6711
अगर मुहब्बत उनकी,
कमालकी न होती...
तो मेरे हाथोंकी मेहँदीभी,
यूँ लाल न होती.......!
6712तेरे हाथोंके मेहँदीका,रंग गहरा लाल हैं...क्योंकि मेरे इश्क़का,चाहत बेमिसाल हैं.......!
6713
अपने हाथोंकी लकीरोंमें,
मुझको बसाले...
ये मुमकिन नहीं तो,
मेहँदीमें मुझको रचाले...
6714
हाथोंकी
मेहँदी,
गालोंपर
निखर कर आई
हैं ;
तेरे लबोंकी लालीने,
यह महफ़िल सजाई हैं ll
6715
मेहँदीका रंग चढ़ा,
ऐसे मेरे हाथोंमें...
जैसे तेरी इश्क़ चढ़ा था,
मेरी साँसोंमें.......!