22 July 2020

6211 - 6215 दिल बरसात बात याद आरज़ू नशा माहताब महफ़िल शराब मय शायरी


6211
हम तो समझे थे कि,
बरसातमें बरसेगी शराब...
आई बरसात तो,
बरसातने दिल तोड़ दिया...
                         सुदर्शन फ़ाकिर

6212
तमाम रात वो पहलूको,
गर्म करता रहा...
किसीकी यादका नश्शा,
शराब जैसा था.......!
अबरार आज़मी

6213
मुद्दतसे आरज़ू हैं,
ख़ुदा वो घड़ी करे...
हम तुम पिएँ जो,
मिलके कहीं एक जा शराब...
                        शैख़ जहूरूद्दीन

6214
भी बचा न कहनेको,
हर बात हो गई...
आओ कहीं शराब पिएँ,
रात हो गई.......
निदा फ़ाज़ली

6215
ग़ालिब छुटी शराब पर,
अब भी कभी कभी पीता हूँ...
रोज़--अब्र ओ,
शब--माहताबमें.......!
                               मिर्ज़ा ग़ालिब

21 July 2020

6206 - 6210 शाम वक्त गम ख़ुशी आदत तरस तनहा याद इलज़ाम तरस आँसू नशा शराब शायरी


6206
शामका वक्त हो,
और शराब ना हो...
इंसानका वक्त,
इतना भी खराब ना हो...!

6207
थोड़ा गम मिला तो घबराके पी गए,
थोड़ी ख़ुशी मिली तो मिलाके पी गए;
यूँ तो हमें न थी ये पीनेकी आदत,
शराबको तनहा देखा तो तरस खाके पी गए ll

6208
नशा हम किया करते हैं,
इलज़ाम शराबको दिया करते हैं,
कसूर शराबका नहीं उनका हैं,
जिनका चहेरा हम ज़ाममें,
तलाश किया करते हैं ll

6209
मैंने तो छोड़ दी थी पर,
रोने लगी शराब...
मैं उसके आँसूओंपें,
तरस खाके पी गया.......

6210
पहले शराब ज़ीस्त थी,
अब ज़ीस्त हैं शराब...
कोई पिला रहा हैं,
पिए ज़ा रहा हूँ मैं.......!
                जिगर मुरादाबादी

20 July 2020

6201 - 6205 दिल इश्क़ ख़ामोशियाँ सब्र मुहब्बत गम बज़्म दुनिया पनाह आँख नयन लब शायरी


6201
लबोंको सी के जो बैठे हैं,
बज़्मे-दुनियामें...
कभी तो उनकी भी,
ख़ामोशियाँ सुनो तो सही...

6202
लबोंतक आकर भी,
जो ज़ुबापर नही आता...
मुहब्बतमें सब्रका,
वो मुक़ाम इश्क़ हैं.......

6203
इशकके चाँदको,
अपनी पनाहमें रहने दो...
आज लबोंको ना खोलो,
बस आँखोंको कहने दो...

6204
सीनए-नय पै जो गुजरती हैं...
वह लबे-नयनवाज क्या जाने...

6205
कल जो अपने थे अब पराये हैं,
क्या सितम आसमाँने ढाये हैं,
दिल दुखा होंठ मुस्कराये हैं,
हमने ऐसे भी गम उठाये हैं ll
                        बेताब अलीपुरी

19 July 2020

6196 - 6200 दिल हसरत गुलफ़ाम लब बोसे शायरी


6196
बोसे अपने,
आरिज़--गुलफ़ामके...!
ला मुझे दे दे,
तिरे किस कामके.......!

6197
धमकाके बोसे लूँगा,
रुख़-ए-रश्क-ए-माहका...
चंदा वसूल होता हैं साहब,
दबावसे.......
अकबर इलाहाबादी

6198
बुझे लबोंपें हैं,
बोसोंकी राख बिखरी हुई;
मैं इस बहारमें,
ये राख भी उड़ा दूँगा...ll
                        साक़ी फ़ारुक़ी

6199
जिस लबके ग़ैर बोसे लें,
उस लबसे शेफ़्ता...
कम्बख़्त गालियाँ भी,
नहीं मेरे वास्ते.......
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

6200
दिल-लगीमें हसरत--दिल,
कुछ निकल जाती तो हैं...
बोसे ले लेते हैं हम,
दो-चार हँसते बोलते.......!
                    अमीरुल्लाह तस्लीम

18 July 2020

6191 - 6195 आशिक़ तलबगार गुनहगार लब होंट शराब बोसे शायरी


6191
नमकीं गोया कबाब हैं,
फीके शराबके...
बोसा हैं तुझ लबाँका,
मज़े-दार चटपटा......!
         आबरू शाह मुबारक

6192
जीमें हैं इतने,
बोसे लीजे कि आज...
महर उसके,
वहाँसे उठ जावे...
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

6193
लब--नाज़ुकके बोसे लूँ तो,
मिस्सी मुँह बनाती हैं l
कफ़--पा को अगर चूमूँ तो,
मेहंदी रंग लाती हैं ll
                          आसी ग़ाज़ीपुरी

6194
एक बोसेके तलबगार हैं हम,
और माँगें तो गुनहगार हैं हम...

6195
बोसेमें होंट उल्टा,
आशिक़का काट खाया ;
तेरा दहन मज़े सीं पुर हैं,
पे हैं कटोरा.......
                 आबरू शाह मुबारक

17 July 2020

6186 - 6190 दिल वक़्त बे-ख़ुदी बेताब ख़ता शौक़ ख़्वाब तस्वीर होंट क़यामत बोसे शायरी


6186
बे-ख़ुदीमें ले लिया,
बोसा ख़ता कीजे मुआफ़...
ये दिल--बेताबकी सारी ख़ता थी,
मैं था.......
                            बहादुर शाह ज़फ़र

6187
क्या क़यामत हैं कि,
आरिज़ उनके नीले पड़ गए...
हमने तो बोसा लिया था,
ख़्वाबमें तस्वीरका.......

6188
उस लबसे मिल ही जाएगा,
बोसा कभी तो हाँ...
शौक़--फ़ुज़ूल ओ,
जुरअत--रिंदाना चाहिए...
                              मिर्ज़ा ग़ालिब

6189
दिखाके जुम्बिश-ए-लब ही,
तमाम कर हमको...
न दे जो बोसा तो,
मुँहसे कहीं जवाब तो दे.......
मिर्ज़ा ग़ालिब

6190
उस वक़्त दिलपें क्यूँके,
कहूँ क्या गुज़र गया...
बोसा लेते लिया तो सही,
लेक मर गया.......
                 आबरू शाह मुबारक

16 July 2020

6181 - 6185 हुस्न बदन तलब लज़्ज़त दौलत आँख ज़बान सुर्ख़ बोसे शायरी


6181
बदनका सारा लहू,
खिंचके गया रुख़पर...
वो एक बोसा,
हमें देके सुर्ख़-रू हैं बहुत...!
                          ज़फ़र इक़बाल

6182
बोसा आँखोंका जो माँगा,
तो वो हँस कर बोले,
देख लो दूरसे खानेके,
ये बादाम नहीं.......!
अमानत लखनवी

6183
बोसा कैसा,
यही ग़नीमत हैं...
कि समझे वो,
लज़्ज़त--दुश्नाम...
            मिर्ज़ा ग़ालिब

6184
क्या ख़ूब तुमने,
ग़ैरको बोसा नहीं दिया...
बसचुप रहो हमारे भी,
मुँहमें ज़बान हैं.......
मिर्ज़ा ग़ालिब

6185
बोसा जो तलब मैंने किया,
हँसके वो बोले,
ये हुस्नकी दौलत हैं,
लुटाई नहीं जाती.......!

15 July 2020

6176 - 6180 दिल जिन्दगी जमाने खामोश होठ गम आस आँखें आँसू दर्द बदन बोसे तबस्सुम शायरी


6176
मेरे दर्दमें निहाँ हैं,
वह निशातेजाविदानी...
कि निचोड़ दू जो आहें,
तो टपक पड़े तबस्सुम...
                नाजिश प्रतापगढ़ी

6177
अभी आस टूटी नहीं हैं खुशीकी,
अभी गम उठानेको जी चाहता हैं...
तबस्सुम हो जिसमें निहाँ जिन्दगीका,
वह आँसू बहानेको जी चाहता हैं.......
अदीब मालीगाँवी

6178
जिसके होठोंपें तबस्सुम हैं, मगर आँखें नम हैं;
उसने गम अपना जमानेसे छुपाया होगा l
जुबां खामोश हैं, लेकिन मेरी आँखोंमें लिखा हैं,
कि हाले-दिल पढ़ा जाता हैं, बतलाया नहीं जाता ll

6179
समझती हैं मआले-गुल,
मगर क्या जोरे-फितरत हैं...
सहर आते ही कलियोंपर,
तबस्सुम आ ही जाता हैं...!

6180
एक बोसा होंटपर फैला,
तबस्सुम बन गया...
जो हरारत थी मिरी,
उसके बदनमें गई.......!
                       काविश बद्री

14 July 2020

6171 - 6175 दिल इक़रार शिकवा इंकार लब गर्दिश बोसे तबस्सुम शायरी


6171
कहा मैंने गुलका हैं,
कितना सबात...
कलीने ये सुनकर,
तबस्सुम किया...
              मीर तक़ी मीर

6172
मेरे लबोंका तबस्सुम तो,
सबने देख लिया...
जो दिलपें बीत रही हैं,
वो कोई क्या जाने.......

6173
इक तबस्सुम,
हजार शिकवोंका...
कितना प्यारा,
जवाब होता हैं...!

6174
ऐसे इक़रारमें इंकारके,
सौ पहलू हैं...
वो तो कहिए कि,
लबोंपें न तबस्सुम आए...!

6175
हर मुसीबतका दिया,
इक तबस्सुमसे जवाब...
इस तरहसे गर्दिशे-दौरांको,
रूलाया मैंने.......

13 July 2020

6166 - 6170 जिन्दगी खुशी अफ़्साने वक्त पैगाम आँख आँसू उम्र लब बोसे तबस्सुम शायरी


6166
आज तबस्सुम,
सबके लबपर...
अफ़्साने हैं,
मेरे तेरे.......
            सूफ़ी तबस्सुम

6167
तबस्सुम उनके लबपर,
एक दिन वक्ते-इताब आया...
उसी दिनसे हमारी,
जिन्दगीमें इन्किलाब आया...

6168
फूल बननेकी खुशीमें,
मुस्कुरायी थी कली...
क्या खबर थी,
यह तबस्सुम मौतका पैगाम हैं...

6169
लबपर तबस्सुम,
आँखोंमें आँसू...
हम लिख रहे हैं,
अफसाना-ए-हस्ती...
तस्कीन मुहम्मद यासीन

6170
बागे-हस्तीमें सबक लें,
फूलसे अहले-नजर जिसने कि...
की उम्र तबस्सुमसे,
बसर खारोंमें.......
                                        कौसर

12 July 2020

6161 - 6165 जिंदगी प्यार लफ्ज बात अजनबी खमोशी लाजिम यक़ीन उम्र अजनबी शायरी


6161
कोई अजनबी खास,
हो रहा हैं...
लगता हैं आज मूझे फिरसे,
प्यार हो रहा हैं.......!

6162
कभी खमोशीका किस्सा खोल दु,
लफ्ज अभी परदा करते हैं हमसे;
कभी बिती बाते समेट भी लू,
अब सभी अपनोमे हम अजनबीसे...

6163
यक़ीन उनको नही आता,
वज़ाहत हम नही करते l
लगता हैं उम्र सारी गुज़र जाएगी,
यूँ ही अजनबी बनकर ll

6164
जिंदगी अब तो तेरा,
हारना लाजिम होगा...
अजनबी बन गये हैं,
साथ निभाने वाले.......

6165
मैं खुद भी अपने लिए,
अजनबी हूँ...
मुझे गैर कहने वाले,
तेरी बातमें दम हैं.......

11 July 2020

6156 - 6160 ज़िंदगी बहार ऐतिबार ज़िक्र दीवार मुफ़लिसी शायरी


6156
बे-ज़री फ़ाक़ा-कशी,
मुफ़लिसी बे-सामानी;
हम फ़क़ीरोंके भी,
हाँ कुछ नहीं और सब कुछ हैं !
         नज़ीर अकबराबादी

6157
मुफ़लिसी सब बहार खोती हैं,
मर्दका ऐतिबार खोती हैं.......
वली मोहम्मद वली

6158
मुफ़लिसोंकी ज़िंदगीका,
ज़िक्र क्या.......
मुफ़लिसीकी मौत भी,
अच्छी नहीं.......
        रियाज़ ख़ैराबादी

6159
घरकी दीवारपें,
कौवे नहीं अच्छे लगते...
मुफ़लिसीमें ये तमाशे,
नहीं अच्छे लगते.......

6160
कहीं बेहतर हैं,
तेरी अमीरीसे मुफलिसी मेरी;
चंद सिक्कोंकी खातिर तूने,
क्या नहीं खोया हैं;
माना नहीं हैं,
मखमलका बिछौना मेरे पास;
पर तू ये बता,
कितनी रातें चैनसे सोया हैं...!

10 July 2020

6151 - 6155 आसमाँ ज़माने ग़म दुनिया आबाद दवा बरसात मुफ़लिसी शायरी


6151
मुफ़लिसी सीं अब ज़मानेका,
रहा कुछ हाल नईं...
आसमाँ चर्ख़ीके जूँ फिरता हैं,
लेकिन माल नईं.......
                       आबरू शाह मुबारक

6152
मुफ़लिसी भूकको,
शहवतसे मिला देती हैं...
गंदुमी लम्समें हैं,
ज़ाइक़ा-ए-नान-ए-जवीं...
अब्दुल अहद

6153
ग़मकी दुनिया,
रहे आबाद शकील...
मुफ़लिसीमें कोई,
जागीर तो हैं.......!
             शकील बदायुनी

6154
मुफ़लिसीमें मिज़ाज शाहाना,
किस मरज़की दवा करे कोई...
यगाना चंगेज़ी

6155
अब ज़मीनोंको बिछाए कि,
फ़लकको ओढ़े...
मुफ़लिसी तो भरी बरसातमें,
बे-घर हुई हैं.......
                            सलीम सिद्दीक़ी

9 July 2020

6146 - 6150 याद उलझन हाल उसूल सजा यादें महसूस प्यार बेपनाह मोहब्बत शायरी


6146
बेपनाह मोहब्बतका,
एक ही उसूल हैं;
मिले या ना मिले,
वो हर हालमें कुबूल हैं ll

6147
बेपनाह मोहब्बतकी,
सजा पाए बैठे हैं...
हासिल ना हुआ कुछ भी,
और सबकुछ लुटाये बैठे हैं...

6148
लिपटकर रह गई उसकी यादें भी,
एक उलझनकी तरह...l
और हम याद करते रहे उसे,
हमेशा बेपनाह मोहब्बतकी तरह...ll

6149
मैने कभी नहीं कहा की,
तू भी मुझे बेपनाह प्यार कर...
बस इतनीसी ख्वाहिश हैं मेरी की,
तू मुझे महसूस तो कर.......!

6150
जब मोहब्बत बेपनाह हो जाए,
तो पनाह कहीं नही मिलती ll

8 July 2020

6141 - 6145 अजब जाल आलम दामन शख्शियत हवस दर्द हाल शायरी


6141
कैफे-निशाते-दर्दका,
आलम पूछिए...
हंसकर गुजार दी हैं,
शबे-गम कभी-कभी...
                  शकील बदायुनी

6142
रस्तेमें हर कदमपें,
खराबात हैं अदम...
यह हाल हैं तो,
किस तरह दामन बचाइए...
अब्दुल हमीद अदम

6143
क्या पूछते हो,
अकबर--शोरीदा-सरका हाल,
ख़ुफ़िया पुलिससे पूछ रहा हैं,
कमरका हाल.......
                        अकबर इलाहाबादी

6144
अजब ये हाल किया,
मिलके मछलियोंने मेरा...
बड़े तपाकसे हाथोंका,
जाल छीन लिया.......!

6145
अजब हाल हैं,
आदमीकी शख्शियतका;
हवस खुदकी उठती हैं,
तवायफ उसको कहता हैं...

7 July 2020

6136 - 6140 दिल मोहब्बत अदा मुस्कुराहट खामोशी गम इज़हार बात याद बहाना हाल शायरी


6136
मुस्कुराहटमें छिपाते हैं,
जो अपने गमोंको...
वो अपनी हालतपें,
औरोंको रूला देते हैं...

6137
इज़हार-ए-याद करूँ या,
पुछू-हाल-ए दिल उनका...
ए दिल कुछ तो बहाना बता,
उनसे बात करनेका.......!

6138
काश लत ना तेरी लगाते.
शायद ये हालत ना होती...
काश के तुम ना मिलते,
हमें मोहब्बत ना होती...

6139
बहुत अलगसा हैं,
मेरे दिलका हाल...
एक तेरी खामोशी,
और मेरे लाखों सवाल...!

6140
मैं बदलते हुए हालातमें,
ढल जाता हूँ.......
और देखने वाले मुझे,
अदाकार समझते हैं.......!

6 July 2020

6131 - 6135 मोहब्बत इब्तिदा पत्थर जमीर इंतिहा मुश्किल शख़्स कोशिश हालात हाल शायरी


6131
इन पत्थरोंके शहरमें,
जीना मुहाल हैं;
हर शख़्स कह रहा हैं,
मुझे देवता कहो...ll

6132
खुदको बिखरने मत देना,
कभी किसी हालमें...
लोग गिरे हुए मकानकी,
ईंटे तक ले जाते हैं.......

6133
पूछा जो हाल शहरका,
तो सर झुकाके कहाँ,
लोग तो जिंदा हैं...
जमीरोंका पता नही.......

6134
हालात-ए-मुल्क देखके,
रोया न गया...
कोशिश तो की पर,
मुँह ढकके सोया न गया...

6135
इब्तिदा वो थी कि,
जीना था मोहब्बतमें मुहाल...
इंतिहा ये हैं कि अब,
मरना भी मुश्किल हो गया...!
                         जिगर मुरादाबादी

5 July 2020

6126 - 6130 दिल देख चाह ख्याल डर हक शाम मोहब्बत खैरियत रौनक जन्नत हकीकत हाल शायरी


6126
बस एक बार ही,
देखा था उनको...
अब मेरा हाल देखने,
लोग आते हैं.......
 
6127
चाहकर भी पूछ नहीं सकते,
हाल उनका...
डर हैं कहीं कह ना दे के,
ये हक तुम्हे किसने दिया ?
 
6128
उन्होने कहा था,
हर शाम हाल पूछा करेंगे;
वो बदल गए हैं, या...
उनके शहरमें शाम नहीं होती.......
 
6129
हाल जब भी पूछो,
खैरियत बताते हो...
लगता हैं,
मोहब्बत छोड़ दी तुमने.......
 
6130
उनको देखेसे जो,
आ जाती हैं मुंहपर रौनक...
वह समझते हैं कि,
बीमारका हाल अच्छा हैं...
हमको मालूम हैं,
जन्नतकी हकीकत, लेकिन...
दिलको खुश रखनेको गालिब,
ये ख्याल अच्छा हैं.......!!!
                             मिर्जा गालिब

4 July 2020

6121 - 6125 दिल प्यार कमबख्त मोहब्बत याद आरज़ू इजाजत हद फिक्र डर हाल शायरी


6121
मेरी आधी फिक्र आधे ग़म तो,
यूँ ही मिट जाते हैं
जब प्यारसे आप मेरा,
हाल पूछ लेती हैं.......!
 
6122
कभी हमसे भी,
पूछ लिया करो हाल-ए-दिल…
कभी हम भी,
ये कह सके कि दुआ हैं आपकी...
 
6123
तुम्हारी यादमें जीनेकी,
आरज़ू हैं अभी...
कुछ अपना हाल सँभालूँ,
अगर इजाजत हो.......!
                      जौन एलिया
 
6124
हाल तो पूछ लू तेरा,
पर डरता हूँ आवाज़से तेरी;
ज़ब ज़ब सुनी हैं,
कमबख्त मोहब्बत ही हुई हैं !!!
 
6125
बे-नियाज़ी हदसे गुज़री,
बंदा-परवर कब तलक...
हम कहेंगे हाल--दिल,
और आप फ़रमावेंगे क्या...!
                       मिर्ज़ा ग़ालिब

3 July 2020

6116 - 6120 मोहब्बत दिल दुनिया अजब बेवफ़ा याद आँखे नग्मा नाज़ ख्वाब किस्मत हाल शायरी


6116
ख्वाब हमारे टूटे तो,
हालात कुछ ऐसी थीं...
आँखे पलपल रोती थीं,
किस्मत हँसती रहती थीं...

6117
हजारों नग्मा-ए-दिलकश,
मुझे आते हैं ऐ बुलबुल...
मगर दुनियाकी हालत देखकर,
चुप हो गया हूँ मैं.......
आसी उल्दानी

6118
इस तौबापर हैं,
नाज़ मुझे इस क़दर...
जो टूट कर शरीक़ हूँ,
खुदके हाल--तबाहमें...

6119
इक अजब हाल हैं,
कि अब उसको...
याद करना भी,
बेवफ़ाई हैं.......
जौन एलिया

6120
तेरा हाल पूछे भी तो,
किस तरह पूछे हम...
सूना हैं मोहब्बत करने वाले,
बोला कम और रोया ज्यादा करते हैं...