......
क़तील शिफ़ाई

6660
चला था ज़िक्र,
ज़मानेकी बेवफ़ाईका...!
सो गया हैं,
तुम्हारा ख़याल वैसेही...!!!
                       अहमद फ़राज़

19 October 2020

6661 - 6665 दुनिया यार याद चैन शमा मुद्दत ग़म डर खौफ़ करवट जाम सोने दो शायरी

 

6661
एक मुद्दतसे मिरी माँ,
नहीं सोई ताबिश...
मैने इक बार कहा था,
मुझे डर लग़ता हैं.......
                  अब्बास ताबिश

6662
करवट-दर-करवट रातभर,
खुदसे कहता रहा...
सो ग़या हूँ मैं.......

6663
इस दुनियामें लाखों लोग़ रहते हैं,
कोई हँसता हैं, तो कोई रोता हैं;
पर सबसे सुखी वही होता हैं,
जो शामको दो जाम पीके सोता हैं...

6664
हर शख्स,
अपने ग़ममें खोया हैं,
और जिसे ग़म नहीं,
वो कब्रमें सोया हैं.......

6665
रातभर मुझको ग़म--यारने सोने दिया,
सुबहको खौफ़--शब--तारने सोने दिया...
शमाकी तरह मेरी रात कटी सूलीपर,
चैनसे याद--कद--यारने सोने दिया...

18 October 2020

6651 - 6655 साँस कसम तकलिफ याद ख़याल सो जा सोने दो शायरी

 

6651
किताब पढ़नेके लिए होती हैं,
उसमे सिर्फ़ तकते हो क्यों...
रात सोनेके लिए होती हैं,
ऱोज देर रात जगते हो क्यों...

6652
ऐ दिल, सो जा कसमसे,
कोई नहीं, कोई नहीं, कोई नहीं...
दरवाजा सिर्फ,
तेज हवासे खुला हैं.......

6653
वो ही करता और वो ही करवाता हैं...
क्यों बंदे तू इतराता हैं;
एक साँसभी नही हैं तेरे बसकी...
वोही सुलाता और वोही जगाता हैं...!

6654
कुछ लोग ख़यालोंसे,
चले जाएँ... तो सोएँ;
बीते हुए दिन रात,
न याद आएँ... तो सोएँ ll
हबीब जालिब

6655
सो जाइए,
सभी तकलिफोंको सिरहाने रखकर...
सुबह उठतेही,
इन्हें फिरसे गले लगाना हैं.......

17 October 2020

6646 - 6650 दिल याद ख़याल ख़बर ग़म इंतिज़ार ज़िक्र जुदाई चैन सो जा सोने दो शायरी

 

6646
कुछ ख़बर हैं तुझे,
चैनसे सोने वाले...
रातभर कौन तिरी,
यादमें बेदार रहा......!
        हिज्र नाज़िम अली ख़ान

6647
गिरां गुज़रने लगा,
दौर-ए-इंतिज़ार मुझे...
ज़रा थपकके सुला दे,
ख़याल-ए-यार मुझे.......!

6648
इक आबला था, सो भी गया,
ख़ार--ग़मसे फट...
तेरी गिरहमें क्या,
दिल--अंदोह-गीं रहा...
                            शाह नसीर

6649
यूँ तो बिछड़के तुझसे,
ना कभी ज़िक्र-ऐ-जुदाईकी हमने...
पर सोकर कटी हैं,
फिर कोई रात कहाँ मुमकिन हैं...

6650
अकेला पा के मुझको,
याद उनकी तो जाती हैं...
मगर फिर लौटकर जाती नहीं,
मैं कैसे सो जाऊँ.......!
                            अनवर मिर्ज़ापुरी

16 October 2020

6641 - 6645 जिंदगी सौदा साँस चिराग ख़्वाब आँख मुलाकात तलाश सो जा सोने दो शायरी

 

6641
चिराग बुझते रहें और,
ख़्वाब जलते रहें...
सिसक सिसकके जिंदगीके,
साँस चलते रहें.......

6642
हर रातको तुम इतना, याद आते हो की...
हम भूल गये हैं;
ये रातें ख़्वाबोंके लिए होती हैं,
या तुम्हारी यादोंके लिये.......

6643
भी जाओ,
मेरी आँखोंके रूबरू, अब तुम...
कितना ख़्वाबोंमें तुझे,
और तलाशा जाए.......

6644
चले आए मेरे ख़्वाबोंमें,
ये तो ठीक था; लेकिन...
भरे बाज़ारमें ख़्वाबोंका,
सौदा क्यों किया तुमने...?

6645
नींद, खारीज कर
मुकम्मल--जुल्म;
परहेज ना होके हमसे ख़्वाबोंमें,
तय हमारी मुलाकातका करले इल्म...
                                              भाग्यश्री

15 October 2020

6636 - 6640 प्यार हकीकत दीदार लम्हा रूह सैलाब शौक ख़्वाब शायरी

 

6636
तेरा मिलना,
मेरे लिए ख़्वाब सहीं...
पर तुझे भूलूँ मैं,
ऐसा कोई लम्हा मेरे पास नहीं...!

6637
सैलाबके सैलाब गुजर जाते हैं,
गिरदाबके गिरदाब गुजर जाते हैं,
आलमे-हवादिससे परीशाँ क्यों हो...
यह ख़्वाब हैं और ख़्वाब गुजर जाते हैं...
अब्दुल हमीद अदम

6638
सुनता हूँ बड़े शौकसे,
अफसाना--हस्ती...
कुछ ख़्वाब हैं कुछ अस्ल हैं,
कुछ तर्जे-अदा हैं.......
                          असगर गौण्डवी

6639
कुछ हसीं ख़्वाब,
और कुछ आँसू;
उम्र भरकी मेरी,
यही कमाई हैं ll
मजहर इमाम

6640
ख़्वाब तो वो हैं जिसका,
हकीकतमें भी दीदार हो...
कोई मिले तो इस कदर मिले,
जिसे मुझसे ही नहीं,
मेरी रूहसे भी प्यार हो.......!

14 October 2020

6631 - 6635 याद महक लहजा आँखे नींद शायरी

 

6631
नींद मिट्टीकी महक,
सब्ज़ेकी ठंडक...
मुझको अपना घर,
बहुत याद रहा हैं...
                अब्दुल अहद साज़

6632
सो जाता हैं फ़ुटपाठपें,
अख़बार बिछाकर...
मज़दूर कभी नींदकी,
गोली नहीं खाता...
मुनव्वर राना

6633
नींदकी गोलियाँ खाकर,
सोता हैं ये शहर...
शायद इसलिए इसकी आँखे,
ज़रा देरसे खुलती हैं.......

6634
जाते हुए नोटोंने,
नरम लहजेसे कहा, ज़नाब...
नींद देते भी हम हैं,
नींद लेते भी हम हैं.......

6635
आई होगी किसीको,
हिज्रमें मौत...
मुझको तो,
नींद भी नहीं आती.......
            अकबर इलाहाबादी

13 October 2020

6626 - 6630 दिल इश्क़ मोहब्बत दर्द ग़म याद आदत राह ज़माना नींद शायरी

 
6626
राह यूँ ही नामुकम्मल,
ग़म--इश्क़का फ़साना...
कभी मुझको नींद नहीं आयी,
कभी सो गया ज़माना.......

6627
रातोंके बाज़ारमें,
दुकान लगा रखी हैं यादोंने;
नींदका सारा,
कारोबार चौपट हैं.......!

6628
उतर जाती हैं जो जहनमें,
तो फिर जल्दी नींद नहीं आती...
ये कॉफ़ी और तुम्हारी यादें,
एक जैसी हैं.......

6629
वह एक तुम,
तुम्हें फूलोंपें भी न आई नींद !
वह एक मैं,
मुझे कांटोंपें भी इज्तिराब न था !!!
नैयर अकबराबाजदी

6630
उसको भी हमसे, मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं...
इश्क़ही इश्क़की क़ीमत हो, ज़रूरी तो नहीं...
नींद तो दर्दके बिस्तरपें भी सकती हैं,
उनके आगोशमें सर हो ये ज़रूरी तो नहीं...
मुस्कुरानेसे भी होता हैं, ग़में-दिल बयाँ...
मुझे रोनेकी आदत हो, ये ज़रूरी तो नहीं...

12 October 2020

6621 - 6625 अश्क नाम पलक आख याद नींद शायरी

 
6621
उफ़फ़फ़,
तेरी यादोंकी बदमाशी...
नींदको,
आखोंतक आने नहीं देती...

6622
अब भी आती हैं तिरी,
यादपर इस कर्बके साथ...
टूटती नींदमें जैसे,
कोई सपना देखा...
अख़तर इमाम रिज़वी

6623
दोनों आखोंमे अश्क दिया करते हैं,
हम अपनी नींद तेरे नाम किया करते हैं;
जब भी पलक झपके तुम्हारी समझ लेना,
हम तुम्हे याद किया करते हैं...!

6624
भरी रहें अभी आँखोंमें,
उसके नामकी नींद...
वो ख़्वाब हैं तो,
यूँही देखनेसे गुज़रेगा.......

6625
नींदको तो मना लेंगे,
मगर...
तेरे इन ख़्वाबोंको,
सुलायेगा कौन.......!