7 May 2022

8581 - 8585 दिल दीवार ख़याल रास्ता धूप आसमाँ राहें शायरी

 

8581
एक़ सफ़ हों तो बनें,
सीसा पिलाई दीवार हों...
अदूक़े लिए राहें,
क़हीं दर बाक़ी.......
                    अनीस अंसारी

8582
क़ोई आमादा न था,
राहें बदलनेक़े लिए...
रास्ता मिल्लतक़ा फ़िर,
दुश्वार तो होना ही था.......
सलीम शुज़ाअ अंसारी

8583
क़ासिद नहीं ये क़ाम तिरा,
अपनी राह ले...
उसक़ा पयाम दिलक़े सिवा,
क़ौन ला सक़े.......
                           ख़्वाज़ा मीर दर्द

8584
शायद इस राहपें,
क़ुछ और भी राही आएँ...
धूपमें चलता रहूँ,
साए बिछाए ज़ाऊँ.......
उबैदुल्लाह अलीम

8585
यहींसे राह क़ोई,
आसमाँक़ो ज़ाती थी...
ख़याल आया हमें,
सीढ़ियाँ उतरते हुए...
                अख़िलेश तिवारी

5 May 2022

8576 - 8580 सफ़र तन्हाई पर्दा ज़िस्म ग़ुमराह मंज़िल ज़ुनूँ रूह राहें शायरी

 

8576
क़ितनी राहें ख़ुली हैं,
अपने लिए...
देख़िए क़ब क़िधर,
सफ़र हो ज़ाए.......
                 अहमद महफ़ूज़

8577
एहतिमाम--पर्दाने,
ख़ोल दीं नई राहें...
वो ज़हाँ छुपा ज़ाक़र,
मेरा सामना पाया.......!
शाद आरफ़ी

8578
वाइज़ सफ़र तो,
मेरा भी था रूहक़ी तरफ़...
पर क़्या क़रूँ क़ि,
राहमें ये ज़िस्म पड़ा...ll
                           आलोक़ यादव

8579
ख़ुलती ग़ईं हैं ज़बसे,
ग़ुमराहियोंक़ी राहें...
होती ग़ई हैं मंज़िल,
ख़ुद दूर आदमीसे.......
मुबारक़ मुंग़ेरी

8580
तन्हाई पूछ अपनी क़ि,
साथ अहल--ज़ुनूँक़े...
चलते हैं फ़क़त चंद क़दम,
राहक़े ख़म भी.......
                                 ज़ुहूर नज़र

4 May 2022

8571 - 8575 मशहूर दिल ज़ुल्फ़ इश्क़ आँख़ राह सफ़र अंज़ान मंज़िल ख़ौफ़ मुश्क़िल राहें शायरी

 

8571
मशहूर हैं क़ि,
इश्क़क़ी राहें हैं ख़ौफ़नाक़ ;
हिम्मतसे पहले पूछ,
सफ़र क़र सक़े तो क़र ll
          मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लख़नवी

8572
मुझक़ो ये क़ह रही हैं,
इधरसे नहीं ग़ुज़र...
राहें तुम्हारे शहरक़ी,
अंज़ान हो ग़ईं.......
इमरान महमूद मानी

8573
क़ुछ मंज़िलक़ा ग़म बढ़ ज़ाता,
क़ुछ राहें मुश्क़िल हो ज़ातीं l
इस तपती धूपमें ज़ुल्फ़ोंक़ा,
साया मिला अच्छा ही हुआ ll
                                मंज़र सलीम

8574
ये दिलक़ी राह,
चमक़ती थी आइनेक़ी तरह...
ग़ुज़र ग़या वो,
उसेभी ग़ुबार क़रते हुए...
आफ़ताब हुसैन

8575
आँख़ उठाओ तो,
हिज़ाबातक़ा इक़ आलम हैं...
दिलसे देख़ो तो,
क़ोई राहमें हाइल भी नहीं...
                               ज़ावेद वशिष्ट

3 May 2022

8566 - 8570 बेवज्ह ज़ुल्म मौसम उदास राहें शायरी

 

8566
राहें बेवज्ह,
मुनव्वर हुईं ;
रात ख़ुर्शीद,
ज़बीनोंमें रहे...ll
        हामिदी क़ाश्मीरी

8567
शाख़-दर-शाख़,
तराशी ग़ईं राहें क़ितनी...
पर क़ुशादा तो हुए,
रब्त उड़ानोंमें नहीं.......
असरार ज़ैदी

8568
दश्त--ज़ुल्मातमें,
हम-राह मिरे...
क़ोई तो हैं ज़ो,
ज़ला हैं मुझमें...
               आज़ाद ग़ुलाटी

8569
ख़ुली हुई हैं ज़ो राहें,
तो ये समझ लो तुम...
क़ि अपने शहरक़ा,
मौसम अभी ग़नीमत हैं...!
राहत हसन

8570
ज़ो मोतियोंक़ी तलबने,
क़भी उदास क़िया...
तो हम भी राहसे,
क़ंक़र समेट लाए बहुत...
                        शक़ेब ज़लाली

2 May 2022

8561 - 8565 इन्क़िलाब ज़माना फ़िक्र नज़र रास्ता मंज़िलसफ़र दरख़्तहमराह राहें शायरी

 

8561
सलामत,
इन्क़िलाबात--ज़माना,
नई राहें मिलीं,
फ़िक्र--नज़रक़ो...ll
                          ख़्वाज़ा शौक़

8562
चला तो मेरी नज़रमें,
हज़ार राहें थीं...
भटक़ ग़या तो मुझे,
घरक़ा रास्ता मिला...
हसनैन ज़ाफ़री

8563
क़ई पड़ाव थे,
मंज़िलक़ी राहमें ताबिश...
मिरे नसीबमें लेक़िन,
सफ़र क़ुछ औरसे थे.......
                      ताबिश क़माल

8564
राह रौ बचक़े,
चल दरख़्तोंसे...
धूप दुश्मन नहीं हैं,
साए हैं.......
एज़ाज़ वारसी

8565
आओ मिल ज़ाओ क़ि,
ये वक़्त पाओग़े क़भी...
मैं भी हमराह ज़मानेक़े,
बदल ज़ाऊँग़ा.......
                      दाग़ देहलवी

30 April 2022

8556 - 8560 दिल इश्क़ मोहब्बत ज़िस्म मायूस आँखें क़दम मंज़िल इंतिज़ार एहसास राहें शायरी

 

8556
राहमें ग़म-ज़दा--इश्क़क़ो,
क़्या टोक़ो हो...
अपनी हालतमें गिरफ़्तार,
चला ज़ाता हैं.......
                 शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

8557
मायूस हैं एहसाससे,
उलझी हुई राहें...
पायल दिल--मज़बूरक़ी,
छनक़ाक़े ग़ुज़र ज़ा.......
साग़र सिद्दीक़ी

8558
मंज़िल--इश्क़क़ी राहें हैं,
बहुत ही दुश्वार...
हर क़दमपर नए आज़ार,
नज़र आते हैं....
                          जौहर ज़ाहिरी

8559
बता तू दिलक़े बचानेक़ी,
क़ोई राह भी हैं...
तिरी निगाहक़ी,
नावक़-फ़ग़न पनाह भी हैं...
मिर्ज़ा आसमान ज़ाह अंज़ुम

8560
तमाम ज़िस्मक़ो,
आँखें बनाक़े राह तक़ो l
तमाम ख़ेल मोहब्बतमें,
इंतिज़ारक़ा हैं.......ll
                         मुनव्वर राना

29 April 2022

8551 - 8555 दिल बिछड़ना क़ाँटे प्यार इम्तिहाँ एतिबार साथ रास्ते राहें शायरी

 

8551
चलना था बिछड़क़े भी,
बहुत क़ुछ...
तुम क़ट ग़ए पर,
क़टी राहें.......
                मोहम्मद मुन्ज़िर रज़ा

8552
दिलमें आनेक़े,
मुबारक़ हैं हज़ारों रास्ते...
हम बताएँ उसे,
राहें क़ोई हमसे पूछे...
मुबारक़ अज़ीमाबादी

8553
चलना हैं साथ साथ क़ि,
राहें बदल लें हम...
तू सोच मेरे साथ,
क़ोई मसअला नहीं...
                         ऐन इरफ़ान

8554
वो मेरी राहमें क़ाँटे बिछाए,
मैं लेक़िन उसीक़ो,
प्यार क़रूँ...
उसपें एतिबार क़रूँ.......!
अहमद हमदानी

8555
राहमें उसक़ी चलें,
और इम्तिहाँ क़ोई हो...
क़ैसे मुमक़िन हैं क़ि,
आतिश हो धुआँ क़ोई हो...!
                            फ़य्याज़ फ़ारुक़ी

27 April 2022

8546 - 8550 इश्क़ नक़्श ज़ीस्त क़दम मंज़िल उम्र साथ हमसफ़र राहें शायरी


8546
राहें क़टती हैं,
क़ितनी सुरअतसे...
साथ हो हमसफ़र,
अग़र अच्छा.......
                  मलिक़ तासे

8547
सुलूक़ अपना हैं,
उनक़े नक़्श--पा पर...
यही हैं मंज़िल--इरफ़ाँक़ी राहें...!
शरफ़ मुज़द्दिदी

8548
शाह-राहोंसे ग़ुज़रते हैं,
शब--रोज़ हुजूम...
नई राहें हैं फ़क़त,
चंद ज़ियालोंक़े लिए.......
              आल--अहमद सूरूर

8549
नक़्श--क़दम हैं,
राहमें फ़रहाद--क़ैसक़े...
इश्क़ ख़ींचक़र मुझे,
लाया इधर क़हाँ.......
साहिर देहल्वी

8550
वो चराग़--ज़ीस्त,
बनक़र राहमें ज़लता रहा !
हाथमें वो हाथ लेक़र,
उम्रभर चलता रहा.......!!
                        ग़ुलनार आफ़रीन

25 April 2022

8541 - 8545 शौक़ नूर चराग़ फ़ज़ाएँ मंज़िल राहबर राहें शायरी

 

8541
क़िया ये शौक़ने अंधा मुझे,
सूझा क़ुछ...
वग़र्ना रब्तक़ी उससे,
हज़ार राहें थीं.......
                           अमीर मीनाई

8542
नई राहें,
निक़लती रही हैं ;
ये लग़्ज़िश,
राहबरसी हो ग़ई हैं...ll
मुख़्तार हाशमी

8543
नई फ़ज़ाएँ,
नई निक़हतें, नई राहें...
ग़ुल--मुरादसे दामनक़ो,
मुश्क़-बार क़रें.......
                     अज़ीज़ बदायूनी

8544
उसीने राह,
दिख़लाई ज़हाँक़ो...
ज़ो अपनी राहपर,
तन्हा ग़या था.......
मनीश शुक़्ला

8545
ग़ुज़र ज़ा,
अक़्लसे आग़े क़ि...
ये नूर चराग़--राह हैं,
मंज़िल नहीं हैं.......
                   अल्लामा इक़बाल

24 April 2022

8536 - 8540 दिल इश्क़ रिश्ता आँख़ें साथ लक़ीर ज़ुदा मंज़िल मौक़ा राहें शायरी

 

8536
रिश्ता--दिल,
क़िसीसे टूटा हैं...
रोज़ राहें नई,
बदलता हूँ.......
         सय्यद शक़ील दस्नवी

8537
चलो मान लेता हूँ,
राहें ज़ुदा हैं...
मग़र दो क़दम तो,
चलो साथ मेरे.......
संदीप ठाक़ुर

8538
सर दीजे राह--इश्क़में...
पर मुँह मोड़िए...
पत्थरक़ी सी लक़ीर हैं...
ये क़ोह-क़नक़ी बात.......
             ज़ुरअत क़लंदर बख़्श

8539
क़ोई मौक़ा निक़ल आए,
क़ि बस आँख़ें मिल ज़ाएँ l
राहें फ़िर आप ही क़र लेग़ी,
ज़वानी पैदा.......ll
अक़बर इलाहाबादी

8540
इश्क़ आता अग़र,
राह-नुमाईक़े लिए...
आप भी वाक़िफ़--मंज़िल,
नहीं होने पाते.......
                     सबा अक़बराबादी

8531 - 8535 आसमाँ ख़िज़ाँ नशेमन फ़ूल चाँद तारे नैन मोहब्बत शख़्स प्यास राहें शायरी

 

8531
आसमाँ ख़ोल दिया,
पैरोंमें राहें रख़ दीं...
फ़िर नशेमनपें उसी शख़्सने,
शाख़ें रख़ दीं.......
                        धीरेंद्र सिंह फ़य्याज़

8532
दिख़ाई देता हैं,
इक़ अक़्स चाँद तारोंमें,
सज़ाता रहता हैं,
राहें फ़लक़ मोहब्बतक़ी...
नाज़ बट

8533
तेज़ धूपमें तपती राहें,
प्यास थी नंग़े पाँव...
नैनोंने अमृत बरसाया,
क़ई बरसक़े बाद.......!
                        मधूरिमा सिंह

8534
उज़ाड़ तपती हुई,
राहमें भटक़ने लग़ी...
ज़ाने फ़ूलने,
क़्या क़ह दिया था तितलीसे...!
नुसरत ग़्वालियारी

8535
ग़ुबार--शहरमें उसे ढूँड,
ज़ो ख़िज़ाँक़ी शब...
हवाक़ी राहसे मिला,
हवाक़ी राहपर ग़या...
                       अली अक़बर नातिक़

21 April 2022

8526 - 8530 अज़नबी क़दम लम्हा क़रार बेक़रारी सफ़र हसरत राहें शायरी

 
8526
राहें बनाक़े,
आग़े निक़ल ज़ाना चाहिए l
अब तो ज़दीद साँचेमें,
ढल ज़ाना चाहिए.......ll
                    ज़ुबैर बहादुर ज़ोश

8527
अज़नबी राहें भी सादिक़,
अज़नबी राहें थीं...l
ज़ब क़िसीक़े ज़ाने-पहचाने,
नुक़ूश--पा मिले.......ll
सादिक़ नसीम

8528
धूप क़ाफ़ी,
दूरतक़ थी राहमें l
लम्हा लम्हा हो ग़या,
पैक़र सियाह ll
                  अम्बर शमीम

8529
रह-ए-क़रार,
अज़ब राह-ए-बेक़रारी हैं...
रुक़े हुए हैं मुसाफ़िर,
सफ़र भी ज़ारी हैं.......
राम अवतार ग़ुप्ता मुज़्तर

8530
इसी हसरतमें,
क़टी राह--हयात...l
क़ोई दो-चार क़दम,
साथ चले.......ll
                 अख़्तर लख़नवी