6616
कितना आसान था,
बचपनमें सुलाना हमको...
नींद आ जाती थी,
परियोंकी कहानी सुनकर...
भारत भूषण पन्त
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मुद्दतों
बअद,
मयस्सर हुआ माँका
आँचल..
मुद्दतों
बअद हमें,
नींद सुहानी आई.......
इक़बाल अशहर
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मत सोना कभी,
किसीके कन्धे परसर रखकर...
जब ये बिछडते हैं तो,
रेशमके तकियेपरभी नींद नहीं आती.......
6619
पेड़को नींद नहीं
आती,
जबतक आख़री चिड़िया,
घर नहीं आती.......!
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मैं रोना चाहता हूँ,
ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं...
फिर उसके बाद गहरी नींद,
सोना चाहता हूँ मैं.......
फ़रहत एहसास