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ना ज़वाब बनक़े मिलना...
ना सवाल बनक़े मिलना...
तू मेरी ज़ान क़्या,
बस ज़ान बनक़े मिलना...
8407तुमसे बिछड़क़र ज़िंदा हैं,ज़ान बहुत शर्मिंदा हैं...इफ़्तिख़ार आरिफ़
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थोड़े गुस्सेवाले,
थोड़े नादाँ हो तुम...!
लेकिन ज़ैसे भी हो,
मेरी ज़ान हो तुम...!!!
8409ज़ान तुझपर क़ुछ,एतिमाद नहीं...ज़िंदग़ानीक़ा,क़्या भरोसा हैं...?सिराज़ुद्दीन अली
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तुम मुझे चाहो या ना चाहो,
इसमें मेरा क़ोई ज़ोर नहीं...l
मेरी ज़ान तो क़्या, मेरी रूह भी,
बस तुम्हारे लिए ही तड़पती हैं...ll