6636
तेरा मिलना,
मेरे लिए ख़्वाब सहीं...
पर तुझे भूलूँ मैं,
ऐसा कोई लम्हा मेरे पास नहीं...!
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सैलाबके
सैलाब गुजर जाते
हैं,
गिरदाबके
गिरदाब गुजर जाते हैं,
आलमे-हवादिससे परीशाँ क्यों
हो...
यह ख़्वाब हैं और
ख़्वाब गुजर जाते
हैं...
अब्दुल हमीद अदम
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सुनता हूँ बड़े शौकसे,
अफसाना-ए-हस्ती...
कुछ ख़्वाब हैं कुछ अस्ल हैं,
कुछ तर्जे-अदा हैं.......
असगर गौण्डवी
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कुछ हसीं ख़्वाब,
और कुछ आँसू;
उम्र भरकी मेरी,
यही कमाई हैं ll
मजहर इमाम
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ख़्वाब तो वो हैं जिसका,
हकीकतमें भी दीदार हो...
कोई मिले तो इस कदर मिले,
जिसे मुझसे ही नहीं,
मेरी रूहसे भी प्यार
हो.......!