23 August 2020

6371 - 6375 असर तन्हा अदा जुदा दर्द दुख ग़लतफ़हमी दवा शायरी

 

6371
मेरे दुखकी कोई,
दवा करो l
मुझको मुझसे अभी,
जुदा करो ll
              सुदर्शन फ़ाख़िर

6372
कुछ दुआ भी तो,
हो मरीज़के नाम...
कब दवाका हुआ,
असर तन्हा.......
एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

6373
उसने मुस्कुराकर,
इस अदासे दवा दी...
ऐसा लगा जैसे,
ग़लतफ़हमीको हवा दी...!

6374
मैं मसीहा उसे समझता हूँ;
जो मेरे दर्दकी दवा न करे ll
मुज़्तर ख़ैराबादी

6375
सर मिरा तनसे,
जुदा करते हैं...
दर्दकी आप,
दवा करते हैं.......!
          गोया फ़क़ीर मोहम्मद

22 August 2020

6366 - 6370 इश्क़ जिन्दगी कोशिश ख्वाहिश प्यार दुआ ज़हर इलाज निगाह वक्त दर्द दवा शायरी

 

6366
दवा दो, दुआ दो,
या सब कुछ वार दो;
कुछ मर्ज ठीक नही होते,
अगर प्यार दो.......!

6367
वो ज़हर देते तो,
सबकी निगाहमें आ जाते...
तो यूँ किया कि मुझे,
वक्तपें दवा ना दी.......
अख्तर निजामी

6368
जिन्दगीने मेरे मर्जका,
एक बढ़िया इलाज बताया...
वक्तको दवा कहा और,
ख्वाहिशोंका परहेज बताया...

6369
दुआ और दवासे,
क्या फ़ायदा होगा...
जिसने इश्क़का,
मर्ज पाल रखा हो...!

6370
ना कर तू इतनी कोशिशें,
मेरे दर्द को समझनेकी...
पहले इश्क़ कर, फिर चोट खा,
फिर लिख दवा मेरे दर्दकी.......!

21 August 2020

6361 - 6365 दिल दुनिया हौसला मुसाफिर वक़्त दर्द दवा शायरी

 

6361
कोई क्यूँ किसीका लुभाए दिल,
कोई क्या किसीसे लगाए दिल;
वो जो बेचते थे दवा--दिल,
वो दुकान अपनी बढ़ा गए...
                         बहादुर शाह ज़फ़र

6362
हौसला मत हार,
गिरकर ऐ मुसाफिर...
अगर दर्द यहाँ मिला हैं तो,
दवा भी यहीं मिलेगी.......

6363
मैं खुद कभी बेचा करता था,
दर्द--दिलकी दवा...
आज वक़्त मुझे अपनी ही,
दुकानपर ले आया.......

6364
इक दर्द-ए-मोहब्बत हैं,
कि जाता नहीं, वर्ना.......
जिस दर्दकी ढूँडे कोई,
दुनियामें दवा हैं.......
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

6365
उल्टी हो गईं सब तदबीरें,
कुछ दवा ने काम किया...
देखा इस बीमारी--दिलने,
आख़िर काम तमाम किया...
                                मीर तक़ी मीर

20 August 2020

6356 - 6360 मजबूर दुआ इश्क़ गुज़ारिश शायरी

 

6356
दुआओंको भी अजीब,
इश्क़ हैं मुझसे यारा...
वो कबूल तक नहीं होती,
मुझसे जुदा होनेके डरसे.......!

6357
नाकाम हैं असरसे,
दुआएँ दुआसे हम...
मजबूर हैं कि,
लड़ नहीं सकते ख़ुदासे हम...
अहसन मारहरवी

6358
उठते नहीं हैं अब तो,
दुआके लिए भी हाथ...
किस दर्जा ना-उमीद हैं,
परवरदिगारसे.......
                   अख़्तर शीरानी

6359
दुआएँ मिल जाये आप सबकी,
बस यही काफी हैं...
दवाएँ तो कीमत अदा करने पर भी,
मिल ही जाती हैं.......

6360
जाते हो... ख़ुदा-हाफ़िज़,
हाँ इतनी गुज़ारिश हैं...
जब याद हम जाएँ,
मिलनेकी दुआ करना.......!
                       जलील मानिकपूरी

19 August 2020

6351 - 6355 जमाने होश दिल दुश्मन वफ़ा चोरी बेखबर रहजन दुआ दवा शायरी

 

6351
हवाएँ बदल गई हैं,
इस कदर जमानेकी...
दुआएँ माँग रहा हूँ,
होशमें आनेकी.......

6352
जिसे 'मैं' की हवा लगी...
उसे फिर न दवा लगी,
न दुआ लगी.......

6353
उस दुश्मन-ए-वफ़ाको,
दुआ दे रहा हूँ मैं;
मेरा हो सका वो,
किसीका तो हो गया ll
                  हफ़ीज़ बनारसी

6354
इक नहीं मांगी खुदासे,
आदमीयतकी रविश...
और हर शै के लिए,
बंदे दुआ करते रहें.......
दीवाना मोहन सिंह

6355
लुटता दिनको,
तो कब रातको यूँ बेखबर सोता...
रहा खटका चोरीका,
दुआ देता हूँ रहजनको.......
                                   मिर्जा गालिब

18 August 2020

6346 - 6350 दिल तमन्ना लब मोहब्बत शौक वफा सजा जुर्म खता अंजाम जिन्दगी दवा शायरी

 

6346
मेरे शौके-सजाका यह,
खौफनाक अंजाम तो देखो...
किसीका जुर्म हो,
अपनी खता मालूम होती हैं...
                           आजाद अंसारी

6347
खंदब-ए-लबसे,
न खो बैठो तुम होश अपने...
अंजाम भी कोई चीज हैं,
मुस्कराहट तो फक़त,
दाखिलेका खत होती हैं...

6348
आग़ाज़-ए-मोहब्बतका,
अंजाम बस इतना हैं...
जब दिलमें तमन्ना थी,
अब दिल ही तमन्ना हैं...!
                      जिगर मुरादाबादी

6349
मौत अंजामे जिन्दगी हैं मगर...
लोग मरते हैं जिन्दगीके लिये...
साहिल मानिकपुरी

6350
उनके कर्जदार और वफादार रहिये,
जो आपके लिए अपना वक्त देते हैं l
क्योकि.......
अंजामकी ख़बर तो कर्णको भी थी,
पर बात दोस्ती निभानेकी थी.......ll

17 August 2020

6341 - 6345 दिल इश्क़ बेवफा निशानी ज़ख़्म मरहम शायरी

 

6341
मरहम लगाइए,
कहीं भर ही जाए...
दिलका ये ज़ख्म,
उसकी आख़री निशानी हैं...

6342
देख लो.......
दिलपर कितने ज़ख़्म हैं !
तुम तो कहते थे,
इश्क़ मरहम हैं.......

6343
यहाँ कोई नहीं मिलेगा,
मरहम लगानेके लिये;
शायरी कर लीजिये,
गम आधा हो जायेगा...!

6344
मेरे ज़ख्मोंपर मरहम भी लगाया,
उसने तो ये कहकर...
जल्दी ठीक हो जाओ,
अभी तो और भी देनें हैं.......

6345
एक बेवफाके जख्मोपें,
मरहम लगाने हम गए...
मरहमकी कसम, मरहम मिला,
मरहमकी जगह मर हम गए.......!

16 August 2020

6336 - 6340 वहम ख्याल मजाक आज़ाद वतन शायरी

 

6336
वतन आज़ाद हुआ,
लोग आज़ाद हुए,
आज़ाद हुए ख्याल...
पर इस वहमसे,
कोई ना आज़ाद हुआ,
तू बड़ा की मैं.......

6337
हर कामकी रिश्वत,
ले रहे अब ये नेता...
कही इन्हीके हाथों,
वतन बिक न जाए...

6338
बाबू लोग वेतनपर और,
बाबा लोग तनपर मर रहे हैं...
जतन कुछ उनके लिए भी करो,
जो रोज़ वतनपर मर रहें हैं.......

6339
ये भी कड़वा मजाक हैं,
मेरे आजाद मुल्कका...
आजादीकी मुबारकबाद,
अंग्रेजीमें देते हैं लोग.......

6340
हम बचाते रह गए,
दीमकसे अपना घर...
कुर्सियोंके चन्द कीड़े,
सारा मुल्क खा गए.......

15 August 2020

6331 - 6335 दिल वक्त नज़र तमन्ना ख्याल मजाक आज़ाद भारत भूमि वतन शायरी

 

6331
सरफरोशीकी तमन्ना, अब हमारे दिलमें हैं ।
देखना हैं जोर कितना, बाजुए कातिलमें हैं ।।
वक्त आने दे, बता देंगे तुझे आसमाँ ।
हम अभी से क्या बताएँ, क्या हमारे दिलमें हैं ।।
                                                   राम प्रसाद बिस्मिल

6332
कस ली हैं कमर अब तो,
कुछ करके दिखाएँगे;
आज़ाद ही हो लेंगे,
या सर ही कटा देंगे ।।
अशफ़ाक उल्ला खाँ

6333
मेरी नज़रोंको ऐसी खुदाई दे,
जिधर भी देखूँ मेरा वतन दिखाई दे !
                                          राहत इंदौरी

6334
जब शहीदोंकी डोली उठे धूमसे,
देशवालों तुम आँसू बहाना नहीं ।
पर मनाओ जब आज़ाद भारतका दिन,
उस घड़ी तुम हमें भूल जाना नहीं ।।
शहीद भगत सिंह

6335
नृत्य करेगी रण प्रांगणमें,
फिर-फिर खंग हमारी आज,
अरि शिर गिराकर यही कहेंगे,
भारत भूमि तुम्हारी आज ।।
             अमर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद

14 August 2020

6326 - 6330 दिल इश्क़ ज़िन्दगी क़र्ज़ फ़िक्र कफन सनम हिज्र नक़ाब सफर वतन शायरी

 

6326
हम ख़ूनकी क़िस्तें तो,
कई दे चुके लेकिन...
ख़ाक-ए-वतन क़र्ज़,
अदा क्यूँ नहीं होता...?

6327
किसे हैं फ़िक्रे वतन,
आज यहाँ पर...
हर कोई अपने आप के लिए,
फ़िक्रमन्द हैं यहाँ.......

6328
सनम तेरे हिज्रमें,
ना सफरके रहे ना वतनके...
गिरे टूकड़े दिलके कहीं,
ना कफनके रहे ना दफनके...!

6329
वतनसे इश्क़ ग़रीबीसे बैर अमनसे प्यार,
सभीने ओढ़ रखे हैं नक़ाब जितने हैं;
समझ सके तो समझ ज़िन्दगीकी उलझनको,
सवाल उतने नहीं हैं जवाब जितने हैं.......
जाँनिसार अख़्तर

6330
मेरे दिलकी हालत भी,
मेरे वतन जैसी हैं...
जिसको दी हुकुमत,
उसीने बर्बाद किया.......

6321 - 6325 दिल समझ ज़िंदगी हिम्मत हुनर ज़ख्म शायरी

 

6321
जो दिलमें हैं,
उसे कहनेकी हिम्मत रखिए;
और जो दुसरोंके दिलमें हैं,
उसे समझनेका हुनर रखिए...!

6122
कुछज़ख्म इंसानके,
कभी नहीँ भरते...
बस इंसान उन्हें छुपानेका,
हुनर सीख जाता हैं.......!

6323
उसे ये कैसे बताताके,
कुछ तो मैं भी हूँ...
के उसने अपने हुनरसे,
कमाल हैं लिया।.......

6324
वो दौर क़रीब आ रहा हैं,
जब दाद-ए-हुनर न मिल सकेगी...
अतहर नफ़ीस

6325
ज़िंदगी कभी आसान नही होती;
इसे आसान बनाना पढ़ता है...
कुछ को नज़रअन्दाज़ करके,
कुछ को बर्दाश्त कर के हैं...

12 August 2020

6316 - 6320 दिल चमक इंतज़ार चिराग ज़िंदगी जमाना हिम्मत हुनर रौशन शायरी

 

6316
हैं चमक तेरी जबींपर,
जरा दिल भी देख जाहिद l
जो जगह हैं रौशनीके लिए,
वहीं रौशनी नहीं ll

6317
किसी रोज़ होगी रौशन,
मेरी भी ज़िंदगी...
इंतज़ार सुबहका नहीं,
किसीके लौट आनेका हैं...!

6318
चिरागसी तासीर
रखिये साहिब...
सोचिये मत कि
घर किसका रौशन हुआ !

6319
रौशन किया घरको,
तेरे आनेकी खबर सुनकर...
जमाना समझ रहा हैं,
हम दिवाली मना रहे हैं...!

6320
मैं वो चिराग हूँ,
जिसको फरोगेहस्तीमें...
करीब सुबह रौशन किया,
बुझा भी दिया.......

11 August 2020

6311 - 6315 याद महफ़ूज़ हकीकत चिराग उजाले रौशनी शायरी

 

6311
जला हैं शहर तो क्या,
कुछ कुछ तो हैं महफ़ूज़...
कहीं ग़ुबार,
कहीं रौशनी सलामत हैं...!
                        फ़ज़ा इब्नएफ़ैज़ी

6312
कारगाहे हयातमें,
यह हकीकत मुझे नजर आई...
हर उजालेमें तीरगी देखी,
हर अंधेरेमें रौशनी पाई.......!
जिगर मुरादाबादी

6313
इन्सानियतकी रौशनी,
गुम हो गई कहाँ...
साए हैं आदमीके,
मगर आदमी कहाँ.......

6314
न खिजाँमें हैं कोई तीरगी,
न बहारमें कोई रौशनी...
ये नजर-नजरके चराग हैं,
कहीं जल गये कहीं बुझ गये...
            शायर लखनवी

6315
घरसे बाहर नहीं निकला जाता,
रौशनी याद दिलाती हैं तिरी.......!
                                    फ़ुज़ैल जाफ़री

10 August 2020

6306 - 6310 ज़िन्दगी मोहब्बत वजूद ख्याल एहसास शायरी

 

6306
चलो आज फेंकते हैं एक कंकड़,
ख्यालोंके दरियामें...
कुछ खलबली तो मचे,
एहसास तो हो, के जिंदा हैं हम...

6307
वजूद शीशेका हो तो,
पत्थरोंसे मोहब्बत नही किया करते l
एहसास-ए-चाहत न मिले तो,
वजूद बिखर जाया करते हैं...ll

6308
हाथ बेशक छूट गया उसका,
मेरे हाथसे.......
एहसास उसका फंसा हैं आज भी,
उंगलियोंमें मेरी.......

6309
मुद्दतों बाद उसे किसीके साथ ख़ुश देखा,
तो ये एहसास हुआ...
काश के हमने उसे,
बहोत पहले छोड़ दिया होता.......

6310
ज़िन्दगी जीनी हैं तो,
तकलीफें तो होंगी... वरना,
मरनेके बाद तो,
जलनेका एहसास भी नहीं होता...

9 August 2020

6301 - 6305 दिल मोहब्बत ज़िन्दगी फासलें जुर्म नसीब मोहब्बत रौशनी एहसास शायरी

 

6301
रौशनी रौशनी सही,
तीरगीमें भी नूर होता हैं...
रूहे एहसास हो लतीफ तो,
हर खलिशमें सरूर मिलता हैं...

6302
एहसासोंके पांव नहीं होते l
फिर भी दिल तक,
पहुंच ही जाते हैं.......ll

6303
जो बिन कहें सून ले,
वो दिलके बेहद करीब होते हैं l
ऐसे नाज़ुक एहसास,
बड़े नसीबसे नसीब होते हैं ll

6304
इसी लिए हमें,
एहसास-ए-जुर्म हैं शायद...
अभी हमारी मोहब्बत,
नई नई हैं ना...
अफ़ज़ल ख़ान

6305
फासलोंका एहसास तब हुआ,
जब मैंने कहा ठीक हूँ और...
उसने मान लिया.......

8 August 2020

6296 - 6300 दिल ज़िन्दगी तूफां हमसफ़र मोहब्बत गम तन्हा आँख ख़्वाब वहम शायरी

 

6296
भूल जाना और भुला देना,
फ़क़त एक वहम हैं...
दिलोंसे कब निकलते हैं वो लोग,
मोहब्बत जिनसे हो जाए...!

6297
क्या जाने उसे वहम हैं,
क्या मेरी तरफ़से...
जो ख़्वाबमें भी रातको,
तन्हा नहीं आता.....
शेख़ इब्राहीम ज़ौक

6298
राहे ज़िन्दगीमें,
यह कहानी सभी की हैं;
हमराज़ कोई और हैं,
हमसफ़र कोई और हैं...

6299
आदमीको सिर्फ वहम हैं,
पास उसके ही इतना गम हैं !
पूछो हंसते हुए चेहरोंसे,
आँख भीतरसे कितनी नम हैं...!

6300
वहम था कि सारा बाग अपना हैं,
तूफांके बाद पता चला...
सूखे पत्तोंपर भी,
हक हवाओंका था.......

7 August 2020

6291 - 6295 दिल इश्क़ मोहब्बत ज़ख़्म ग़म किताब गैर नज़र मुस्कुराहट गवाह शायरी

 

6291
मिरे हबीब,
मिरी मुस्कुराहटोंपें जा;
ख़ुदा-गवाह मुझे,
आज भी तिरा ग़म हैं.......
                                अहमद राही

6292
मुझे जलानेको,
गैरोंके नज़दीक जाना तेरा...
गवाही दे गया,
तुझे इश्क़ हैं मुझसे.......

6293
चेहरा खुली किताब हैं,
पढ़ लीजिए जनाब...
हमसे हमारे ज़ख़्मोंकी,
गवाही मांगिये.......

6294
फ़लक़के चाँद तारे हैं गवाह,
तेरी नज़रका गुस्ताख़...
सरारा हर एक,
चिलमन जला रहा हैं.......

6295
ना पेशी होगी,
ना गवाह होगा...
जो भी उलझेगा मोहब्बतसे,
वो सिर्फ तबाह होगा.......

6 August 2020

6286 - 6290 दिल जान याद एहसास हिचकियाँ नेकियाँ तबाह बेगुनाही मुकर्रर गवाह शायरी


6286
मेरी हिचकियाँ गवाह हैं...
नींद उनकी भी तबाह हैं...!

6287
कुछ नेकियाँ,
ऐसी भी होनी चाहिए...
जिसका खुदके सिवा,
कोई गवाह ना हो.......!

6288
फ़क़त एक चाँद ही गवाह था,
मेरी बेगुनाहीका...
और अदालतने पेशी,
अमावसकी रात मुकर्रर कर दी...

6289
कैसे लड़ूँ मुक़दमा खुदसे,
उसकी यादोंका.......
ये दिल भी वकील उसका !
ये जान भी गवाह उसकी !!!

6290
गवाह मिलते हैं,
लाशें मिलतीं हैं;
इसलिये लोग बेख़ौफ,
एहसासोंका कत्ल करते हैं...