22 November 2020

6791 - 6795 हुस्न मसर्रत रिश्ता ख़याल जीस्त गम अश्क दामन शायरी

 

6791
मुझसे हर बार,
मसर्रतने छुड़ाया दामन...
मुझको सौ बार दिया,
गमने सहारा.......

6792
दामन किसीका हाथसे,
जाता रहा मगर;
इक रिश्ता-ए-ख़याल हैं,
जो टूटता नहीं...

6793
बरसात थम चुकी हैं,
मगर हर शजरके पास...
इतना तो हैं कि,
आपका दामन भिगो सके...
                   अहसन यूसुफ़ ज़ई

6794
हुस्नका दामन,
फिरभी ख़ाली l
इश्क़ने लाखों,
अश्क बिखेरे ll
सूफ़ी तबस्सुम

6795
दामन--जीस्तमें,
अब कुछभी नहीं हैं बाकी...
मौत भी आयी तो,
यकीनन उसे धोखा होगा...!

21 November 2020

6786 - 6790 गम खुशी तसव्वुर ख़याल इख्तियार नज़र दामन शायरी

 

6786
तू गम दे या खुशी,
तुझे इख्तियार हैं;
हम बेनियाज हो गये,
दामन पसारकर...
               अनवर मिर्जापुरी

6787
चले जाइए मुझसे,
दामन बचाकर...
तसव्वुरसे बचकर,
कहाँ जाइएगा.......!

6788
तू हैं बहार तो,
दामन मिरा हो क्यूँ ख़ाली...
इसे भी भर दे गुलोंसे,
तुझे ख़ुदाकी क़सम.......
                   हादी मछलीशहरी

6789
नज़र बचाके गुज़र जाएँ,
मुझसे वो लेकिन;
मेरे ख़यालसे,
दामन बचा नहीं सकते...ll

6790
न उसके दामनसे मैं ही उलझा,
न मेरे दामनसे ये ही अटकी,
हवासे मेरा बिगाड़ क्या हैं,
जो शम-ए-तुर्बत बुझा रही हैं ll
                                  मुज़्तर ख़ैराबादी

20 November 2020

6781 - 6785 दिल पनाह तलब हुस्न बहार दामन शायरी

 

6781
तेरी पनाहकी तलब,
यूँ ही बेसबब तो नहीं...
तेरे दामनसे बेहतर,
कोई जमींभी तो नहीं मिलती...

6782
पहलू-ए-गुलमें,
खार भी हैं कुछ छुपे हुए...
हुस्ने-बहार देख तो,
दामन बचाके देख.......
दिल शाहजहाँपुरी

6783
फूल चुनना भी अबस,
सैरे-बहारां भी अबस...
दिलका दामन ही जो,           
कांटोंसे बचाया गया...!
                 मुईन अहसन जज्बी

6784
मैं जो कांटा हूँ तो,
चल मुझसे बचाकर दामन...
मैं हूँ अगर फूल तो,
जूड़ेमें सजाले मुझको.......

6785
बहला रहे हैं अपनी,
तबिअत खिजाँ-नसीब...
दामन पै खींच-खींचकर,
नक्शा बहारका.......
                 दिल शाहजहाँपुरी

18 November 2020

6776 - 6780 ज़िन्दगी हथेली यार खुशी दामन शायरी


6776
हाथका मज़हब,
नहीं देखते परिंदे...
जो भी दाना दे,
खुशीसे खा लेते हैं...!

6777
मुठ्ठियोंमें क़ैद हैं जो खुशियाँ...
वो बांट दो यारो...!
ये हथेलियाँ तो इक दिन...
वैसे भी खुल ही जानी हैं.......!

6778
अगर तुमसे कोई पूछे,
बताओ ज़िन्दगी क्या हैं...
हथेलीपर जरासी राख़ रखना,
और उड़ा देना.......

6779
बरसता भीगता मौसम,
धुआँ धुआँ होगा;
पिघलती शम्मोपें,
दिलका मेरे गुमा होगा;
हथेलियोंकी हिना,
याद कुछ दिलायेगी ll

6780
हाथ थाम सके और,
पकड़ सके दामन...
बहुतही क़रीबसे गुज़रकर,
बिछड़ गया कोई.......

6771 - 6775 दिल मजबूर मौका जमाना कदर धोखा तस्वीर हाथोंपर शायरी

 

6771
दिलके हाथों,
मजबूर होकर मौका देते हैं...
तभी तो दिलमें बसने वाले,
धोखा देते हैं.......

6772
मेरी दिलकी दिवारपर,
तस्वीर हो तेरी...
और तेरे हाथोंमें हो,
तकदीर मेरी.......!

6773
नहीं छोड़ सकते हम,
दूसरोंके हाथोंमें तुमको...
लौट आओ ना की हम,
अब भी तुम्हारे ही हैं.......

6774
जब-जब इसे सोचा हैं,
दिल थाम लिया मैंने...
इन्सानके हाथोंसे,
इन्सानपै जो गुजरी...
फिराक गोरखपुरी

6775
हुए हैं इस कदर खम,
जमानेके हाथों...
कभी तीर थे अब,
कमां हो गए हैं.......

15 November 2020

6766 - 6770 जिन्दगी उमीद लकीरें वक़्त हाथोंपर शायरी

 

6766
हाथकी लकीरें,
भी कितनी शातिर हैं...!
कमबख्त मुट्ठीमें हैं,
लेकिन काबूमें नहीं.......!!!

6767
एक घडी खरीदकर,
हाथमें क्या बांध ली...
वक़्त पीछे ही,
पड गया मेरे.......
      
6768
मैने पूछा था कि,
जिन्दगी क्या हैं...
हाथसे गिरकर,
जाम टूट गया.......
            जगन्नाथ आजाद

6769
गया जो हाथसे,
वो वक़्त फिर नहीं आता;
कहाँ उमीद कि फिर,
दिन फिरें हमारे अब...

6770
कब्रकी मिट्टी हाथ मैं लिए,
सोच रहा हूँ...
कि लोग मरते हैं तो,
गुरुर कहाँ जाता हैं.......!

14 November 2020

6761 - 6765 गम तन्हाई इजहार मोहब्बत महफिलसफर निगाह राहगीर हाथोंपर शायरी

 

6761
इजहारे मोहब्बतका,
यह भी एक तरीखा हैं...
सरेआम जब हाथ मिलाऊ,
तो ऊँगली दबा देना...

6762
राहगीर था इस सफरका,
तू भी और मैं भी...
हाथ क्या पकड़ा,
हमसफर बन गए...!

6763
दिल, जो हो सके तो लुत्फे-गम उठा ले...
तन्हाईयोंमें रो ले, महफिलमें मुस्कुरा ले...
जिस दिन यह हाथ फैले अहले-करमके आगे,
काश उसके पहले हमको खुदा उठा ले.......
                                                    शमीम जयपुरी

6764
ख़ुदाके वास्ते गुलको,
न मेरे हाथसे लो...
मुझे बू आती हैं इसमें,
किसी बदनकी सी.......
नज़ीर अकबराबादी

6765
हाथ होता तो,
कबका छुड़ा लेते...
पकड़े बैठे हैं,
वो निगाहोंसे मुझे...!!!

13 November 2020

6756 - 6760 धोख़ा फ़ासला नज़र अमानत तलाश हाथ हाथोंपर शायरी

 

6756
फ़ासला नज़रोंका,
धोख़ा भी तो हो सकता हैं...
वो मिले या मिले,
हाथ बढ़ाकर देखो.......
                          निदा फ़ाज़ली

6757
कोई हाथ भी न मिलाएगा,
जो गले मिलोगे तपाकसे;
ये नए मिज़ाजका शहर हैं,
ज़रा फ़ासलेसे मिला करो...
बशीर बद्र

6758
मैं जिसके हाथमें,
एक फूल देकर आया था...
उसीके हाथका पत्थर,
मेरी तलाशमें हैं.......
                    कृष्ण बिहारी नूर

6759
क्यूँ वस्लकी शब,
हाथ लगाने नहीं देते...
माशूक़ हो या,
कोई अमानत हो किसीकी...
दाग़ देहलवी

6760
अंगड़ाई भी वो,
लेने पाए उठाके हाथ...
देखा जो मुझको,
छोड़ दिए मुस्कुराके हाथ...!!!
                       निज़ाम रामपुरी

10 November 2020

6751 - 6755 दिल मासूम मंजिल महबूब हमसफ़र हिना शायरी

 

6751
चंद मासूमसे पत्तोंका,
लहू हैं फ़ाकिर...
जिसको महबूबके हाथोंकी,
हिना कहते हैं.......

6752
सुर्ख़-रू होता हैं,
इंसाँ ठोकरें खानेके बाद...
रंग लाती हैं हिना,
पत्थरपें पिस जानेके बाद...!

6753
पूछे जो कोई मेरी निशानी,
रंग हिना लिखना;
आऊं तो सुबह,
जाऊ तो मेरा नाम सबा लिखना;
बर्फ पड़े तो,
बर्फपें मेरा नाम दुआ लिखना...!!!
                                           गुलज़ार

6754
मिटा सकी न उन्हें,
रोज़ ओ शबकी बारिश भी...
दिलोंपें नक़्श जो,
रंग-ए-हिनाके रक्खे थे...

6755
उसकी मंजिल भी वही,
रास्ते भी वही...
उसने बदला तो बस,
हमसफ़र बदला.......

9 November 2020

6746 - 6750 वफ़ा सितम ख़ुशबू बोसा नज़र हिना शायरी

 

6746
मैं वो साग़र नहीं,
आए कभी लब तक जो रियाज़...!
किसको मिलता हैं,
तिरे रंग--हिनाका बोसा.......!!!

6747
काँचके पार तिरे,
हाथ नज़र आते हैं...
काश ख़ुशबूकी तरह,
रंग हिनाका होता.......
गुलज़ार

6748
शामिल हैं मेरा ख़ून--जिगर,
तेरी हिनामें...
ये कम हो तो अब,
ख़ून--वफ़ा साथ लिए जा...

6749
इक सुब्ह थी जो,
शाममें तब्दील हो गई;
इक रंग हैं जो,
रंग-ए-हिना हो नहीं रहा...
काशिफ़ हुसैन

6750
ये भी नया सितम हैं,
हिना तो लगाए ग़ैर...
और दाद उसकी चाहें,
वो मुझको दिखाके हाथ...
                     निज़ाम रामपुरी

7 November 2020

6741 - 6745 इश्क़ सुर्ख़ पलके महक ज़ालिम हिना मेहँदी शायरी

 

6741
मेरे सुर्ख़ लहूसे,
चमकी कितने हाथोंमें मेहँदी...!
शहरमें जिस दिन क़त्ल हुआ,
मैं ईद मनाई लोगोंने.......!
                                      ज़फ़र

6742
इश्क़के मौतका मैंने,
मातम मनाया हैं;
उन्होंने अपनी हाथोंमें,
आज मेहँदी लगाया हैं...

6743
तेरी मेहँदीमें मिरे ख़ूँकी,
महक जाए...
फिर तो ये शहर मिरी,
जान तलक जाए...
                    राशिद अमीन

6744
मेहँदीके धोके मत रह ज़ालिम,
निगाह कर तू l
ख़ूँ मेरा दस्त-ओ-पासे,
तेरे लिपट रहा हैं ll
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

6745
एक पलके लिए,
बनाने वाला भी रोया होगा;
किसीका अरमान जब यूँ,
मौतकी नींद सोया होगा;
हाँथोंकी मेहँदी छूटी भी नहीं,
कि चूड़ियाँ तोड़नी पड़ी;
कौन हैं जो ये लम्हा,
देखकर रोया होगा ll

5 November 2020

6736 - 6740 खामोश प्यार फ़ना गम ज़ुल्फ हिना मेहँदी शायरी

 

6736
ज़ुल्फ बिखेरे उसकी मोहब्बत,
मुझे नुमाइशसी लगती हैं...
उसके हाथोंपें लगी मेहँदी,
मुझे पराईसी लगती हैं.......

6737
रातभर बेचारी मेहँदी,
पिसती हैं पैरोंतले...
क्या करू कैसे कहूँ,
रात कब कैसे ढले...
गुलजा़र

6738
मुझे भी फ़ना होना था,
तेरे हाथोंकी मेहँदीकी तरह...
ये गम नहीं मिट जानेका,
तू रंग देख निखरा हूँ किस तरह...

6739
तेरे हाथोंकी मेहँदीमें,
मेरे प्यारका भी रंग हैं...
तू किसी औरका हो जा,
पर तेरा प्यार मेरे संग हैं...

6740
शादीके सात फेरोंके वक्त,
खामोश खड़ा एक शख्स था...
दुल्हनकी मेहँदीमें आज भी,
बस उसका ही अक्स था.......

4 November 2020

6731 - 6735 दिल जिंदगी वक्त चाहत खुशियाँ रिश्तें हिना मेहँदी शायरी

 

6731
पीपलके पत्तोंजैसा मत बनो,
जो वक्त आनेपर सूखकर गिर जाते हैं;
बनना हैं तो मेहँदीके पत्तोंजैसा बनो,
जो पिसकर भी दूसरोंकी जिंदगीमें रँग भर देते हैं ll

6732
पूरी मेहंदी भी,
लगानी नहीं आती अब तक...
क्यूँ कर आया तुझे,
ग़ैरोंसे लगाना दिलका...
दाग़ देहलवी

6733
मेहँदीके पत्ते जैसा,
हो जाना चाहता हूँ...
मिटकर भी खुशियाँ,
दे जाना चाहता हूँ.......!

6734
वक्तके साथ मेहंदीका,
रंग उतर जाता हैं...
पर चाहतके रंग अपने दिलसे,
कैसे उतारोगी.......

6735
कुछ रिश्तें मेहँदीके,
रंगकी तरह होते हैं...
शुरुवातमें चटख,
बादमें फीके पड़ जाते हैं...

3 November 2020

6726 - 6730 जिन्दगी होठ इश्क़ प्यार याद बर्बाद रिश्तें हिना मेहँदी शायरी

 

6726
होठोंपर हँसी हो तो,
हाथोंमें मेहँदी नहीं लगाई जाती हैं;
इश्क़ किसी औरसे हो तो,
किसी गैरसे शादी नहीं रचाई जाती हैं...

6727
लड़कीके हाथोंपर जब,
मेहँदी रचाई जाती हैं...
तो बहुत सारे रिश्तोंकी,
अहमियत बताई जाती हैं...

6728
किसी औरके रंगमें रंगने लगे हैं वो...
मेरी दुनिया बेरंग कर,
किसी गैरकी यादमें,
हँसने लगे हैं वो.......

6729
भीतर ही भीतर चिल्लाई होगी,
हाथोंमें जब मेहँदी सजाई होगी...
मैंने उजाड़ दी जिन्दगी उसकी,
ये बात उसने खुदको समझाई होगी...

6730
मेरे प्यारकी मेहँदी सजाकर,
किसी औरका घर बसाने चली हैं वो...
मुझे बर्बाद करके किसी औरको,
बर्बाद करने चली हैं वो.......

2 November 2020

6721 - 6725 दिल नाम लकीर जिन्दगी अरमान दफन आशिक हिना मेहँदी शायरी

 

6721
मेरे हाथोंकी लकीरोंमें,
वो नहीं.......
उसके हाथोंकी मेहँदीमें,
मैं नहीं.......

6722
शादीमें लगी मेहँदीका,
रंग कभी नहीं छूटता हैं..
ऐसे मौकेपर ना जाने कितने,
आशिकोंका दिल टूटता हैं.......

6723
मेहँदी हाथोपें लगाकर,
वो मुस्करा रहीं थीं...
मेरे अरमानोंको दफन कर,
वो नया घर बसा रही थी.......

6724
हाथोंकी लकीरोंपर,
बड़ा गुरूर था ;
किसी औरके नामकी,
मेहँदीने तोड़ दिया.......

6725
माना कि सब कुछ पा लुँगा,
मैं अपनी जिन्दगीमें...
मगर वो तेरे मेहँदी लगे हाथ,
मेरे ना हो सकेंगे.......

1 November 2020

6716 - 6720 लकीर सजना नाम आँख आँसू हिना मेहँदी शायरी

 

6716
मेहँदी जब तुम,
मेरे नामकी लगाती हो...
तो क्या इसे तुम अपने,
सहेलियोंको भी दिखती हो...

6717
हाथोंकी लकीरोंमें,
उनका नाम नहीं...
फिर भी हम मेहँदीसे,
लिख लिया करते हैं...!

6718
कैसे भूल जाऊँ मैं उसको,
जो चाहता हैं इस कदर...
हथेलीकी मेहँदीमें लिखा हैं,
उसने मेरा नाम छिपाकर...

6719
इन हाथोंमें लिखके,
मेहँदीसे सजनाका नाम...
जिसको मैं पढ़ती हूँ,
सुबह शाम.......!

6720
उसकी हाथोंकी मेहँदीका,
रंग बड़ा गहरा हैं...
फिर भी आँखोंमें,
कुछ बूँद आँसू ठहरा हैं...

31 October 2020

6711 - 6715 मुहब्बत इश्क़ महफ़िल लब साँसे चाहत लकीर हिना मेहँदी शायरी

 

6711
अगर मुहब्बत उनकी,
कमालकी होती...
तो मेरे हाथोंकी मेहँदीभी,
यूँ लाल होती.......!

6712
तेरे हाथोंके मेहँदीका,
रंग गहरा लाल हैं...
क्योंकि मेरे इश्क़का,
चाहत बेमिसाल हैं.......!

6713
अपने हाथोंकी लकीरोंमें,
मुझको बसाले...
ये मुमकिन नहीं तो,
मेहँदीमें मुझको रचाले...

6714
हाथोंकी मेहँदी,
गालोंपर निखर कर आई हैं ;
तेरे लबोंकी लालीने,
यह महफ़िल सजाई हैं ll

6715
मेहँदीका रंग चढ़ा,
ऐसे मेरे हाथोंमें...
जैसे तेरी इश्क़ चढ़ा था,
मेरी साँसोंमें.......!

30 October 2020

6706 - 6710 दिल मुहब्बत बहाना जमाने खुशियाँ हिना मेहँदी शायरी

 

6706
उसे शक हैं,
हमारी मुहब्बतपर...
लेकिन गौर नहीं करती,
मेहँदीका रंग कितना गहरा निख़रा हैं !!!

6707
जमानेके आगे,
दिलका हाल छुपाये बैठे हैं...
नादान हैं वो जो मेहँदीमें,
मेरा नाम छुपाये बैठे हैं.......

6708
चुराके दिल मेरा,
मुठ्ठीमें छिपाए बैठे हैं...
और बहाना ये हैं कि,
मेहँदी लगाए बैठे हैं...!

6709
मेहँदी जो मिटकर,
हाथोंपर रंग लाती हैं...
दो दिलोंको मिलाकर,
कितनी खुशियाँ दे जाती हैं...

6710
मैं तेरे हाथोंपर,
रच जाऊँगा मेहँदीकी तरह...
तू मेरा नाम कभी,
हाथोंपर सजा कर तो देख...!