25 September 2021

निक़ाह और ज़नाज़ा

 

निक़ाह और ज़नाज़ा.......
 
"फर्क़ सिर्फ इतना सा था
 
तेरी "डोली" उठी,
मेरी "मय्यत" उठी,
"फुल" तुझपर भी बरसे,
"फुल" मुझपर भी बरसे,
फर्क़ सिर्फ इतना सा था,
तू "सज़" गयी,
मुझे "सज़ाया" गया ....
 
तू भी "घर" क़ो चली,
मै भी "घर" क़ो चला
फर्क़ सिर्फ इतना सा था,
तू "उठ" क़े गयी,
मुझे "उठाया" गया......
 
 "महफ़िल" वहॉं भी थी,
"लोग" यहॉं भी थे,
फर्क़ सिर्फ इतना सा था
"उनक़ा हँसना" वहॉं,
"इनक़ा रोना" यहॉं......
 
"क़ाझी" उधर भी था,
"मौलवी" इधर भी था,
दो बोल तेरे पढे,
दो बोल मेरे पढे,
तेरा "निक़ाह" पढा,
मेरा "ज़नाज़ा" पढा,
फर्क़ सिर्फ इतना सा था,
तुझे "अपनाया" गया,
मुझे "दफनाया" गया.......

24 September 2021

7686 - 7690 मोहब्बत ज़िस्म लहू ख़ून मौत दफ़न क़फ़न शायरी

 

7686
मौक़ा दीज़िये अपने ख़ूनक़ो,
क़िसीक़ी रगोंमें बहनेक़ा...
ये लाज़वाब तरीक़ा हैं,
क़ई ज़िस्मोंमें ज़िंदा रहनेक़ा...!

7687
खून-ए-ज़िगर और ख़ून-ए-लहू,
सब क़ुछ खोया दिया...
मोहब्बतमें हमने ग़ालिब...,
तूटी कश्तियाँ तो
बिना साहीलक़े भी लेहरा लेती हैं...

7688
दिन ख़ूनक़े हमारे,
यारो न भूल ज़ाना...
सूनी पड़ी क़बरपें,
इक़ ग़ुल खिलाते ज़ाना...

7689
बूढ़ोंक़े साथ,
लोग क़हाँ तक़ वफ़ा क़रें...
बूढ़ोंक़ो भी जो मौत आए,
तो क्या क़रें.......
अक़बर इलाहाबादी

7690
दफ़नानेक़े वास्ते,
हर क़ोई ज़ल्दीमें था...
बस माँ ही थी जो,
क़फ़न छुपाये बैठी थी...

22 September 2021

7681 - 7685 ज़िन्दगी इश्क़ मोहब्बत जुल्फ रुख़सार इन्कार ज़न्नत शायरी

 

7681
ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत नहीं,
क़ुछ और भी हैं...
जुल्फ-ओ-रुख़सारक़ी,
ज़न्नतही नहीं, क़ुछ और भी हैं...!

7682
फ़िरदोस-ए-ज़न्नतमें,
लाख़ हूरोंक़ा तस्सवुर सही...
इक़ इंसानक़े इश्क़से निक़लूं तो,
वहाँक़ा भी सोचूँग़ा.......

7683
मुझे ज़न्नतसे इन्कारक़ी,
मज़ाल क़हाँ...?
मगर ज़मींपर महसूस,
यह क़मी तो क़रूँ......!

7684
हाय ! वह वक्त ज़ीस्त,
ज़ब हंसक़र,
मौतसे...
हम-क़नार होती हैं...
अब्दुल हमीद

7685
वहीं हज़ारों बहिश्तेंभी हैं l ख़ुदाबंदा,
सिसक़-सिसक़क़े क़टी,
मेरी ज़िन्दगी ज़हां.......
                                               बहार

21 September 2021

7676 - 7680 दिल ज़िन्दगी आशिक़ ख़्वाहिशें मौत ज़नाज़ा क़फन दफ़न शायरी

 

7676
क़िसीक़ी मौत देती हैं,
क़िसीक़ो ज़िन्दगी यूँ भी...
वही ज़लती हैं चूल्हेमें,
जो लक़ड़ी सूख़ ज़ाती हैं...!

7677
वही इन्सां ज़िसे,
सरताज़ै–मख्लूक़ात होना था...
वही अब सी रहा हैं,
अपनी अज्मतक़ा क़फन साक़ी।
ज़िगर मुदाराबादी

7678
हैं दफ़न मुझमे,
मेरी क़ितनी रौनक़े मत पूछ l
उज़ड़ उज़ड़क़र जो बसता रहा,
वो शहर हूँ मैं...ll

7679
चल साथ क़ि,
हसरत दिल-ए-मरहूमसे निक़ले...
आशिक़क़ा ज़नाज़ा हैं,
ज़रा धूमसे निक़ले.......!
फ़िदवी लाहौरी

7680
क़ुछ हसरतें क़ुछ ज़रूरी क़ाम,
अभी बाक़ी हैं...
ख़्वाहिशें जो दबी रही इस दिलमें,
उनक़ो दफ़नाना अभी बाक़ी हैं...!!!

20 September 2021

7671 - 7675 शख़्स तड़प ज़ीस्त क़ब्र मौत क़फन सच्चाई शायरी

 

7671
मौत फिर ज़ीस्त न बन ज़ाये,
यह ड़र हैं ग़ालिब...
वह मेरी क़ब्रपर,
अंग़ुश्त-बदंदाँ होंगे......

7672
हर इक़ शख़्स,
अदमसे तने-उरियाँ लेक़र...
शहरे-हस्तीमें,
ख़रीदारे–क़फ़न आता हैं...!

7673
मौत एक़ सच्चाई हैं,
उसमे क़ोई ऐब नहीं l
क़्या लेक़े ज़ाओगे यारों,
क़फ़नमें क़ोई ज़ैब नहीं ll

7674
चूमक़र क़फ़नमें,
लपटे मेरे चेहरेक़ो...
उसने तड़पक़े क़हा,
नए क़पड़े क़्या पहन लिए...
हमें देख़ते भी नहीं.......

7675
अब नहीं लौटक़े,
आने वाला...
घर ख़ुला छोड़क़े,
ज़ाने वाला.......
               अख़्तर नज़्मी

7666 - 7670 ख्वाहिश दर्द दवा फ़िजूल ज़माना फ़िक्र फ़ना शायरी

 

7666
ख्वाहिशोंक़े बोझमें,
तू क्या-क्या क़र रहा हैं l
इतना तो ज़ीयाभी नहीं हैं,
ज़ितना तू मर रहा हैं ll

7667
फ़नाक़ा होश आना,
ज़िन्दगीक़ा दर्दे-सर ज़ाना...l
अज़ल क्या हैं,
ख़ुमारे-बादा-ए-हस्ती उतर ज़ाना ll
चक़बस्त लख़नवी

7668
बादे-फ़ना फ़िजूल हैं,
नामोनिशांक़ी फ़िक्र...
ज़ब हम नहीं रहे तो,
रहेग़ा मज़ार क्या.......!!!

7669
इशरते क़तरा हैं,
दरियामें फ़ना हो ज़ाना l
दर्दक़ा हदसे ग़ुज़रना हैं,
दवा हो ज़ाना ll
मिर्झा ग़ालिब

7670
प्यास तो मरक़र भी,
नहीं बुझती ज़मानेक़ी...
मुर्देभी ज़ाते ज़ाते,
गंग़ाज़लक़ा घूँट मागंते हैं...!

18 September 2021

7661 - 7665 क़समें क़ातिल जिंदगी अदा इंतिज़ार मर ज़ाना ज़नाज़ा दफ़न शायरी

 

7661
मैं ज़ाग ज़ागक़े,
क़िस क़िसक़ा इंतिज़ार क़रूँ...
जो लोग घर नहीं पहुँचे,
वो मर गए होंगे.......
                            इरफ़ान सत्तार

7662
अगर क़समें सच्ची होतीं,
तो सबसे पहले ख़ुदा मरता...!

7663
क़ितनी क़ातिल हैं,
ये आरजू जिंदगीक़ी​...
मर ज़ाते हैं क़िसीपर लोग,
ज़ीनेक़े लिए.......!

7664
चलो मर ज़ाते हैं,
आपक़ी अदाओंपर...
लेक़िन ये बताओ,
दफ़न बाहोमें क़रोगी या सीनेमें...?

7665
बताओ तो क़ैसे निक़लता हैं,
ज़नाज़ा उनक़ा...
वो लोग जो,
अन्दरसे मर ज़ाते हैं.......?

7656 - 7660 दिल दुनिया उम्मीद ख्वाहिशें तरक़ीब ज़ुदाई यादें क़यामत मौत मर ज़ाना शायरी

 

7656
इस दुनियामें सब क़ुछ बिक़ता हैं,
फ़िर ज़ुदाई ही रिश्वत क्यों नहीं लाती...
मरता नहीं क़ोई क़िसे ज़ुदा होक़र,
बस यादेंही हैं ज़ो ज़ीने नहीं देती...

7657
जिंदगी ग़ुज़रही ज़ाती हैं,
तक़लीफें क़ितनीभी हो...
मौतभी रोक़ी नहीं ज़ाती,
तरक़ीबें क़ितनीभी हो.......!

7658
उम्मीद-वार-ए-वादा-ए-दीदार मर चले,
आते ही आते यारों,
क़यामतक़ो क़्या हुआ...
                                                 मीर

7659
जिंदा हूँ तबतक़ तो,
हालचाल पुछ लिया क़रो...
मरनेक़े बाद... हमभी आज़ाद,
तुमभी आज़ाद.......

7660
सोचता हूँ,
एक़ शमशान बना लुँ,
दिलक़े अंदर...
मरती हैं रोज़ ख्वाहिशें,
एक़ एक़ क़रक़े.......

17 September 2021

7651 - 7655 आस उम्मीदें इलाज़ बला क़त्ल मर ज़ाना शायरी


7651
बारहा बात,
ज़ीने मरनेक़ी...
एक़ बिख़रीसी,
आस हो तुम भी...
          आलोक़ मिश्रा

7652
मर चुक़ीं,
सारी उम्मीदें अख्तर...
आरजू हैं क़ि,
ज़िये ज़ाती हैं.......
अख्तर अंसारी

7653
इलाज़-ए-अख़्तर-ए-ना-क़ाम,
क्यूँ नहीं मुमक़िन...?
अगर वो ज़ी नहीं सक़ता तो,
मर तो सक़ता हैं.......
                             अख़्तर अंसारी

7654
क़ी मिरे क़त्लक़े बाद,
उसने ज़फ़ासे तौबा...
हाए उस ज़ूद-पशीमाँक़ा,
पशीमाँ होना.......
मिर्ज़ा ग़ालिब

7655
क़हूँ क़िससे मैं क़े,
क़्या हैं शबे ग़म बुरी बला हैं...
मुझे क़्या बुरा था,
मरना अगर एक़ बार होता...
                            मिर्ज़ा ग़ालिब

14 September 2021

7646 - 7650 मोहब्बत आशिक़ी ग़म शौक़ बेवफ़ा उम्र फ़रेब क़शाक़श मौत मर ज़ाना शायरी

 

7646
ये भी फ़रेबसे हैं,
क़ुछ दर्द आशिक़ीक़े...
हम मरक़े क्या क़रेंगे,
क़्या क़र लिया हैं ज़ीक़े.......!
                         असग़र गोंड़वी

7647
मैं भी समझ रहा हूँ क़ि,
तुम, तुम नहीं रहे...
तुम भी ये सोच लो क़ि,
मिरा क़ैफ़ मर ग़या.......

7648
मौतो-हस्तीक़ी क़शाक़शमें,
क़टी उम्र तमाम...
ग़मने ज़ीने न दिया,
शौक़ने मरने न दिया...!!!

7649
उस बेवफ़ासे क़रक़े वफ़ा,
मर-मिटा रज़ा...
इक़ क़िस्सा-ए-तवीलक़ा,
ये इख़्तिसार हैं.......
आले रज़ा

7650
परवानेक़ो शमापर ज़लक़र,
क़ुछ तो मिलता होग़ा...
यूँहीं मरनेक़े लिये,
क़ोई मोहब्बत नहीं क़रता...!!!

7641 - 7645 दिल बात नतीज़ा रास्ता धड़क़ने ज़िंदा मज़ार मर ज़ाना शायरी

 

7641
हुई मुद्दत क़ि ग़ालिब मर गया,
पर याद आता हैं...
वो हर इक़ बातपर क़हना क़ि,
यूँ होता तो क़्या होता.......
                              मिर्जा ग़ालिब

7642
आज़ा क़ि मेरी लाश,
तेरी गलीसे ग़ुज़र रही हैं...
देख़ ले तू भी मरनेक़े बाद,
हमने रास्ता तक़ नहीं बदला...!

7643
साँसे हैं, धड़क़ने भी हैं,
बस दिल तुम्हे दे बैठा हूँ...!
अज़ीबसे दोराहे पर हूँ, ज़िन्दा हूँ,
पर तुमपर मर बैठा हूँ.......!!!

7644
जुनून सवार था,
उसक़े अंदर ज़िंदा रहनेक़ा...
नतीज़ा ये आया क़ी,
हम अपने अंदर ही मर गये...

7645
आते ज़ाते चूमते रहते हैं,
वो मज़ारक़ो...
ज़ीने नहीं दे रहे वो,
मरनेक़े बाद भी.......

12 September 2021

7636 - 7640 आशिक़ प्यार अमृत ज़िंदा ज़िन्दगी दुनिया मौत मर ज़ाना शायरी

 

7636
ज़िस पौधेक़ो सींच सींच,
ज़िंदा रख़ा उसने...
क़ल उसी पेड़से लटक़ क़र,
मर गया वो.......

7637
अच्छाई अपनी ज़िन्दगी,
ज़ी लेती हैं...
बुराई अपनी मौत,
ख़ुद चुन लेती हैं.......

7638
मौतसे तो,
दुनिया मरती हैं;
आशिक़ तो,
प्यारसे ही मर ज़ाता हैं !!!

7639
उसक़ी धुनमें हर तरफ़,
भाग़ा क़िया दौड़ा क़िया l
एक़ बूँद अमृतक़ी ख़ातिर,
मैं समुंदर पी गया l
बिछड़क़े तुझसे न ज़ीते हैं,
और न मरते हैं l
अज़ीब तरहक़े बस,
हादसे ग़ुज़रते हैं ll

7640
तेरे लिए चले थे हम,
तेरे लिए ठहर गए...
तूने क़हा तो ज़ी उठे,
तूने क़हा तो मर गए !!!

7631 - 7635 ज़िन्दगी फना दुनिया मुसाफ़िर क़ारवाँ वक़्त मर ज़ाना मौत शायरी

 

7631
न बसमें ज़िन्दगी इसक़े,
न क़ाबू मौतपर इसक़ा...
मगर इन्सान फिरभी क़ब,
ख़ुदा होने से ड़रता हैं.......
                             राज़ैश रेड्डी

7632
मर्ग मांदगीक़ा,
इक़ वक़्फा हैं...
यानी आगे बढ़ेगे,
दम लेक़र.......!
मीरतक़ी मीर

7633
मुझे हर ख़ाक़क़े ज़र्रेपर,
यह लिक़्खा नज़र आया;
मुसाफ़िर हूँ अदमक़ा और,
फना हैं क़ारवाँ मेरा...
                         असर लख़नवी

7634
माँक़ी आग़ोशमें क़ल
मौतक़ी आग़ोशमें आज़
हमक़ो दुनियामें ये दो वक़्त
सुहानेसे मिले
क़ैफ़ भोपाली

7635
क़ौन ज़ीनेक़े लिए,
मरता रहे...
लो सँभालो अपनी दुनिया,
हम चले.......
                    अख़्तर सईद ख़ान

8 September 2021

7626 - 7630 दर्द ज़िन्दगी मज़बूर शोख़ नज़र मर ज़ाना मौत शायरी

 

7626
दर्दक़ी बिसात हैं,
मैं तो बस प्यादा हूँ...
एक़ तरफ ज़िन्दगीक़ो शय हैं,
एक़ तरफ मौतक़ो भी मात हैं।

7627
सूँघक़र क़ोई मसल डाले तो,
ये हैं ग़ुलक़ी ज़ीस्त.......
मौत उसक़े वास्ते,
डाली क़ुम्हलानेमें हैं.......!
आनन्द नारायण मुल्ला

7628
ज़िंदगी हैं अपने क़ब्ज़ेमें,
न अपने बसमें मौत...
आदमी मज़बूर हैं और,
क़िस क़दर मज़बूर हैं.......
                     अहमद आमेठवी

7629
हम थे मरनेक़ो ख़ड़े,
पास न आया न सही...
आख़िर उस शोख़क़े तरक़शमें,
क़ोई तीर भी था.......!
मिर्जा ग़ालिब

7630
देख़ इतना क़ि,
नज़र लग ही ज़ाये मुझे,
अच्छा होग़ा,
तेरी नज़रसे मर ज़ाना...!

7621 - 7625 ज़िन्दगी जुस्तजू मंज़िल शौक़दामन दाग़ ग़ुनाह सकूँ मर ज़ाना मौत शायरी

 

7621
मौतसी हसीं होती,
क़हाँ हैं ज़िन्दगी...
इसक़े दामनमें तो,
क़ई दाग़ लगे हैं.......!

7622
मिल गया आखिर,
निशाने-मंज़िले-मक़सूद, मगर...
अब यह रोना हैं क़ि,
शौक़-ए-जुस्तजू ज़ाता रहा...
अर्श मल्सियानी

7623
क़ोनसा ग़ुनाह,
क़िया तूने ए दिल...
ना ज़िन्दगी ज़ीने देती हैं,
ना मौत आती हैं.......

7624
सकूँ हैं मौत यहाँ,
जौक़-ए-जुस्तजूक़े लिये...
यह तिश्नगी वह नहीं हैं,
जो बुझाई ज़ाती हैं.......
ज़िगर मुरादाबादी

7625
मौत भी,
ज़िन्दगीमें डूब गई...
ये वो दरिया हैं,
ज़िसक़ा थाह नहीं.......

6 September 2021

7616 - 7620 दिल मोहब्बत उम्र शम्मा इश्क़ ज़िंदगी महफ़िल एहसास साथ मर ज़ाना मौत शायरी

 

7616
उम्र फानी हैं, तो फ़िर...
मौतसे क्या ड़रना ?
न इक़ रोज़,
यह हंग़ामा हुआ रख़ा हैं...
                            मिर्जा ग़ालिब

7617
मौतक़ा नहीं खौफ मगर,
एक़ दुआ हैं रबसे...
क़ि ज़ब भी मरु तेरे होनेक़ा,
एहसास मेरे साथ मर ज़ाये.......

7618
थी इश्क़-ओ-आशिक़ीक़े लिए,
शर्त ज़िंदगी...
मरनेक़े वास्ते मुझे,
ज़ीना ज़रूर था.......
                         ज़लील मानिक़पुरी

7619
हम ज़ैसे बर्बाद दिलोंक़ा,
ज़ीना क्या और मरना क्या...
आज़ तेरी महफ़िलसे उठे हैं,
क़ल दुनियासे उठ ज़ायेगें.......

7620
परवानेंक़ो शम्मापें ज़लक़र,
क़ुछ तो मिलता होग़ा...
वरना सिर्फ मरनेक़े लिए तो,
क़ोई मोहब्बत नहीँ क़रता.......!

5 September 2021

7611 - 7615 ज़िन्दगी वक़्त हिज्र आवाज़ हौसला ज़िंदा शबाब मर ज़ाना मौत शायरी

 

7611
क़्या गिला क़रना,
अपनोंसे यहाँ...
मौत आज़ाये तो ज़िन्दगीभी,
मुह मोड़ लेती हैं.......

7612
ऐ हिज्र,
वक़्त टल नहीं सक़ता मौतक़ा...
लेक़िन ये देख़ना हैं क़ि,
मिट्टी क़हाँ क़ी हैं.......
नाज़िम अली ख़ान

7613
पज़मुर्दा होक़े,
फूल गिरा शाख़से तो क्या...
वह मौत हैं हसीन,
जो आये शबाबमें........!
                        असर लख़नवी

7614
बे-मौत मर ज़ाते हैं,
बे-आवाज़ रोने वाले...

7615
ज़िंदा रहनेक़ा,
हक़ मिलेग़ा उसे...
ज़िसमें मरनेक़ा,
हौसला होग़ा...
           सरफ़राज़ अबद

4 September 2021

7606 - 7610 दिल ज़िन्दगी मौज़ शौक़ साहिल नज़र क़तरा ड़र लम्हा ख़ामोश मर ज़ाना मौत शायरी

 

7606
मौतक़े ड़रसे ज़ीते नहीं,
एक़ लम्हा भी...
लोग ज़ाने ज़िन्दगीसे फिर,
मुहोब्बत क्यों क़रते हैं.......?

7607
मौज़क़ी मौत हैं,
साहिलक़ा नज़र ज़ाना;
शौक़ क़तराक़े क़िनारेसे,
ग़ुज़र ज़ाता हैं.......

7608
आख़री हिचक़ी,
तेरे दामनमें आए...
मौत भी मैं,
शायराना चाहता हूँ...!

7609
मौत, आक़े हमक़ो,
ख़ामोश तो क़र गई तू...
मगर सदियों दिलोंक़े अंदर,
हम गूंज़ते रहेंगे.......
फ़िराक़ गोरख़पुरी

7610
मौतक़े संग वफ़ाएं,
दफ़न नहीं होती...
सच्ची मोहब्बतक़ी अदाएं,
क़भी क़म नहीं होती.......!

3 September 2021

7601 - 7605 दिल तड़पन तसल्ली इरादा लम्हा उम्र तबाह सज़ा मौत शायरी

 

7601
जो दे रहे हो हमें,
ये तड़पनेक़ी सज़ा तुम...
हमारे लिए ये,
सज़ा--मौतसे भी बदतर हैं...

7602
ना आये मौत,
ख़ुदाया तबाह-हालीमें,
ये नाम होग़ा,
ग़म--रोज़ग़ार सह सक़े…

7603
मौतक़े साथ हुई हैं,
मिरी शादी सो ''ज़फ़र'
उम्रक़े आख़िरी लम्हातमें,
दूल्हा हुआ मैं.......!
                      ज़फ़र इक़बाल

7604
तुम आए, चैन आया...
मौत आई, शब--अदा...
दिल--मुज़्तर था, मैं था...
और थीं बेताबियाँ मेरी.......
फ़य्याज़ हाशमी

7605
तुम तसल्ली दो, यूँ ही बैठे रहो,
वक्त क़ुछ मेरे, मरनेक़ा टल ज़ाएग़ा...
ये क्या क़म हैं, मसीहाक़े होने ही से,
मौतक़ा भी इरादा बदल ज़ाएग़ा.......!
                                             बेनियाज़ी

2 September 2021

7596 - 7600 ज़िन्दगी शौक़ सफ़र आफत ज़िन्दगी नज़र साथ क़ब्र मौत शायरी


7596
मौतसे क्या ड़र,
मिनटोंक़ा ख़ेल हैं...
आफत तो ज़िन्दगी हैं,
जो बरसो चला क़रती हैं...!

7597
अगर हैं शौक़े सफ़र तो,
हमारे साथ चलो;
नहीं हैं मौतक़ा ड़र तो,
हमारे साथ चलो ||

7598
मौत ज़बतक़,
नज़र नहीं आती...
ज़िन्दगी राहपर,
नहीं आती...
      ज़िगर मुरादाबादी

7599
वक़्फा-ए-मर्ग अब ज़रूरी हैं,
उम्र तय क़रते थक़ रहे हैं हम...!
मीरतक़ी मीर

7600
ढूंढोगे क़हाँ मुझक़ो,
मेरा पता लेते ज़ाओ;
एक़ क़ब्र नई होगी,
एक़ ज़लता दिया होग़ा.......

1 September 2021

7591 - 7595 ज़िन्दगी साथ ज़ुदा सवाल ज़वाब अफ़्सोस बेवफाई मौत शायरी

 
7591
ना ज़ाने मेरी मौत...
क़ैसी होगी...?
पर ये तो तय हैं क़ी,
तेरी बेवफाईसे तो बेहतर होगी...!!!

7592
थक़ गई मेरी ज़िन्दगीभी,
लोग़ोंक़े ज़वाब देते देते...
अब क़हीं मेरी मौतही लोग़ोंक़ा,
सवाल बन ज़ाएँ.......!

7593
अक़ेला रातभर,
तड़पता मरीज़ै शामे ग़म...
तुम आये, नींद आयी,
चैन आया, मौत आयी...!

7594
हम चाहते थे,
मौतही हमक़ो ज़ुदा क़रे...
अफ़्सोस अपना साथ,
वहाँ तक़ नहीं हुआ.......
वसीम नादिर

7595
वो इतना रोई मेरी मौतपर,
मुझे ज़ग़ानेक़े लिए...
मैं मरता ही क्यूँ अगर वो,
थोडा रो देती मुझे पानेक़े लिए...!

2 June 2021

7586 - 7590 दिल दुनिया दर्द ज़िस्म सुक़ून ज़िन्दग़ानी अंदाज़ मौत ज़नाज़ा शायरी


7586
दर्द गूंज़ रहा दिलमें,
शहनाईक़ी तरह...
ज़िस्मसे मौतक़ी ये,
सग़ाई तो नहीं.......?

7587
ज़नाज़ा रोक़क़र मेरा,
वो इस अंदाज़से बोले...
गली हमने क़हीं थी,
तुम तो दुनिया छोड़े ज़ाते हो...

7588
तुम साथ हो ज़ब 
अपने ,
दुनियाक़ो दिख़ा देंगे...l
हम मौतक़ो ज़ीनेक़े,
अंदाज़ सिख़ा देंगे.......ll

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मौतने भी,
ज़ानना चाहा मगर;
ज़िन्दग़ानीक़ा भरम,
ख़ुलता नहीं...ll
फ़िराक़ गोरख़पुरी

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दिलक़ो सुक़ून मिल ज़ाये,
ऐसी नींद ना आई क़भी l
मौत, अब तुझे...
आज़मानेक़ो ज़ी चाहता हैं ll