6701
मैं न लगाऊँगी,
मेहँदी तेरे नामकी...
कम्बख्त रंग चढ़कर,
उतरता ही नहीं.......!
6702
पहले तो मोहब्बतकी,
आजमाईश होगी...
बादमें उसके नामके,
मेहँदीकी
ख़्वाहिश होगी...
6703
तू हमेशा रहें,
मेरे साथमें...
जल्दी मेहँदी रचे,
मेरे हाथमें.......
6704
खुदा ही जाने
क्यूँ तुम,
हाथोपें
मेहँदी लगाती हो...
बड़ी नासमझ हो,
फूलोंपर
पत्तोंके रंग चढ़ाती
हो...
6705
वो जो सर झुकाए बैठे हैं,
हमारा दिल चुराए बैठे हैं...
हमने कहा, हमारा दिल लौटा दो,
वो बोली, हम
तो हाथोमें मेहँदी
लगाये बैठे हैं...!