6721
मेरे हाथोंकी लकीरोंमें,
वो नहीं.......
उसके हाथोंकी मेहँदीमें,
मैं नहीं.......
6722
शादीमें
लगी मेहँदीका,
रंग कभी नहीं
छूटता हैं..
ऐसे मौकेपर ना जाने
कितने,
आशिकोंका दिल
टूटता हैं.......
6723
मेहँदी हाथोपें लगाकर,
वो मुस्करा रहीं थीं...
मेरे अरमानोंको दफन कर,
वो नया घर बसा रही थी.......
6724
हाथोंकी
लकीरोंपर,
बड़ा गुरूर था ;
किसी औरके नामकी,
मेहँदीने
तोड़ दिया.......
6725
माना कि सब कुछ पा लुँगा,
मैं अपनी जिन्दगीमें...
मगर वो तेरे मेहँदी लगे हाथ,
मेरे ना हो
सकेंगे.......