8 February 2021

7136 - 7140 नाम दीदार धड़कन तड़प दुआ कयामत इश्क़ मोहब्बत ज़माने, दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7136
तड़पते हैं नींदके लिए,
तो यहीं दुआ निकलती हैं...!
बहुत बुरी हैं मोहब्बत,
किसी दुश्मनको भी ना हो...!

7137
तेरी गलियोंमें आने जानेसे,
दुश्मनी हो गयी ज़मानेसे;
सोके दीदार दे रहा हैं,
सज़्जा मिलने आजा किसी बहानेसे ll

7138
इलाही क्यों नहीं उठती कयामत,
माजरा क्या हैं...?
हमारे सामने पहलूमें,
वो दुश्मन बनके बैठे हैं.......!

7139
देखा तो वो शख्स भी,
मेरे दुश्मनोमें था...!
नाम जिसका शामिल मेरी,
धड़कनोंमें था.......!!!

7140
इधर रक़ीब मेरे,
मैं तुझे गले लगा लूँ...
मेरा इश्क़ बे-मज़ा था,
तेरी दुश्मनीसे पहले...!

5 February 2021

7131 - 7135 जीत नाराज़ क़दर मोहब्बत दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7131
दुश्मन इतनी,
आसानीसे कहाँ मिलते हैं...
बहुत लोगोंका,
भला करना पड़ता हैं.......!

7132
नसीब,
जरा एक बात तो बता...
तु सबको आजमाता हैं,
या मुझसे ही दुश्मनी हैं...?

7133
मेरी नाराज़गीपर,
हक़ मेरे अहबाबका हैं, बस...
दुश्मनसे भी कोई,
कभी नाराज़ होता हैं भला...!

7134
वो जो बनके दुश्मन.
हमे जीतनेको निकले थे...
कर लेते अगर मोहब्बत,
तो हम ख़ुदही हार जाते...!

7135
मैं अपने दुश्मनोंका,
किस क़दर मम्नून हूँ, अनवर...
कि उनके शरसे,
क्या क्या ख़ैरके पहलू निकलते हैं ll
                                       अनवर मसूद

4 February 2021

7126 - 7130 दिल याद सजा ख़ाक मजा भूल नजर फ़साना दुनिया दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7126
तअल्लुक़ हैं,
अब तर्क--तअल्लुक़...
ख़ुदा जाने,
ये कैसी दुश्मनी हैं...!

7127
मेरे दुश्मन,
मुझको भूल सके...
वर्ना रखता हैं कौन,
किसको याद.......?
ख़लील-उर-रहमान आज़मी

7128
जो दिलके हैं सच्चे,
उनका दुश्मन पूरा जमाना हैं;
इस रंग बदलती दुनियाका,
यही सच्चा फ़साना हैं ll

7129
ख़ाक मजा हैं जीनेमें,
जब तक आग ना लगे,
दुश्मनके सीनेमें.......

7130
हम दुश्मनको भी,
बड़ी शानदार सजा देते हैं...
हाथ नहीं उठाते बस,
नजरोंसे गिरा देते हैं.......!

3 February 2021

7121 - 7125 सफ़र वक्त रूबरू आँख आँसु खंजर क़दम मुश्किल हमदर्द दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7121
दुश्मनीका सफ़र,
इक क़दम दो क़दम...
तुम भी थक जाओगे,
हम भी थक जाएँगे...

7122
मैं आकर दुश्मनोंमें,
बस गया हूँ l
यहाँ हमदर्द हैं,
दो-चार मेरे...ll
राहत इंदौरी

7123
आँखोंसे आँसुओंके,
दो कतरे क्या निकल पड़े...
मेरे सारे दुश्मन,
एकदम खुशीसे उछल पडे़...

7124
दुश्मनभी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं l
मेरी गलीसे गुजरते हैं छुपाके खंजर,
रूबरू होनेपर सलाम किया करते हैं ll

7125
बिना मकसद,
बहुत मुश्किल हैं जीना...
खुदा आबाद रखना,
दुश्मनोंको​ मेरे.......!

2 February 2021

7116 - 7120 दिल तन्हा रिश्ता ख़त्म जालिम शख़्सियत एहतिराम राहत दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7116
दुश्मनी लाख सही,
ख़त्म न कीजे रिश्ता l
दिल मिले या न मिले,
हाथ मिलाते रहिए ll
                 निदा फ़ाज़ली 

7117
हमनशीं, मुझको नहीं राहतसे,
कोई दुश्मनी मगर;
दिलको क्या कहिए कि,
जालिम खूगर--आलाम हैं...
नादिर उल कादिरी

7118
आज खुला,
दुश्मनके पीछे दुश्मन थे,
और वो लश्कर,
इस लश्करकी ओटमें था...
             ग़ुलाम हुसैन साजिद

7119
उसके दुश्मन हैं बहुत,
आदमी अच्छा होगा...
वो भी मेरी ही तरह,
शहरमें तन्हा होगा.......
निदा फ़ाज़ली

7120
मुख़ालिफ़तसे मिरी,
शख़्सियत सँवरती हैं,
मैं दुश्मनोंका बड़ा,
एहतिराम करता हूँ ll
                     बशीर बद्र

1 February 2021

7111 - 7115 दिल इश्क चाहत जिंदगी करीब मशहूर जमाने मौत दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7111
जो दिलके करीब थे,
वो जबसे दुश्मन हो गए;
जमानेमें हुए चर्चे,
हम मशहूर हो गए.......!

7112
मौतही इंसानकी,
दुश्मन नहीं...
जिंदगीभी,
जान लेकर जाएगी...

7113
दुश्मन हो तो,
इश्क जैसा...!
जो सीधा,
दिलपर वार करता हैं...!!!

7114
अपनोंकी चाहतोंमें,
मिलावट थी इस कदर...
तंग आके दुश्मनोंको,
मनाने चला गया.......!

7115
मोहब्बतकी चादरमें,
लिपटे हुए अफसाने...
दोस्त तो दोस्त,
दुश्मनभी हमारे दीवाने...!

30 January 2021

7106 - 7110 इश्क ज़िंदगी ज़िद गलतियाँ गलियाँ सलाह शीशे सीख समझदारी शायरी

 

7106
ज़िंदगीने बहुत,
समझदार बना रखा हैं...
मुझे आज बस,
ज़िद करनेका मन हैं...!

7107
मैं तुम्हें इसलिए सलाह नहीं दे रहा हूँ कि,
मैं ज्यादा समझदार हूँ l
बल्कि इसलिए दे रहा हूँ कि,
मैने जिन्दगीमें गलतियाँ तुमसे ज्यादा की हैं ll

7108
गुजरे इश्ककी गलियोंसे,
और समझदार हो गए...!
कुछ ग़ालिब बने यहाँ,
तो कुछ गुलजार हो गए...!!!

7109
समझदारोंसे मिलिये,
सीखने मिलेगा l
बेवकूफोंसे मिलिये,
सीख मिलेगी ll

7110
दुश्मनी उसकी हैं,
पत्थरसे दिखानेके लिए...
हो समझदार तो,
शीशेकी तरफ मत जाना...

28 January 2021

7101 - 7102 बात तबाह सफ़र बेरूखी तमीज आँस मीठा सच झूठ शायरी

 

7101
झूठी बातपें,
जो वाह करेंगे...
वहीं लोग आपको,
तबाह करेंगे.......

7102
जब-जब मुझे लगा,
मैं तेरे लिये खास हूँ...
तेरी बेरूखीने ये समझा दिया,
मैं झूठी आँसमें हूँ.......

7103
सचको तमीज नहीं,
बात करनेकी;
झूठको देखो,
कितना मीठा बोलता हैं !

7104
जब तक सच,
जूते पहन रहा होता हैं l
तबतक एक झूठ,
आधी दुनियाका,
सफ़र तय कर सकता हैं ll

7105
झूठ इसलिए,
बिक जाता हैं कि...
सचको खरीदनेकी,
सबकी औकात नहीं होती हैं...

27 January 2021

7096 - 7100 दिल दीवाने उम्मीद धूप साया यकीन आईना चौखट साथ सच झूठ शायरी

 

7096
कुछ कह दो झूठ ही कि,
तवक़्क़ो बंधी रहे...
तोड़ो आसरा,
दिल--उम्मीद-वारका...

7097
चाहे सोनेके चौखटमें जड़ दो,
आईना झूठ बोलता ही नहीं...!!

7098
तुम मेरे साथ हो,
ये सच तो नहीं हैं लेकिन...
मैं अगर झूठ बोलूँ तो,
अकेला हो जाऊँ.......

7099
झूठपर उसके,
भरोसा कर लिया;
धूप इतनी थी कि,
साया कर लिया ll
शारिक़ कैफ़ी

7100
हम समझदार भी इतने हैं कि,
उनका झूठ पकड लेते हैं...!
और उनके दीवाने भी इतने हैं,
फिर भी यकीन कर लेते हैं...!!!

26 January 2021

7091 - 7095 दामन आँख इंतज़ार ख्वाब रोशनी काबिल उम्मीद शायरी

 

7091
खाक़--उम्मीदमें उंगलियाँ फिराते,
कोई चिंगारी ढूंढता हूँ...
फिर कोई ख्वाब जलाना हैं,
कि रात रोशनी मांगती हैं.......

7092
उम्मीदका दामन बड़ा पैना हैं,
सुर्ख़ रंग हो गए हाथ मेरे.......

7093
बहुत चमक हैं,
उन आँखोंमें अब भी l
इंतज़ार नहीं बुझा पाया हैं,
उम्मीदकी लौ ll

7094
उससे मैं कुछ पा सकूँ,
ऐसी कहाँ उम्मीद थी...l
ग़म भी वो शायद,
बराए-मेहरबानी दे गया...ll

7095
वो उम्मीद ना कर मुझसे,
जिसके मैं काबिल नहीं l
खुशियाँ मेरे नसीबमें नहीं और,
यूँ बस दिल रखनेके लिए,
मुस्कुरान भी वाज़िब नहीं l
कहते हैं कि उम्मीदपें जीता हैं ज़माना,
वो क्या करे जिसे कोई उम्मीद ही नहीं ll

25 January 2021

7086 - 7090 दीवानगी ख़ुद्दारी हौसला वक़्त क़दम आस उम्मीद शायरी

 

7086
दीवानगी हो, अक़्ल हो,
उम्मीद हो, कि आस...
अपना वही हैं वक़्तपें,
जो काम गया.......

7087
मुझे दुश्मनसे भी ख़ुद्दारीकी,
उम्मीद रहती हैं ;
किसीका भी हो,
सर क़दमोंमें अच्छा नहीं लगता...

7088
दश्त--इम्कांमें कभी,
शक़्ल--चमन बनही गयी...
इस उम्मीद--ख़ाम पर हूँ,
आशियाँ-बर-दोश मैं.......

7089
उम्मीदसे कम,
चश्म--खरीदारमें आए,
हम लोग ज़रा...
देरसे बाजारमें आए.......!

7090
उम्मीद वक़्तका,
सबसे बड़ा सहारा हैं l
ग़र हौसला हैं तो,
हर मौजमें किनारा हैं ll

23 January 2021

7081 - 7085 आँखें चमक ख्वाब लिबास किस्मत उम्मीद शायरी

 

7081
दरवेश इस उम्मीदमें था के,
कोई आँखें पढ़ लेगा...
भूल बैठा के अब ये,
ज़बान समझाता कौन हैं...?

7082
बरखाकी स्याह रातमें,
उम्मीदकी तरह;
निर्भीक जुगनुओंका,
चमकनाभी देखिये ll

7083
यहाँ रोटी नहीं,
उम्मीद सबको जिंदा रखती हैं l
जो सड़कोंपर भी सोते हैं,
सिरहाने ख्वाब रखते हैं ll

7084
तपती रेतपें दौड़ रहा हैं,
दरियाकी उम्मीद लिए...
सदियोंसे इन्सानका,
अपने आपको छलना जारी हैं...

7085
उम्मीदका लिबास, तार तार ही सही...
पर सी लेना चाहिए l
कौन जाने कब किस्मत माँग ले,
इसको सर छुपानेके लिए...ll

22 January 2021

7076 - 7080 दिल अहसास बज़्म जीस्त उम्मीद शायरी

 

7076
दिलसा दिलसे,
दिलके पास रहे तू...
बस यही उम्मीद हैं के,
खास रहे तू.......!

7077
चंद किरनें,
ले आया हूँ तेरे लिए...!
हैं उम्मीदके तेरा,
दिन रोशन रहेगा.......!!!

7078
कभी बादल, कभी बारिश,
कभी उम्मीदके झरने...!
तेरे अहसासने छूकर,
मुझे क्या-क्या बना डाला...!!!

7079
उठता हूँ उसकी बज़्मसे,
जब होके ना उम्मीद...
फिर फिरके देखता हूँ,
कोई अब पुकार ले.......

7080
अपने सीनेसे लगाए हुए,
उम्मीदकी लाश...
मुद्दतों जीस्तको,
नाशाद किया हैं मैंने.......

21 January 2021

7071 - 7075 दिल इंतज़ार वफ़ा बेवफ़ा उल्फ़त साया गली उम्मीद शायरी

 

7071
इतना भी ना-उम्मीद,
दिल--कम-नज़र हो l
मुमकिन नहीं कि,
शाम--अलमकी सहर हो ll

7072
नहीं हैं ना-उम्मीद इक़बाल,
अपनी किश्त--वीरांसे...
ज़रा नम हो तो ये मिट्टी,
बहुत ज़रखेज़ हैं साक़ी.......

7073
यूँ ही तो कोई किसीसे,
जुदा नहीं होता...
वफ़ाकी उम्मीद ना हो तो,
कोई बेवफ़ा नहीं होता.......

7074
उनकी उल्फ़तका यकीं हो,
उनके आनेकी उम्मीद...
हों ये दोनों सूरतें तब हैं,
बहार--इंतज़ार.......

7075
अबके गुज़रो उस गलीसे,
तो जरा ठहर जाना...
उस पीपलके सायेमें मेरी,
उम्मीद अब भी बैठी हैं.......!

20 January 2021

7066 - 7070 दिल वफ़ा इलाज शिकायत इन्तज़ार आरज़ू दर्द गुनाह शम्मा महफिल उम्मीद शायरी

 

7066
किससे उम्मीद करें,
कोई इलाज--दिलकी...
चारागर भी तो बहुत,
दर्दका मारा निकला...!
                    लुत्फ़ु र्रहमान

7067
उम्मीद ऐसी न थी
महफिलके अर्बाब-ए-बसीरतसे
गुनाह-ए-शम्माको भी
जुर्म-ए-परवाना बना देंगे
क़लीम आजिज़

7068
तेरी उम्मीद, तिरा इन्तज़ार,
कबसे हैं...
ना शबको दिनसे शिकायत,
ना दिनको शबसे हैं.......!
                                      फैज़

7069
रही ना ताक़त--गुफ़्तार,
और अगर हो भी तो...
किस उम्मीदपें कहिये की,
आरज़ू क्या हैं.......
ग़ालिब

7070
अब वफ़ाकी उम्मीदभी,
किससे करे भला...
मिटटीके बने लोग,
कागजोमें बिक जाते हैं...!
                  अल्ताफ़ हुसैन हाली