15 November 2020

6766 - 6770 जिन्दगी उमीद लकीरें वक़्त हाथोंपर शायरी

 

6766
हाथकी लकीरें,
भी कितनी शातिर हैं...!
कमबख्त मुट्ठीमें हैं,
लेकिन काबूमें नहीं.......!!!

6767
एक घडी खरीदकर,
हाथमें क्या बांध ली...
वक़्त पीछे ही,
पड गया मेरे.......
      
6768
मैने पूछा था कि,
जिन्दगी क्या हैं...
हाथसे गिरकर,
जाम टूट गया.......
            जगन्नाथ आजाद

6769
गया जो हाथसे,
वो वक़्त फिर नहीं आता;
कहाँ उमीद कि फिर,
दिन फिरें हमारे अब...

6770
कब्रकी मिट्टी हाथ मैं लिए,
सोच रहा हूँ...
कि लोग मरते हैं तो,
गुरुर कहाँ जाता हैं.......!

14 November 2020

6761 - 6765 गम तन्हाई इजहार मोहब्बत महफिलसफर निगाह राहगीर हाथोंपर शायरी

 

6761
इजहारे मोहब्बतका,
यह भी एक तरीखा हैं...
सरेआम जब हाथ मिलाऊ,
तो ऊँगली दबा देना...

6762
राहगीर था इस सफरका,
तू भी और मैं भी...
हाथ क्या पकड़ा,
हमसफर बन गए...!

6763
दिल, जो हो सके तो लुत्फे-गम उठा ले...
तन्हाईयोंमें रो ले, महफिलमें मुस्कुरा ले...
जिस दिन यह हाथ फैले अहले-करमके आगे,
काश उसके पहले हमको खुदा उठा ले.......
                                                    शमीम जयपुरी

6764
ख़ुदाके वास्ते गुलको,
न मेरे हाथसे लो...
मुझे बू आती हैं इसमें,
किसी बदनकी सी.......
नज़ीर अकबराबादी

6765
हाथ होता तो,
कबका छुड़ा लेते...
पकड़े बैठे हैं,
वो निगाहोंसे मुझे...!!!

13 November 2020

6756 - 6760 धोख़ा फ़ासला नज़र अमानत तलाश हाथ हाथोंपर शायरी

 

6756
फ़ासला नज़रोंका,
धोख़ा भी तो हो सकता हैं...
वो मिले या मिले,
हाथ बढ़ाकर देखो.......
                          निदा फ़ाज़ली

6757
कोई हाथ भी न मिलाएगा,
जो गले मिलोगे तपाकसे;
ये नए मिज़ाजका शहर हैं,
ज़रा फ़ासलेसे मिला करो...
बशीर बद्र

6758
मैं जिसके हाथमें,
एक फूल देकर आया था...
उसीके हाथका पत्थर,
मेरी तलाशमें हैं.......
                    कृष्ण बिहारी नूर

6759
क्यूँ वस्लकी शब,
हाथ लगाने नहीं देते...
माशूक़ हो या,
कोई अमानत हो किसीकी...
दाग़ देहलवी

6760
अंगड़ाई भी वो,
लेने पाए उठाके हाथ...
देखा जो मुझको,
छोड़ दिए मुस्कुराके हाथ...!!!
                       निज़ाम रामपुरी

10 November 2020

6751 - 6755 दिल मासूम मंजिल महबूब हमसफ़र हिना शायरी

 

6751
चंद मासूमसे पत्तोंका,
लहू हैं फ़ाकिर...
जिसको महबूबके हाथोंकी,
हिना कहते हैं.......

6752
सुर्ख़-रू होता हैं,
इंसाँ ठोकरें खानेके बाद...
रंग लाती हैं हिना,
पत्थरपें पिस जानेके बाद...!

6753
पूछे जो कोई मेरी निशानी,
रंग हिना लिखना;
आऊं तो सुबह,
जाऊ तो मेरा नाम सबा लिखना;
बर्फ पड़े तो,
बर्फपें मेरा नाम दुआ लिखना...!!!
                                           गुलज़ार

6754
मिटा सकी न उन्हें,
रोज़ ओ शबकी बारिश भी...
दिलोंपें नक़्श जो,
रंग-ए-हिनाके रक्खे थे...

6755
उसकी मंजिल भी वही,
रास्ते भी वही...
उसने बदला तो बस,
हमसफ़र बदला.......

9 November 2020

6746 - 6750 वफ़ा सितम ख़ुशबू बोसा नज़र हिना शायरी

 

6746
मैं वो साग़र नहीं,
आए कभी लब तक जो रियाज़...!
किसको मिलता हैं,
तिरे रंग--हिनाका बोसा.......!!!

6747
काँचके पार तिरे,
हाथ नज़र आते हैं...
काश ख़ुशबूकी तरह,
रंग हिनाका होता.......
गुलज़ार

6748
शामिल हैं मेरा ख़ून--जिगर,
तेरी हिनामें...
ये कम हो तो अब,
ख़ून--वफ़ा साथ लिए जा...

6749
इक सुब्ह थी जो,
शाममें तब्दील हो गई;
इक रंग हैं जो,
रंग-ए-हिना हो नहीं रहा...
काशिफ़ हुसैन

6750
ये भी नया सितम हैं,
हिना तो लगाए ग़ैर...
और दाद उसकी चाहें,
वो मुझको दिखाके हाथ...
                     निज़ाम रामपुरी

7 November 2020

6741 - 6745 इश्क़ सुर्ख़ पलके महक ज़ालिम हिना मेहँदी शायरी

 

6741
मेरे सुर्ख़ लहूसे,
चमकी कितने हाथोंमें मेहँदी...!
शहरमें जिस दिन क़त्ल हुआ,
मैं ईद मनाई लोगोंने.......!
                                      ज़फ़र

6742
इश्क़के मौतका मैंने,
मातम मनाया हैं;
उन्होंने अपनी हाथोंमें,
आज मेहँदी लगाया हैं...

6743
तेरी मेहँदीमें मिरे ख़ूँकी,
महक जाए...
फिर तो ये शहर मिरी,
जान तलक जाए...
                    राशिद अमीन

6744
मेहँदीके धोके मत रह ज़ालिम,
निगाह कर तू l
ख़ूँ मेरा दस्त-ओ-पासे,
तेरे लिपट रहा हैं ll
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

6745
एक पलके लिए,
बनाने वाला भी रोया होगा;
किसीका अरमान जब यूँ,
मौतकी नींद सोया होगा;
हाँथोंकी मेहँदी छूटी भी नहीं,
कि चूड़ियाँ तोड़नी पड़ी;
कौन हैं जो ये लम्हा,
देखकर रोया होगा ll

5 November 2020

6736 - 6740 खामोश प्यार फ़ना गम ज़ुल्फ हिना मेहँदी शायरी

 

6736
ज़ुल्फ बिखेरे उसकी मोहब्बत,
मुझे नुमाइशसी लगती हैं...
उसके हाथोंपें लगी मेहँदी,
मुझे पराईसी लगती हैं.......

6737
रातभर बेचारी मेहँदी,
पिसती हैं पैरोंतले...
क्या करू कैसे कहूँ,
रात कब कैसे ढले...
गुलजा़र

6738
मुझे भी फ़ना होना था,
तेरे हाथोंकी मेहँदीकी तरह...
ये गम नहीं मिट जानेका,
तू रंग देख निखरा हूँ किस तरह...

6739
तेरे हाथोंकी मेहँदीमें,
मेरे प्यारका भी रंग हैं...
तू किसी औरका हो जा,
पर तेरा प्यार मेरे संग हैं...

6740
शादीके सात फेरोंके वक्त,
खामोश खड़ा एक शख्स था...
दुल्हनकी मेहँदीमें आज भी,
बस उसका ही अक्स था.......

4 November 2020

6731 - 6735 दिल जिंदगी वक्त चाहत खुशियाँ रिश्तें हिना मेहँदी शायरी

 

6731
पीपलके पत्तोंजैसा मत बनो,
जो वक्त आनेपर सूखकर गिर जाते हैं;
बनना हैं तो मेहँदीके पत्तोंजैसा बनो,
जो पिसकर भी दूसरोंकी जिंदगीमें रँग भर देते हैं ll

6732
पूरी मेहंदी भी,
लगानी नहीं आती अब तक...
क्यूँ कर आया तुझे,
ग़ैरोंसे लगाना दिलका...
दाग़ देहलवी

6733
मेहँदीके पत्ते जैसा,
हो जाना चाहता हूँ...
मिटकर भी खुशियाँ,
दे जाना चाहता हूँ.......!

6734
वक्तके साथ मेहंदीका,
रंग उतर जाता हैं...
पर चाहतके रंग अपने दिलसे,
कैसे उतारोगी.......

6735
कुछ रिश्तें मेहँदीके,
रंगकी तरह होते हैं...
शुरुवातमें चटख,
बादमें फीके पड़ जाते हैं...

3 November 2020

6726 - 6730 जिन्दगी होठ इश्क़ प्यार याद बर्बाद रिश्तें हिना मेहँदी शायरी

 

6726
होठोंपर हँसी हो तो,
हाथोंमें मेहँदी नहीं लगाई जाती हैं;
इश्क़ किसी औरसे हो तो,
किसी गैरसे शादी नहीं रचाई जाती हैं...

6727
लड़कीके हाथोंपर जब,
मेहँदी रचाई जाती हैं...
तो बहुत सारे रिश्तोंकी,
अहमियत बताई जाती हैं...

6728
किसी औरके रंगमें रंगने लगे हैं वो...
मेरी दुनिया बेरंग कर,
किसी गैरकी यादमें,
हँसने लगे हैं वो.......

6729
भीतर ही भीतर चिल्लाई होगी,
हाथोंमें जब मेहँदी सजाई होगी...
मैंने उजाड़ दी जिन्दगी उसकी,
ये बात उसने खुदको समझाई होगी...

6730
मेरे प्यारकी मेहँदी सजाकर,
किसी औरका घर बसाने चली हैं वो...
मुझे बर्बाद करके किसी औरको,
बर्बाद करने चली हैं वो.......

2 November 2020

6721 - 6725 दिल नाम लकीर जिन्दगी अरमान दफन आशिक हिना मेहँदी शायरी

 

6721
मेरे हाथोंकी लकीरोंमें,
वो नहीं.......
उसके हाथोंकी मेहँदीमें,
मैं नहीं.......

6722
शादीमें लगी मेहँदीका,
रंग कभी नहीं छूटता हैं..
ऐसे मौकेपर ना जाने कितने,
आशिकोंका दिल टूटता हैं.......

6723
मेहँदी हाथोपें लगाकर,
वो मुस्करा रहीं थीं...
मेरे अरमानोंको दफन कर,
वो नया घर बसा रही थी.......

6724
हाथोंकी लकीरोंपर,
बड़ा गुरूर था ;
किसी औरके नामकी,
मेहँदीने तोड़ दिया.......

6725
माना कि सब कुछ पा लुँगा,
मैं अपनी जिन्दगीमें...
मगर वो तेरे मेहँदी लगे हाथ,
मेरे ना हो सकेंगे.......

1 November 2020

6716 - 6720 लकीर सजना नाम आँख आँसू हिना मेहँदी शायरी

 

6716
मेहँदी जब तुम,
मेरे नामकी लगाती हो...
तो क्या इसे तुम अपने,
सहेलियोंको भी दिखती हो...

6717
हाथोंकी लकीरोंमें,
उनका नाम नहीं...
फिर भी हम मेहँदीसे,
लिख लिया करते हैं...!

6718
कैसे भूल जाऊँ मैं उसको,
जो चाहता हैं इस कदर...
हथेलीकी मेहँदीमें लिखा हैं,
उसने मेरा नाम छिपाकर...

6719
इन हाथोंमें लिखके,
मेहँदीसे सजनाका नाम...
जिसको मैं पढ़ती हूँ,
सुबह शाम.......!

6720
उसकी हाथोंकी मेहँदीका,
रंग बड़ा गहरा हैं...
फिर भी आँखोंमें,
कुछ बूँद आँसू ठहरा हैं...

31 October 2020

6711 - 6715 मुहब्बत इश्क़ महफ़िल लब साँसे चाहत लकीर हिना मेहँदी शायरी

 

6711
अगर मुहब्बत उनकी,
कमालकी होती...
तो मेरे हाथोंकी मेहँदीभी,
यूँ लाल होती.......!

6712
तेरे हाथोंके मेहँदीका,
रंग गहरा लाल हैं...
क्योंकि मेरे इश्क़का,
चाहत बेमिसाल हैं.......!

6713
अपने हाथोंकी लकीरोंमें,
मुझको बसाले...
ये मुमकिन नहीं तो,
मेहँदीमें मुझको रचाले...

6714
हाथोंकी मेहँदी,
गालोंपर निखर कर आई हैं ;
तेरे लबोंकी लालीने,
यह महफ़िल सजाई हैं ll

6715
मेहँदीका रंग चढ़ा,
ऐसे मेरे हाथोंमें...
जैसे तेरी इश्क़ चढ़ा था,
मेरी साँसोंमें.......!

30 October 2020

6706 - 6710 दिल मुहब्बत बहाना जमाने खुशियाँ हिना मेहँदी शायरी

 

6706
उसे शक हैं,
हमारी मुहब्बतपर...
लेकिन गौर नहीं करती,
मेहँदीका रंग कितना गहरा निख़रा हैं !!!

6707
जमानेके आगे,
दिलका हाल छुपाये बैठे हैं...
नादान हैं वो जो मेहँदीमें,
मेरा नाम छुपाये बैठे हैं.......

6708
चुराके दिल मेरा,
मुठ्ठीमें छिपाए बैठे हैं...
और बहाना ये हैं कि,
मेहँदी लगाए बैठे हैं...!

6709
मेहँदी जो मिटकर,
हाथोंपर रंग लाती हैं...
दो दिलोंको मिलाकर,
कितनी खुशियाँ दे जाती हैं...

6710
मैं तेरे हाथोंपर,
रच जाऊँगा मेहँदीकी तरह...
तू मेरा नाम कभी,
हाथोंपर सजा कर तो देख...!

29 October 2020

6701 - 6705 दिल मोहब्बत कम्बख्त ख़्वाहिश हिना मेहँदी शायरी

 
6701
मैं लगाऊँगी,
मेहँदी तेरे नामकी...
कम्बख्त रंग चढ़कर,
उतरता ही नहीं.......!

6702
पहले तो मोहब्बतकी,
आजमाईश होगी...
बादमें उसके नामके,
मेहँदीकी ख़्वाहिश होगी...

6703
तू हमेशा रहें,
मेरे साथमें...
जल्दी मेहँदी रचे,
मेरे हाथमें.......

6704
खुदा ही जाने क्यूँ तुम,
हाथोपें मेहँदी लगाती हो...
बड़ी नासमझ हो,
फूलोंपर पत्तोंके रंग चढ़ाती हो...

6705
वो जो सर झुकाए बैठे हैं,
हमारा दिल चुराए बैठे हैं...
हमने कहा, हमारा दिल लौटा दो,
वो बोली, हम तो हाथोमें मेहँदी लगाये बैठे हैं...!

28 October 2020

6696 - 6700 दिल नाम लकीर किस्मत शर्म हिना मेहँदी शायरी

 
6696
वो मेहंदीके हाथोंमें,
क्या तराशेंगे नाम हमारा...
जब नामही छुपा लिखा हैं,
उनके हाथोंमें.......!

6697
करतूतें तो देखियें,
मेहंदीकी...
तेरा नाम क्या लिखा,
शर्मसे लाल हो गई.......!

66978
तूने जो मेहँदी वाले हाथोंमें,
मेरे नाम लिखा हैं...
तुम कहो या कहो,
तुम्हारे दिलका प्यार मुझे दिखा हैं...

6699
मेहंदी रचाई थी,
मैने इन हाँथोंमें...
जाने कब वो मेरी,
लकीर बन गई......

6700
किस्मतकी लकीरें भी,
आज इठलाई हैं...
तेरे नामकी मेहँदी,
जो हाथों उपर रचाई हैं...

27 October 2020

6691 - 6695 सलाम गुनहगार निगाह लफ्ज़ पैगाम ज़ालिम हिना मेहँदी शायरी

 

6691
अल्लाह-रे नाज़ुकी,
कि जवाब--सलाममें...
हाथ उसका उठके रह गया,
मेहंदीके बोझसे.......
                        रियाज़ ख़ैराबादी

6692
हम गुनहगारोंके क्या,
ख़ूनका फीका था रंग...
मेहंदी किस वास्ते,
हाथोंपें रचाई प्यारे...?
मिर्ज़ा अज़फ़री

6693
कुश्ता--रंग--हिना हूँ मैं,
अजब इसका क्या...
कि मिरी ख़ाकसे मेहंदीका,
शजर पैदा हो.......
             मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

6694
मेहंदीके धोके मत रह ज़ालिम,
निगाह कर तू...
ख़ूँ मेरा दस्त-ओ-पा से,
तेरे लिपट रहा हैं.......
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

6695
तेरे मेहंदी लगे हाथोंपें,
मेरा नाम लिखा हैं...!
ज़रासे लफ्ज़में,
कितना पैगाम लिखा हैं...!!!

26 October 2020

6686 - 6690 दिल ख़याल मुश्किल मजबूर हिना मेहँदी शायरी

 

6686
मेहंदी लगानेका जो,
ख़याल आया आपको...
सूखे हुए दरख़्त,
हिनाके हरे हुए.......
                        हैदर अली

6687
मेहंदीने ग़ज़ब,
दोनों तरफ़ आग लगा दी ;
तलवोंमें उधर और,
इधर दिलमें लगी हैं ll

6688
चुराके मुठ्ठीमें,
दिलको छुपाए बैठे हैं...
बहाना ये हैं कि,
मेहंदी लगाए बैठे हैं...!
                     क़ैसर देहलवी

6689
मेहंदी लगाए बैठे हैं,
कुछ इस अदासे वो...
मुठ्ठीमें उनकी दे दे,
कोई दिल निकालके...
रियाज़ ख़ैराबादी

6690
दोनोंका मिलना मुश्किल हैं,
दोनों हैं मजबूर बहुत...
उसके पाँवमें मेहंदी लगी हैं,
मेरे पाँवमें छाले हैं.......
                               अमीक़ हनफ़ी

25 October 2020

6681 - 6685 ज़िन्दगी नज़रें उजाला नाम फरिश्ते खुश ख़्याल बेख़्याल ख़्यालोंकी शायरी

 

6681
किसीको खुश रखनेका,
मौका मिले तो छोड़िये मत...
फरिश्ते होते हैं वह लोग जो,
दूसरोंकी खुशीका ख़्याल रखते हैं...!

6682
जरूरी नहीं की,
कामसे ही इन्सान थक जाए...
कुछ ख़्यालोंका बोझ भी,
इन्सानको थका देता हैं...

6683
खोजते फिरोगे नाम, पता,
अंधेरो और उजालोमें...
अगर मिलेंगे भी तो बस,
कभी ख़्यालोमें कभी सवालोमें...

6684
नज़रें मिली,
तो बेख़्याल हो गए... 
नज़रें झुकी,
तो सवाल हो गए...
 
6685
शमशानकी राख देख,
मनमें एक ख़्याल आया कि...
सिर्फ राख होने के लिए,
हर इंसान ज़िन्दगीमें,
दुसरेसे कितनी बार जलता हैं...