23 March 2020

5641 - 5645 मोहब्बत फ़िदा जिस्म खिलौने शिकायत वादा साहिल प्यास बेवफ़ाई वफ़ा शायरी


5641
बेवफ़ाईपें तेरी जी हैं फ़िदा...
क़हर होता जो बा-वफ़ा होता...
                           मीर तक़ी मीर

5642
मैं सोचती हूँ कि,
इक जिस्मके पुजारीको,
मेरी वफ़ाने वफ़ाका,
सुहाग क्यूँ समझा...
नरेश कुमार शाद

5643
बेवफ़ा कहनेकी शिकायत हैं,
तो भी वादा-वफ़ा नहीं होता...
                      मोमिन ख़ाँ मोमिन

5644
तेरी वफाओंका समन्दर,
किसी और के लिए होगा...
हम तो तेरे साहिलसे,
रोज प्यासे ही गुजर जाते हैं...

5645
मोहब्बत कर सकते हो तो,
खुदासे करो...
मिट्टीके खिलौनोंसे कभी,
वफ़ा मिलती नहीं.......!

21 March 2020

5636 - 5640 दिल मोहब्बत याद क़रार तसल्ली हाल अंजाम सज़ा एहसान दुनिया वफ़ा शायरी


5636
अंजाम--वफ़ा ये हैं,
जिसने भी मोहब्बत की...
मरनेकी दुआ माँगी,
जीनेकी सज़ा पाई...
                        नुशूर वाहिदी

5637
ख़ुद वफ़ा क्या...
वफ़ा का बदला क्या...
लुत्फ़ एहसान था,
अगर करते.......
फ़ानी बदायुनी

5638
दुनियाके सितम याद,
अपनीही वफ़ा याद;
अब मुझको नहीं कुछभी,
मोहब्बतके सिवा याद...!
                   जिगर मुरादाबादी

5639
हाल सुनकर मेरा,
वो यूँ बोले...
और दिल दीजिए,
वफ़ा कीजे...!
जिगर बरेलवी

5640
जफ़ासे हैं,
मेरे दिलको क़रार...
तसल्ली,
वफ़ासे होती हैं...
         रियाज़ ख़ैराबादी

20 March 2020

5631 - 5635 नीलाम दास्ताँ कमबख्त ख़्वाहिश खातिर इंतिज़ार दिल्लगी वफ़ा शायरी


5631
नीलाम कुछ इस कदर हुए,
बाज़ार--वफ़ामें हम आज...
बोली लगाने वाले भी वही थे,
जो कभी झोली फैलाकर,
माँगा करते थे हमींसे...


5632
मेरी दास्ताँ--वफ़ा,
बस इतनी सी हैं...
उसकी खातिर,
उसीको छोड़ दिया...

5633
इच्छाएँ बड़ी बेवफ़ा होती हैं,
कमबख्त पूरी होते ही...
बदल जाती हैं.......

5634
वफ़ा कर तो,
हमारी वफ़ाकी दाद ही दे...
तिरे फ़िराक़को हम,
इंतिज़ार कहते हैं...
रशीद कौसर फ़ारूक़ी

5635
जाने कैसी दिल्लगी थी,
उस बेवफासे.......
कि मैने आखिरी ख़्वाहिशमें भी,
उसकी फ़ा मांगी.......!

19 March 2020

5626 - 5630 दिल नशा इश्क होश ख्याल वाकिफ उसूल वादे खफ़ा वफ़ा शायरी


5626
दो दिलोंके दरमियान,
एक नशा हैं इश्क...
जिसे पहले होश आए,
उसे बेवफ़ा कहते हैं...

5627
तेरा ख्याल दिलसे,
मिटाया नहीं अभी...
बेवफ़ा मैंने तुझको,
भुलाया नहीं अभी...

5628
वो बेवफ़ाईके उसूलोसे,
वाकिफ नहीं हैं...
बिछड़नेके बाद,
ख़ैरियत नहीं पूछी जाती...

5629
बेकार ही में हम,
तुमसें खफ़ा होते हैं;
कब पुरे तुमसें,
वादे वफ़ाके होते हैं...

5630
चलो यूँ ही सही,
हम बेवफ़ा हैं...
मगर ये तो बताएँ,
आप क्या हैं.......?

17 March 2020

5621 - 5625 प्यार ऐतबार शक इनक़ार इन्तहा जुदाई दुनिया सितम उम्मीद सबर दावा दुआ वफ़ा शायरी


5621

प्यार इतना क़रना क़ी हद्द रहें,
मगर ऐतबार भी इतना क़रना क़ी   रहें;
वफ़ा इतनी क़रना क़ी बेवफ़ाई हो,
और दुआ बस इतनी क़रना क़ी क़भी जुदाई हो ll

5622
इनक़ा रते रते,
रार  बैठे !
हम तो  बेवफ़ासे,
प्यार  बैठे.......

5623
पी क़र रात हम उन्हें भुलाने लगे,
नशेमें गमोक़ो भुलाने लगे...
ये शराब भी बेवफ़ा निक़ली,
नशेमें वो और भी ज्यादा याद आने लगे...!

5624
मोहब्बतक़ा नतीजा,
दुनियामें हमने बुरा देखा...
जिन्हे दावा था वफ़ाक़ा,
उन्हें भी हमने बेवफ़ा देखा...

5625
मत पूछ मेरे सबरक़ी इन्तहा क़हाँ  हैं...
तू क़र ले सितम तेरी ताक़त जहाँ  हैं...
वफ़ाक़ी उम्मीद जिन्हे होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना हैं तू बेवफ़ा क़हाँ  हैं...?

16 March 2020

5616 - 5620 इश़्क परेशाँ झूठ नौबत वादा ठोकर पसंद नाज़ हिचकी वफ़ा शायरी


5616
परेशाँ हैं वो,
झूठा इश़्क करके...
वफ़ा करनेकी,
नौबत गई हैं...!

5617
शायरीसे इस्तीफ़ा दे रहा हूँ,
किसी बेवफ़ाने...
फिर वफ़ाका,
वादा किया हैं...!

5618
जानता हूँ मैं,
अभी भी चाहती हैं मुझे;
ज़िद्दी हैं वो थोड़ीसी,
मगर बेवफ़ा नहीं...

5619
जब तक लगे,
बेवफ़ाईकी ठोकर...
हर किसीको,
अपनी पसंदपर नाज़ होता हैं।

5620
हिचकियोंमें,
वफ़ा ढूंढ रहा था;
कंबख्त वो भी ग़ुम हो गई,
दो घूंट पानीमें.......

15 March 2020

5611 - 5615 दिल क़दम औकात दीवार नादान मुद्दत जिंदगी शायरी


5611
बड़ी चालाक हैं ये जिंदगी,
हमें रोज़ नया कल देकर...
हमसे अपना आज़,
छीन लेती हैं.......

5612
क़दम क़दमपें एक,
नया इम्तहान रखती हैं;
ज़िंदगी तू भी मेरा,
कितना ध्यान रखती हैं !

5613
जिंदगी,
बस इतना ही चाहिये तुजसे;
कि जम़ीन पर बैठूँ तो...
लोग उसे बडप्पन कहें,
औकात नहीं.......!

5614
खुदा,
जिंदगी भले छोटी दे देना...
मगर देना ऐसी,
कि मुद्दतोंतक लोगोंके,
दिलोंमे जिंदा रहें.......!

5615
एक और ईंट गिर गई,
दीवार--जिंदगीसे...
नादान कह रहे हैं,
सालगिरह मुबारक हो।

5606 - 5610 साँस दखल ख्वाहिश रास्ते रूह मँजिल इश्क़ वजूद हालात जिंदगी शायरी


5606
उसे लिख पाते हैं शायरीमें,
इसलये चलती साँस हैं...
ना करो बेदखल इन नज्मोसे,
वरना जिंदगी जिंदा लाश हैं...

5607
इतना आसान नहीं हैं,
अपने ढंगसे जिंदगी जी पाना l
अपनोंको भी खटकने लगते हैं,
जब अपने लिये जीने लगते हैं ll

5608
ख्वाहिशोने ही भटकाये हैं,
जिंदगीके रास्ते... वरना;
रूह तो उतरी थी ज़मींपें,
मँजिलका पता लेकर...

5609
बेवफा तेरे सजदेके लिए,
हर साँसको बिखरते देखा हैं...
जिंदगी हर मोड़पर इश्क़में,
अपना वजूद टूटते देखा हैं...

5610
जिंदगी सुन,
तू यहींपे रुकना...
हम हालात बदलके आते हैं...!

14 March 2020

5601 - 5605 मोहब्बत प्यार पल ख़ुशी याद तराना अफसाना दीवाना इंतजार चाह जिंदगी शायरी


5601
हर पलमें प्यार हैं,
हर पलमें ख़ुशी हैं...
खो दो तो यादे हैं,
जि लो तो जिंदगी हैं...

5602
प्यार तो जिंदगीका एक अफसाना हैं;
इसका अपना ही एक तराना हैं;
सबको मालूम हैं कि मिलेंगे सिर्फ आँसू...
पर जाने क्यों, दुनियाँमें हर कोई इसका दीवाना हैं...

5603
माथेको चूम लूँ मैं और,
उनकी जुल्फ़े बिखर जाये...!
इन लम्होंके इंतजारमें कहीं,
जिंदगी गुज़र जाये.......!

5604
तुम गुजार ही लोगे जिंदगी,
हर फनमें जो माहिर हो...
हमे तो कुछ आता ही नही,
बस एक तुम्हे चाहनेके सिवा...!

5605
यूँ तो मोहब्बतकी सारी,
हकीकतसे वाकिफ हैं हम...
पर उन्हें देखा तो लगा,
चलो जिंदगी बर्बाद कर ही लेते हैं...!

12 March 2020

5596 - 5600 प्यार इजहार ताबीज़ मशहूर हालत हुस्न जरूरत क़यामत सादगी शायरी


5596
कोई ताबीज़ ऐसा दो कि,
मैं चालाक हो जाऊं...
बहुत नुकसान देती हैं मुझे,
ये सादगी मेरी.......

5597
मेरी सादगीही,
गुमनामीमें रखती हैं मुझे...
जरा सा बिगड़ जाऊं,
तो मशहूर हो जाऊं...

5598
तेरी हालतसे लगता हैं,
तेरा अपना था कोई...
वरना इतनी सादगीसे,
बरबाद कोई गैर नहीं करता...

5599
हुस्न वालोंको,
क्या जरूरत हैं संवरनेकी...
वो तो सादगीमें भी,
क़यामतकी अदा रखते हैं...!

5600
बहुत खुबसूरतीसे उसने,
अपने प्यारका इजहार किया...
ये हवाएँ भी थम गयी,
उसकी सादगी देखकर.......!

5591 - 5595 होठ मुस्कुराहट खामोशी नेकी जिस्म लिबास शायरी



5591
होठोंको जब,
लिबासकी जरूरत हो...
मशवरा हैं की,
मुस्कुराहट पहना दो...!

5592
ये जो मुस्कराहटका,
लिबास पहना हैं...
दरअसल खामोशियोंको ही,
रफ़ू करवाया हैं.......

5593
हरे शजर सही,
खुश्क घास रहने दो;
ज़मींके जिस्मपर,
कुछ लिबास रहने दो...!

5594
सिर्फ लिबास ही,
महँगा हुआ हैं साहब;
आदमी आज भी,
दो कौड़ीका ही हैं...

5595
तेरी नेकीका लिबास ही,
तेरा बदन ढकेगा, बन्दे;
सुना हैं उपर वालेके घर,
कपड़ोकी दुकान नही होती...