8 April 2020

5696 - 5700 प्यार जिन्दगी जमाने जला खत इश्क़ इंतेहा याद परेशानी सलाह गम किस्मत शायरी


5696
ज़्यादा कुछ नहीं,
बस तेरा साथ चाहिए...
जमानेको जलाने के लिए,
बस इतना ही काफ़ी हैं.......!

5697
हो गए पन्ने अब पिले,
तुम्हारे गुलाबी खतोंके;
लिफाफेका खाली कागजतक इश्क़का,
यादोंके साथ तन्हा होने नही देता...
राहुलसा

5698
परेशानीमें कोई सलाह मांगे,
तो सलाहके साथ अपना साथ भी देना l
क्योकि सलाह गलत हो सकती हैं,
साथ नहीं.......ll

5699
रूठे जो जिन्दगी तो मना लेगे हम,
मिले जो गम तो निभा लेगे हम,
बस तुम साथ रहना मेरे,
रोती आंखोंसे भी मुस्कुरा लेगें हम...

5700
प्यार करने वालोंकी किस्मत खराब होती हैं,
हर वक़्त इंतेहाकी घड़ी साथ होती हैं l
वक़्त मिले तो रिश्तोंकी किताब खोलके देख लेना,
यारी हर रिश्तेसे लाजवाब होती हैं ll

7 April 2020

5691 - 5695 प्यार मंजिल मोहब्बत जिंदगी खुश खुशिया गम फितरत तबियत कफ़न साथ शायरी


5691
जिंदगी एक बारही सही,
लेकिन ऐसे शख्ससे जरूर मिलवाती हैं;
जिसके साथ हम अपना,
सबकुछ बाँटना चाहते हैं...!

5692
जब कोई हाथ और साथ,
दोनों ही छोड़ देता हैं...
तब खुदा कोई कोई,
उंगली पकड़नेवाला भेजही देता हैं...!

5693
उन लोगोके साथ गुजारा हो सकता हैं,
जिनकी तबियत ख़राब हो l
उनके साथ नहीं गुजारा जा सकता,
जिनकी फितरत ख़राब हो...ll

5694
दुनिया बहुत मतलबी हैं,
साथ कोई क्यों देगा ?
मुफ्तका यहाँ कफ़न नहीं मिलता,
तो बिना गमके प्यार कौन देगा...?

5695
साथ दो हमारा जीना हम सिखायेंगे,
मंजिल तुम पाओ रास्ता हम बनायेंगे,
खुश तुम रहो खुशिया हम दिलायेंगे,
तुम बस प्यार बने रहो मोहब्बत हम निभायेंगे !!!

6 April 2020

5686 - 5690 दिल किस्मत मोहब्बत मौजुदगी बेफिक्र सुकून जुनून पल जुस्तजू एहसास साथ शायरी


5686
कल रातकी तरह आजकी रात भी,
गुजर रहीं हैं सूनीसूनी...
पता नहीं किस्मतमें मेरी,
और कितनी राते लिखी हैं खालीखाली...
                                                  भाग्यश्री

5687
तू कलकी तरह,
आज नहीं साथ मेरे,
तो क्या हुआ...?
कैसे बताऊँ तुझे कि,
मोहब्बत तो हम तेरी...
दुरीयोंसे भी करते हैं ll

5688
साथ आपका,
बेफिक्र जीनेका सुकून...
नामौजुदगी आपकी,
सिर्फ और सिर्फ आपके फिक्रका जुनून...
                                                    भाग्यश्री

5689
हर पल तेरा साथ पाऊँ,
इतनी खुशगवार मैं नहीं;
तेरी जुस्तजूसे थक गयी मैं,
क्योंकि खोया हैं तू और कहीं ll
भाग्यश्री

5690
ना हम तेरा साथ माँगते हैं,
ना तुझसे कोई आस रखते हैं...
अब तेरा एहसास ही काफी हैं,
जो दिलको मेरे बहलता हैं...!
                                   भाग्यश्री

5681 - 5685 लकीरें मोहब्बत वक़्त खामोश खुशी खुशबू ख्वाब मंजिल साथ शायरी


5681
लकीरें तो हमारी भी,
बहुत ख़ास हैं...!
तभी तो आप जैसे,
लोग हमारे साथ हैं...!!!

5682
सच्ची मोहब्बत कभी,
खत्म नहीं होती...
बस वक़्तके साथ,
खामोश हो जाती हैं.......

5683
कभी पसंद ना आए साथ हमारा,
तो बयां कर देना;
तुम्हारी खुशी मायने रखती हैं,
हमारा साथ नहीं.......!

5684
बड़ी ही हसीन शाम थी,
वो उनके साथकी,
अब तक खुशबू नहीं गई,
उनके हाथकी...!

5685
ख्वाब मंजिलके,
मत दिखाओ मुझको...
तुम कहाँ तक साथ आओगे...?
ये बताओ मुझको...

3 April 2020

5676 - 5680 खुशियाँ गम इम्तिहान लाजवाब ग़ज़ल कसूर मोहब्बत प्यार बेहिसाब शायरी


5676
कभी है ढेरों खुशियाँ तो,
कभी गम बेहिसाब हैं...
इम्तिहानोंसे भरी जिन्दगी,
इसी लिए लाजवाब हैं.......

5677
बेहिसाब हसरतें पालिए l
जो मिला हैं उसे सम्भालिए ll

5678
एक ग़ज़ल तुम्हारे लिए,
जरूर लिखेंगे...
बेहिसाब उसमें,
तुम्हारा कसूर लिखेंगे...

5679
हवा चुरा ले गयी,
मेरी शायरीकी किताब...
देखो आसमां पढ़के,
रो रहा हैं बेहिसाब...

5680
हम आपकी मोहब्बतका,
क्या खिताब दे,
करते हैं इतना प्यार की,
क्या हिसाब दे.......!

2 April 2020

5671 - 5675 दिल मोहब्बत हिचकी शिकायत साँस जहर हिसाब शायरी


5671
हिसाब अपनी मोहब्बतका,
मैं क्या दूँ...
तुम अपनी हिचकियोंको भी,
कभी गिना करो.......

5672
कैसे करूँ मैं तुम्हारी,
यादोंकी गिनती...
साँसोंका भी कोई,
हिसाब रखता हैं क्या...!

5673
शिकायतोकी पाई पाई,
जोड़कर रखी थी मैंने...
उसने गले लगाकर,
सारा हिसाब बिगाड़ दिया...

5674
जहरका भी अज़ीब हिसाब हैं,
मरने के लिए ज़रासा...
मगर जिंदा रहने के लिए,
बहुत सारा पीना पड़ता हैं...

5675
मुद्दतें हो गयीं,
उनसे हिसाब किये...
क्या पता कितने रह गये हैं,
उनके दिलमें हम.......

31 March 2020

5666 - 5670 दिल वजह सुंदर गलती नकाब लफ्ज़ दुनिया वफा गवाही अदा सितारे चाँद शायरी


5666
मत पुछ मेरे जागनेकी वजह,
-चाँद...
तेरी ही हमशक्ल हैं वो,
जो मुझे सोने नहीं देती...!

5667
बात चली चाँदसे सुंदर कौन हैं...
हम गलतीसे गुलाब कह बैठे;
झुंझलाए वो इस कदर,
झटकेसे नकाब उठा बैठे...!

5668
कहाँसे लाऊँ वो लफ्ज़,
जो सिर्फ तुझे सुनाई दे...
दुनिया देखे अपने चाँदको,
मुझे बस तू ही दिखाई दे...!

5669
मेरी वफाकी गवाही,
सितारे देते रहें...
बस मेरे चाँदको ही,
मुझपें यकीन ना आया...

5670
एक अदा आपकी दिल चुरानेकी,
एक अदा आपकी दिलमें बस जानेकी...
चेहरा आपका चाँद और,
जिद हमारी चाँदको पानेकी.......!

29 March 2020

5661 - 5665 दिल वफ़ा याद मुश्किल होसला आदत सितम इंतिहा गैर क़ाबिल सितम शायरी


5661
पास होकर सितम करना तो,
आदत थी तुम्हारी...
अब यादोमें रहकर क्यों,
जीना मुश्किल करते हो.......

5662
सारे सपने तोड़कर बैठे हैं,
दिलका अरमान छोड़कर बैठे हैं;
ना कीजिये हमसे वफ़ाकी बातें,
अभी-अभी दिलके टुकड़े जोड़कर बैठे हैं...

5663
हर गमने, हर सितमने,
नया होसला दिया...!
मुझको मिटाने वालोने,
मुझको बना दिया.......!

5664
सितमकी इंतिहापर,
चल रही हैं ये दुनिया;
किस ख़ुदापर,
चल रही हैं...?

5665
गैरोंपें हो रही हैं,
हज़ारों नवाज़िशें...
अफ़सोस हम सितमके भी,
क़ाबिल नहीं रहे.......

5656 - 5660 प्यार ज़िन्दगी ज़ख्म मोहब्बत ज़ुर्म बेरुखी बंदगी सितम शायरी


5656
हिसाब-किताब हमसे पूछ,
अब -ज़िन्दगी...
तूने सितम नही गिने,
तो हमने भी ज़ख्म नही गिने...!

5657
जब भी बही खाते निकलेंगे,
तेरे मेरे क़र्ज़के...
तुझपें मेरी मोहब्बत उधार निकलेगी,
और मुझपें तेरे सितम.......!

5658
मुझपर तू जो सितम करती हैं,
बेवफ़ा समझकर...
मैं भुला देता हूँ वो सब कुछ,
तुझे खुदा समझकर.......!

5659
कितने सितम करोगे,
इस टूटे हुए दिल पर...
थक जाओ तो बताना ज़रूर,
मेरा ज़ुर्म क्या था.......

5660
सितमको हमने बेरुखी समझा,
प्यारको हमने बंदगी समझा;
तुम चाहे हमे जो भी समझो,
हमने तो तुम्हे अपनी ज़िन्दगी समझा ll

28 March 2020

5651 - 5655 नाराजगी ग़ज़ल फ़िक़र ज़माने ज़ुल्म ज़ख्म साथ सितम शायरी


5651
नाराजगीका सितम,
इस तरह छाया हुआ हैं की...
समजमें नही रहा हैं,
वो हमसे नाराज हैं या हम उनसे...

5652
ग़ज़लका शेर तो होता हैं,
बस किसी कके लिए;
मगर सितम हैं कि,
सबको सुनाना पड़ता हैं...!

5653
किसे फ़िक़र हैं ज़मानेके,
ज़ुल्मो सितमकी...
दर्द अच्छे लगते हैं,
जब वो ज़ख्मोपें हाथ रखते हैं...

5654
सितम पर सितम,
कर रहे हैं वह मुझपर,
मुझे शायद अपना,
समझने लगे हैं...!

5655
करमके साथ सितम भी,
बलाके रक्खे थे l
हर एक फूलने,
काँटे छुपा के रक्खे थे ll

25 March 2020

5646 - 5650 प्यार जिंदगी मौत उम्मीद बात चाहत महबूब धड़कन तन्हाई जुदाई वफ़ा शायरी


5646
कभी कभी वो,
मेरे बारेमें सोंचेगी ज़रूर...
के हासिल होनेकी उम्मीद भी नहीं,
फिर भी वफ़ा करता था.......!

5647
किसी और के बाहोंमें रहकर,
वो हमसे वफ़ाकी बात करते हैं...
ये कैसी चाहत हैं यारों,
वो बेवफ़ा हैं जानकर भी...
हम उन्हींसे ही प्यार करते हैं...!

5648
देखके तेरी आँखोंमें,
पल पल जिया हूँ मैं;
तुझे देख किसीके बाहोंमें,
हर पल मरा हूँ मैं;
साथ तेरा जब तक था,
जिंदगीसे वफ़ा मैं करता था;
अब साथ नही जब तेरा,
मैं वफ़ा मौतसे करता हूँ...

5649
मेरे अलावा किसी और को,
अपना महबूब बनाकर देख ले...
तेरी हर धड़कन कहेगी,
उसकी वफ़ामें कुछ और बात थी...

5650
तेरे होते हुए भी तन्हाई मिली हैं,
वफ़ा करके भी देखो बुराई मिली हैं,
जितनी दुआ की तुम्हे पाने की...
उससे ज़यादा तेरी जुदाई मिली हैं...