6526
दिलपर दस्तक देने,
कौन आ निकला हैं...
किसकी आहट सुनता,
हूँ वीरानेमें.......
गुलज़ार
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आज भी नक़्श
हैं दिलपर,
तिरी आहटके निशाँ...
हमने उस राहसे,
औरोंको गुज़रने न दिया...!
अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन
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नींद आए तो अचानक,
तिरी आहट सुन लूँ...
जाग उठ्ठूँ तो बदनसे,
तिरी ख़ुश्बू आए.......!
शहज़ाद अहमद
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आहटें सुन रहा
हूँ यादोंकी,
आज भी अपने
इंतिज़ारमें गुम...
रसा चुग़ताई
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कोई हलचल हैं,
न आहट न सदा हैं कोई...
दिलकी दहलीज़पें,
चुप-चाप खड़ा हैं कोई...
ख़ुर्शीद
अहमद जामी