31 January 2022

8166 - 8170 इंसान इश्क़ मुक़द्दर समझ ख़्वाहिशें ख़िलाफ़ क़सम अफ़साने क़िस्से बदनाम शायरी

 

8166
मैं तो फिर भी इंसान हूँ,
लोग तो ख़्वाहिशें पूरी ना होनेपर,
ख़ुदाक़ो भी,
बदनाम क़िया क़रते हैं.......

8167
बदनाम क़रते हैं लोग,
मुझे ज़िसक़े नामसे...
क़सम ख़ुदाक़ी ज़ी भरक़े,
क़भी उसक़ो देखा भी नहीं...

8168
तेरी बदनामीक़े क़िस्से,
हमारे पास भी क़म नहीं हैं, पर...
क़िसीक़े मुँहसे तेरे ख़िलाफ़ सुन सक़े,
अभी हमारे पास वो दम नहीं हैं.......

8169
बहुत बदनाम हो ज़ाता,
यहाँ मेरा मुक़द्दर ;
क़िसीक़ी बद्दुआने लगक़े,
मेरी लाज़ रख़ली ;
यूँ तो तल्ख़ था,
बेहद दर्द नाक़ामियोंक़ा ;
पर इनक़ो तेरी निशानी समझक़र,
अपने साथ रख़ ली.......ll

8170
फिर अफ़सानेमें तेरा नाम आया,
मेरे हिस्से बेरुखीक़ा ज़ाम आया l
तेरे इश्क़ने बख़्शी हैं बदनामी,
मैं लौट अपने घर नाक़ाम आया ll

8161 - 8165 ज़िस्म ज़िंदगी प्यार चाहत इश्क़ क़ोशिश नाक़ाम मोहब्बत बर्बाद बदनाम शायरी

 

8161
ना क़र सक़ो,
ऐसा क़ोई क़ाम मत क़रना...
ज़िस्मक़ी चाहतमें इश्क़क़ो,
बदनाम मत क़रना.......

8162
चाहतने कुछ इस तरह,
बर्बाद हमे क़िया...
गलतीक़ी उन्होंने मगर,
बदनाम हमें क़िया.......

8163
तुम ज़ाओ छोड़क़े,
तो क़ोई गम नहीं...
मैं तुम्हें बदनाम क़रु,
इतने बुरे भी हम नहीं...!

8164
मेरे सच्चे प्यारक़ो,
ठुक़राक़र वो चल दिए...
बदनाम क़र मुझे,
ज़िंदगीमें तबाही मचा गए...

8165
नाक़ाम हो गईं,
क़ोशिशें सारी मेरी...
बदनाम भी हो गई,
मोहब्बत मेरी.......

29 January 2022

8156 - 8160 दुनिया याद मंज़ूर मयखाने ज़माने इश्क़ मोहोब्बत इज़्ज़त बदनाम शायरी

 

8156
ये जो मोहोब्बतक़ो,
बदनाम क़रते हैं...
सच तो ये हैं क़ी,
इन्हे क़भी क़िसीसे,
मोहोब्बत हुई ही नहीं...

8157
बदनाम होना भी मंज़ूर हैं,
दुनियासे मुंह मोड़ना भी मंज़ूर हैं...
तू दे अगर थोड़ासा सुक़ून मुझे,
तो मौत भी मुझे मंज़ूर हैं.......

8158
इतने बदनाम हुए, हम तो इस ज़मानेमें...
लगेंगी आपक़ो सदियाँ, हमें भुलानेमें...
पीनेक़ा सलीक़ा, पिलानेक़ा शऊर...
ऐसे भी लोग चले आये हैं मयखानेमें.......
                                       गोपाल दास नीरज़

8159
यारों, यादोंसे उसक़ी,
मेरा पीछा छुड़ाना...
क़मबख्त बदनाम,
क़र रहा हैं उसक़ा याराना...

8160
तेरे इश्क़में हुए हैं,
हम बदनाम...
अब शहरमें अपनी,
इज़्ज़त नहीं रही.......

8151 - 8155 इश्क़ मोहब्बत दर्द आवारगी गलती आशिक़ ज़हाँ सज़दा ज़िंदगी महसूस बदनाम शायरी


8151
गलती मनचले,
आशिक़ों क़ी थी...
बदनामी सारे ज़हाँमें,
इश्क़क़ी हुई.......

8152
मुझे देख़क़र नजरें झुक़ाना,
और यूँ मुस्क़ुरा देना...
मुझे बदनाम ही क़र देगा,
तेरा मेरे घर आना.......

8153
हमारी आवारगीक़ो,
यूँ तो बदनाम क़रो...
निक़लते थे तेरी गलीसे तो,
चोख़टक़ो तेरी सज़दा क़रक़े.......

8154
साथी अगर सही हो तो,
हर मुश्क़िल पार होती हैं l
वरना ज़िंदगी तो भीतर से ही,
बदनाम सी महसूस होती हैं ll

8155
मोहब्बत तो ज़ीनेक़ा नाम हैं,
मोहब्बत तो यूँ ही बदनाम हैं...
एक़ बार मोहब्बत क़रक़े तो देख़ो,
मोहब्बत हर दर्द पिनेक़ा नाम हैं...!

28 January 2022

8146 - 8150 क़िस्सा प्यार पलक़े आँख़े इश्क़ नशा मोहब्बत शाम बदनाम शायरी

 

8146
अब ये क़िस्सा,
बड़ा आम सा हैं...
इश्क़में जो सच्चा हैं,
वहीं बदनाम सा हैं...!

8147
प्यार तबतक़ क़रेंगे,
ज़बतक़ शाम हो...
चल ऐसी ज़गह ज़हाँ,
तू बदनाम हो.......

8148
मिसाल देंगे लोग,
हमारी मोहब्बतक़ी...
जो बदनाम होक़र भी,
क़ामयाब होगी.......!

8149
नशा तो उसक़ी,
आँख़ोंमें हैं...!
क़ाज़ल तो यूँ ही,
बदनाम हुआ हैं...!!!

8150
पलक़े झुक़ाक़े,
शाम क़र गये...!
वो मुझे इस तरह,
बदनाम क़र गये...!!!
                   अफ़शा नाज़

26 January 2022

8141 - 8145 मोहब्बत नाम एहसास साथ फ़रेब दुनिया रहबर माहौल ज़माना ख़ुदा शायरी

 

8141
ख़ुदा क़रे वो मोहब्बत,
जो तेरे नामसे हैं...
हज़ार साल गुज़रनेपें भी,
ज़वान ही रहे.......

8142
ख़ुदा ऐसे एहसासक़ा नाम हैं...
रहे सामने और दिख़ाई दे...!
बशीर बद्र

8143
साथ रख़िए क़ाम आएग़ा,
बहुत नाम--ख़ुदा...
ख़ौफ़ ग़र ज़ाग़ा तो फ़िर,
क़िसक़ो सदा दी ज़ाएग़ी.......

8144
ख़ुदाक़े नामपें,
क़्या क़्या फ़रेब देते हैं...
ज़माना-साज़ ये रहबर भी,
मैं भी दुनिया भी.......
मंसूर उस्मानी

8145
ख़ुदाबंदा मेरी ग़ुमराहियोंपर,
दरग़ुज़र फ़रमां...
मैं उस माहौलमें रहता हूँ,
ज़िसक़ा नाम दुनिया हैं.......
                              अक़बर हैंदरी

24 January 2022

8136 - 8140 रिश्ते इश्क़ मशहूर ज़ज़्बात सज़ा राहत शाम बहाना चराग मोड़ मुक़ाम नाम शायरी

 

8136
अपने ज़ज़्बातक़ो,
नाहक़ ही सज़ा देती हूँ ;
होते ही शाम चरागोंक़ो,
बुझा देती हूँ ;
ज़ब राहतक़ा,
मिलता ना बहाना क़ोई,;
लिख़ती हूँ हथेलीपें नाम तेरा,
और लिख़क़े मिटा देती हूँ...

8137
मुसहफ़ी तुर्बतक़ा,
मिरी नाम लेना...
ग़र पूछे तो क़हियो क़ि,
हैं दरग़ाह क़िसीक़ी.......!
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

8138
नाम लेवा तुम्हारा हैं तरज़ी,
आदमीक़ी तरह मिलो प्यारे...
                         अब्दुल मन्नान तरज़ी

8139
हर मोड़क़ा क़ोई,
मुक़ाम नहीं होता...
क़ुछ रिश्ते होते हैं दिलसे दिलक़े,
मग़र उनक़ा क़ोई नाम नहीं होता...

8140
इश्क़क़ा नाम,
ग़रचे हैं मशहूर...
मैं तअज़्ज़ुबमें हूँ,
क़ि क़्या शय हैं.......
          सिराज़ औरंग़ाबादी

22 January 2022

8131 - 8135 तारीफ़ बदनाम मंज़िल ख़्वाब नाराज़ शख़्स ज़माना नाम शायरी

 

8131
मेरी तारीफ़ क़रे,
या मुझे बदनाम क़रे ;
ज़िसने जो बात भी क़रनी हैं,
सर--आम क़रे ll
                          मक़बूल आमिर

8132
दिलने क़िस मंज़िल--बे-नाममें छोड़ा था मुझे,
रातभर ख़ुद मिरे सायेने भी ढूँडा था मुझ,
मुझक़ो हसरतक़ी हक़ीक़तमें देख़ा उसक़ो,
उसक़ो नाराज़ग़ी क़्यूँ ख़्वाबमें देख़ा था मुझे ll

8133
अब नाम नहीं,
क़ामक़ा क़ाएल हैं ज़माना...
अब नाम क़िसी शख़्सक़ा,
रावन मिलेग़ा.......
                     अनवर ज़लालपुरी

8134
बेनाम सा ये दर्द,
ठहर क़्यों नहीं ज़ाता...
ज़ो बीत ग़या हैं,
वो ग़ुज़र क़्यों नहीं ज़ाता...?

8135
ख़ैरसे रहता हैं,
रौशन नाम--नेक़,
हश्र तक़ ज़लता हैं,
नेक़ीक़ा चराग़...
              ज़हींर देहलवी

8126 - 8130 सितमग़र मोहब्बत नसीब क़रार अंज़ाम दिल ख्वाब नाम शायरी

 

8126
नाम पानीपें लिख़नेसे क़्या फ़ाएदा,
लिख़ते लिख़ते तिरे हाथ थक़ ज़ाएँग़े...
                                          बशीर बद्र

8127
नाम तेरा भी रहेग़ा,
सितमग़र बाक़ी...
ज़ब हैं फ़िरऔन,
चंग़ेज़क़ा लश्क़र बाक़ी....
अनीस अंसारी

8128
क़रार दिलक़ो सदा,
ज़िसक़े नामसे आया l
वो आया भी तो,
क़िसी और क़ामसे आया...ll
                      ज़माल एहसानी

8129
तू ना निभा सक़ी तो क़्या.
मैं अपनी मोहब्बतक़ो अंज़ाम दूंग़ा...
तुझसे मिलना ना हुआ नसीबमें तो क़्या,
मैं अपनी औलादक़ो तेरा नाम दूंग़.......

8130
तेरे नामसे ज़ानी ज़ाऊ,
ऐसा कुछ हो ज़ाए...
मेरे ख्वाबोंमें ही सही,
तेरा मेरा नाम जुड़ ज़ाए...!!!

21 January 2022

8121 - 8125 ज़िंदग़ी चाहत ख़ुशी ग़म वफ़ा फ़ना मौत तराना नफ़स मोहब्बत होंट नाम शायरी

 

8121
इसीक़ा नाम,
शायद ज़िंदग़ी हैं...
ख़ुशीक़ी इक़ घड़ी तो,
इक़ ग़मीक़ी.......
                 अमज़द नज़मी

8122
चलो अपनी चाहते नीलाम क़रते हैं,
मोहब्बतक़ा सौदा सरे आम क़रते हैं,
तुम क़ेवल अपना साथ हमारे नाम क़र दो,
हम अपनी ज़िंदगी तुम्हारे नाम क़रते हैं ll

8123
छुपें हैं लाख़ हक़क़े मरहले,
ग़ुमनाम होंटोंपर...
उसीक़ी बात चल ज़ाती हैं,
ज़िसक़ा नाम चलता हैं...
                         शक़ील बदायुनी

8124
वफ़ाक़ा नाम तो,
पीछे लिया हैं...
क़हा था तुमने,
इससे पेशतर क़्या...?
बेख़ुद देहलवी

8125
फ़ना हीं क़ा हैं,
बक़ा नाम दूसरा अंज़ुम...
नफ़सक़ी आमद--शुद,
मौतक़ा तराना हैं.......!
                   महावीर परशाद अंज़ुम

19 January 2022

8116 - 8120 सुबह शाम शोर रिश्ता ज़माने दुनिया क़यामत ख़ुशबू पुक़ार नाम शायरी

 

8116
गो अपने हज़ार नाम रख़ लूँ,
पर अपने सिवा मैं और क़्या हूँ...
                                    जौन एलिया

8117
अब रख़, चाहे तोड़ दे इसे,
ये दिल तेरे नाम रहेग़ा...
तू क़ह, चाहे या मत क़ह,
ये दिल तो तुझे,
अपना सुबह शाम क़हेग़ा...!

8118
रख़ दिया ख़ल्क़ने,
नाम उसक़ा क़यामत--ज़ेब,
क़ोई फ़ित्ना जो ज़मानेसे,
उठाया ग़या...
                            ज़ेब उस्मानिया

8119
आपसी रिश्तोंक़ी ख़ुशबूक़ो,
क़ोई नाम दो...
इस तक़द्दुसक़ो,
क़ाग़ज़पर उतारा ज़ाए...
महेंद्र प्रताप चाँद

8120
हर तरफ़ शोर,
उसी नामक़ा हैं दुनियामें...
क़ोई उसक़ो जो पुक़ारे,
तो पुक़ारे क़ैसे.......?
                           ज़ावेद अख़्तर

18 January 2022

8111 - 8115 मोहब्बत वफा इक़रार शौक़ रिश्ता ज़िंदग़ी तन्हाई ज़माने ख़ंज़र नाम शायरी

 

8111
पहले बड़ी रग़बत थी,
तिरे नामसे मुझक़ो...
अब सुनक़े तिरा नाम,
मैं क़ुछ सोच रहा हूँ...
             अब्दुल हमीद अदम

8112
शौक़ हैं तुझक़ो,
ज़मानेमें तिरा नाम रहे...
और मुझे डर हैं,
मोहब्बत मिरी बदनाम हो...
सरवर आलम राज़

8113
बैठा हूँ आज़,
क़ुछ रिश्तोंक़ा हिसाब क़रने,
अग़र वफाओंमें तुझे रख़ दिया,
तो बाक़ी रिश्ते नाराज़ हो ज़ाएंग़े ll

8114
क़ितने ग़ुलशन क़ि सजे थे,
मिरे इक़रारक़े नाम...
क़ितने ख़ंज़र क़ि मिरी,
एक़ नहीं पर चमक़े.......
शहबाज़ ख़्वाज़ा

8115
ज़िंदग़ी शायद,
इसीक़ा नाम हैं...
दूरियाँ, मज़बूरियाँ,
तन्हाइयाँ.......
                   क़ैफ़ भोपाली