20 February 2017

991 अहसास पास शायरी


991
तुम चले गए,
पर तेरा अहसास रह गया...
चलो कुछ न कुछ तो,
मेरे पास रह गया…...

19 February 2017

990 जानता पूछना चाहता बताना आईना पसंद शायरी


990
जानता हूँ,
मगर फिर भी पूछना चाहता हूँ...
आप आईना देखकर बताना...
मेरी पसंद कैसी हैं......!

989 मोती माला तारीफ़ धागा जोड़ शायरी


989
मालाकी तारीफ़ तो करते हैं सब,
क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं...
काबिल-ए-तारीफ़ धागा हैं जनाब,
जिसने सबको जोड़ रखा हैं

987 दिल तड़प लम्हे याद खामोश नज़र भीगी पलक मुस्करा शायरी


987
दिल तड़पता रहा और वो जाने लगे,
संग गुज़रे हर लम्हे याद आने लगे,
खामोश नज़रों से देखा जो उसने मुडकर,
भीगी पलकों से हम भी मुस्कराने लगे !

988 नब्ज हँस मर्जकी दवा हकीम महफिल पुराने दोस्त शायरी


988
देखी जो नब्ज मेरी,
हँसकर बोला वो हकीम,
जा जमा ले महफिल पुराने दोस्तोंके साथ..
तेरे हर मर्जकी दवा वहीं हैं…

986 दिल लाख शिकायत बयाँ शायरी


986
लाख शिकायतें हैं,
मगर कैसे करूँ बयाँ...
इधर दिल अपना,
उधर वो अपने......!

17 February 2017

985 दिल मुहब्बत आलम जरूरत साँस शायरी


985
ये दिल ही तो जानता हैं,
मेरी पाक मुहब्बतका आलम फ़राज़।
के मुझे जीनेके लिए साँसोंकी नहीं, 
तेरी जरूरत हैं......

984 सोच टूट चाह शायरी


984
सोचा था की  वो बहुत,
टूटकर चाहेगा हमे फ़राज़...
लेकिन चाहा भी हमने,
और टूटे भी हम......

983 बेशक खूबसूरत चेहरे मुस्कान शायरी


953
बेशक वो खूबसूरत,
आज भी हैं फ़राज़।
पर चेहरेपर वो मुस्कान नहीं,
जो हम लाया करते थे......

982 मोहब्बत सफर किफाय दाम आँसू बिक शायरी


982
तेरी मोहब्बतका सफर,
ऐसा लग रहा हैं फ़राज़।
जैसे किफायती दामपर
आँसू बिक रहे हो......

980 तोहमते हसीन इल्ज़ाम नाम शायरी


980
तोहमते तो लगती रहीं,
रोज नयी नयी हम पर फ़राज़।
मगर जो सबसे हसीन इल्ज़ाम था…
वो तेरा नाम था......

981 सूरज चौखट खैरात उजाले शायरी


981
जिनको सूरज मेरी चौखटपें,
मिला करता था फ़राज़।
वो आज देते हैं,
खैरातमें उजाले मुझको......

979 अक्सर हैरत शायरी


979
अक्सर वो कहते हैं,
वो बस मेरे हैं फ़राज़।
अक्सर क्यों कहते हैं...
हैरत होती हैं......

978 हसीन होठ नजर चुम गुस्ताख पर्दे शायरी


978
अपने हसीन होठोंको,
किसी पर्देमें छिपा लिया करो फ़राज़।
हम गुस्ताख लोग हैं,
नजरोंसे चुम लिया करते हैं......

977 मोहोब्बत काश बेसब्री तसल्ली शायरी


977
काश वो आकर कहें,
किसी दिन मोहोब्बतसे फ़राज़।
ये बेसब्री कैसी...
तेरी ही हूँ मैं तसल्ली रख......

976 भुला वक़्त सब्र कदर रुह शायरी


976
भुला देंगे तुझे,
जरा तो सब्र कर फ़राज़।
बसे हो इस कदर रुहमें,
कुछ तो वक़्त लगेगा......

15 February 2017

975 जिक्र महफ़िल नाम ग़ैर लब शायरी


975
जिक्र तेरा हुआ तो,
हम महफ़िल छोड़ आये फ़राज़।
हमे ग़ैरोंके लबपें...
तेरा नाम अच्छा नहीं लगता......

974 दिल बुरा बाज़ार मकान दिन शायरी


974
ये दिल बुरा ही सही,
सरे बाज़ार तो ना कहो फ़राज़।
आखिर तुमने इस मकानमें...
कुछ दिन गुजारे भी थे......

973 हजार दुआ माँग खुशनसीब शायरी


973
हजार दुआओंमें माँगकर भी,
वो हमारी ना हो सकी फ़राज़।
खुशनसीबने बिना मांगे ही,
उन्हें अपना बना लिया......

972 दिल गलत सुन इश्क़ आँख पलके शायरी


972
गलत सुना था की,
इश्क़ आँखोंसे होता हैं फ़राज़।
दिल तो वो भी ले जाते हैं...
जो पलके तक नहीं उठाते......

971 मुहब्बत अजीब कश्मकश धड़कन संभल जान शायरी


971
अजीब कश्मकशसी होती हैं,
मुहब्बतमें फ़राज़।
धड़कने संभलती नहीं
और जान निकलती नहीं......

14 February 2017

970 दिल चाह जुदा नाता टूटे जोड़े शायरी


970
दिलसे चाहने वाला कभी जुदा नहीं होता,
जो होता हैं वो अपना नहीं होता,
किसी टूटे हुए तो नाता जोड़ो,
जो टूटे हुए दिल जोड़े...
उससे बड़ा खुदा नहीं होता l

969 महबूब खुदा कबूल शायरी


969
उसने महबूब ही तो बदला हैं,
फिर ताज्जुब कैसा …
दुआ कबूल ना हो तो लोग,
खुदा तक बदल लेते हैं !!!

968 दिल खूबसूरत चेहरे दुनियाँ खूबसूरत तलाश उमर गुजर शायरी


968
खूबसूरत "चेहरे",
तो बहुत देखे इस दुनियाँमें मगर...
खूबसूरत "दिल",
तलाशनेमें उमर गुजर गयी...!

967 खिल मसले कुचले फूल शर्त सीने शायरी हैं हीं हां में मैं पें याँ आँ हूँ हाँ हें


967
खिल भी सकते हैं,
ये मसले कुचले हुए फूल.....
शर्त यह हैं की,
सीनेसे लगाना होगा ।।

966 दिल सस्ते दौलत जिस्म खर्च शायरी हैं हीं हां में मैं पें याँ आँ हूँ हाँ हें


966
दिल तो आज भी
सस्ते हैं साहब ...
दौलत तो जिस्मोंपर 
खर्च होती हैं…

965 दिल खत सफर जज़्बात बात शायरी


965
खतोंसे मीलों सफर करते थे
जज़्बात कभी...
अब घंटों बातें करके भी
दिल नहीं मिलते…

964 हिम्मत समुन्दर मजबूर बूँद आँसु शायरी


964
हिम्मत इतनी थी कि,
समुन्दर भी पार कर सकते थे,
मजबूर इतने हुए कि,
दो बूँद आँसुओंने डुबो दिया…

963 दिल काँच हाथ जख्म ख्याल शायरी


963
 "बनाने वालेने दिल काँचका बनाया होता,
तोड़ने वालेके हाथमें जख्म तो आया होता…
जब बी देखता वो अपने हाथोंको,
उसे हमारा ख्याल तो आया होता…"

961 प्यार आँख दीवाने बात इंकार कसूर गुनहगार नाम शायरी


961
“दीवाने हैं तेरे नामके,
इस बातसे इंकार नहीं,
कैसे कहें कि तुमसे प्यार नहीं...
कुछ तो कसूर हैं आपकी आँखोंका,
हम अकेले तो गुनहगार नहीं l

962 तस्वीर सिने जुदाई गम जिक्र पलक शायरी


962
"उनकी तस्वीरको सिनेसे लगा लेते हैं,
इस तरह जुदाईका गम मिटा देते हैं,
किसी तरह कभी उनका जिक्र हो जाये तो,
भिगी पलकोंको हम झुका लेते हैं l"

11 February 2017

960 रात शाम याद बात साँस खामोश आवाज़ शायरी


962
रात हुई जब शामके बाद,
तेरी याद आई हर बातके बाद,
हमने खामोश रहकर भी देखा,
तेरी आवाज़ आई हर साँसके बाद !

959 दिल शाम चराग़ याद शायरी


959
शाम होते ही,
चराग़ोंको बुझा देता हूँ…
दिल ही काफ़ी हैं,
तेरी यादमें जलनेके लिए !

958 शक मुहब्बत सबूत बदनाम शायरी


958
शक ना कर,
मेरी मुहब्बतपर पगली......
अगर मैं सबूत देनेपर आया तो...
तु बदनाम हो जायेगी...!!!

957 दिल नाम उलझ होंठ शायरी


957
हमने लिया सिर्फ होंठोंसे,
जो तेरा नाम…
दिल होंठोंसे उलझ पड़ा,
कि ये सिर्फ मेरा हैं !

956 दिल प्यार वादे जिक्र मोहब्बत बाजार डर सोच रुसवाई ऐतबार शायरी


956
वादेपें वो ऐतबार नहीं करते,
हम जिक्र मोहब्बत सरे बाजार नहीं करते;
डरता हैं दिल उनकी रुसवाईसे,
और वो सोचते हैं हम उनसे प्यार नहीं करते ।।

10 February 2017

955 उदासी वजह इजाजत नाम शायरी


955
लोग मुझसे मेरी,
उदासीकी वजह पूछते हैं फ़राज़।
इजाजत हो तो...
तेरा नाम बता दूँ......

954 वाकिफ हार कमजोरी शायरी


954
वाकिफ हैं वो मेरी,
हर कमजोरीसे फ़राज़।
वो रो देती हैं...
और मैं हार जाता हूँ......

953 दिल कोशिश सूखे परिन्दे बसेरा शायरी


953
टूटे हुए दिलमें रहनेकी,
कोशिश ना कर फ़राज़।
क्योंकी सूखे हुए पेड़पर तो,
परिन्दे भी बसेरा नहीं करते......

952 मलाल ग़ैर छत परिन्दे शायरी


952
जो उड़ गए परिन्दे,
उनका मलाल क्या करूँ फ़राज़। 
यहां तो पाले हुए भी,
ग़ैरोंके छतोंपर उतरते हैं......

951 फायदा बारिश बरस सीने शख्स बिजलि डर शायरी


951
अब क्या फायदा,
बारिशोंके बरसनेका फ़राज़,
वो शख्स ही पास नही,
जो सीनेसे लगता था...
बिजलियोंकी डरसे II

9 February 2017

950 कम सज़ा पेशेवर मुज़रिम गलती इश्क़ शायरी


950
उससे कह दो मेरी सज़ा,
कुछ कम करदे फ़राज़।
मैं पेशेवर मुज़रिम नहीं हूँ......
गलतीसे इश्क़ हुआ हैं ll

949 खुबसुरत रिश्ता शायरी


949
कितना खुबसुरत हैं,
उसका मेरा रिश्ता...
उसने कभी बांधा,
हमने कभी छोड़ा......

948 लफ्ज़ कहर असर खामोश शायरी


948
अपने हर लफ्ज़में,
कहर रखते हैं हम,
रहें खामोश फिरभी,
असर रखते हैं हम...!

947 जीना सब कुछ शायरी हैं हीं हां में मैं पें याँ आँ हूँ हाँ हें


947
जी चुके हैं उनके लिये,
जो मेरे लिये सब कुछ थे...
अब जीना हैं उनके लिये,
जिनके लिये मैं सब कुछ हूँ...

946 जिंदगी कदम समझौता शौक मरमर शायरी हैं हीं हां में मैं पें याँ आँ हूँ हाँ हें


946
"जिंदगी तुझसे हर कदमपर,
समझौता क्यों किया जाए...
शौक जीनेका हैं मगर,
इतना भी नहीं,
की मरमरके जिया जाए..."

945 यकीनन फर्क खास नजरअंदाज़ शायरी


945
आ गया हैं फर्क,
तुम्हारी नजरोंमें यकीनन...
अब एक खास अंदाज़से,
नजरअंदाज़ करते हो हमे...

944 किस्मत आसमान चमक सितारे टूट तमन्ना इंतज़ार शायरी


944
हैं किस्मत हमारी,
आसमानमें चमकते सितारे जैसी
लोग अपनी तमन्नाके लिए,
हमारे टूटनेका इंतज़ार करते हैं…

943 इश्क बात बूरा पहचान राहत शायरी


943
इश्क, एक बात कहूँ,
बूरा तो नहीं मानोगे
बहुत राहतके दिन थे,
तेरी पहचानसे पहले

942 जिन्दगी जख्म जुबां खामोश आँख नमी दस्तान शायरी


943
जुबां खामोशआँखोंमें नमी होगी,
यहीं बस मेरी दस्तान--जिन्दगी होगी...
भरनेको तो हर जख्मभर जाऐगा,
कैसे भरेगी वो जगह हां तेरी कमी होगी...

941 दुनियाँ हमदर्दी उम्मीद प्यार जख्म शिद्दतसे चाह शायरी हैं हीं हां में मैं पें याँ आँ हूँ हाँ हें


942
उम्मीद न कर इस दुनियाँमें,
किसीसे हमदर्दी की...
बड़े प्यारसे जख्म देते हैं,
शिद्दतसे चाहनेवाले...!

8 February 2017

940 दुनियाँ जनाब सोच ख्वाब शायरी


940
जो इस दुनियाँमें नहीं मिलते ,
वो फिर किस दुनियाँमें मिलेंगे जनाब...
बस यही सोचकर रबने एक दुनियाँ बनायी ,
जिसे कहते हैं ख्वाब...!!!

939 प्यार मालिक हक़ किरायेदार शायरी


939
माना की उसके प्यारका,
मालिक नहीं हूँ मैं...
पर किरायेदारका भी कुछ,
हक़ तो बनता हैं ना॥

938 दिल प्यार बेक़रार नादान पागल अमानत समझ इंतज़ार शायरी


938
कितना समझाया दिलको,
कि तू प्यार ना कर;
किसीके लिए खुदको,
बेक़रार ना कर...
वो तेरे लिए नहीं हैं नादान;
पागल, किसी औरकी अमानतका,
इंतज़ार ना कर

937 आँखें बातें अजनबी शायरी हैं हीं हां में मैं पें याँ आँ हूँ हाँ हें


937
आँखें भिगोने लगी हैं,
अब तेरी बातें...!
काश तुम अजनबी ही रहते...
तो अच्छा था...!

936 दुनियाँ जिंदगी साथ सच्चा प्यार साँसे एहसान बाह राह शायरी


936
साथ देना चाहते हैं, आपकी हर राहमें,
जिंदगी जीना चाहते हैं, आपकी बाहोंमें,
बन जाना साँसे हमारी ओर, कर देना एहसान इतना,
जो हो हमारा प्यार सच्चा इस दुनियाँमें...!

6 February 2017

935 मुस्कुरा आँखें बात दर्द बयाँ शायरी


935
कभी मुस्कुराती आँखें भी,
कर देती हैं कई दर्द बयाँ,
हर बात रोकर बताना ही,
जरूरी नहीं होता…

934 दिल गुस्सा प्यारा तंग शायरी


934
तुम्हारा तो गुस्सा भी,
इतना प्यारा हैं के...!
दिल करता हैं दिनभर तुम्हे,
तंग करते रहें...!!

933 इश्क रुला रोने चाह शायरी


933
मत पूछो ये इश्क कैसा होता हैं...
बस जो रुलाता हैं ना,
उसीके गले लगकर...
रोनेको जी चाहता हैं  ll

932 यकीन साथ फर्क खिलाफ शायरी


932
जब मुझे यकीन हैं,
कि खुदा मेरे साथ हैं l
तो इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता,
कि कौन कौन मेरे खिलाफ हैं…!!!

931आसानी ज़िद मुकद्दर ख्वाहिश शायरी


932
मिल सके आसानीसे ,
उसकी ख्वाहिश किसे हैं ?
ज़िद तो उसकी हैं...
जो मुकद्दरमें लिखा ही नहीं...

930 आसान समझ शायद पन्ने छोड़ पढ़ शायरी


930
इतना, आसान हूँ कि,
हर किसीको समझ आ जाता हूँ,
शायद तुमने ही...
पन्ने छोड़ छोड़कर पढ़ा हैं मुझे…!!

929 मोहब्बत दुनियाँ दस्तूर अजीब शायरी


929
तेरी दुनियाँका यह दस्तूर भी,
अजीब हैं "ए खुदा"...
मोहब्बत उनको मिलती हैं...
जिन्हें करनी नहीं आती...!

928 मुलाक़ात वक़्त तक़ाज़ा याद दिल दर्द जुदाई बातें हकीकत अंदाजा ग़ज़ल शायरी


928
हर मुलाक़ातपर वक़्तका तक़ाज़ा हुआ l
हर यादपर दिलका दर्द ताज़ा हुआ l
सुनी थी सिर्फ ग़ज़लोंमें जुदाई कि बातें l
अब खुद पर बीती तो हकीकतका अंदाजा हुआ ll

927 काश वजह साथ आँखें पल खाव्ब गुजर कल शायरी


427
काश फिर वो मिलनेकी वजह मिल जाएँ,
साथ वो बिताया वो पल मिल जाये,
चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें,
क्या पता खाव्बोंमें गुजराहुआ कल मिल जाएँ…

926 दुनियाँ रुला शायरी


926
मुझे कुछ हो गया तो,
इस दुनियाँमें कोई नहीं रोयेगा...
अगर तुझे कुछ हो गया तो,
पूरी दुनियाँको रुलाऊंगा !

4 February 2017

925 याद शुरु सुबह दिन खराब शायरी


925
तेरी हर यादसे शुरु होती हैं,
मेरी हर सुबह
फिर ये कैसे कह दुँ कि,
मेरा दिन खराब हैं...!

924 प्यार मदहोश आलम याद बेवफ़ा बदनाम धूल चेहरे बरस रोते आईना शायरी


924
उसकी यादमें हम बरसों रोते रहें;
बेवफ़ा वो निकले बदनाम हम होते रहें;
प्यारमें मदहोशीका आलम तो देखिये;
धूल चेहरेपें थी और हम आईना साफ़ करते रहें...

923 याद करवटें दर्द झील लफ़्ज रोता खुश शायरी


923
कहीं दर्दकी झीलें हैं,
तो कहीं यादों भरी करवटें...
उसे कहना मैं खुश तो हूँ,
मगर मेरा हर लफ़्ज रोता हैं.....!

922 घोंसला मशगूल उड़ने पंख भूल शायरी


922
घोंसला बनानेमें हम,
यूँ मशगूल हो गये...
उड़नेको पंख भी थे,
ये हम भूल ही गये...!!

921 जिंदगी लम्हें किताब साँस ख्वाब हिसाब जरुरतें ख्वाहिशे सवाल जवाब शायरी


921
लम्होंकी एक किताब हैं जिंदगी,
साँसों और ख्वाबोंका हिसाब हैं जिंदगी,
कुछ जरुरतें पुरी कुछ ख्वाहिशे अधुरी
इन्ही सवालोंका जवाब हैं जिंदगी।l

3 February 2017

920 रोशनी चेहरे आँख शायरी


920
इतनी रोशनी हैं,
चेहरेमें उसके,
मेरी आँखोंके पतंगे,
वहीं उड़ते मिलते हैं।

919 माँग भूल दुआ नाम शायरी


919
माँगना भूल जाऊँ तुम्हें,
हर नमाज़के बाद...,
इसलिये मैने तुम्हारा नाम,
दुआ रख दिया !!!

918 दिल मेहमान सुलतान सल्तनत शायरी


918
किसने कहां तू मेरे दिलमें,
मेहमान बनके आया कर...
ये तेरी सल्तनत हैं, जबभी आया कर,
सुलतान बनके आया कर…

917 ज़रुरत चाह नफरत पुराने शायरी


918
ज़रुरत हैं मुझे कुछ,
नए नफरत करनेवालोंकी,
पुरानेवाले तो अब,
चाहने लगे हैं मुझे…

916 लोग बदल उदासी संभल चेहरे झलक दर्द मुस्कुरा सीख शायरी


916
कुछ लोग कहते हैं, की बदल गया हूँ मैं ,
उनको ये नहीं पता, की संभल गया हूँ मैं ,
उदासी आज भी मेरे चेहरेसे झलकती हैं , पर
अब दर्दमें भी मुस्कुराना सीख गया हूँ मैं...ll

2 February 2017

915


उन आँखों की झपकियों को भी ...
सौ दफा सलाम है ...
दिल ...
जिन आँखों की पलकों के नीचे ...
मेरी चाहत पनाह लेती है ...

914 मोहब्बत दीदार दौर अजब फलसफा वक्त थम इंतजार शायरी


914
अजब फलसफा हैं वक्तका,
मोहब्बतके दौरमें,
इंतजार-ए-मोहब्बतमें वक्त कटता नहीं
दीदार-ए-मोहब्बतमें वक्त थमता नहीं...

913 ज़िन्दगी हकीकत इश्क ख़्वाब फरेब शायरी


913
तू हकीकत-ए-इश्क हैं
या कोई फरेब...
ज़िन्दगीमें आती नहीं, 
ख़्वाबोंसे जाती नहीं...

912 दिल मोहब्बत बात जमाना चेहरा शायरी


912
दिलोंकी बात भले,
करता हो जमाना...
मगर मोहब्बत आज भी,
चेहरोंसे ही होती हैं...

911 दौर लफ़्ज़ पढ़ने शायरी


911
ये वो दौर हैं कि पढ़नेवालें...
हर लफ़्ज़को छूके देखते हैं...