1 January 2022

8036 - 8040 होठ दिल मोहब्बत मेहँदी महफ़िल ग़ज़ल इल्ज़ाम क़ीमत धाग़ा क़फ़न नाम शायरी

 

8036
क़रता हूँ तुमसे मोहब्बत,
मरनेपर इल्ज़ाम होग़ा...
क़फ़न उठाक़े देख़ना,
होठोंपर तेरा नाम होग़ा...!!!

8037
क़िसी ग़ज़लसा,
लग़ता हैं नाम तुम्हारा...
देख़ो तुम्हें याद क़रते क़रते,
हम शायर बन ग़ए.......

8038
महफ़िलमें लोग़ चौंक़ पड़े,
मेरे नामपर...
तुम मुस्क़ुरा दिए,
मिरी क़ीमत यहीं तो हैं...!
हाशिम रज़ा ज़लालपुरी

8039
धाग़ा ख़त्म हो ग़या था,
मन्नतोमें तुम्हे मांग़क़र...
दिल बांध आये अबक़ी बार,
तुम्हारे नामपर.......

8040
मेहँदी लग़ा लो,
उसक़े नामक़ी...!
ज़ो मोहब्बत,
हो आपक़ी.......!!!

31 December 2021

8031 - 8035 दिल इश्क़ हुस्न ख़ता इल्ज़ाम फ़ितरत ख़ामोश तबाही शराब बात इल्ज़ाम शायरी

 

8031
इससे पहले क़ि मिरे,
इश्क़पर इल्ज़ाम धरो...
देख़लो हुस्नक़ी फ़ितरतमें तो,
क़ुछ क़मी नहीं.......

8032
दिलपें आये हुए,
इल्ज़ामसे पहचानते हैं ;
लोग अब मुझक़ो,
तेरे नामसे पहचानते हैं !!!

8033
मेरी तबाहीक़ा इल्ज़ाम,
अब शराबपर हैं...!
मैं और क़रता भी क़्या.
तुमपें रहीं थी बात.......!!!

8034
इल्ज़ाम लग़ा देनेसे,
बात सच्ची नहीं हो जाती l
दिलपें क़्या बीतती हैं,
क़िसीसे क़हीं नहीं जाती ll

8035
हर इल्ज़ामक़ा हक़दार,
वो हमे बना ज़ाते हैं l
हर ख़ता क़ि सज़ा वो,
हमे सुना ज़ाते हैं l
हम हरबार,
ख़ामोश रह ज़ाते हैं l
क़्योंक़ि वो अपना होनेक़ा,
हक़ ज़ता ज़ाते हैं ll

29 December 2021

8026 - 8030 दिल इश्क़ मोहब्बत पैग़ाम बेवफ़ा ज़ुर्म सवाल ज़वाब बर्बाद लफ़्ज़ इल्ज़ाम शायरी

 

8026
तू क़हीं भी रहे,
सिर तुम्हारे इल्ज़ाम तो हैं...
तुम्हारे हाथोंक़े लक़ीरोंमें,
मेरा नाम तो हैं.......!

8027
दिल--बर्बादक़ा,
मैं तुझे इल्ज़ाम नहीं देता ;
हाँ अपने लफ़्ज़ोंमें तेरे,
ज़ुर्म ज़रूर लिख़ता हूँ...
लेक़िन तेरा नाम नहीं लेता...!

8028
मेरी नज़रोंक़ी तरफ़ देख़,
ज़मानें पर ज़ा...
इश्क़ मासूम हैं,
इल्ज़ाम लग़ाने पर ज़ा...

8029
हमारे हर सवालक़ा सिर्फ़,
एक़ ही ज़वाब आया...
पैग़ाम ज़ो पहुँचा हमतक़,
बेवफ़ा इल्ज़ाम आया.......

8030
मोहब्बत तो दिलसे क़ी थी,
दिमाग़ उसने लग़ा लिया...
दिल तोड़ दिया मेरा उसने,
और इल्ज़ाम मुझपर लग़ा दिया...

28 December 2021

8021 - 8025 ग़लत बेवज़ह हालात शख़्स औक़ात इल्ज़ाम शायरी

 

8021
हालातोंक़ी हीं ग़लती होग़ी,
वो इंसान बुरे नहीं...
उन्होंने लग़ाएँ हैं, तो अच्छे हीं होंग़े...
शायद हम बुरे हैं, ये इल्ज़ाम बुरे नहीं...!

8022
इल्ज़ाम एक़ ये भी,
उठा लेना चाहिए...
इस शहर--बे-अमाँक़ो,
बचा लेना चाहिए.......
ज़फ़र इक़बाल

8023
इल्ज़ामोंक़े घातसे ज़ब,
बचे नहीं भग़वान...
अपनी क़्या औक़ात फ़िर,
हम ठहरे इंसान.......

8024
इल्ज़ाम हज़ारों हैं,
हर शख़्सक़े सरपर...
पैरोंमें छाले क़िसक़े क़ितने हैं,
क़ोई नहीं ज़ानता.......

8025
बेवज़ह दीवारपर,
इल्ज़ाम हैं बंटवारेक़ा ;
क़ई लोग़ एक़ क़मरेमें भी,
अलग़ रहते हैं.......ll

27 December 2021

8016 - 8020 बेवफ़ा ख़फ़ा दिल लब हुस्न इश्क़ तबाह अदालत इल्ज़ाम शायरी

 

8016
दिलक़े मुआमलातमें,
नासेह शिक़स्त क़्या...
सौ बार हुस्नपर भी,
ये इल्ज़ाम ग़या...
            ज़िग़र मुरादाबादी

8017
ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरा,
रंग़ीन तो हैं बदनाम सहीं...
मुझपर तो क़ई इल्ज़ाम लगे,
तुझपर भी क़ोई इल्ज़ाम सहीं...

8018
बेवफ़ा तो वो ख़ुद हैं,
पर इल्ज़ाम क़िसी और क़ो देते हैं l
पहले नाम था मेरा उनक़े लबोंपर,
अब वो नाम क़िसी और क़ा लेते हैं ll

8019
तुमने हीं लग़ा दिया,
इल्ज़ाम--बेवफ़ाई...
अदालत भी तेरी थी,
ग़वाह भी तू हीं थी.......!

8020
क़मालक़ा शख्स था,
ज़िसने ज़िन्दग़ी तबाह क़र दी...
राजक़ी बात हैं,
दिल उससे ख़फ़ा अब भी नहीं...

8011 - 8015 दिल दरिया ज़िन्दगी क़ोशिश याद ज़माना वज़ूद फ़िक़्र इल्ज़ाम शायरी


8011
सबक़ो फ़िक़्र हैं अपने आपक़ो,
सहीं साबित क़रनेक़ी...
ज़ैसे ज़िन्दगी नहीं,
क़ोई इल्ज़ाम हैं.......

8012
दिल वो दरिया हैं,
ज़िसे मौसम भी क़रता हैं तबाह ;
क़िस तरह इल्ज़ाम धर दें,
हम क़िसी तैराक़पर...ll
नवीन सी. चतुर्वेदी

8013
वहशतमें ज़माना मुझे,
बदनाम क़रता...
हो ज़ाता रफ़ू चाक़,
ज़ो इल्ज़ामसे पहले...
                           नज़र बर्नी

8014
क़ोशिशक़े बावज़ूद,
ये इल्ज़ाम रह ग़या...
हर क़ाममें हमेशा,
क़ोई क़ाम रह ग़या...
निदा फ़ाज़ली

8015
मै अपने दुश्मनोंक़े वास्ते भी,
क़ाम आती हूँ...
क़ोई इल्ज़ाम देना हो,
मुझेही याद क़रते हैं.......!

24 December 2021

8006 - 8010 रिश्ते वफ़ा बेवफ़ाई ग़ुनाह शाम ख़फ़ा वक़्त क़िस्मत इल्ज़ाम शायरी

 

8006
रिश्तेक़ी लक़ड़ी हमारी खोख़ली थी,
इल्ज़ाम दिमाग़क़ो दे रहे हैं...
बेवफ़ाईक़ा ग़ुनाह तुमने क़िया,
इल्ज़ाम क़िस्मतक़ो दे रहे हैं.......

8007
दियोंक़ो ख़ुद,
बुझाक़र रख़ दिया हैं...
और इल्ज़ाम अब,
हवापर रख़ दिया हैं.......
महशर बदायुनी

8008
उदास ज़िन्दग़ी, उदास वक़्त,
उदास मौसम...
क़ितनी चीज़ोंपें इल्ज़ाम,
लग़ा हैं तेरे ना होनेसे.......

8009
फ़िर शामक़ो आए तो,
क़हा सुबहक़ो यूँ ही...
रहता हैं सदा आपपर,
इल्ज़ाम हमारा.......
इंशा अल्लाह ख़ान

8010
हर बार इल्ज़ाम हमपर ही,
लग़ाना ठीक़ नहीं...
वफ़ा ख़ुदसे नहीं होती,
ख़फ़ा हमपर होते हो.......

8001 - 8005 जुबां तारिफ ग़लती मिलावट एहसान वक़्त लिबास इल्ज़ाम शायरी

 

8001
जुबां ग़न्दी होनेक़ा,
इल्ज़ाम हैं मुझपर...
ख़ता सिर्फ़ इतनी हैं क़ी,
हम सफ़ाई नहीं देते...

8002
क़म्बख्त हुई क़रामात,
सब हाथोंक़ा क़ाम था...
पर ग़लती वक़्तक़ी बताक़र,
हालातोंपर इल्ज़ाम था...!

8003
ये मिलावटक़ा,
दौर हैं साहब...
यहाँ इल्ज़ाम लग़ायें ज़ाते हैं,
तारिफोंक़े लिबासमें.......!!!

8004
हमारे सर हर इक़,
इल्ज़ाम धर भी सक़ता हैं l
वो मेहरबां हैं,
ये एहसान क़र भी सक़ता हैं ll
शारिब मौरान्वी

8005
चोर-नग़रमें क़ातिल सारे,
सीना ताने फ़िरते हैं...
हम ऐसे सादा-लौहोंपर,
आए हैं इल्ज़ाम बहुत.......
                            हबीब कैफ़ी

23 December 2021

7996 - 8000 दिल इश्क़ बर्बाद ज़िंदग़ी बेवफ़ाई इल्ज़ाम शायरी

 

7996
तुम मेरे लिए क़ोई,
इल्ज़ाम ढूँढ़ो...
चाहा था तुम्हे,
यहीं इल्ज़ाम बहुत हैं...

7997
इश्क़क़ी बेताबियाँ,
होशियार हों l
अहल-ए-दिलपर,
ज़ब्तक़ा इल्ज़ाम हैं ll
        अक़बर हैदरी

7998
क़िसे इल्ज़ाम दूँ मैं,
अपनी बर्बाद ज़िंदग़ीक़ा...
वाक़ईमें मोहब्बत,
ज़िंदग़ी बदल देती हैं...!

7999
हमपर तुम्हारी चाहक़ा,
इल्ज़ाम ही तो हैं...
दुश्नाम तो नहीं हैं,
ये इक़राम ही तो हैं...
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

8000
ज़ानक़र भी वो मुझे ज़ान पाए,
आज़ तक़ वो मुझे पहचान पाए,
ख़ुद ही क़र ली बेवफ़ाई हमने,
ताक़ि उनपर क़ोई इल्ज़ाम आये...

21 December 2021

7991 - 7995 दुनिया ख़ुश ख़ता बेवफ़ा इश्क़ आँसू इल्ज़ाम शायरी

 

7991
मुझे बुरा बताक़र,
मुझपर इल्ज़ाम लग़ाक़र,
ख़ुश तो हो ना तुम...
ख़ुद बेवफ़ा थी, ये बात दबाक़र...

7992
ग़ए थे हम,
उनक़े आँसू पोछने...
इल्ज़ाम दे दिया क़ी,
उनक़ो रुला दिया हमने...

7993
इश्क़ इल्ज़ाम लग़ाता था,
हवस पर क़्या-क़्या...
ये मुनाफ़िक़ भी,
तेरे वस्लक़ा भूख़ा निक़ला...

7994
इल्ज़ाम ज़ो तुमने दिए,
साथ लिए फ़िरता हूँ सदा...
ख़िताब ज़ो मिले दुनियासे,
अलमारीमें क़ैद हैं.......

7995
हुस्न वालोंने,
क़्या क़भी क़ी ख़ता क़ुछ भी,
ये तो हम हैं...
सर इल्ज़ाम लिये फ़िरते हैं.......

7986 - 7990 महफ़िल ख़्वाब बदनाम आदत अल्फ़ाज़ साबित माफ़ दावा इल्ज़ाम शायरी

 

7986
महफ़िलसे उठ ज़ाने वालों,
तुम लोगोंपर क़्या इल्ज़ाम...
तुम आबाद घरोंक़े वासी,
मैं आवारा और बदनाम.......

7987
सब ज़ाननेक़ा मुझे दावा क़रते हैं,
वाख़िफ़ क़ोई ना हुआ...
इल्ज़ाम क़ई हैं सर पर,
पर अब तक़ साबित क़ोई ना हुआ...!

7988
क़ुछ नहीं तो सड़कोंपर,
चुग़लिया सरे-आम लग़ा लेते हैं l
हम ज़माने वाले हैं, हमे सब माफ़ हैं l
आओ सबपर इल्ज़ाम लग़ा देते हैं ll

7989
मेरे अल्फ़ाज़क़ो आदत हैं,
हौलेसे मुस्कुरानेक़ी...
मेरे लफ़्ज़ हैं क़ी अब क़िसीपर,
इल्ज़ाम नहीं लग़ाते.......

7990
ज़ाग़ने वालोंक़ी बस्तीसे,
ग़ुज़र ज़ाते हैं ख़्वाब...l
भूल थी क़िसक़ी मग़र,
इल्ज़ाम रातोंपर लग़ा...ll

20 December 2021

7981 - 7985 दुनिया क़सम क़सूर हक़ीक़त ख़ता सफ़ाई बदनाम ग़ुनाह इल्ज़ाम शायरी

 

7981
इल्ज़ाम क़ई,
हो सक़ते हैं मुझपर...
पर क़सम ख़ुदाक़ी,
क़सूर मेरा क़ुछ भी नहीं...

7982
बुरे नहीं थे,
बस हमपर बुरे होनेक़ा,
नाम लग़ा था l
अब बन ग़ए हैं,
वैसे ही ज़ैसा हमपर,
इल्ज़ाम लग़ा था ll

7983
दुनियाक़ो मेरी हक़ीक़तक़ा,
पता क़ुछ भी नहीं...
इल्ज़ाम हज़ारो हैं पर,
ख़ता क़ुछ भी नहीं.......

7984
बस यहीं सोचक़र,
क़ोई सफ़ाई नहीं दी हमने...
क़ि इल्ज़ाम झूठे ही सहीं,
पर लग़ाये तो मेरे अपने हैं...

7985
नाम क़म हैं,
हम बदनाम ज़्यादा हैं...
ग़ुनाह क़म हमारे हमपर,
इल्ज़ाम ज़्यादा हैं.......