1 January 2018

2156 - 2160 ज़िंदगी मौत शिकायत मंजूर हाँसिल दर काबिल शक्स दुश्मनी मोहब्बत बर्बाद अधूरा लाज़मी शायरी


2156
लोगोंने कुछ दिया,
तो सुनाया भी बहुत कुछ !!
ऐ खुदा...
एक तेरा ही दर हैं,
जहां कभी ताना नहीं मिला

2157
"कौन पूरी तरह काबिल हैं...
कौन पूरी तरह पूरा हैं...
हर एक शक्स कहीं न कहीं...
किसी जगह थोड़ासा अधूरा हैं...

2158
लाज़मी नहीं हैं कि हर किसीको,
मौत ही छूकर निकले....
किसी किसीको छूकर,
ज़िंदगी भी निकल जाती हैं...

2159
शिकायत खुदसे भी हैं
और खुदासे भी,
जो मिलता हैं वो मंजूर नहीं
और जिसे चाहो वो हाँसिल नहीं !

2160
मेरा कुछ ना बिगाड़ सकोगे,
तुम मुझसे दुश्मनी करके,
मुझे बर्बाद करना चाहते हो तो,
मुझसे मोहब्बत कर लो...

2151 - 2155 इश्क दिल मुहबत साँस याद इंतजार महफिल तस्वीर नजर सलाम निगाहें चेहरे मर्जी राज बात खुशबु तसल्ली एहसास शायरी


2151
जब रातको आपकी याद आती हैं,
सितारोंमें आपकी तस्वीर नजर आती हैं,
खोजती हैं निगाहें उस चेहरेको...
यादमें जिसकी सुबह हो जाती हैं.......

2152
उनकी जब मर्जी होती हैं,
वो हमसे बात करते हैं......!
हमारा पागलपन तो देखिये.....!
हम पूरा दिन उनकी मर्जीका
इंतजार करते हैं.......!

2153
यूँ भी तो राज खुल जाऐगा,
अपनी मुहबतका एक दिन...!
महफिलमें हमें छोड़ कर,
सबको जो सलाम करते हो...!!!

2154
चुपकेसे आकर इस दिलमें उतर जाते हो;
साँसोंमें मेरी खुशबु बनके बिखर जाते हो;
कुछ यूँ चला हैं तेरे 'इश्क' का जादू;
सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।

2155
दिलको तसल्ली हैं...
कि वो याद करते हैं
पर बात नहीं करेंगे तो...
एहसास कैसे होगा.......!

30 December 2017

2146 - 2150 दिल ज़िन्दगी बारिश बात याद खुदकुशी उम्मीद आईना जहर राजी खुशी आँसू असर कोशिश वक़्त शायरी


2146
बारिशमें चलनेसे
एक बात याद आई..!!
इंसान जितना संभलके कदम बारिशमें रखता हैं,
उतना संभलकर ज़िन्दगीमें रखे तो
गलतीकी गुन्जाई ही न हो...!

2147
शायरी खुदकुशीका धंधा हैं,
लाश अपनी हैं अपना ही कंधा हैं...
आईना बेचता फिरता हैं शायर,
उस शहरमें जो शहर अंधा हैं...

2148
जहरके असरदार होनेसे,
कुछ नहीं होता,
खुदा भी राजी होना चाहिए,
मौत देनेके लिये !!

2149
हजारो मिठाईयाँ चखी हैं जमानेंमें,
खुशीके आँसूसे मीठा कुछ भी नहीं

2150
कोशिश तो रोज़ करते हैं
के वक़्तसे समझौता करलें...
कम्बख़्त दिलके कोनेमें
छुपी उम्मीद मानती ही नहीं...

29 December 2017

2141 - 2145 मोहब्बत याद हालात परेशां तनहाई फरियाद आबाद तरस होठ मुलाकात अल्फ़ाज़ रात वकालत शायरी


2141
अपने हालातका,
खुद पता नहीं मुझको,
मैने औरोंसे सुना हैं की,
मैं परेशां हूँ आजकल. . .

2142
तनहाईमें फरियाद तो कर सकता हूँ,
वीरानेको आबाद कर सकता हूँ,
जब चाहूँ तुम्हे मिल नहीं सकता,
लेकिन जब चाहूँ तुम्हे याद कर सकता हूँ

2143
तरस गया हूँ अब तो ख़ुदा मैं...
उसे सुननेको।
एक बार उसको कह दो
होठ ही हिला दे.......

2144
ईद भी आ गयी,
तुम ना आये मुलाकातके लिये
हमने चाँद रोका भी था,
एक रातके लिये. . . !

2145
वो अल्फ़ाज़ ही क्या,
जो समझाने पड़े...
हमने मोहब्बत की थी,
कोई वकालत नहीं.......!

28 December 2017

2136 - 2140 दिल जिंदगी ख्वाब शिकायत मजबूर वादे यादें कदम पलक नजरें उम्र शायरी


2136
मजबूर नहीं करेंगे तुझे,
वादे निभानेंके लिए...
बस एक बार आ जा,
अपनी यादें वापस ले जानेके लिए.......।

2137
चलते-चलते मेरे कदम,
हमेशा यहीं सोचते हैं...
कि किस और जाऊँ,
तो तू मिल जाये.......

2138
उलझने क्या बताऊँ,
जिंदगीकी तुझे ...
तेरे ही गले लगकर ...
तेरी ही शिकायत करनी हैं.......

2139
पलकोंको कभी हमने भिगोए ही नहीं,
वो सोचते हैं की हम कभी रोये ही नहीं,
वो पूछते हैं कि ख्वाबोंमें किसे देखते हो ?
और हम हैं की उनकी यादोंमें सोए ही नहीं !

2140
नजरें मिलते ही दिल लगाया नहीं जाता,
हर मिलने वालेको अपना बनाया नहीं जाता,
और जो दिलमें बस जाये एकबार,
उन्हें उम्रभर भुलाया नहीं जाता.......

27 December 2017

2131 - 2135 प्यार इश्क मोहब्बत शिकवे शिकायत उलझ मुकदमा रिश्ते सरहद दीवार पराये शायरी


2131
शिकवे शिकायतमें,
उलझकर रह गई मोहब्बत अपनी,
समझ नहीं आता इश्क किया था,
या कोई मुकदमा लड रहे थे.......

2132
" टूटकर बिखर जाते हैं...
मिट्टीकी दीवारकी तरह वो;
लोग जो खुदसे ज्यादा...
किसी औरसे मोहब्बत किया करते हैं  "

2133
"इश्क करना हैं किसीसे तो,
बेहद कीजिए,
हदें तो सरहदोंकी होती हैं,
दिलोंकी नहीं ।

2134
सख़्त हाथोंसे भी,
छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ...
रिश्ते ज़ोरसे नहीं,
प्यारसे थामे जाते हैं...!

2135
सब कुछ बदला बदला था,
जब बरसो बाद मिले;
हाथ भी न थाम सके वो,
इतने परायेसे लगे . . . ।

26 December 2017

2126 - 2130 दिल जिंदगी दुनियाँ काम खूबसूरत हसीन मुक़द्दर बाज़ार फिक्र मंजिल कदम नसीब दस्तक कतरा वक्त चोट शायरी हैं हीं


2126
किसीके काम ना आए,
तो आदमी क्या हैं....!!
जो अपनी ही फिक्रमें गुजरे,
वो जिंदगी क्या हैं.......!!!

2127
बहुत मिलेंगें हसीन चेहरे ...
इस दुनियाँके बाज़ारमें ;
वो मुक़द्दरसे मिलता हैं ...
जिसका 'दिल' खूबसूरत होता हैं ।

2128
मंजिल मेरे कदमोंसे,
अभी दूर बहुत हैं...
मगर तसल्ली ये हैं कि,
कदम मेरे साथ हैं...!!!

2129
आज फिर दस्तक हुयी हैं
मेरे दरवाजेपर,
देखूँ तो सही नसीब हैं
या कोई मतलबी.......

2130
कतरा कतरा ये वक्त,
पिघलता चला गया...
लगी चोटपें चोट मग़र,
मैं सम्भलता चला गया.......

2121 - 2125 दुनियाँ मोहब्बत हमसफर नसीब इल्ज़ाम दीवार तस्वीर खत्म आँसू हार जीत जागीर समझ तलाश शायरी


2121
किस मुँहसे इल्ज़ाम लगाएं,
बारिशकी बूँदोंपर,
हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी,
मिट्टीकी दीवारोंपर !

2122
सब कुछ लुटा दिया,
उनकी मोहब्बतमें...
कमबख्त आँसू ही ऐसे हैं,
जो खत्म नहीं होते.......

2123
हमसे खेलती रही दुनियाँ,
ताशके पत्तोकी तरह,
जिसने जीता उसने भी फेका...
जिसने हारा उसने भी फेका...

2124
छत कहा थी नसीबमें,
फुटपाथको जागीर समझ बैठे...
गीले चावलमें शक्कर क्या गिरी,
बच्चे खीर समझ बैठे. . . . . . .

2125
तलाशमें बीत गए,
न जाने कितने साल... साहेब,
अब समझे... खुदसे बड़ा,
कोई हमसफर नहीं होता...!

25 December 2017

2116 - 2120 दिल मुहब्बत महक चाहत इन्तहा महफ़िल दर्द ग़म ताबीज सच याद मुमकिन बेवफा अफसोस समझ शायरी


2116
रंगत लाई हैं,
शायरोंकी महफ़िल.....
दर्द भी कितना,
महकता हैं यहाँ...!!

2117
मैने गलेमें सारे "ताबीज"
डालके देखें हैं...
पर जो उनकी "यादों" को रोक सके
वो "धागा" मिला ही नहीं............

2118
भुलाया उनको जाता हैं,
जो दिमागमें बसते हैं l
दिलमें बसने वालोंको,
भूलना नामुमकिन हैं..!!

2119
ग़म नहीं की वो,
बेवफा निकले l
अफसोस हैं कि,
लोग सच निकले !!!

2120
अगर समझ पाते तुम,
मेरी चाहतकी इन्तहा...
तो हम तुमसे नहीं,
तुम हमसे मुहब्बत करते...

23 December 2017

2111 -2115 इश्क़ मुहोब्बत वक्त बारिश बरस आँख करिश्मा बहक तकलीफ आशिक़ नफरत चाँद समझ शायरी


2111
"मत गुजरना रमजानके वक्त,
किसी मस्जिदके पाससे ,
लोग तुम्हें चाँद समझकर...
कहीं रोजा न तोड दे..."

2112
बारिशे तो तेरे बिन भी,
होती हैं मेरे शहरमें, पर...
उन बारिशोमें सिर्फ,
पानी बरसता हैं इश्क़ नहीं....

2113
आँखोंमें तेरी,
कोई करिश्मा ज़रूर हैं l
तू जिसको देखले...
वो बहकता ज़रूर हैं...!!!

2114
जो इश्क़ तकलीफ न दे,
वो इश्क़ कैसा;
और जो इश्क़में तकलीफ न सहे,
वो आशिक़ कैसा.......

2115
ज्यादा कुछ नहीं बदला,
उनके और मेरे बीच,
पहेले नफरत नहीं थी,
अब मुहोब्बत नहीं हैं l

2106 - 2110 जिंदगी फिक्र बेवजह इल्जाम नेक बुरे हुज़ूर दूरियाँ रुतबा अल्फ़ाज़ हालात पहचान फितरत शायरी


2106
सबको फिक्र हैं,
खुदको सही साबित करनेकी,
जैसे ये जिंदगी, जिंदगी नहीं...
कोई इल्जाम हैं....... !!!

2107
ज़रा क़रीब आओ,
तो शायद हमे समझ पाओ...
यह दूरियाँ तो सिर्फ,
गलतफेहमियाँ बढाती हैं.......

2108
जब बेवजह कोई इल्ज़ाम लग जाये,
तो क्या कीजिए ?
हुज़ूर फिर यूँ कीजिए कि,
वो गुनाह कर लीजिये ।।

2109
"रुतबा" तो...
खामोशियोंका होता हैं...
"अल्फ़ाज़" का क्या ?
वो तो बदल जाते हैं, अक्सर
"हालात" देखकर...!!!

2110
नेकने नेक और बुरेने बुरा,
जाना मुझे,
जिसकी जैसी फितरत थी,
उसने उतना ही पहचाना मुझे l

21 December 2017

2101 - 2105 मोहब्बत बेवफ़ाई आँखें पायल बेचैनियाँ करवट तलाश गज़ब ख़ामोश वादा ख़फा निगाहें शायरी


2101
उनको गुजरते देखा,
तो आँखें बंद करली हमने...
पायलकी झंकार क्या उठी,
आँखोंने बगावत कर दी.......

2102
आँखोंके जादुसे,
अभी तुम कहाँ वाकिफ हो ,
हम उसे भी जीना सिखा देते हैं
जिसे मरनेका शौक हो ।

2103
मोहब्बत खो गयी मेरी,
बेवफ़ाईके दलदलमें,
मगर इन पागल आँखोंको,
आज भी उनकी तलाश रहती हैं...

2104
ना करवटें थी
ना बेचैनियाँ थी
क्या गज़बकी नींद थी
मोहब्बतसे पहले...

2105
लब ये ख़ामोश रहेंगे,
ये तो वादा हैं मेरा,
कुछ अगर कह दें निगाहें,
तो ख़फा मत होना.......

19 December 2017

2096 - 2100 वफ़ा उम्मीद मोहब्बत हसरत बात याद जहन शौक अरमान इंतेहा सितम बेवफ़ा सब्र पल ख्वाब याद बात तकलीफ शायरी


2096
नहीं रहा जाता तेरे बिना...
इसीलिए तुझसे बात करते हैं l
वरना हमें भी कोई शौक नहीं हैं,
तुझे यूँ सतानेका.......

2097
अरमान ही बरसो तक,
जला करते हैं,
इंसान तो बस इक पलमे हीं,
खाक हो जाता हैं...

2098
चली आती हैं...
तेरी याद मेरे जहनमें अक्सर...
तुझे हो ना हो...
तेरी यादोंको जरूर मुझसे मोहब्बत हैं...!

2099
"ना पूछ मेरे सब्रकी इंतेहा कहाँ तक हैं,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं,
वफ़ाकी उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना हैं, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं..."

2100
बहुत तकलीफ देता हैं...
ख्वाबोंका,
ख्वाब रह जाना . . .