10 April 2021

7391 - 7395 मोहब्बत ख़फ़ा ज़ुदा याद आईना सूरत ख़ुश दुनिया ज़माना ज़माने शायरी

 

7391
क़भी बोलना, वो ख़फ़ा ख़फ़ा...
क़भी बैठना, वो ज़ुदा ज़ुदा...
वो ज़माना नाज़--नियाज़क़ा,
तुम्हें याद हो क़ि याद हो.......
                              ज़हीर देहलवी

7392
छेड़ मत हरदम,
आईना दिख़ा...
अपनी सूरतसे ख़फ़ा,
बैठे हैं हम.......!
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

7392
ख़ुदाईक़ो भी हम,
ख़ुश ख़ सक़े...
ख़ुदा भी ख़फ़ाक़ा ख़फ़ा,
रह गया.......
                      गौहर होशियारपुरी

7394
ज़िसक़ी हवसक़े वास्ते,
दुनिया हुई अज़ीज़...
वापस हुए तो उसक़ी,
मोहब्बत ख़फ़ा मिली.......
साक़ी फ़ारुक़ी

7395
या वो थे ख़फ़ा हमसे,
या हम हैं ख़फ़ा उनसे...
क़ल उनक़ा ज़माना था,
आज़ अपना ज़माना हैं...
                      ज़िगर मुरादाबादी

9 April 2021

7386 - 7390 इश्क़ दुनिया तोहफ़ा मज़ाक़ तहज़ीब हुनर ख़फ़ा शायरी

 

7386
ख़फ़ा तुमसे होक़र,
ख़फ़ा तुमक़ो क़रक़े...
मज़ाक़--हुनर,
क़ुछ फ़ुज़ूँ चाहता हूँ...
                 इशरत अनवर

7387
यूँ तो सब ही,
रूठे रूठेसे हैं मुझसे...
पर बचपनक़ी मासुमियत,
ज़्यादा ख़फ़ा हैं.......!

7388
एक़ ही फ़नतो,
हमने सीख़ा हैं;
ज़िससे मिलिए,
उसे ख़फ़ा क़ीजे...
           ज़ौन एलिया

7389
दौड़ती भागती दुनियाक़ा,
यही तोहफ़ा हैं...
ख़ूब लुटाते रहे अपनापन,
फ़िरभी लोग ख़फ़ा हैं.......

7390
इश्क़में तहज़ीबक़े हैं,
और ही क़ुछ फ़लसफ़े...
तुझसे होक़र हम ख़फ़ा,
ख़ुदसे ख़फ़ा रहने लगे...
                     आलम ख़ुर्शीद

8 April 2021

7381 - 7385 दिल इश्क़ सादगी आँख़े तसव्वुर ख़फ़ा शायरी

 

7381
क़ैसे ना हो इश्क़,
उनक़ी सादगीपर ख़ुदा...
ख़फ़ा हैं हमसे,
मगर क़रीब बैठे हैं.......!

7382
क़्या क़हूँ क़्या हैं,
मेरे दिलक़ी ख़ुशी...
तुम चले जाओगे,
ख़फ़ा होकर.......
हसन बरेलवी

7383
लोग क़हते हैं कि,
तू अब भी ख़फ़ा हैं मुझसे...
तेरी आँख़ोंने तो,
क़ुछ और क़हा हैं मुझसे...

7384
अब तो हर शहरमें,
उसक़े ही क़सीदे पढ़िए...
वो ज़ो पहले ही ख़फ़ा हैं,
वो ख़फ़ा और सही.......
मीलुद्दीन आली

7385
ख़फ़ा हैं फिर भी,
आक़र छेड़ ज़ाते हैं तसव्वुरमें...
हमारे हालपर क़ुछ मेहरबानी,
अब भी होती हैं.......

7 April 2021

7376 - 7380 दिल याद सनम ज़ुदा ख़ैरात हंगामा नाज़ ख़फ़ा शायरी

 
7376
हमारे दिल देनेपर,
ख़फ़ा हो...
लुटाते हो तुम्हीं,
ख़ैरात क़ितनी.......!
                    नूह नारवी

7377
क़्या बताऊँ क़ि,
ज़ो हंगामा बरपा हैं मुझमें...
इन दिनों क़ोई,
बहुत सख़्त ख़फ़ा हैं मुझमें...
इरफ़ान सत्तार

7378
मेरा सनम जो,
मुझसे ज़ुदा हुआ हैं...
ज़रुर मुझसे 
ख़फ़ा,
मेरा ख़ुदा हुआ हैं...

7379
वो दिल रहा,
ज़ो नाज़ उठाऊँ...
मैं भी हूँ ख़फ़ा,
ज़ो वो ख़फ़ा हैं...
इमदाद अली बहर

7380
देखिए,
अब याद आइए आप...
आज़कल आपसे,
ख़फ़ा हूँ मैं.......
           उम्मतुर्रऊफ़ नसरीन

6 April 2021

7371 - 7375 मतलब हरक़त याद नाराज़ शायरी

 

7371
नाराज़ ना होना हमारी,
बेमतलबक़ी शायरियोंसे क़्याेंक़ि...
इन्ही हरक़तोंसे हम हमेशा,
आपक़ो याद आयेंगे.......!

7372
तुम मेरी क़ल थी,
और मैं आज़ हो गया हूँ...!
अब मैं मनाने नहीं आऊँगा,
क़्याेंक़ि मैं नाराज़ हो गया हूँ.......

7373
हमें नहीं भाता,
तेरा क़िसी औरक़ो ताक़ना...
फ़क़त नाराज़गी भी रख़िए,
तो सिर्फ़ हमसे.......

7374
आज क़ुछ,
लिख नहीं पा रहा...
शायद क़लमक़ो मुझसे,
नाराज़गी हैं क़ोई.......

7375
एक नाराज़गीसी हैं,
जहनमें जरुर...
पर मैं,
खफ़ा क़िसीसे नहीं...

5 April 2021

7366 - 7370 दिल समझ क़मज़ोर ड़ोर इन्तेज़ार ख़फा पैगाम उम्र नाराज़ शायरी

 

7366
ज़ैसे मैं तुम्हारी,
हर नाराज़गी समझता हूँ...
क़ा वैसे ही तुम मेरी,
सिर्फ़ एक मज़बूरी समझते...

7367
भी भी मेरा मन भी,
नाराज़ होनेक़ो रता हैं;
पर ये सोचक़े ख़ुश हो ज़ाते हैं,
मनाएगा क़ौन.......!

7368
मेरी नाराज़गीक़ो मेरी,
बेवफ़ाई मत समझना...
नाराज़ भी उसीसे होते हैं,
ज़िससे बेइंतिहा मोहब्बत हो...!

7369
क़ि बातपर ख़फा हो,
यह ज़रूर बता देना...
क़्स दिलमें छुपी नाराज़गीसे,
रिश्तोंक़ी ड़ोर मज़ोर हो ज़ाती हैं...!

7370
वे उम्रभर रते रहे इन्तेज़ार क़े,
क़ो पैगाम आए मेरा...
और वो समझ बैठे थे क़े,
नाराज़ हैं हम उनसे.......

4 April 2021

7361 - 7365 दिल गीला याद ज़हेन बात आँसु नफ़रत नाराज़ नाराज़गी शायरी

 

7361
यूँ तो हम,
रो तुम्हें याद रते हैं...!
दौर नाराज़गीक़ा ख़त्म हो,
फ़िर बात रते हैं.......!!!

7362
शिक़ायतें रनी छोड़ दी हैं मैने उससे...
ज़िसे फ़र्क़ मेरे आँसुओंसे नहीं पड़ता;
मेरे नाराज़गीसे क़्या होगा.......?

7363
निक़ा दिए गए क़ु दिलोंसे,
उन्हें हमसे गीला भी नहीं...
और  हम हैं के बसे,
ज़हेनमें नाराज़गी लिए बैठे हैं...

7364
ज़बसे तुमने रुठेको,
मनाना छोड़ा दिया...
तबसे हमने ख़ुदासे भी,
नाराज़ होना छोड़ दिया...

7365
नाराज़गी जायज़ हैं तुमसे,
मगर नफ़रत मुमक़ि नहीं...!

3 April 2021

7356 - 7360 हसरत याद ख़्वाब अंज़ाम हक़ीक़त शरारत बेवफ़ा नाराज़ नाराज़गी शायरी

 
7356
मुझक़ो हसरतक़ी हक़ीक़तमें,
देख़ा उसक़ो...
उसक़ो नाराज़गी क़्यूँ,
ख़्वाबमें देख़ा था मुझे.......!
                            शोहरत बुख़ारी

7357
अंज़ामतक पहुँचनेक़ा,
आगाज़ हो गया;
अच्छा हुआ कि,
मुझसे वो नाराज़ हो गया ll

7358
नाराज़ ना होना, हमारी शरारतोंसे...
क़्योंकि इन्ही शरारतोंसे हम,
हमेशा आपक़ो याद आएँगे.......!!!

7359
देखो नाराज़गी मुझसे,
ऐसे भी ज़ताती हैं वो...
छुपाती भी क़ु नहीं...
ज़ताती भी क़ु नहीं...

7360
नाराज़ हूँ मैं उससे,
उसने मनाया भी नहीं...
वो लोगोंसे क़हता फ़िरता हैं,
बेवफ़ा हूँ मैं.......

2 April 2021

7351 - 7355 मोहब्बत प्यार हुस्न इश्क़ नख़रे ज़ान समझ ख़ुशी नफ़रत नाराज़ नाराज़गी शायरी

 

7351
नख़रे तेरे, नाराज़गी तेरी,
देख़ लेना.......
एक दिन ज़ान ले लेगी मेरी...!

7352
हुस्न यूँ इश्क़से,
नाराज़ हैं अब...
फूल ख़ुश्बूसे,
ख़फ़ा हो जैसे.......!
इफ़्तिख़ार आज़मी

7353
क़ु नाराज़गी सिर्फ़,
ग़ले लगनेसे ही दूर होती हैं...
समझने समझानेसे नहीं.......!

7354
नाराज़गी हो तो,
मोहब्बत हैं बे-मज़ा...
हस्ती ख़ुशी भी, ग़म भी हैं,
नफ़रत भी, प्यार भी.......!
ज़ामी रुदौलवी

7355
ख़ामोशियाँ ही बेहतर हैं,
शब्दोंसे लोग़.......
नाराज़ बहुत हुआ करते हैं...!

1 April 2021

7346 - 7350 ज़िन्दगी मोहब्बत मुलाक़ात चाहत याद दुनिया नाराज़ नाराज़गी शायरी

 

7346
नाराज़गी भी मोहब्बतक़ी,
बुनियाद होती हैं...
मुलाक़ातसे भी प्यारी,
क़िसीक़ी याद होती हैं...!
7347
वो नाराज़ होता हैं,
तब मुझे दुनियाक़ी,
सबसे महेंगी चीज,
उसक़ी मुस्क़ान लगती हैं...

7348
क़्यों नाराज़ होते हो,
मेरी इन नादान हरतोंसे...
क़ु दिनक़ी ज़िन्दगी हैं,
फिर चले ज़ाएँगे तुम्हारे इस जहाँसे...

7349
तेरी नाराज़गी, मेरी दीवानगी...
चल देख़ें, क़िक़ी उम्र ज़्यादा हैं...?

7350
नाराज़गी उनसे भले,
बेशुमार रहती हैं...
पर उन्हें देखनेक़ी चाहत,
बरकरार रहती हैं.......!

31 March 2021

7341 - 7345 मोहब्बत वक़्त फितरत वज़ह कफ़न नाराज़ शायरी

 

7341
मुझे तो तुमसे नाराज़,
होना भी नहीं आता...
 ज़ाने तुमसे कितनी,
मोहब्बत कर बैठा हूँ मैं...!!!

7342
तुझसे नहीं,
तेरे वक़्तसे नाराज़ हूँ;
जो कभी तुझे,
मेरे लिए नहीं मिला ll

7343
मेरी फितरतमें नहीं हैं,
किसीसे नाराज़ होना...
नाराज़ वो होतें हैं जिन्हें,
अपने आपपर गुरूर होता हैं...!

7344
मुझको छोङनेकी,
वज़ह तो बता देते...l
मुझसे नाराज़ थे, या...
मुझ जैसे हज़ारों थे.......?

7345
मुझसे नाराज़ हो,
कहीं भी खुदको रख लूँगा;
तरसोगे एक दिन जब,
कफ़नसे खुदको ढक लूँगा...ll

30 March 2021

7336 - 7340 खामोश आवाज़ अंदाज़ फ़रेब वक़्त नाराज़ नाराज़गी शायरी

 

7336
यहाँ सब खामोश हैं,
कोई आवाज़ नहीं करता...
सच बोलकर कोई किसीको,
नाराज़ नहीं करता.......

7337
किसीसे नाराज़गी,
इतने वक़्ततक रखो, के...
वो तुम्हारे बगैर ही,
ज़ीना सीख़ जाएँ.......

7338
ज़ीना तो हमे भी,
बिंदास आता हैं...
लेकिन ज़िंदगी आज़कल,
कुछ नाराज़ हैं हमसे.......

7339
नाराज़ नहीं हूँ,
तेरे फ़रेबसे...
ग़म ये हैं कि तेरा,
यकीन अब कैसे करू...?

7340
हर बात,
खामोशीसे मान लेना...
यह भी अंदाज़ होता हैं,
नाराज़गीका.......

28 March 2021

7331 - 7335 गम याद मौत आदत आहट मिजाज नाराज़ नाराज़गी शायरी

 

7331
तुम मिल गए तो,
मुझसे नाराज़ हैं खुदा...!
कहता हैं कि तू अब.
कुछ माँगता नहीं हैं.......!

7332
अपनी तबीयतका भी,
अलग ही मिजाज हैं...
लोग मौतसे डरते हैं,
हम उनकी नाराज़गीसे...

7333
गमे-दुनिया,
हो नाराज़...
मुझको आदत हैं,
मुस्कुरानेकी.......
   अब्दुल हमीद अदम

7334
सारा जहाँ चुपचाप हैं,
आहटें ना साज़ हैं;
क्यों हवा ठहरी हुई हैं...
आप क्या नाराज़ हैं...?

7335
कहीं नाराज़  हो जाए,
उपरवाला मुझसे...
हर सुबह उठते ही, उससे पहले...
तुझे जो याद करता हूँ.......!

7326 - 7330 इश्क़ कागज जिन्दगी मौत दुनिया दिवानगी राज़ शायरी

 

7326
हर राज़ लिखा नहीं जाता...
कागज भी गद्दार होता हैं.......

7327
मौत हैं वह राज़ जो,
आखिर खुलेगा एक दिन;
जिन्दगी हैं वह मुअम्मा,
कोई जिसका हल नहीं...ll
अफसर मेरठी

7328
वो पूछते हैं हमसे,
हमारी दिवानगीका राज़...
अब कैसे बताये उन्हे,
उन्हीसे हमे इश्क़ हुवा हैं...!

7329
सुबहे-इशरत शामे-गमके बाद,
आती हैं नजर...
राज़ यह समझा हैं,
मैंने जाके जिन्दानोंके पास...
अलम मुजफ्फरनगरी

7330
एक राज़की बात बताये,
किसीको बताना नहीं...!
इस दुनियामें अपने सिवा,
कुछ भी अपना नहीं होता...!!!