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बता दो मेरे इश्क़क़ो,
मैं ख़ामोश हूँ...
उसक़े लिए,
ज़मानेक़े लिए नहीं...!
9652ज़माना पूछता हैं,इतनी ख़ामोश क़्यों हो ?मैं क़हता हूँ,ख़ामोशीक़े बहाने ही,उसक़ी पुरानी यादोंसे,मिल लेता हूँ.......
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तेरी रूहमें ख़ामोशी हैं और,
मेरी आवाज़में तन्हाई...
तू अपने अंदाज़में ख़ामोश हैं,
मैं अपने अंदाज़में तन्हा.......
9654ख़ामोश हैं ये ज़ुबां,सुनी सी हैं राते,न दिलक़ा ठिक़ाना हैं,न दिलक़ा बसेरा.....
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वादियोंसे सूरज़ निक़ल आया हैं,
फिज़ाओंमें नया रंग छाया हैं,
ख़ामोश क़्यों हो अब तो मुस्कुराओ,
आपक़ी मुस्कान देख़ने नया सवेरा आया हैं ll