31 December 2020

6976 - 6980 दिल चिराग रौशनी ख़ुशी हिसाब ग़म शायरी

 

6976
सफ़ेद-पोशी--दिलका,
भरमभी रखना हैं;
तिरी ख़ुशीके लिए,
तेरा ग़म भी रखना हैं ll

6977
एक वो हैं कि जिन्हें,
अपनी ख़ुशी ले डूबी...
एक हम हैं कि जिन्हें,
ग़मने उभरने दिया.......

6978
तेरे बिना ख़ुशियोंका,
चिराग जलता नहीं l
शहरकी रौशनीसे,
ये दिल बहलता नहीं ll

6979
उस ख़ुशीका,
हिसाब कैसे हो...
जो तुम पूछ लो,
जनाब कैसे हो.......

6980
ख़ुश हूँ कि मुझको जलाके,
तुम हँसे तो सही...
मेरे सही किसीके दिलमें,
बसे तो सही.......!

30 December 2020

6971 - 6975 दिल फ़र्क़ बात उजाला मुक़ाम कफ़न ख़ुशी ग़म शायरी

 

6971
अब क्या करें उमीदकी,
इस काली रातके बाद उजाला होगा;
चन्द ख़ुशियोंके सहारे,
कफ़न अपना बना रहे हैं ll
 
6972
चार दिनकी बात हैं,
क्या दुश्मनी, क्या दोस्ती...
काट दो इसको ख़ुशीसे,
यार हँसते हँसते.......!
गुमनाम भरतपुरी

6973
मेरे बटुएमें तुम पाओगे,
अक्सर नोट ख़ुशियोंके...!
मैं सब चिल्लर उदासीके,
अलग गुल्लकमें रखता हूँ...!!!

6974
जैसे उसका कभी,
ये घर ही था...
दिलमें बरसों,
ख़ुशी नहीं आती...

6975
ग़म और ख़ुशीमें,
फ़र्क़ महसूस हो जहाँ,
मैं दिलको उस मुक़ामपें,
लाता चला गया.......

28 December 2020

6966 - 6970 नख़रे नाराज़ फ़िक्र ज़माने ख़ुशी ग़म शायरी

 

6966
ख़ुशियाँ बहुत सस्ती हैं,
इस ज़मानेमें...
हमही ढुँढते हैं,
उसे महँगी दुकानोमें.......

6967
नाराज़ हमेशा,
ख़ुशियाँही होती हैं...
ग़मोंके इतने,
नख़रे नहीं होते.......

6968
ख़ुशियोंका क्या हैं,
कोई कह दे कि...
'पतले लग रहे हो',
तो मिल जाती हैं...!

6969
किसने कहा था की,
ख़ुशियाँ बाँटनेसे बढती हैं...l
आजकल ख़ुशियाँ बाँट दो तो,
दुश्मन बढ़ जाते हैं.......ll

6970
फ़िक्रसे आज़ाद थे और...
ख़ुशियाँ इक़ट्ठी होती थीं...!
वो भी क्या दिन थे,
जब अपनी भी...
गर्मियोंकी छुट्टियाँ होती थीं...ll

27 December 2020

6961 - 6965 दिल जमाने ख़्याल मिजाज बरकत इन्तिजार हंसी ख़ुशी ग़म शायरी

 

6961
दिल दे तो,
इस मिजाजका परवरदिगार दे !
जो रंजकी घड़ीभी,
ख़ुशीसे गुजार दे.......!!!
                                    मिर्जा दाग

6962
फूलोंके इन्तिजारमें,
कांटोंसे भी निभाइए...
यानी ख़ुशीके वक्त,
गमका शऊर चाहिए...

6963
ख़ुशियाँ ज़मीनसे उगती हो,
या बरसती हो आसमांसे...
किसीसे बाँट लो,
फिर देखो बरकतें इनकी...!

6964
खुशियाँ तो बहुत हैं,
मेरे दायरेमें, लेकिन...
मुकम्मल सबकुछ तेरे,
ख़्यालसे ही होता हैं.......!!!

6965
माँगते हैं,
जमानेकी ख़ुशियाँ,
खुद तरसते हैं,
इक हंसीको हम ll

26 December 2020

6956 - 6960 दिल ख़ुशी फिक्र लिबास ख़िज़ाँ बहार बरकत महसूस खुशी ग़म शायरी

 

6956
हुए जो खूगर--गम ऐशका,
उनपर असर क्या हो...?
खुशीको वो खुशी समझें,
जो गमको गम समझते हैं...!
                       जोश मल्सियानी

6957
मेरी ख़ुशी तो मेरे,
गमोंका लिबास हैं...
लेकिन बरकतें इतना,
कहाँ गमशनास हैं......

6958
मैं जिन्दगीका साथ निभाता चला गया,
हर फिक्रको धुएंमें उड़ाता चला गया;
जो मिल गया उसीको मुकद्दर समझ लिया,
जो खो गया मैं उसको भुलाता चला गया;
गम और खुशीमें फर्क महसूस हो जहाँ,
मैं दिलको उस मुकाममें लाता चला गया;
बर्बादियोंका सोग मनाना फिजूल था,
बर्बादियोंका जश्न मनाता चला गया ll
                                        साहिर लुधियानवी

6959
हजार गम सही दिलमें,
खुशी मगर यह हैं.......
हमारे होठोंपर माँगीहुई,
हँसी तो नहीं हैं.......?

6960
हो दौर--गमकि अहदे-खुशी,
दोनों एक हैं...
दोनों गुजश्तनी हैं,
ख़िज़ाँ क्या, बहार क्या...?
                       त्रिलोक चन्द महरूम

25 December 2020

6951 - 6955 दिल ज़िन्दगी याद साँस नसीब ख़ुशी ग़म शायरी

 

6951
मैने दिलसे कहा उसे,
थोड़ा कम याद किया कर...
दिलने कहा वो साँस हैं तेरी,
तु साँसही मत लिया कर...!

6952
कैसे कह दूँ मिला नहीं,
नसीबसे कुछ मुझको...
मैंने जब भी माँगा,
तेरी ख़ुशी मांगी,
शायद तुम्हें नहीं माँगा...

6953
ख़ुशी उनको नहीं मिलती,
जो अपने ईरादेसे,
ज़िन्दगी जिया करते हैं...
ख़ुशी उनको मिलती हैं,
जो दुसरोंकी ख़ुशीके लिए,
अपने ईरादे बदल दिया करते हैं...

6954
ये ना पूछना,
ज़िन्दगी ख़ुशी कब देती हैं...
क्योकि शिकायते तो उन्हें भी हैं,
जिन्हें ज़िन्दगी सब देती हैं.......

6955
मैने हर गमको खुशीमें ढाला हैं,
मेरा हर इक रंग निराला हैं,
लोग जिन हादिसोंमें मरते हैं,
मुझको उन हादिसोंने पाला हैं...!
                                    नरेश कुमार

24 December 2020

6946 - 6950 दिल चेहरे आँख साँस ख़ुशी यादें मुस्कुराहट दर्द नमी ग़म शायरी

 

6946
चेहरेपर ख़ुशी,
आँखोंमें नमी हैं...
हर साँस कहती हैं,
बस तेरी कमी हैं.......!

6947
आँसूओंकी नमीका,
क्या करते...
मुस्कुराहटमें,
दर्द दिखता हैं...
डॉ. फौज़िया नसीम शाद

6948
आज फिर मौसम नम हुआ,
मेरी आँखोंकी तरह...
शायद बादलोंका दिलभी,
किसीने तोड़ा होगा.......

6949
साँसोंमें तपिश, यादोंमें कसक,
आहोंमें नमी हैं l
इस महीनेमें सब कुछ हैं,
बस उसकी कमी हैं.......ll

6950
ये जो,
सूखी टहनियोंमें,
ज़रासी नमी बची हैं ना...
इसीको यादें कहते हैं.......!

23 December 2020

6941 - 6945 दिल दगा पल धड़कन आँखे आँसू याद ख़ुशी नमी ग़म शायरी

 

6941
पलभर तुझे ना सोचु तो,
धड़कने तरसने लगती हैं...
तुमको जो देख लू तो,
नम आँखे भी हसने लगती हैं...

6942
आपकी याद...
आती रही रातभर ;
चश्म--नम,
मुस्कुराती रहीं रातभर ll
मख़दूम मुहिउद्दीन

6943
और भी कितने तरीक़े हैं,
बयान--ग़मके...
मुस्कुराती हुई आँखोंको तो,
पुर-नम करो.......
                         अब्दुल अज़ीज़

6944
यह तो नहीं कि गम नहीं...
लेकिन मेरी आँख नम नहीं...
फिराक गोरखपुरी

6945
नम हैं आँखे मेरी मगर...
एकभी आँसू बह ना पायेगा...
ये दिलभी कितना दगाबाज़ हैं, यारो...
खुदको भूल जायेगा मगर...
तुझे ना भूल पायेगा.......

22 December 2020

6936 - 6940 आँसू आदत बहाना हिज्र सफ़र मुसाफ़िर ख़ुशी नमी ग़म शायरी

 

6936
हम मुसाफ़िर हैं गर्द--सफ़र हैं,
मगर शब--हिज्र हम कोई बच्चे नहीं;
जो अभी आँसुओंमें नहाकर गए,
और अभी मुस्कुराते पलट आएँगे ll
                                     ग़ुलाम हुसैन साजिद

6937
गमके मारे जो मुस्कुराए हैं,
आँसुओंको भी पसीने आए हैं,
क्या बला हैं ख़ुशी नहीं मालूम...
हमतो बस नाम सुनते आए हैं ll

6938
ग़मोसे उलझकर मुस्कुराना,
मेरी आदत हैं l
मुझे नाकामियोंपें,
आँसू बहाना नहीं आता...ll

6939
जाने कब गुम हुआ,
कहाँ खोया...
इक आँसू,
छुपाके रखा था...

6940
तेरी जुबानने कुछ,
कहा तो नहीं था...
फिर जाने क्यों मेरी,
आँख नम हो गयी.......

6931 - 6935 मोहब्बत याद हैरान वजह नज़रें आँसु इशारा आँखोंकी नमी शायरी

 

6931
हैरान कर दिया,
उसने आँसुओंकी वजह पूछकर...
जो शख्स कभी मुझको,
मुझसे ज्यादा जानता था.......

6932
इशारा यहभी हैं, की आँखें चुराएँ...
इशारा यहभी हैं, की नज़रें मिलाएँ...
पर मोहब्बत उसे कहते हैं हुज़ूर...
की वो बिन कहेही सब समझ जाएँ ll

6933
तेरी यादोंको पसंद गई हैं,
मेरी आँखोंकी नमी...
हँसनाभी चाहू तोभी,
रुला देती हैं तेरी कमी...

6934
हिम्मत इतनी थी,
समुन्दरभी पार कर सकते थे;
मजबूर इतने हुए कि,
दो बूँद आँसुओंने डुबो दिया...!

6935
गंगा सागरसे मिलकर बोली,
मुझे अपनेमें समाते तो...
फिरभी सागर कहलाते हो?,
सागर बोला अपने आँसुओंको...
दूरतक बरसाया हैं,
तब जाकर तुझको पाया हैं.......!

20 December 2020

6926 - 6930 तोहफे याद दीदार शराब जाम बेवफ़ाई ख़याल आँखोंकी नमी अश्क़ शायरी

 

6926
सोचकर बाज़ार गये था,
कुछ अश्क़ बेचने...
हर खरीददार बोला,
तोहफे बिका नहीं करते...!

6927
तेरी यादोंकी नौकरीमें,
दीदारकी तनख़्वाह मिलती हैं;
खर्च हो जाते हैं अश्क़ नैनोंके,
रहमत कहाँ उधार मिलती हैं...?

6928
मेरे अश्क़ भी हैं इसमें,
ये शराब उबल ना जाएँ...
मेरा जाम छूनेवाले,
तेरा हाथ जल ना जाएँ.......

6929
अश्क़ अच्छेही तो हैं...
मसला ग़म बहानेका अगर हैं...!

6930
बेवफ़ाईका मुझे,
जबभी ख़याल आता हैं...
अश्क़ रुख़सारपर,
आँखोंसे निकल जाते हैं...

19 December 2020

6921 - 6925 वक्त बेवफाई लफ़्ज़ जुदाई दर्द तबस्सुम रुख़सार आँख अश्क़ शायरी

 

6921
उसकी जुदाईको लफ़्ज़ोंमें,
कैसे बयान करें...
वो रहती दिलमें,
धडकती दर्दमें और,
बहती अश्क़में.......

6922
गिरा पलकोंसे,
अश्क़ तो सोचा ना था;
रुख़सारपर हाथ तेरे,
संभाल लेंगे उन्हें.......

6823
ना देख पीछे मुड़कर,
वक्तको वो गुजर गया...
सुनो हथेलीमें एक बूँद अश्क़की,
कब तक संभालोगे.......

6924
किसी चेहरेपें तबस्सुम,
किसी आँखमें अश्क़,
अजनबी शहरमें अब,
कौन दोबारा जाये...?

6925
अश्क़ गिरे मेरे,
जो उसके पहलूमें,
बेवफाई इस शहरमें,
फिर आम हो गई.......

18 December 2020

6916 - 6920 इन्तजार गवाही बेबसी यादें शिद्दत बेबसी इन्तजार तड़प आँख अश्क़ शायरी

 

6916
तुमने पौंछेही नहीं,
अश्क़ मेरी आँखोंसे...
मैंने खुद रो के बहुत देर,
हँसाया था तुम्है.......

6917
तुम्हारी यादकी शिद्दतमें,
बहनेवाला अश्क़,
ज़मींमें बो दिया जाएँ,
तो आँख उग आएँ.......!

6918
वापस ले लो वो सारी यादें,
तड़प और अश्क़...
जुर्म कोई नही हैं मेरा,
तो फिर ये सज़ा कैसी.......?

6919
खुद अपनी बेबसीकी,
उड़ाई हैं यूँ हँसी...
आये जो अश्क़ आँखोंमें,
हम मुस्कुरा दिये.......

6920
इन्तजारका वो अश्क़,
मेराही हैं ;
तेरी भीगी आस्तीन,
मेरे इश्ककी गवाही हैं आजभी ll

6911 - 6915 जिंदगी उल्फ़त मोहब्बत वफ़ा अफ़साने गम ख़्याल सपने निगाह आँखे अश्क़ शायरी

 

6911
गमके बादल बहुत घने थे,
आँखे मेरी अश्क़ तेरे थे,
पथरायी आँखोंमें सपने,
पत्थर जैसेही दिखते थे ll

6912
ये ख़्यालोंकी बदहवासी हैं,
या तेरे नामकी उदासी हैं,
अश्क़ चेहरेके मरुस्थलमें हैं,
आँख पानीके घरमें प्यासी हैं ll

6913
मोतीही थे, जबतक...
निगाहोंमें थे !
गिरतेही जमींपर,
अश्क़ हो गए...!

6914
कितने नाज़ोंसे यूँ,
पलकोंपें बिठा रखे हैं..
आँखोंने अश्क़भी,
मोतीसे सजा रखे हैं...

6915
उल्फ़त, मोहब्बत, वफ़ा,
अश्क़, अफ़साने...
लगता हैं वो आया ही था,
जिंदगीमें सिर्फ उर्दू सिखाने.......!

16 December 2020

6906 - 6910 ज़िन्दगी याद रोशनी ख्वाब पनाह निगाह आँख़ अश्क़ शायरी

 

6906
अपनी आँख़ोंके अश्क़ बहाकर सोना;
तुम मेरी यादोंका दिया जलाकर सोना;
डर लगता हैं नींद ही छीन ना ले तुझे...
तू रोज़ मेरे ख्वाबोमें आकर सोना.......

6907
छलके थे जो कभी,
आँख़ोंसे मेरी...
अश्क़ वो क्यों,
तेरी आँख़ोंसे मिले...

6908
ज़िन्दगी तूने मुझे,
तोहफ़े बड़े अनमोल दिये हैं...
अश्क़ जितने भी थे,
सब नाम मेरे तौल दिये हैं...!

6909
ये रोशनी, ये हवा क्या करूँ,
मैं ज़मानेकी दुआ क्या करूँ...?
मेरी आँख़ोंके अश्क़ रेत हुए,
यार दरिया ना हुआ क्या करूँ...?

6910
चैन मिलता था जिसे,
आके पनाहोंमें मेरी...
आज देता हैं वहीं,
अश्क़ निगाहोंमें मेरी.......