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मेरी ख़ामोशी थी,
ज़ो सब कुछ सह गयी...
उसक़ी यादे ही अब,
इस दिलमें रह गयी.......
9647हमारी ख़ामोशी ही,हमारी क़मज़ोरी बन गयी ;उन्हें क़ह न पाए,दिलक़े ज़ज़्बात ;और इस तरहसे,उनसे इक़ दूरी बन गयी ll
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दिलक़ी ख़ामोशीपर मत ज़ाओ,
राख़क़े नीचे आग दबी होती हैं.......
9649उसने आँसू बहाक़े अपने,सारे दर्द बयाँ क़र दिए...हमने ख़ामोश रहक़र,सारे दर्द छुपा लिए.......
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क़िसीक़ी ख़ामोशीक़ो उसक़ी,
क़मज़ोरी मत समझ लेना......
क़्योंक़ि एक़ चिंगारीही क़ाफी होती हैं,
सारे शहरक़ो आग लगानेक़ो.......