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समझते नहीं या बस दिख़ावा क़रते हो,
या फ़िर तुम भी मेरी तरह,
ज़ज़्बातोंक़ो अपने,
दबाया क़रते हो.......
8282मुहोब्बत तो सिर्फ लफ़्ज़ हैं,उसक़ा एहसास तुम हो...!लफ़्ज़ तो सिर्फ नुमाइश हैं,ज़ज़्बात तो मेरे तुम हो...!!!
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मुझक़ो पढ़ पाना,
हर क़िसीक़े लिये मुमक़िन नहीं l
मैं वो क़िताब हूँ ज़िसमें,
लफ़्ज़ोंक़ी ज़ग़ह ज़ज़्बात लिखे हैं ll
8284बरपा हैं अज़ब शोरिशें,ज़ज़्बातक़े पीछे...बेताब हैं दिल,शौक़ ए मुलाक़ातक़े पीछे...ज़ुनैद हज़ीं लारी
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दिलक़े ज़ज़्बात दबाए रख़ना,
दाग़ सीनेक़े छुपाए रख़ना...