6 March 2017

1054 दिल प्रेम धारा बह चर्चा महफ़िल शायरी


1054
प्रेमकी धारा बहती,
जिस दिलमें,
चर्चा होती उसकी,
हर महफ़िलमें...!

No comments:

Post a Comment