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तेरी मर्ज़ीसे ढ़ल ज़ाऊं,
हर बार ये मुमक़िन नहीं...
मेरा भी वज़ूद हैं,
मैं क़ोई आईना नहीं.......
7692मैं तो क़ुछ भी नहीं, तेरे बिन...तू तो सार हैं, मेरी क़हानीक़ा lतेरा वज़ूद समंदरसे भी बड़ा हैं,मैं बस क़तरा हूँ पानीक़ा...ll
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मिरा वज़ूद,
मिरी रूहक़ो पुक़ारता हैं l
तिरी तरफ़ भी चलूँ तो,
ठहर ठहर जाऊँ.......ll
अहमद नदीम क़ासमी
7694हम एक़ फ़िक़्रक़े पैक़र हैं,इक़ ख़यालक़े फूल...तिरा वज़ूद नहीं हैं,तो मेरा साया नहीं.......फ़ारिग़ बुख़ारी
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तिरा वज़ूद ग़वाही हैं,
मेरे होनेक़ी...
मैं अपनी ज़ातसे,
इंक़ार क़िस तरह क़रता...
फ़रहत शहज़ाद