7051
एक उम्मीदसे,
दिल बहलता रहा...
इक तमन्ना,
सताती रहीं रातभर.......
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
7052सरमाया-ए-उम्मीद,हैं क्या पास हमारे...इक आह हैं सीनेमें,सो न-उम्मीद असरसे...
7053
ना पूछना कैसे गुज़रता हैं,
इक पल भी तेरे बिना...
कभी देखनेकी हसरतमें,
कभी मिलनेकी उम्मीदमें...!
7054अभी उसके लौट आनेकी,उम्मीद बाकी हैं...किस तरहसे मैं अपनी,आँखें मूँद लूँ.......
7055
अब के उम्मीदके शोलेसे भी,
आँखें न जलीं...
जाने किस मोड़ पे ले आयी,
मोहब्बत हमको.......