22 June 2020

6061 - 6065 लहू दीवार दामन क़ाँटे बहार अन्दाज जान बर्बाद अंजामे गुलिस्ताँ शायरी


6061
लहूसे मैंने लिखा था,
जो कुछ दीवार--ज़िंदाँ पर...
वो बिजली बनके चमका,
दामन--सुब्ह--गुलिस्ताँ पर...
                    सीमाब अकबराबादी

6062
क़ाँटे किसीके हकमें,
किसी को गुलो-समर...
क्या खूब एहतिमामे-गुलिस्ताँ हैं,
आज कल.......
जिगर मुरादाबादी

6063
खिजाँ आयेगी तो,
आयेगी ढलकर बहारोंमें...
कुछ इस अन्दाजसे,
नज्मे-गुलिस्ताँ कर रहा हूँ मैं...!
                           शफक टौंकी

6064
यूँ मुस्कुराए जान सी,
कलियोंमें पड़ गई...
यूँ लब-कुशा हुए कि,
गुलिस्ताँ बना दिया...
असग़र गोंडवी

6065
एक ही उल्लू काफी हैं,
बर्बाद 
गुलिस्ताँ करनेको;
हर शाख पै उल्लू बैठा हैं,
अंजामे-गुलिस्ताँ क्या होगा...

21 June 2020

6056 - 6060 उजाला बिजली आशियाँ नशेमन चमन अन्दाज बहार गुलिस्ताँ शायरी


6056
उजाला तो हुआ कुछ देरको,
सहने-गुलिस्ताँमें...
बलासे फूँक डाला बिजलियोंने,
आशियाँ मेरा...
                                 मिर्जा गालिब

6057
चाँदपर अब कुछ नहीं पाओगे,
गढ्ढोंके सिवा...
छोड आया हूँ मै कबका,
वो पुराना आशियाँ.......

6058
सब बाँध चुके कबके,
सरे-शाख नशेमन...
हम हैं कि गुलिस्ताँकी,
हवा देख रहे हैं.......
               जलील मनिकपुरी

6059
बिजली गिरेगी,
सेहन-ए-चमनमें कहाँ कहाँ...
किस शाख़-ए-गुलिस्ताँपें,
मिरा आशियाँ नहीं.......
सलाम संदेलवी

6060
इधर सैयाद फिरते थे,
उधर सैयाद फिरते थे,
कुछ अंदाजसे मेरे,
गुलिस्ताँमें बहार आई...!
                     जगन्नाथ आजाद

20 June 2020

6051 - 6055 जिन्दगी रौशन कफस वफा खता आशियाँ तलाश निगाह खयाल शौक बर्क शायरी


6051
यह देखकर कि बर्कका रूख,
इधर को नहीं...
निकले तलाशे-बर्कमें,
खुद आशियाँसे हम.......!

6052
बर्क क्या बर्बाद,
कर सकती हैं मेरा आशियाँ...
बल्कि यूँ कहिए कि,
रौशन आशियाँ हो जायेगा...!

6053
निगाहे-शौकको,
शाखे-निहाले-गुलकी तलाश...
हवाए--तुन्दकी यह जिद,
कि आशियाँ बने.......
                              शाहजहाँपुरी

6054
खताओंपर खतायें,
हो रही थीं नावक-अफगनसे...
इधर तीरोंसे बनता जा रहा था,
आशियाँ मेरा.......

6055
जफा सैयादकी अहले-वफाने,
रायगां कर दी...
कफसकी जिन्दगी,
वक्फे-खयाले-आशियाँ कर दी...!
                         आनन्द नारायण मुल्ला

19 June 2020

6046 - 6050 वास्ते तबाही तड़प परवाह निशेमन आशियाना शान रौशनी नजर बिजली शायरी


6046
इसी वास्ते हैं पैहम नजर,
इस पै बिजलियोंकी...
हैं सजी हुई गुलोंसे,
मेरी शाखे आशियाना...

6047
किसको होती हैं अता,
इस शानकी बर्बादियाँ...
आशियाँ हम क्या बचाते,
बिजलियाँ देखा किए.......

6048
रौशनीमें और दो तिनके,
जमा कर लेता हूँ मैं...
कौंधती हैं जब बिजली,
अपने निशेमनके करीब...!
                         असर उस्मानी

6049
मुझको तो खुद,
तबाहियाँ अपनी पसंद हैं...
बिजली तड़प रही हैं,
क्यों आशियाँसे दूर...!!

6050
जल भी जाये नशेमन,
तो परवा
ह नहीं...
बिजलियोंसे मेरा,
दोस्ताना तो हैं.......!!!

18 June 2020

6041 - 6045 दिल मुमकिन चमन ख़ौफ़ आह बर्क फूल क़फ़स बिजली शायरी


6041
मुमकिन नहीं चमनमें,
दोनोंकी ज़िद हो पूरी...
या बिजलियाँ रहेंगी,
या आशियाँ रहेगा...

6042
अब बिजलियोंका ख़ौफ़ भी,
दिलसे निकल गया l
ख़ुद मेरा आशियाँ,
मिरी आहोंसे जल गया ll

6043
बिजलियाँ भी टूटेंगी,
जलजले भी आयेंगे...
फूल मुस्कराये हैं,
और फूल मुस्करायेंगे...!

6044
हजार बर्क गिरें,
लाख आँधियाँ उठें...
वह फूल खिलके रहेंगे,
जो खिलने वाले हैं...!
साहिर लुधियानवी

6045
क़फ़ससे आशियाँ तब्दील करना.
बात ही क्या थी...
हमें देखो कि हमने,
बिजलियोंसे आशियाँ बदला...!!!
                                  महज़र लखनवी

17 June 2020

6036 - 6040 दिल उमंग चमक तड़प क़फ़स तरकीब ज़ंजीर आशियाँ बिजली शायरी


6036
उट्ठा जो अब्र,
दिलकी उमंगें चमक उठीं...
लहराईं बिजलियाँ तो,
मैं लहराके पी गया.......
                      एहसान दानिश

6037
तड़प जाता हूँ जब,
बिजली चमकती देख लेता हूँ l
कि इससे मिलता-जुलतासा,
किसीका मुस्कुराना हैं ll
ग़ुलाम मुर्तज़ा कैफ़ काकोरी

6038
क़फ़सकी तीलियोंमें,
जाने क्या तरकीब रक्खी हैं...
कि हर बिजली,
क़रीब--आशियाँ मालूम होती हैं...!
                         सीमाब अकबराबादी

6039
ये अब्र हैं या,
फ़ील-ए-सियह-मस्त हैं साक़ी...
बिजलीके जो हैं पाँवमें,
ज़ंजीर हवा पर.......
शाह नसीर

6040
ज़ब्त--नालासे,
आज काम लिया...
गिरती बिजलीको,
मैं ने थाम लिया...!!!
        जलील मानिकपूरी

16 June 2020

6031 - 6035 दिल ज़ख़्म काग़ज़ बहार ख़्वाहिशें क़िस्मत मौसम बादल बरसात शायरी


6031
दूर तक छाए थे ,
और कहीं साया था...
इस तरह बरसातका मौसम,
कभी आया था...
                          क़तील शिफ़ाई

6032
वो अब क्या ख़ाक आए,
हाए क़िस्मतमें तरसना था...
तुझे ऐ अब्र-ए-रहमत,
आजही इतना बरसना था...?
कैफ़ी हैदराबादी

6033
अब भी बरसातकी रातोंमें,
बदन टूटता हैं;
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें,
अंगड़ाई की...
                                परवीन शाकिर

6034
घटा छाती, बहार आती,
तुम्हारा तज़किरा होता...!
फिर उसके बाद गुल खिलते कि,
ज़ख़्मे-दिल हरा होता.......

6035
रहने दो कि अब तुमभी,
मुझे पढ़ सकोगे...
बरसातमें काग़ज़की तरह,
भीग गया हूँ मैं.......

15 June 2020

6026 - 6030 दिल याद दुख उम्र दीवार दीवाना ज़ख़्म राह बादल बरसात बारिश शायरी


6026
क्यूँ माँग रहें हो,
किसी बारिशकी दुआएँ...
तुम अपने शिकस्ता,
दर--दीवार तो देखो.......
                      जाज़िब क़ुरैशी

6027
कच्चे मकान जितने थे,
बारिशमें बह गए;
वर्ना जो मेरा दुख था,
वो दुख उम्रभर का था...
अख़्तर होशियारपुरी

6028
हमसे पूछो,
मिज़ाज बारिशका...
हम जो कच्चे मकानवाले हैं...!
                       अशफ़ाक़ अंजुम

6029
कैफ़ परदेसमें
मत याद करो अपना मकाँ...
अब के बारिशने,
उसे तोड़ गिराया होगा...
कैफ़ भोपाली

6030
बरसातका बादल तो,
दीवाना हैं क्या जाने...
किस राहसे बचना हैं,
किस छतको भिगोना हैं...
                    निदा फ़ाज़ली

6021 - 6025 रौशनी बिजली निगह शराब पत्थर निशाँ आशियाना बारिश शायरी


6021
फ़रेब-ए-रौशनीमें आने वालो,
मैं न कहता था कि,
बिजली आशियानेकी,
निगहबाँ हो नहीं सकती...
                       शफ़ीक़ जौनपुरी

6022
हर एक सम्त,
जहाँ पत्थरोंकी बारिश हैं,
वहाँ यह हुक्म कि,
शीशेका कारोबार करें...

6023
बारिश शराब-ए-अर्श हैं,
ये सोच कर अदम...
बारिशके सब हुरूफ़को,
उल्टाके पी गया...
                अब्दुल हमीद अदम

6024
क्या कहूँ दीदा-ए-तर,
ये तो मिरा चेहरा हैं...
संग कट जाते हैं,
बारिशकी जहाँ धार गिरे...
शकेब जलाली

6025
अब के बारिशमें तो,
ये कार-ए-ज़ियाँ होना ही था;
अपनी कच्ची बस्तियोंको,
बे-निशाँ होना ही था ll
                        मोहसिन नक़वी

13 June 2020

6016 - 6020 दामन कबूल नज़र अश्क मोहब्बत गुज़ारिश मज़ा कबूल बारिश शायरी


 

6016
तू हैं गर बारिशमें तर,
तो नम नमसा दामन इधर भी हैं...
वहाँ बरस रही हैं घटा,
तो अश्कोका सावन इधर भी हैं...!

6017
दुआए कुछ ऐसे कबूल हो जाय...
भीगती रहूँ मैं और,
मोहब्बत तुजे हो जाय...!

6018
याद आई वो पहली बारिश,
जब तुझे एक नज़र देखा था...
                             नासिर काज़मी

6019
और बाज़ारसे क्या ले जाऊँ...
पहली बारिशका मज़ा ले जाऊँ...!
मोहम्मद अल्वी

6020
धूपने गुज़ारिश की,
एक बूँद बारिशकी...!
                     मोहम्मद अल्वी

12 June 2020

6011 - 6015 रौशनी आसमान घटा हुक्म शीशा गम तलब मयकश बारिश शायरी


6011
घटा देखकर ख़ुश हुईं लड़कियाँ,
छतोंपर खिले फूल बरसातके...
                                  मुनीर नियाज़ी

6012
आसमान पर छा गई,
घटा घोर-घनगोर...
जाएँ तो जाएँ कहाँ,
वीरानेमें शोर...
भगवान दास एजाज़

6013
बरसी वहीं वहीं पर,
समन्दर थे जिस जगह...
ऊपरसे हुक्म था तो,
घटाएँ भी क्या करें...!

6014
मयकशो देर हैं,
क्या दौर चले बिस्मिल्लाह...
आई हैं शीशा-ओ-साग़रकी,
तलबगार घटा.......!
      आग़ा अकबराबादी

6015
इन्हीं गमकी घटाओंसे,
खुशीका चाँद निकलेगा;
अंधेरी रातके पर्दोंमें,
दिनकी रौशनी भी हैं ll

6006 - 6010 आँखें आँसू दामन राहत फिक्र मसरूफ वुसअत मुहब्बत गम दर्द याद रब शायरी


6006
कभी आँसू कभी सजदे,
कभी हाथोंका उठ जाना...
मुहब्बतें नाकाम होजाये तो,
रब बहुत याद आता हैं.......
              हसरत अज़ीमाबादी


6007
याद-ए-माज़ी अज़ाब हैं, यारब...
छीनले मुझसे हाफ़िज़ा मेरा.......
अख़्तर अंसारी


6008
यारब हुजूमे-दर्दको दे,
और वुसअतें...
दामन तो क्या,
अभी मेरी आँखें भी नम नहीं...
                        जिगर मुरादाबादी

6009
यारब, यह भेद क्या हैं कि,
राहत फिक्रने इन्साँको,
और गममें,
गिरिफ्तार किया हैं...
जोश मल्सियानी


6010
मैं मसरूफ था बिरयानीके,
नुक्स निकालनेमें...
और वो सूखी रोटी के लिये,
रबको लाख शुकराना दे गया...!

10 June 2020

6001 - 6005 इश्क़ वास्ते फ़िजा फ़िदा तारा क़यामत तन्हाई जुदाई मुहब्बत बरसात रब शायरी



6001
क्यों  फ़िरदौसको,
दोजमें मिलालें यारब...!
सैरके वास्ते थोड़ीसी,
फ़िजा और सही.......!
                          मिर्जा गालिब

6002
टूटा तारा देखकर,
उसने कहा माँगो कुछ रबसे...
कुछ दे सकता अगर,
तो क्यों टूटता सबसे.......

6003
रब किसीको किसीपर फ़िदा करें,
करें तो क़यामत तक जुदा करें l
ये माना की कोई मरता नहीं जुदाईमें,
लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाईमें ll

6004
खुदको तुझसे जोड़ दिया हैं,
बाकी सब रबपर छोड़ दिया हैं...!

6005
जी करता हैं तेरे संग भीगू,
मोहब्बतकी बरसातमें...
और रब करें उसके बाद तुझे,
इश्क़का बुखार हो जाएँ.......!

9 June 2020

5996 - 6000 दिल दीवाने बे-क़रार होश महफ़िल ज़रूरत जहन वजह सुकून शायरी



5996
सुना हैं तेरी महफ़िलमें,
सुकून--दिल भी मिलता हैं...
मगर हम जब तिरी महफ़िलसे आए,
बे-क़रार आए.......

5997
बकद्रे-होश हर इकको,
यहाँ रंज मिलता हैं...
सुकूनसे रहते हैं,
यहाँ सिर्फ दीवाने...!

5998
थोड़ा सुकून भी,
ढुँढिए साहब...
ये ज़रूरते तो,
कभी खत्म होगी...

5999
चुप रहना,
कितना सुकून देता हैं...
खुदको भी और,
दूसरोंको भी.......

6000
किसीको याद करनेकी,
वजह नहीं होती हर बार...
जो सुकून देते हैं वो,
जहनमें जिया करते हैं...!

5991 - 5995 दिल इश्क़ दर्द राहत ज़िंदगी ज़माने चाहत इनकार मय आफ़त सुकून शायरी



5991
तेरे होनेसे अब राहत नहीं,
सुकून मेरा अब वाहिदमें...
अब इस दिलको,
तेरी चाहत नहीं.......

5992
साहिलके सुकूनसे,
किसे इनकार हैं लेकिन;
तूफ़ानसे लड़नेमें,
मज़ा ही कुछ और हैं ll

5993
ये तेरे इश्क़का झोंका,
कितना सुकून देता हैं...
दर्द चाहे कितना भी हो,
दिलपर मरहम देता हैं...
दिल्लगीमें तेरी,
खो चुके हैं कुछ इस कदर की...
सातों सुरोंको छोड़कर,
मन तेरेही सुरमें गाने लगता हैं...!

5994
हमको तो मिल सका,
फ़क़त इक सुकून--दिल...
ज़िंदगी वरना,
ज़मानेमें क्या था.......

5995
मय-कदा हैं,
यहाँ सुकूँसे बैठ l
कोई आफ़त,
इधर नहीं आती ll
   अब्दुल हमीद अदम

7 June 2020

5986 - 5990 दिल ज़रुरतें नसीब ख़्वाहिशे पल सुकून शायरी



5986
ज़रुरतें तो कभी ख़त्म नहीं होती,
सुकून ढूंढिये...
और वो तो फ़क़ीरोंके,
दरपरही नसीब होता...

5987
चलें चलकर,
सुकूनही ढूंढ़ लाएँ...
ख़्वाहिशे तो,
खत्म होनेसे रहीं...

5988
चलो थोड़ा,
सुकूनसे जिया जाएँ...
जो दिल दुखाते हैं,
उनसे थोड़ा दूर रहा जाएँ...

5989
सुकूनकी बात मत कर,
गालिब.......
बचपनवाला इतवार,
अब नहीं आता...

5990
थक गयी हूँ हररोज भीड़से,
सुलझते, उलझते;
बस एक सुकूनसा चाहती हूँ,
कुछ पल सिर्फ,
तुमसे सहेजते सँवरते.......!
                                    भाग्यश्री

6 June 2020

5981 - 5985 फ़ुर्सत बात लफ़्ज़ इश्क़ याद वक़्त जुनून ख़्वाहिश पल सुकून शायरी



5981
फ़ुर्सत ही महंगी हैं...
वरना सुकून तो,
इतना सस्ता हैं की,
चायकी प्यालीमें मिल जाता हैं...!

5982
नहीं आता मुझे यूँ,
दूर रहकर सुकून से रह लेना...
मेरी ख्वाहिश है कि,
हर पल मैं बात करुँ तुमसे...!

5983
लोग कहते हैं,
रातको सोनेसे सुकून मिलता हैं l
हमने वो वक़्त भी,
किसीकी यादोमें बिता दिया.......

5984
उसने लफ़्ज़ोंमें इश्क़ कहा,
मैने जुनून लिखा...!
उसने अपना नाम कहा,
मैने सुकून लिखा.......!!!


5985
सुकून तो हमे भी नहीं आता,
आपसे दूर रहनेमें...
पर क्या करें... जुटे हैं,
अपनोकी ख़्वाहिशे पुरी करनेमें...