31 May 2018

2821 - 2825 होठ जालिम जिस्म ज़िंदग़ी जनाजा दुनिया शायरी



2821
जमाल यारमे,
रंगोका इम्तियाज तो देख,
सफेद झुठ है,
जालिमके सुर्ख होठोंपर.......

2822
ज़िन्दगीमें ज़िन्दगीसे,
हर चीज़ मिली;
मगर उनके बाद,
फिर ज़िन्दगी मिली...

2823
लेकर आना उसे मेरे जनाजेमे,
एक आखरी हसीन मुलाकात होगी;
मेरे जिस्ममे जान हो मगर,
मेरी जान मेरे जिस्मके पास होगी...!

2824
ज़िंदग़ी ज़ैसे ज़लानी थी,
वैसे ज़ला दी हमने ग़ालिब...
अब धुएँपर बहस क़ैसी और,
राख़पर ऐतराज़ क़ैसा...?


2825
मैं दुनियाके जलनेका,
इंतजाम कर आया,
तू ही इश्क मेरा,
ये खुले आम कह आया...!

30 May 2018

2816 - 2820 दिल मोहब्बत बस्ती पाँव छाले ग़म एहसास तितली ज़ख़्म आहिस्ता चाह फासले अजीब शायरी



2816
चलते चलते मुझसे पूछा,
मेरे पाँवके छालोने,
बस्ती कितनी दूर बसा ली,
दिलमें बसने वालोने !

2817
मोहब्बत एकदम,
ग़मका एहसास होने नहीं देती...
ये तितली बैठती हैं,
ज़ख़्मपर आहिस्ता-आहिस्ता...

2818
शीशेमें डूबकर ,
पीते रहे उस जामको;
कोशिशे तो बहूत की मगर,
भूला पाए एक नामको.......

2819
मिलने की चाह यूँ है की,
अभी जाये आपसे मिलने...
कम्बख्त ये फासले भी,
बडे अजीब हैं.......

2820
नजरे छुपा कर क्या मिलेगा ?
नजरे मिलाओ शायद हम मिल जाएगे !!!

29 May 2018

2811 - 2815 हँस खेल मैख़ाने शराब संजीदा होश मशवरा फ़साना तमाम सोच इबादत शायरी



2811
आए थे हँसते खेलते,
मैख़ानेमें 'फ़िराक़';
जब पी चुके शराब,
तो संजीदा हो गए...!

2812
मुझे तो होश नहीं,
आप मशवरा दीजिये...
कहाँसे छेड़ूँ फ़साना,
कहाँ तमाम करूँ.......!

2813
तेरे पासमें बैठना भी इबादत,
तुझे दूरसे देखना भी इबादत,
माला,  मंतर,  पूजा,  सजदा,
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत...!

2814
अपनी अजमतका नहीं,
खुद तुझे गाफिल एहसास;
बंदगी अपनी जो करता,
तो खुदा हो जाता......!

2815
तुझमें और मुझमें,
फर्क हैं सिर्फ इतना,
तेरा कुछ कुछ हूँ मैं,
और मेरा सब कुछ हैं तू...!

28 May 2018

2806 - 2810 जिंदगी दिल किस्मत लफ्ज़ इत्तेफाक़ जलन फुर्सत मुस्कुरा तकदीर समझ हसरत शायरी



2806
कुछ लोग जिंदगी होते हैं,
कुछ लोग जिंदगीमें होते हैं,
कुछ लोगोंसे जिंदगी होती हैं,
पर कुछ लोग होते हैं तो, जिंदगी होती हैं

2807
लफ्ज़ोंके इत्तेफाक़में,
बदलाव करके देख,
तू देख कर मुस्कुरा,
बस मुस्कुराके देख।

2808
हमे इतनी फुर्सत कहाँ,
कि तकदीरका लिखा देखे,
बस लोगोंकी जलन देख...
हम समझ जाते हैं,
कि अपनी तकदीर बुलंद हैं

2809
उसकी हसरतको,
मेरे दिलमें लिखने वाले,
काश उसको भी,
मेरी किस्मतमें लिखा होता...

2810
चुपकेसे दिल किसीका चुरानेमें हैं मज़ा,
आँखोंसे दिलका हाल सुनानेमें हैं मज़ा;
जितना मज़ा नहीं हैं नुमाइशमें इश्क़की,
उससे ज़्यादा इश्क़ छुपानेमें हैं मज़ा ...!

27 May 2018

2801 - 2805 बारिश चाँद होंठ लफ़्ज़ खामोशी दिल इश्क़ तस्वीर दीदार शायरी


2801
गझल: बशीर बद्र

खुदको इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हो तो भीग जाया कर।

चाँद लाकर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरेसे जगमगाया कर।

दर्द हीरा हैं, दर्द मोती हैं,
दर्द आँखोंसे मत बहाया कर।

कामले कुछ हसीन होंठोसे,
बातों-बातोंमें मुस्कुराया कर।

धूप मायूस लौट जाती हैं,
छतपें किसी बहाने आया कर।

कौन कहता हैं दिल मिलानेको,
कम-से-कम हाथ तो मिलाया कर।

2802
तू सचमुच जुड़ा हैं,
गर मेरी जिंदगीके साथ...
तो कबूल कर मुझको,
मेरी हर कमीके साथ !!!

2803
लफ़्ज़ोंकी प्यास किसे हैं...!
मुझे तो तुम्हारी,
खामोशियोंसे भी इश्क़ हैं.......!

2804
बारिशकी बूंदोंमें,
दिखती हैं तस्वीर तेरी...
आज फिर भीग बैठे,
तुझसे मिलनेकी चाहतमें...!

2805
दीदारकी 'तलब' हो तो,
नज़रे जमाये रखना 'ग़ालिब'...
क्युकी, 'नकाब' हो या,
'नसीब'...सरकता जरुर हैं...!

26 May 2018

2796 - 2800 दिल बेवफ़ा शख्स उम्र नाम दाग दुआ बरबाद खुबसूरत ख़याल क़िस्से शायरी


2796
मैं कैसा हूँ;
ये कोई नहीं जानता,
मैं कैसा नहीं हूँ...
ये तो मेरे शहरका
हर शख्स बता सकता हैं...

2797
वो उम्रभर कहते रहे,
तुम्हारे सीनेमें दिल ही नहीं...
दिलके दौरेसे हुई मौत,
चलो ये दाग भी धो गया...

2798
किस किसका नाम लें,
अपनी बरबादीमें;
बहुत लोग आये थे,
दुआएँ देने शादीमें ...!

2799
किसीने मुझसे कहां,
बहुत खुबसूरत लिखते हो यार,
मैने कहां खुबसूरत मैं नहीं,
वो हैं.......
जिसके लिए हम लिखा करते हैं...!

2800
इस बुलंदीपें कहाँ थे पहले,
अब जो बादल हैं धुआँ थे पहले l

नक़्श मिटते हैं तो आता हैं ख़याल,
रेतपर हम भी कहाँ थे पहले l

अब हर इक शख़्स हैं एजाज़ तलब,
शहरमें चंद मकाँ थे पहले l

आज शहरोंमें हैं जितने ख़तरे,
जंगलोंमें भी कहाँ थे पहले l

लोग यूँ कहते हैं अपने क़िस्से,
जैसे वो शाहजहाँ थे पहले l

टूटकर हम भी मिला करते थे,
बेवफ़ा तुम भी कहाँ थे पहले l

25 May 2018

2791 - 2795 गहरा खयाल ग़ज़ल बात लफ्ज़ जनाजा खोना नाराज कोशिश चर्चा शायरी


2791
लिखना हैं कुछ मुझे भी,
गहरासा फ़राज़ l
जिसे पढ़े कोई भी...
समझ बस तुम जाओ.......!

2792
ग़ज़ल भी मेरी हैं,
पेशकश भी मेरी हैं;
मगर लफ्ज़ोमें छुपके जो बैठी हैं,
वो बात तेरी हैं.......!

2793
वाह् फ़राज़ बड़ी जल्दी,
खयाल आया हमारा।
बस भी करो अब चूमना...
उठने भी दो अब जनाजा मेरा.......!

2794
सुना था... कुछ पानेके लिए,
कुछ खोना पड़ता हैं
पता नहीं... मुझे खोकर,
उसने क्या पाया.......!

2795
कोशिश कर,
खुश सभीको रखनेकी,
कुछ लोगोंकी नाराजगी भी जरूरी हैं,
चर्चामें बने रहनेके लिए ।।

24 May 2018

2786 - 2790 दिल अल्फ़ाज़ कंकर गहरी ख़ामोश मंज़र प्यास मंज़िल शख्स महक खुशबू रूह शायरी


2786
अल्फ़ाज़के कुछ तो,
कंकर फ़ेंको यारो...
यहाँ दिलकी झीलमें,
गहरी ख़ामोशी हैं...।

2787
रख हौंसला वो मंज़र भी आएगा,
प्यासेके पास चलके समंदर भी आएगा,
थक कर बैठ मंज़िलके मुसाफ़िर...
मंज़िल भी मिलेगी, मिलनेका मज़ा भी आएगा !!!

2788
मैं अक्सर ग़मज़दा लोगोंको,
हँसा देता हूँ,
मुझसे कोई मुझसा,
देखा नहीं जाता.......

2789
मुद्दतें हो गयी
कोई शख्स तो अब,
ऐसा मिले फ़राज़।
बाहरसे जो दिखता हो,
अंदर भी वैसा ही मिले...!

2790
खुशबू बनूं तेरी रूहकी,
महका दे तू मुझे l
खो जाऊँ मैं तुझमें,
अपनाले तू मुझे ll

23 May 2018

2781 - 2785 दिल रास्ते एहसास नज़रिया दुआ हीरे खैरियत बात नौबत मुलाक़ात वक़्त तलाश शायरी


2781
हम भी वहीं होते हैं,
रिश्ते भी वहीं होते हैं,
और
रास्ते भी वहीं होते हैं,
बदलता हैं तो बस,
समय, एहसास, और नज़रिया...

2782
आपका मेरा रिश्ता क्या हैं...
मालूम तो हीं;
मगर.......
आपके लिए दुआ माँगना,
अच्छा लगता हैं !!!

2783
अच्छेके साथ अच्छे बने,
पर बुरेके साथ बुरे नहीं...
क्योंकि हीरेसे हीरा,
तराशा जा सकता हैं,
पर कीचड़से कीचड़ साफ,
नहीं किया जा सकता.......

2784
सब आते हैं,
खैरियत पूछने मेरी;
गर तुम जाओ तो,
ये नौबत ही आए.......!

2785
जब दिल उदास हो हमसे बात कर लेना,
जब दिल चाहे मुलाक़ात कर लेना,
रहते हैं आपके दिलके किसी कोनेमें,
वक़्त मिले तो तलाश कर लेना...