25 February 2022

8281 - 8285 क़िताब दिख़ावा मुहोब्बत दाग़ एहसास लफ़्ज़ बेताब दिल ज़ज़्बात शायरी

 

8281
समझते नहीं या बस दिख़ावा क़रते हो,
या फ़िर तुम भी मेरी तरह,
ज़ज़्बातोंक़ो अपने,
दबाया क़रते हो.......

8282
मुहोब्बत तो सिर्फ लफ़्ज़ हैं,
उसक़ा एहसास तुम हो...!
लफ़्ज़ तो सिर्फ नुमाइश हैं,
ज़ज़्बात तो मेरे तुम हो...!!!

8283
मुझक़ो पढ़ पाना,
हर क़िसीक़े लिये मुमक़िन नहीं l
मैं वो क़िताब हूँ ज़िसमें,
लफ़्ज़ोंक़ी ज़ग़ह ज़ज़्बात लिखे हैं ll

8284
बरपा हैं अज़ब शोरिशें,
ज़ज़्बातक़े पीछे...
बेताब हैं दिल,
शौक़ मुलाक़ातक़े पीछे...
ज़ुनैद हज़ीं लारी

8285
दिलक़े ज़ज़्बात दबाए रख़ना,
दाग़ सीनेक़े छुपाए रख़ना...

24 February 2022

8276 - 8280 हलचल प्यार दिल मोहोब्बत बर्बाद क़लम ज़ज़्बात शायरी

 

8276
सीनेमें ज़ो दब ग़ए हैं,
वो ज़ज़्बात क़्या क़हें...
ख़ुद हीं समझ लिज़िये,
हर बात क़्या क़हें.......

8277
फ़क़त ज़ज़्बातक़ो,
हलचल देना ;
ख़ुशी देना तो,
पल दो पल देना ll
क़ेवल कृष्ण रशी

8278
प्यार महज़ एक़ खेल हैं,
उसक़े लिए,
ज़िसने क़भी क़िसीक़ो,
दिलसे चाहा हीं नहीं हो...!

8279
मिरा क़लम मिरे,
ज़ज़्बात माँग़ने वाले...
मुझे माँग़,
मिरा हाथ माँग़ने वाले...
ज़फ़र गोरख़पुरी

8280
मोहोब्बतमें तेरे,
इतने ज़ज़्बाती हो ग़ए...
तुझे सँवारनेक़े चक्क़रमें,
बर्बाद हीं हो ग़ए.......

23 February 2022

8271 - 8275 रूह ख़्याल अल्फ़ाज़ लफ़्ज़ ख़ामोशी मज़ाक़ ज़ज़्बात शायरी

 

8271
क़ई बार हम ज़ज़्बातोंमें आक़े,
क़ुछ क़ह तो देते हैं...
पर फ़िर ख़्याल आता हैं,
ना क़हते तो अच्छा था.......

8272
वो क़्या समझेग़ा,
ज़ज़्बात मेरे...
ज़िसने क़भी क़िसीक़ो,
रूहमें उतारा हीं हो.......

8273
अल्फ़ाज़ ग़िरा देते हैं,
ज़ज़्बातक़ी क़ीमत...
ज़ज़्बातक़ो लफ़्ज़ोंमें,
ढाला क़रे क़ोई.......

8274
समझने वाले तो,
ख़ामोशी भी समझ लेते हैं...!
समझने वाले ज़ज़्बातक़ा भी,
मज़ाक़ बना देते हैं.......

8275
ज़ज़्बातक़ी रौमें,
बह ग़या हूँ...
क़हना ज़ो था,
वो क़ह ग़या हूँ...
          शक़ील बदायुनी

22 February 2022

8266 - 8270 पलक शिद्दत प्यार इंतज़ार दिल दीदार मोहब्बत हंग़ामा हालात ज़ज़्बात शायरी

 

8266
झुक़ी हुई पलकोंसे ज़िनक़ा दीदार क़िया,
सब कुछ भुलाक़े ज़िनक़ा इंतज़ार क़िया l
वो ज़ान हीं पाये ज़ज़्बात मेरे,
ज़िन्हें दुनियासे बढ़क़र मैंने प्यार क़िया ll

8267
बहार निक़लेंगे तो,
ख़ामख़ा हंग़ामा होग़ा...
यहीं सोचक़र अपने ज़ज़्बातोंक़ो,
अंदर क़ैद रख़ता हूँ.......!

8268
ज़रूरी थी फ़िर भी बात नहीं समझा,
अफसोस ये क़ि हालात नहीं समझा,
क़लेज़ा निक़ालक़र क़हते रहें मोहब्बत हैं,
मगर पत्थर दिलने मेरे ज़ज़्बात नहीं समझा...

8269
ना पूछो उनक़ा हाल,
जो अपने ज़ज़्बात दबाये फ़िरते हैं...
दिल पलपल रोता हैं,
लेक़िन वे मुस्कुराए फ़िरते हैं.......

8270
ज़ज़्बातक़ी शिद्दतसे,
निख़रता हैं बयाँ और...
ग़ैरोंसे मोहब्बतमें,
सँवरती हैं ज़बाँ और...
              एहसान ज़ाफ़री

21 February 2022

8261 - 8265 मोहोब्बत ख़ामोश क़िरदार रिश्ता भरोसा हिक़ायात ज़ज़्बात शायरी

 

8261
इतना आसान नहीं,
ज़ीवनक़ा क़िरदार निभा पाना...
इंसानक़ो बिख़रना पड़ता हैं,
रिश्तोंक़ो समेटनेक़े लिए.......

8262
ज़ज़्बातोंक़ा रिश्ता,
हुआ क़रता था क़भी...
मोहोब्बत अब सिर्फ़,
दो रातोंक़ा ख़ेल बनक़र रह ग़या हैं...

8263
रिश्तोंपें भरोसा अब,
क़ैसे क़्यों क़रोगे...?
ज़ज़्बात महज़ ख़ेल हुआ,
ख़ेलते हैं लोग़.......

8264
ज़ज़्बातक़ा ख़ामोश असर देख़ रहा हूँ...l
बेचैन हैं दिल आँख़को तर देख़ रहा हूँ...ll

8265
मचलेंगे उनक़े आनेपें,
ज़ज़्बात सैंक़ड़ों...
हंस बोलनेक़ी होंगी,
हिक़ायात सैंक़ड़ों.......
                      चरख़ चिन्योटी

8256 - 8260 तूफ़ान बरसात दरिया समंदर ज़िस्म अल्फ़ाज़ दर्द रूह ज़ज़्बात शायरी

 

8256
दरिया बन मिलते रहें,
समंदरक़े पानीसे...
ज़ज़्बात ही ख़ो ग़यी,
मचलती रवानीमें.......

8257
दर्द मिट्टीक़े घरोंक़ा,
क़हाँ बरसात समझे हैं l
क़ाम ज़िसक़ा हो सताना,
क़हाँ ज़ज़्बात समझे हैं ll

8258
ज़ब भी ज़ज़्बातक़ा,
तूफ़ान आए,
मेरे अल्फ़ाज़,
बहाक़र ले ज़ाए...
                  विज़य अरुण

8259
ज़िसमे फ़ना हैं,
क़ई ज़ज़्बातक़े समंदर...
वही एक़ क़तरा,
इश्क़ हूँ मैं.......

8260
मिरे ज़ज़्बातसे,
ये रात पिघल ज़ाएगी...
ज़िस्म तो ज़िस्म,
तिरी रूह भी ज़ल ज़ाएगी...
                         शक़ील हैदर

19 February 2022

8251 - 8255 चेहरा जुल्फें दिल शबनम शबाब हिफ़ाज़त धड़क़न अंदाज़ चाहत आँसू ज़ज़्बात शायरी

 

8251
घटाओंमें क़िसीक़ा चेहरा नज़र आया,
दिलमें आज़ क़ोई ज़ज़्बात उभर आया l
जुल्फोंक़े बीच तेरा चेहरा देख़क़र लगा,
शबनमक़ी बूंदोंमें शबाब निख़र आया ll


8252
ये बस पानी हैं,
या मैं सचमें रो रहा हूँ ?
ये ज़िन्दगी सचमें बेदर्द हैं,
या फ़िर मैं ख़ामख़ाह ज़ज़्बाती हो रहा हूँ ?

8253
दिलक़े ज़ज़्बातोंक़ी,
हिफ़ाज़त क़रें भी तो कैसे...?
महफ़ूज़ तो धड़क़न भी,
नहीं होती सीनेमें.......

8254
ना चाहतक़े अंदाज़ अलग़,
ना दिलक़े ज़ज़्बात अलग़...
थी सारी बात लक़ीरोंक़ी,
तेरे हाथ अलग़, मेरे हाथ अलग़...

8255
मेरी चाहतने चिल्लाक़र पूछा,
क़्या चाहती हो तुम...?
आँसू ऐसा सुनक़र ज़ो रुक़ ना सक़े,
क़हने लग़ा ज़ज़्बाती हो तुम.......

8246 - 8250 वाक़िफ़ प्यार लफ़्ज़ अल्फ़ाज़ बयान ज़ज़्बात शायरी

 

8246
मेरे ज़ज़्बातसे वाक़िफ़ हैं,
मेरा क़लम फ़राज़...
मैं प्यार लिख़ूँ तो,
तेरा नाम लिख़ ज़ाता हैं...!

8247
ज़ज़्बात लिख़े,
तो मालूम हुआ...
पढ़े लिख़े लोग भी,
पढ़ना नहीं ज़ानते...

8248
बस दिलक़े ज़ज़्बातोंक़ो,
लफ़्ज़ोंमें बयान क़र दो...
ज़ो छुपे हुए हैं राज़,
उन्हें बयान क़र दो.......

8249
अल्फ़ाज़ोंमें इतनी ताक़त नहीं,
ज़ो ज़ज़्बातोंक़ो बयान क़र दे...
ज़ज़्बात तो इतने ताक़तवर हैं,
ज़ो दो बूढ़े दिलक़ो भी जवाँ क़र दे...

8250
क़ेवल अल्फ़ाज़ोंक़ी बात थी,
ज़ज़्बात तो तुम...
वैसेभी नहीं समझते.......

17 February 2022

8241 - 8245 मोहब्बत दिल समझ लफ्ज़ बात क़िताब लाज़वाब शख़्स क़ारवाँ मंज़िल ज़ज़्बात शायरी

 

8241
दिख़ावेक़ी मोहब्बत तो,
ज़मानेक़ो हैं हमसे, पर...
ये दिल तो वहाँ बिक़ेगा,
ज़हाँ ज़ज़्बातोक़ी क़दर होगी...!

8242
मानाक़ी क़ाफ़ी,
समझदार हो, मगर...
मेरे ज़ज़्बातोंक़ो समझना,
तुम्हारी समझक़े बहार ही हैं...!

8243
हम क़हाँ ज़ाए,
ज़ज़्बातक़ा शीशा लेक़र,
लफ्ज़क़ा पत्थर तो,
यहाँ हर शख़्स चला लेता हैं ll

8244
बात ये भी बड़ी,
लाज़वाब हो गई l
ज़ज़्बातक़ी स्याही पन्नोंपर बिख़री,
और क़िताब हो गई.......!!!

8245
हर रोज़ निक़लता हूँ साथ लेक़र,
ज़ज़्बातोंक़ा क़ारवाँ...
मिल ज़ाए मंज़िल मुझे ज़ाने वो,
सहर क़्यों नहीं होती.......

8236 - 8240 दिल इश्क़ ख़ामोशी मज़ाक़ बर्बाद राख़ सुक़ून ज़ज़्बात शायरी

 

8236
चलो ख़ामोशियोंक़ी,
गिरफ़्तमें चलते हैं...
बातें ज़्यादा हुई तो,
ज़ज़्बात ख़ुल ज़ायेंगे...

8237
दिल--ज़ज़्बात क़िसीपर,
ज़ाहिर मत क़र l
अपने आपक़ो इश्क़में,
इतना माहिर मत क़र ll

8238
ये ज़ो क़हते हैं क़ी,
हम बर्बाद लिख़ते हैं l
क़भी सुक़ूनसे बैठक़र पढ़ोगे तो,
ज़ानोगे हम ज़ज़्बात लिख़ते हैं ll

8239
क़म ही होते हैं,
ज़ज़्बातोंक़ो समझने वाले...
इसलिए शायद शायरोंक़ी,
बस्तियाँ नहीं होती.......!

8240
कुछ इस क़दर मेरे ज़ज़्बातोंसे,
वो मज़ाक़ क़रता हैं...
क़ागज़पर इश्क़ लिख़ता हैं,
फ़िर ज़लाक़े राख़ क़रता हैं...ll

16 February 2022

8231 - 8235 दिल इश्क़ महबूब लफ्ज़ याद समझ एहसास तक़लुफ़्फ़् ख़्वाहिश ख़्याल ज़ज़्बात शायरी

 

8231
कुछ उम्दा क़िस्मक़े,
ज़ज़्बात हैं हमारे...
क़भी दिलसे समझनेक़ी,
तक़लुफ़्फ़् तो क़ीज़िए...ll

8232
ज़ज़्बातक़ी स्याही ज़ब,
दिलक़े पन्नोंपर ज़म ज़ाती हैं !
हर एक़ लफ्ज़,
शायरी बन ज़ाती हैं !!!

8233
ज़ो अपने महबूबक़े,
यादोंमें ख़ो ज़ाएँ...
उसक़ा एहसास और ज़ज़्बात,
मीठा मीठा हो ज़ाएँ.......!

8234
बदलते नहीं ज़ज़्बात,
मेरे तारीखोंक़ी तरह...
बेपनाह इश्क़ क़रनेक़ी,
ख़्वाहिश मेरी आज़ भी हैं...!

8235
बहुत नाज़ुक़ हैं ज़ज़्बात मेरे,
ज़ो तुम्हारे दिलमें रख़े हैं l
क़हीं ठेस लग ज़ाये,
बस इतना ख़्याल रख़ना...ll

14 February 2022

8226 - 8230 ज़ान क़दर इबादत रिश्ते शराब दुश्मन बदनाम शायरी

 

8226
हम तो बदनाम हुए,
कुछ इस क़दर क़ि...
पानी भी पियें तो लोग,
शराब क़हते हैं.......!

8227
चलो इबादत रखते हैं,
अपने रिश्तेका नाम...!
मोहब्बतको तो लोगोंने,
बदनाम कर दिया.......!!

8228
बेज़ान चीज़ोंक़ो बदनाम क़रनेक़े तरीक़े,
क़ितने आसान होते हैं l
लोग सुनते हैं बातें छुप छुपक़े,
और क़हते हैं दीवारोंक़े क़ान होते हैं ll

8229
ज़ब मैं बदनाम ही था,
तो मुझे चाहा ही क़्यों.......?

8230
आओ दुश्मनी रूबरू होक़र क़रते हैं,
ये झूठी दोस्ती निभाक़र,
दोस्तीक़ो बदनाम क़रना ठीक़ नहीं ll