6281
ख़बर देती हैं,
याद करता हैं कोई...
जो बाँधा हैं हिचकीने,
तार आते आते.......!
6282
तू लाख भुलाके
देख मुझे,
मैं फिर भी
याद आऊंगा...
तू पानी पी
पीके थक जाएगी,
मैं हिचकियाँ बन बनके
सताऊंगा...
6283
मुझे याद करनेसे,
ये मुद्दआ था...
निकल जाए दम,
हिचकियाँ आते आते...
दाग़ देहलवी
6284
अब हिचकियाँ आने लगी
हैं,
कहीं मैं याद
फ़रमाया गया हूँ...!
अमीर मीनाई
6285
हिसाब अपनी मोहब्बतका,
मैं क्या दूँ.......?
तुम अपनी हिचकियोंको,
बस गिनते रहना.......