7656
इस दुनियामें सब क़ुछ बिक़ता हैं,
फ़िर ज़ुदाई ही रिश्वत क्यों नहीं लाती...
मरता नहीं क़ोई क़िसे ज़ुदा होक़र,
बस यादेंही हैं ज़ो ज़ीने नहीं देती...
7657जिंदगी ग़ुज़रही ज़ाती हैं,तक़लीफें क़ितनीभी हो...मौतभी रोक़ी नहीं ज़ाती,तरक़ीबें क़ितनीभी हो.......!
7658
उम्मीद-वार-ए-वादा-ए-दीदार मर चले,
आते ही आते यारों,
क़यामतक़ो क़्या हुआ...
मीर
7659जिंदा हूँ तबतक़ तो,हालचाल पुछ लिया क़रो...मरनेक़े बाद... हमभी आज़ाद,तुमभी आज़ाद.......
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सोचता हूँ,
एक़ शमशान बना लुँ,
दिलक़े अंदर...
मरती हैं रोज़ ख्वाहिशें,
एक़ एक़ क़रक़े.......
मरती हैं रोज़ ख्वाहिशें,
एक़ एक़ क़रक़े.......