6811
अब मुमकिन न होगा,
वापसीका सफर...
हम तो निकल चुके हैं,
आँखसे आँसूकी तरह.......
6812
नींदमें
भी बहने लगते
हैं,
हमारे आँख़ोंसे आँसू ;
जब कभी तुम
ख़्वाबोंमें,
मेरा हाथ छोंड़
देते हो...
6813
बहता आँसू एक झलकमें,
कितने रूप दिखाएगा...
आँखसे होकर गाल भिगोकर,
मिट्टीमें मिल जाएगा.......
6814
बह जाती काश
यादेंभी,
आँसुओंके
साथ...l
तो एक दिन
हम भी,
रो लेते तसल्लीसे
बैठकर...ll
6815
जो तेरी यादमें,
मोती बनकर बह गए...
वो आँसू जो चुपचाप,
सब कुछ कह
गए....