27 September 2020

6546 - 6550 दिल मोहब्बत खफ़ा गजब कायनात रफ़्तार खबर ख्यालात क़सम शायरी

 

6546
तुम्हें कितनी मोहब्बत हैं,
मालूम नहीं......
मगर मुझे लोग आज भी,
तेरी क़सम देके मना लेते हैं...!!!

6547
हमारे घरसे जाना मुस्कुराकर,
फिर ये फ़रमाना...
तुम्हें मेरी क़सम,
देखो मिरी रफ़्तार कैसी हैं...
हसन बरेलवी

6548
ज़र्रा ज़र्रा कायनातका,
वाकिफ़ था, उसके ख्यालातोसे...
बस क़ हमे खबर होती तो,
क़समसे क्या बात थी.......

6549
खफ़ा भी हो तो,
मुंह मोड़कर नहीं जाना;
तुझे क़सम हैं,
मुझे छोड़क़र नहीं जाना...

6550
हम भी क्या,
गजबके पागल थे...
उसकी झूठी क़समोके लिए,
अपने कीमती दिल हार बैठे.......

26 September 2020

6541 - 6545 दिल प्यार ज़ुल्म मोहब्बत रुकसत वक़्त कारवाँ शायर आह शायरी

 

6541
मेरी आहका तुम,
असर देख लेना...
वो आएँगे थामे जिगर,
देख लेना.......!

6542
मुफ़्तमें नहीं मिलता यहाँ कुछ यारों...
जब दिलसे आह निकलती हैं,
तो ही लोगोंकी वाह निकलती हैं...!
एक ऐसा भी वक़्त होता हैं,
मुस्कुराहट भी आह होती हैं.......!!!
जिगर मुरादाबादी

6543
इधरसे भी हैं,
सिवा कुछ उधरकी मजबूरी...
कि हम ने आह तो की,
उनसे आह भी हुई.......
                      जिगर मुरादाबादी

6544
मैं ज़ुल्मते शबमें ले के निकलूंगा,
अपने दर मांदा कारवाँको;
शरर फ़शां होगी आह मेरी,
नफ़स मेरा शोला बार होगा...

6545
शायरोसे क्या पुछते हो,
शायरी क्या होती हैं...
दरदे दिलसे,
आह जो निकल आती हैं...
प्यार करने वालोसे पुछो,
मुहब्बत क्या होती हैं...
टूटे दिलसे पुछो,
अपनोंसे रुकसत क्या होती हैं.......

25 September 2020

6536 - 6540 आलम क़स्में इंतिज़ार ख़ामोशी आवाज़ ज़ुल्फ़ महक पलक क़दम आहट शायरी

 

6536
जिसे आनेकी,
क़स्में मैं दे के आया हूँ;
उसीके क़दमोंकी आहटका,
इंतिज़ार भी हैं.......
                          जावेद नसीमी

6537
ये ज़ुल्फ़-बर-दोश कौन आया,
ये किसकी आहटसे गुल खिले हैं...!
महक रही हैं फ़ज़ा-ए-हस्ती,
तमाम आलम बहारसा हैं.......!!!

6538
कोई आवाज़, आहट...
कोई हलचल हैं.....
ऐसी ख़ामोशीसे गुज़रे तो,
गुज़र जाएँगे.......
         अलीना इतरत

6539
किसने मेरी पलकोंपे.
तितलियोंके पर रखे...
आज अपनी आहट भी,
देर तक सुनाई दी.......!
बशीर बद्र

6540
इस अँधेरेमें,
इक गाम भी रुकना यारो...
अब तो इक दूसरेकी,
आहटें काम आएँगी.......
                       राजेन्द्र मनचंदा बानी

6531 - 6535 दिल साया महसूस बात लफ़्ज़ ख़ामोशी बेगाना आहट शायरी

 

6531
आहटसी कोई आए तो,
लगता हैं कि तुम हो...
साया कोई लहराए तो,
लगता हैं कि तुम हो...!
                    जाँ निसार अख़्तर

6532
जब ज़रा रात हुई और,
महओ अंजुम आए...
बार-हा दिलने,
ये महसूस किया तुम आए...
असद भोपाली

6533
मैंने दिन रात ख़ुदासे,
ये दुआ माँगी थी...
कोई आहट हो,
दरपर मिरे जब तू आए...
                           बशीर बद्र

6534
ख़ामोशीमें चाहे जितना,
बेगानापन हो...
लेकिन इक आहट,
जानी-पहचानी होती हैं...!
भारत भूषण पन्त

6535
आहट भी अगर की तो,
तह--ज़ात नहीं की...
लफ़्ज़ोंने कई दिनसे,
कोई बात नहीं की.......
                        जावेद नासिर

23 September 2020

6526 - 6530 दिल इंतिज़ार साया महसूस बात लफ़्ज़ ख़ामोशी दहलीज़ याद बेगाना आहट शायरी

 

6526
दिलपर दस्तक देने,
कौन निकला हैं...
किसकी आहट सुनता,
हूँ वीरानेमें.......
                          गुलज़ार

6527
आज भी नक़्श हैं दिलपर,
तिरी आहटके निशाँ...
हमने उस राहसे,
औरोंको गुज़रने न दिया...!
अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन

6528
नींद आए तो अचानक,
तिरी आहट सुन लूँ...
जाग उठ्ठूँ तो बदनसे,
तिरी ख़ुश्बू आए.......!
                     शहज़ाद अहमद

6529
आहटें सुन रहा हूँ यादोंकी,
आज भी अपने इंतिज़ारमें गुम...
रसा चुग़ताई

6530
कोई हलचल हैं,
आहट सदा हैं कोई...
दिलकी दहलीज़पें,
चुप-चाप खड़ा हैं कोई...
     ख़ुर्शीद अहमद जामी

22 September 2020

6521 - 6525 दिल आवाज़ चाँद लहज़ा याद आहट शायरी

 

6521
तेरे क़दमोंकी आहटको,
ये दिल हैं ढूंढ़ता हरदम...
हर इक आवाज़पर,
इक थरथराहट होती जाती हैं...
                         मीना कुमारी नाज़

6522
ये भी रहा हैं,
कूचा-ए-जानाँमें अपना रंग...
आहट हुई तो,
चाँद दरीचेमें आ गया...!
अज़हर इनायती

6523
हर लहज़ा उसके,
पांवकी आहटपें कान रख...
दरवाज़ेतक जो आया हैं,
अंदर भी आएगा.......!
                          सलीम शाहिद

6524
दिलके सूने सेहनमें,
गूँजी आहट किसके पाँवकी...
धूप-भरे सन्नाटेमें,
आवाज़ सुनी हैं छाँवकी...!
हम्माद नियाज़ी

6525
पहले तो उसकी यादने,
सोने नहीं दिया...
फिर उसकी आहटोंने,
कहा जागते रहो.......
                       मंसूर उस्मानी

21 September 2020

6516 - 6520 ज़िंदगी दुनिया लम्हा सन्नाटा क़दम सूरत दस्तक आहट शायरी

 

6516
कोई दस्तक, कोई आहट,
सदा हैं कोई...
दूर तक रूहमें,
फैला हुआ सन्नाटा हैं...
                         वसीम मलिक

6517
अख़्तर गुज़रते लम्होंकी,
आहटपें यूँ न चौंक...
इस मातमी जुलूसमें,
इक ज़िंदगी भी हैं.......
अख़्तर होशियारपुरी

6518
अपनी आहटपें,
चौंकता हूँ मैं...
किसकी दुनियामें,
गया हूँ मैं...
                  नोमान शौक़

6519
बहुत पहलेसे उन क़दमोंकी,
आहट जान लेते हैं;
तुझे ऐ ज़िंदगी,
हम दूरसे पहचान लेते हैं...!
फ़िराक़ गोरखपुरी

6520
किसी आहटमें आहटके सिवा,
कुछ भी नहीं अब...
किसी सूरतमें, सूरतके सिवा,
क्या रह गया हैं.......
                                 इरफ़ान सत्तार

20 September 2020

6511 - 6515 ख़्वाब दस्तक इश्क़ ख़ुशबू मुस्कराहट ख़बर मुश्किल आहट शायरी

 

6511
ख़त्म ना हो किसीके,
चेहरेकी मुस्कराहट...
बहुत मुश्किलसे आती हैं,
ये कुदरती आहट.......

6512
ख़ुदाका शुक्र कि,
आहटसे ख़्वाब टूट गया...
मैं अपने इश्क़में,
नाकाम होने वाला था़.......
राना आमिर लियाक़त

6513
कभी आहट कभी ख़ुशबू,
कभी नूरसे जाती हैं...
तेरे आनेकी ख़बर मुझे,
दूरसे जाती हैं.......!

6514
कोई दस्तक, न कोई आहट थी;
मुद्दतों वहमके शिकार थे हम...
पी. पी. श्रीवास्तव रिंद

6515
शाम ढले आहटकी,
किरनें फूटी थीं...
सूरज डूबके मेरे,
घरमें निकला था...
                  ज़ेहरा निगाह

19 September 2020

6506 - 6510 मोहब्बत ऐतिबार शिकवे याद सुबूत मजबूरी चाँद वक्त कफ़न वादा शायरी

 

6506
तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त,
मगर...
तूने वादा किया था,
याद तो कर.......
                   नासिर काज़मी

6507
सुबूत हैं ये मोहब्बतकी,
सादा-लौहीका...
जब उसने वादा किया,
हमने ऐतिबार किया...
जोश मलीहाबादी

6508
तमाम शिकवे भुलाकर,
मुस्करा दूंगा मैं भी...
गर करे वादा तू मिलनेका,
वक्त-ए-कफ़नपर.......

6509
मुझे हैं ऐतिबार-ए-वादा लेकिन,
तुम्हें ख़ुद ऐतिबार आए न आए...
अख़्तर शीरानी

6510
भरोगे एक दिन तुम,
सबकी झोली चाँद तारोंसे...
मुहब्बतमें फ़क़ीरोंसे,
ये वादा क्यों किया तुमने.......?

18 September 2020

6501 - 6505 खुशी याद ऐतबार मुश्किल नजर यक़ीन धोखा सियासत वादा शायरी

 

6501
तेरे वादेपर जिऐं हम,
तो यह जान छूट जाना...
कि खुशीसे मर जाते,
अगर ऐतबार होता.......
                        मिर्जा गालिब

6502
यक़ीं उनके वादेपें लाना पड़ेगा...
ये धोखा तो दानिस्ता खाना पड़ेगा...
मुनीर भोपाली

6503
नाअहल हैं वह,
अहले-सियासतकी नजरमें...
वादेसे कभी जिसको,
मुकरना नहीं आता.......
                         जोश मल्सियानी

6504
मैं उसके वादेका,
अब भी यक़ीन करता हूँ...
हज़ार बार जिसे,
आज़मा लिया मैंने.......
मख़मूर सईदी

6505
दिन गुज़ारा था,
बड़ी मुश्किलसे...
फिर तिरा वादा--शब,
याद आया.......
                            नासिर काज़मी

17 September 2020

6496 - 6500 दिल मुहब्बत महसूस तकलीफ वजूद बंदगी आदत शिद्दत गजब गम वक़्त कदम फितरत शायरी

 

6496
दिल हैं कदमोंपें किसीके,
सर झुका हो, या हो...
बंदगी तो अपनी फ़ितरत हैं,
ख़ुदा हो, या हो.......

6497
बदलना वक़्तकी फ़ितरतमें हैं,
ये बदल ही जायेगा l
आज गमकी घटायें दिख रही हैं,
कलको सूरज निकल आयेगा ll

6498
अजीबसी आदत और,
गजबकी फितरत हैं मेरी...
मुहब्बत हो या नफरत,
बहुत शिद्दतसे करता हूँ...!

6499
जो मुँह तक उड़ रही थी,
अब लिपटी हैं पाँवसे...
बारिश क्या हुई मिट्टीकी,
फितरत बदल गई.......!

6500
मेरी फितरतमें नहीं,
अपना गम बयाँ करना;
अगर तेरे वजूदका हिस्सा हूँ,
तो महसूस कर तकलीफ मेरी...

16 September 2020

6491 - 6495 ज़माना ख़बर गुनाह आईना आदत गम दर्द फितरत शायरी

 

6491
हर कोई रखता हैं,
ख़बर ग़ैरोंके गुनाहोंकी...
अजब फितरत हैं,
कोई आईना नहीं रखता...!

6492
हजार गम मेरी,
फितरत नहीं बदल सकते...
क्या करू मुझे आदत हैं,
मुस्कुरानेकी.......

6493
ज़माना चाहता क्यों,
मेरी फ़ितरत बदल देना...
इसे क्यों ज़िद हैं आख़िर,
फूलको पत्थर बनानेकी.......

6494
मेरी फितरत ही,
कुछ ऐसी हैं कि;
दर्द सहनेका,
लुत्फ़ उठाता हूँ मैं ll

6495
मैं आईना हूँ,
टूटना मेरी फितरत हैं...
इसलिए पत्थरोंसे मुझे,
कोई गिला नहीं.......

15 September 2020

6486 - 6490 दिल बात इन्तजार तड़प आदत मिज़ाज याद नफरत काबिल फितरत शायरी

 

6486
बात तो की थी आपसे,
किसी औरकी फितरत,
समझनेके लिए...
लेकिन कब आप मेरे,
दिलकी फितरत बनते गए,
पता ही चला.......!

6487
ऐसा नहीं कि,
मेरे इन्तजारकी उन्हें खबर नहीं...
लेकिन तड़पानेकी आदत तो,
उनकी फितरतमें शुमार हैं.......!

6488
उनकी फितरत परिंदोंसी थी,
मेरा मिज़ाज दरख़्तों जैसा...
उन्हें उड़ जाना था, और...
मुझे कायम ही रहना था...!

6489
मुझे भी सिखा दो,
भूल जानेका फितरत...
मैं थक गयी हूँ,
तुझे याद करते करते.......

6490
ये मेरे दिलकी जिद हैं की,
प्यार करुँ तो सिर्फ तुमसे करूँ...
वरना तुम्हारी जो फितरत हैं,
वो नफरतके भी काबिल नहीं...

14 September 2020

6481 - 6485 अश्क मंजिल कसूर हस्ती शौक सादगी फितरत शायरी

 

6481
आग लगाना,
मेरी फितरतमें नहीं हैं... 
मेरी सादगीसे लोग जलें तो,
मेरा क्या कसूर.......!

6482
फितरत गुलो-बुलबुलकी जो थी,
वही अब भी हैं...
सौ बार खिजाँ आयी,
सौ बार बहार आई.......!

6483
हवादिससे उलझकर,
मुस्कराना मेरी फितरत हैं...
मुझे दुश्वारियोंपें,
अश्क बरसाना नहीं आता...
                 मोहम्मद इकबाल खान

6484
मेरी हस्ती शौके-पैहम,
मेरी फितरत इज्तिराब...
कोई मंजिल हो मगर,
गुजरा चला जाता हूँ मैं...
जिगर मुरादाबादी

6485
ना कहना फिर कि,
साँस हूँ तुम्हारी...
यूँ पलपलका भरकर छोड़ देना,
फितरत बन गयी हैं तुम्हारी.......

13 September 2020

6476 - 6480 दिल इश्क तमन्ना नक़ाब गम खबर फितरत शायरी

 

6476
तमन्ना दिलकी एक हसरत हैं पूरी हो जाए,
तो इंसान खुश किस्मत हैं l
पूरी हो तो गम करना क्योकि,
अधूरी रहना तो तमन्नाओ की फितरत हैं ll

6477
वो इस बातसे खुश था कि,
हमको खबर नहीं...
मैं ये सोचके खुश था कि,
फितरत तो जान ली.......

6478
घड़ीकी फितरत भी अजीब हैं,
हमेशा टिक-टिक कहती हैं...
मगर ना खुद टिकती हैं, और
ना दूसरोंको टिकने देती हैं...

6479
तुम्हें चाहनेकी वजह,
कुछ भी नहीं !
बस इश्ककी फितरत हैं,
बे-वजह होना...!

6480
दिल अगर बे-नक़ाब होते तो,
सोचो कितने फसाद होते...
थी ख़ामोशी फितरत हमारी,
तभी तो बरसों निभा गई.......
                                मिर्जा गालिब

12 September 2020

6471 - 6475 दिल धडकन ख्याल जिन्दगी कोशिश मन्ज़िल लब तमन्ना शायरी

 

6471
तमन्ना करनेसे ही, पुरी होती हैं,
हर तमन्ना दिल धडकनेसे ही, पुरी होती हैं...
हर सपना कोशिश करनेसे, हर राह आसान हो जाती हैं,
और आगे बढनेसे, हर मन्ज़िल मिल जाती हैं.......

6472
फिरसे एक बार दिलमें, तेरा होनेकी तमन्ना हैं...
तुम्हारे ही ख्यालोंमें, खोने की तमन्ना हैं...
मुद्दतसे इन आँखोंमें, तराविश नहीं झलकी,
आकर फिरसे रुला जाओ, के फिर रोनेकी तमन्ना हैं...

6473
खत्म कर देगी किसी दिन ये, तमन्ना--हयात;
रात-दिन कोशिशमें जीनेकी, मरा जाता हूँ मैं...
जिन्दगीके दाम इतने गिर गये, कुछ गम नहीं;
मौतकी बढ़ती हुई कीमतसे, घबराता हूँ मैं.......
                                                           नीरज जैन

6474
लबपें आती हैं दुआ, बनके तमन्ना मेरी...
ज़िन्दगी शम्माकी सूरत, हो ख़ुदाया मेरी...
दूर दुनियाका, मेरे दम अन्धेरा हो जाये...
हर जगह मेरे चमकनेसे, उजाला हो जाये...

6475
ज़िंदगी बड़ी अजीब होती हैं,
कभी हार, कभी जीत होती हैं l
तमन्ना रखो समंदरकी गहराई छूनेकी,
किनारोंपें तो बस, ज़िंदगीकी शुरुवात होती हैं ll

11 September 2020

6466 - 6470 दिल मुसाफिर महक मतलब जिन्दगी दर्द ग़म वफा तूफां तमन्ना शायरी

 

6466
ये जिदंगी तमन्नाओंका,
गुलदस्ता ही तो हैं...!
कुछ महकती हैं कुछ मुरझाती हैं,
और कुछ चुभ जाती हैं.......

6467
हूँ मैं भी,
तमाशाइ-ए-नैरंगे-तमन्ना;
मतलब नहीं कुछ इससे कि,
मतलब बर आये.......
मिर्जा गालिब

6468
हम आज राह--तमन्नामें,
जी को हार आए...
दर्द--ग़मका भरोसा रहा,
दुनियाका.......
              वहीद क़ुरैशी

6469
न मौजें, न तूफां, न माझी, न साहिल...
मगर मनकी नैया बही जा रही हैं,
चला जा रहा हैं, वफाका मुसाफिर,
जिधर भी तमन्ना लिये जा रही हैं...

6470
हर इक दागे-तमन्नाको,
कलेजेसे लगाता हूँ,
कि घर आई हुई दौलतको,
ठुकराया नहीं जाता.......!
                              मख्मूर देहलवी