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आज तबस्सुम,
सबके लबपर...
अफ़्साने हैं,
मेरे तेरे.......
सूफ़ी तबस्सुम
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तबस्सुम
उनके लबपर,
एक दिन वक्ते-इताब आया...
उसी दिनसे हमारी,
जिन्दगीमें
इन्किलाब आया...
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फूल बननेकी खुशीमें,
मुस्कुरायी थी कली...
क्या खबर थी,
यह तबस्सुम मौतका पैगाम हैं...
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लबपर तबस्सुम,
आँखोंमें
आँसू...
हम लिख रहे
हैं,
अफसाना-ए-हस्ती...
तस्कीन मुहम्मद यासीन
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बागे-हस्तीमें सबक लें,
फूलसे अहले-नजर जिसने कि...
की उम्र तबस्सुमसे,
बसर खारोंमें.......
कौसर