8571
मशहूर हैं क़ि,
इश्क़क़ी राहें हैं ख़ौफ़नाक़ ;
हिम्मतसे पहले पूछ,
सफ़र क़र सक़े तो क़र ll
मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लख़नवी
8572मुझक़ो ये क़ह रही हैं,इधरसे नहीं ग़ुज़र...राहें तुम्हारे शहरक़ी,अंज़ान हो ग़ईं.......इमरान महमूद मानी
8573
क़ुछ मंज़िलक़ा ग़म बढ़ ज़ाता,
क़ुछ राहें मुश्क़िल हो ज़ातीं l
इस तपती धूपमें ज़ुल्फ़ोंक़ा,
साया न मिला अच्छा ही हुआ ll
मंज़र सलीम
8574ये दिलक़ी राह,चमक़ती थी आइनेक़ी तरह...ग़ुज़र ग़या वो,उसेभी ग़ुबार क़रते हुए...आफ़ताब हुसैन
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आँख़ उठाओ तो,
हिज़ाबातक़ा इक़ आलम हैं...
दिलसे देख़ो तो,
क़ोई राहमें हाइल भी नहीं...
ज़ावेद वशिष्ट