6501
तेरे वादेपर जिऐं हम,
तो यह जान छूट जाना...
कि खुशीसे मर न जाते,
अगर ऐतबार होता.......
मिर्जा गालिब
6502
यक़ीं उनके वादेपें
लाना पड़ेगा...
ये धोखा तो
दानिस्ता खाना पड़ेगा...
मुनीर भोपाली
6503
नाअहल हैं वह,
अहले-सियासतकी नजरमें...
वादेसे कभी जिसको,
मुकरना नहीं आता.......
जोश मल्सियानी
6504
मैं उसके वादेका,
अब भी यक़ीन
करता हूँ...
हज़ार बार जिसे,
आज़मा लिया मैंने.......
मख़मूर सईदी
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दिन गुज़ारा था,
बड़ी मुश्किलसे...
फिर तिरा वादा-ए-शब,
याद आया.......
नासिर काज़मी