7 October 2020

6596 - 6600 दिल इंतजार याद ख़्वाब गुनाह अंजाम मुहोब्बत क़सम शायरी

 

6596
अगर पता होता कि,
इतना तड़पाती हैं मुहोब्बत...
तो क़समसे दिल लगानेसे पहले,
हाथ जोड़ लेते.......

6597
जिसे अंजाम तुम समझते हो,
इब्तिदा हैं किसी कहानीकी...
क़सम इस आग और पानीकी,
मौत अच्छी हैं बस जवानीकी...

6598
क़सम शब्द कुछ ऐसे इस्तेमाल होता हैं,
जैसे हर झूठ बस इसीका,
इंतजार करता हैं;
और क़सम खातेही झूठ भी,
सचका तलबगार होता हैं.......

6599
खाये न जागनेकी क़सम,
वो तो क्या करे...
जिसको हर एक ख़्वाब,
अधूरा दिखाई दे.......
कृष्ण बिहारी नूर

6600
अगर तेरे बिना,
जीना आसान होता तो...
क़सम मुहोब्बतकी,
तुझे याद करनाभी गुनाह समझते...

6 October 2020

6591 - 6595 दिल धड़कन लम्हा जिंदगी इश्क जुल्फें आइना क़सम शायरी

 

6591
हाथ टूटे मैंने गर,
छेडी हो जुल्फें आपकी...
आपके सरकी क़सम,
बादेसबा थी मैं न था...!

6592
आइनेमें लगी,
बिंदियोंकी क़सम...
हूँ मैं ज़िंदा अभीतक,
सिर्फ तेरेही लिए सनम...!

6593
मेरे दिलमें,
एक धड़कन तेरी हैं !
उस धड़कनकी क़सम,
तू जिंदगी मेरी हैं...!!!

6594
इश्कका रोग हैं,
जाता नहीं क़समसे...!
गलेमें डालकर,
सारे ताबीज देखे मैंने...!!!

6595
साथ गुज़ारे हुए,
उन लम्होंकी क़सम...
वल्लाह हूरसे भी,
बेहतर हैं मेरी सनम...!

5 October 2020

6586 - 6590 दिल बात साथ वादा जिंदगी जनाजा फ़रेबी रस्म मुश्किल क़सम शायरी

 

6586
हर बातपर,
क़सम खिलाती थी वो...
अब क़सम ना खिलानेकी भी,
क़सम खाई हैं उसने.......!

6587
इस रस्म-ए-क़समको,
मैं क़ही पीछे छोड़ आया हूँ...
हाँ मैं उसका,
फ़रेबी साथ छोड़ आया हूँ.......

6588
मुश्किल हो रहा हैं,
जीना मेरा;
तुझे क़सम हैं मेरी,
दे दे वापस दिल मेरा...

6589
सौ बार समझाया, इस दिलको हमने...
सौ बार दिल टूट गया...
सौ बार उसे, भूलनेकी क़सम खायी हमने...
सौ बार हर क़सम, दिल भूल गया.......

6590
जनाजा उठा हैं,
आज क़समोंका मेरी...
एक कन्धा तो,
तेरे वादोंका भी बनता हैं.......!

4 October 2020

6581 - 6585 जिंदगी जान नाम वादा इरादा अहसास लेहर शरम क़सम शायरी

 

6581
बे-इरादा टकरा गए थे,
लेहरोंसे हम...
समन्दरने क़सम खा ली हैं,
हमे डुबोनेकी.......

6582
वादोंके समंदरमें,
क़सम बनकर आए;
वो क़सम टूटी यूँ के,
डूबाकर चले गए...

6583
वो तेरा शरमाके मुझसे,
यूँ लिपट जाना...
क़समसे हर महीनेमें,
सावनसा अहसास देता था...!
 
6584
देखते हैं अब,
किसकी जान जायेगी...
उसने मेरी और मैने उसकी,
क़सम खाई हैं.......!

6585
हर रोज़ खा जाते थे,
वो क़सम मेरे नामकी...
आज पता चला की,
जिंदगी धीरेधीरे, ख़त्म क्यूँ हो रही हैं...!

3 October 2020

6576 - 6580 दिल तन्हाँ जुदाई बात सितम सपना महफिल मौका तबस्सुम यकीन क़सम शायरी

 

6576
उनकी महफिलमें नसीर,
उनके तबस्सुमकी क़सम;
देखते रह गए हम,
हाथसे जाना दिलका...

6577
काश वो भी आकर हमसे कह दे,
मैं भी तन्हाँ हूँ...
तेरे बिन, तेरी तरह...
तेरी क़सम, तेरे लिए.......

6578
हमको क़सम तुम्हारी,
कुछ यकीन कर...
हम भी उफ़ करेंगे,
चाहे कोई सताले.......

6579
तुम बात करनेका,
मौका तो दो.......
क़समसे रूला देंगे तुम्हें,
तुम्हारेही सितम गिनाते गिनाते...

6580
वही सर्द रातें, वही फिर जुदाई...
सूना समां, और घेरे तन्हाई...
क़सम हैं तुम्हें, आज फिर ना कहना...
सपनोंमें मेरे तुम देना दिखाई.......

2 October 2020

6571 - 6575 दिल जाम मयकदा महफिल आँख अश्क एतिबार हिचकी हसरत क़सम शायरी

 

6571
कौन हैं जिसने मय नहीं चक्खी,
कौन झूठी क़सम उठाता हैं;
मयकदेसे जो बच निकलता हैं,
तेरी आँखोंमें डूब जाता हैं.......!
                                     मिर्ज़ा ग़ालिब

6572
बाद-ए-तौबा के भी हैं,
दिलमें यह हसरत बाक़ी...
क़सम देके कोई एक,
जाम पीला दे हमको...

6573
तूने क़सम,
मय-कशीकी खाई हैं, ग़ालिब !
तेरी क़समका कुछ,
एतिबार नही हैं.......!
                                 मिर्ज़ा ग़ालिब

6574
उसने सारी क़समेही,
मेरी झूठी खायी...
इसी लिए तो हिचकी,
मुझे रुक रुक कर आयी...!

6575
तेरी महफ़िल सजानेकी,
क़सम खाके बैठें हैं...
इसलिए अश्कोंको,
छुपाके बैठें हैं.......!
                     कृष्ण बिहारी नूर

1 October 2020

6566 - 6570 मोहब्बत इंतज़ार जान मौत जिंदा बेपनाह परवाह जिस्म रूह क़सम शायरी

 

6566
मौत बख्शी हैं जिसने,
उस मोहब्बतकी क़सम...
अबभी करता हूँ इंतज़ार,
बैठकर मजारमें.......

6567
कई झूठ बोले तुमने,
मेरीही क़सम खाकर;
मौतभी खूबसूरत बख्शी,
मेरे करीब आकर...

6568
कसमभी क्या क़सम थी...
मेरे मरनेके बादभी, जिंदा थी...!

6569
बेपनाह मोहब्बत करनेके बादभी.
सपने कहीं वादीयोमें डुब गये l
जहा उसने साथ चलनेकी क़सम खाई थी,
शायद बेपरवाह हमही थे l
जिस्मकी जगह हमने रूहको,
जान लगाई थी ll

6570
क़सम उसने कुछ,
ऐसी खाई मेरे लिए...
अपनी जानतक,
गवाँई उसने.......

30 September 2020

6561 - 6565 दिल मोहब्बत जिंदगी याद चाँद आफ़ताब लाजवाब मुश्किल क़सम शायरी

 

6561
ज़हर मिलताही नहीं,
मुझको गर वरना...
क्या क़सम हैं तेरे मिलनेकी,
कि खा भी सकूँ.......
                                     साहिर

6562
मोहब्बतकी क़सम,
वो ऐसी नहीं थी...
वो मेरी थी मगर,
कहती नहीं थी.......

6563
बना लो उसे अपना,
जो दिलसे तुम्हे चाहता हैं l
खुदाकी क़सम ये चाहने वाले,
बड़ी मुश्किलसे मिलते हैं ll

6564
तुझे जिंदगीभर याद रखनेकी,
क़सम तो नहीं ली;
पर एक पलके लिए तुझे,
भुल जाना भी मुश्किल हैं...

6565
चौदहवींका चाँद हो,
या आफ़ताब हो...!
जो भी हो तुम, खुदाकी क़सम,
लाजवाब हो.......!!!

29 September 2020

6556 - 6560 दिल बेइन्तहा मोहब्बत तस्सली याद ज़िंदा बात क़सम शायरी

 

6556
ये तो बस दिलको,
तस्सली देने वाली बात हैं...
वरना झूठी क़सम खानेसे,
कोई मर नहीं जाता.......!

6557
अगर क़सम खानेसे,
कुछ होता.......
तो सबसे पहेले,
भगवानको कुछ होता...!

6558
सुना था क़सम झूठी हो तो,
लोग मर जाते हैं...
ना जाने कौनसी क़सम निभा रहा हैं वो के,
अब तक ज़िंदा हूँ मैं.......!

6559
अगर क़समें इतनीही,
सच होती;
तो कोई क़समही,
नहीं खाता ll

6560
मेरी क़सम खाया करो,
जब तोड़ना ही हैं...
मुझे जीना हैं अपनोंके लिए,
जो मुझे तुमसे भी,
बेइन्तहा मोहब्बत करते हैं...!

6551 - 6555 साथ वादा ज़िंदा राह पलकें आँख़ें क़सम शायरी

 

6551
आजा आज फिर कुछ,
क़समे जोड़ी जाए...
और नयी सीमाएँ,
लांघी जाए.......!

6552
ज़रूरी नहीं साथ रहनेकी ही,
क़सम निभाई जाये...
ज़िंदा रखनेका वादा भी तो,
किया था उसने.......!

6553
तुझसे ना मिलनेकी,
क़सम खाकर...
हर राहमें तुझे,
ढूँढा बहुत हैं.......

6554
तू कहीं भी हो,
तेरे फूलसे आरिज़की क़सम,
तेरी पलकें मेरी आंखों,
झुकी रहती हैं.......
साहिर

6555
फिर उसी राहपें,
निकल पड़े हैं...
कल जहाँ ना जानेकी,
क़सम खा बैठे थे.......                                       

27 September 2020

6546 - 6550 दिल मोहब्बत खफ़ा गजब कायनात रफ़्तार खबर ख्यालात क़सम शायरी

 

6546
तुम्हें कितनी मोहब्बत हैं,
मालूम नहीं......
मगर मुझे लोग आज भी,
तेरी क़सम देके मना लेते हैं...!!!

6547
हमारे घरसे जाना मुस्कुराकर,
फिर ये फ़रमाना...
तुम्हें मेरी क़सम,
देखो मिरी रफ़्तार कैसी हैं...
हसन बरेलवी

6548
ज़र्रा ज़र्रा कायनातका,
वाकिफ़ था, उसके ख्यालातोसे...
बस क़ हमे खबर होती तो,
क़समसे क्या बात थी.......

6549
खफ़ा भी हो तो,
मुंह मोड़कर नहीं जाना;
तुझे क़सम हैं,
मुझे छोड़क़र नहीं जाना...

6550
हम भी क्या,
गजबके पागल थे...
उसकी झूठी क़समोके लिए,
अपने कीमती दिल हार बैठे.......

26 September 2020

6541 - 6545 दिल प्यार ज़ुल्म मोहब्बत रुकसत वक़्त कारवाँ शायर आह शायरी

 

6541
मेरी आहका तुम,
असर देख लेना...
वो आएँगे थामे जिगर,
देख लेना.......!

6542
मुफ़्तमें नहीं मिलता यहाँ कुछ यारों...
जब दिलसे आह निकलती हैं,
तो ही लोगोंकी वाह निकलती हैं...!
एक ऐसा भी वक़्त होता हैं,
मुस्कुराहट भी आह होती हैं.......!!!
जिगर मुरादाबादी

6543
इधरसे भी हैं,
सिवा कुछ उधरकी मजबूरी...
कि हम ने आह तो की,
उनसे आह भी हुई.......
                      जिगर मुरादाबादी

6544
मैं ज़ुल्मते शबमें ले के निकलूंगा,
अपने दर मांदा कारवाँको;
शरर फ़शां होगी आह मेरी,
नफ़स मेरा शोला बार होगा...

6545
शायरोसे क्या पुछते हो,
शायरी क्या होती हैं...
दरदे दिलसे,
आह जो निकल आती हैं...
प्यार करने वालोसे पुछो,
मुहब्बत क्या होती हैं...
टूटे दिलसे पुछो,
अपनोंसे रुकसत क्या होती हैं.......

25 September 2020

6536 - 6540 आलम क़स्में इंतिज़ार ख़ामोशी आवाज़ ज़ुल्फ़ महक पलक क़दम आहट शायरी

 

6536
जिसे आनेकी,
क़स्में मैं दे के आया हूँ;
उसीके क़दमोंकी आहटका,
इंतिज़ार भी हैं.......
                          जावेद नसीमी

6537
ये ज़ुल्फ़-बर-दोश कौन आया,
ये किसकी आहटसे गुल खिले हैं...!
महक रही हैं फ़ज़ा-ए-हस्ती,
तमाम आलम बहारसा हैं.......!!!

6538
कोई आवाज़, आहट...
कोई हलचल हैं.....
ऐसी ख़ामोशीसे गुज़रे तो,
गुज़र जाएँगे.......
         अलीना इतरत

6539
किसने मेरी पलकोंपे.
तितलियोंके पर रखे...
आज अपनी आहट भी,
देर तक सुनाई दी.......!
बशीर बद्र

6540
इस अँधेरेमें,
इक गाम भी रुकना यारो...
अब तो इक दूसरेकी,
आहटें काम आएँगी.......
                       राजेन्द्र मनचंदा बानी

6531 - 6535 दिल साया महसूस बात लफ़्ज़ ख़ामोशी बेगाना आहट शायरी

 

6531
आहटसी कोई आए तो,
लगता हैं कि तुम हो...
साया कोई लहराए तो,
लगता हैं कि तुम हो...!
                    जाँ निसार अख़्तर

6532
जब ज़रा रात हुई और,
महओ अंजुम आए...
बार-हा दिलने,
ये महसूस किया तुम आए...
असद भोपाली

6533
मैंने दिन रात ख़ुदासे,
ये दुआ माँगी थी...
कोई आहट हो,
दरपर मिरे जब तू आए...
                           बशीर बद्र

6534
ख़ामोशीमें चाहे जितना,
बेगानापन हो...
लेकिन इक आहट,
जानी-पहचानी होती हैं...!
भारत भूषण पन्त

6535
आहट भी अगर की तो,
तह--ज़ात नहीं की...
लफ़्ज़ोंने कई दिनसे,
कोई बात नहीं की.......
                        जावेद नासिर

23 September 2020

6526 - 6530 दिल इंतिज़ार साया महसूस बात लफ़्ज़ ख़ामोशी दहलीज़ याद बेगाना आहट शायरी

 

6526
दिलपर दस्तक देने,
कौन निकला हैं...
किसकी आहट सुनता,
हूँ वीरानेमें.......
                          गुलज़ार

6527
आज भी नक़्श हैं दिलपर,
तिरी आहटके निशाँ...
हमने उस राहसे,
औरोंको गुज़रने न दिया...!
अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन

6528
नींद आए तो अचानक,
तिरी आहट सुन लूँ...
जाग उठ्ठूँ तो बदनसे,
तिरी ख़ुश्बू आए.......!
                     शहज़ाद अहमद

6529
आहटें सुन रहा हूँ यादोंकी,
आज भी अपने इंतिज़ारमें गुम...
रसा चुग़ताई

6530
कोई हलचल हैं,
आहट सदा हैं कोई...
दिलकी दहलीज़पें,
चुप-चाप खड़ा हैं कोई...
     ख़ुर्शीद अहमद जामी

22 September 2020

6521 - 6525 दिल आवाज़ चाँद लहज़ा याद आहट शायरी

 

6521
तेरे क़दमोंकी आहटको,
ये दिल हैं ढूंढ़ता हरदम...
हर इक आवाज़पर,
इक थरथराहट होती जाती हैं...
                         मीना कुमारी नाज़

6522
ये भी रहा हैं,
कूचा-ए-जानाँमें अपना रंग...
आहट हुई तो,
चाँद दरीचेमें आ गया...!
अज़हर इनायती

6523
हर लहज़ा उसके,
पांवकी आहटपें कान रख...
दरवाज़ेतक जो आया हैं,
अंदर भी आएगा.......!
                          सलीम शाहिद

6524
दिलके सूने सेहनमें,
गूँजी आहट किसके पाँवकी...
धूप-भरे सन्नाटेमें,
आवाज़ सुनी हैं छाँवकी...!
हम्माद नियाज़ी

6525
पहले तो उसकी यादने,
सोने नहीं दिया...
फिर उसकी आहटोंने,
कहा जागते रहो.......
                       मंसूर उस्मानी

21 September 2020

6516 - 6520 ज़िंदगी दुनिया लम्हा सन्नाटा क़दम सूरत दस्तक आहट शायरी

 

6516
कोई दस्तक, कोई आहट,
सदा हैं कोई...
दूर तक रूहमें,
फैला हुआ सन्नाटा हैं...
                         वसीम मलिक

6517
अख़्तर गुज़रते लम्होंकी,
आहटपें यूँ न चौंक...
इस मातमी जुलूसमें,
इक ज़िंदगी भी हैं.......
अख़्तर होशियारपुरी

6518
अपनी आहटपें,
चौंकता हूँ मैं...
किसकी दुनियामें,
गया हूँ मैं...
                  नोमान शौक़

6519
बहुत पहलेसे उन क़दमोंकी,
आहट जान लेते हैं;
तुझे ऐ ज़िंदगी,
हम दूरसे पहचान लेते हैं...!
फ़िराक़ गोरखपुरी

6520
किसी आहटमें आहटके सिवा,
कुछ भी नहीं अब...
किसी सूरतमें, सूरतके सिवा,
क्या रह गया हैं.......
                                 इरफ़ान सत्तार

20 September 2020

6511 - 6515 ख़्वाब दस्तक इश्क़ ख़ुशबू मुस्कराहट ख़बर मुश्किल आहट शायरी

 

6511
ख़त्म ना हो किसीके,
चेहरेकी मुस्कराहट...
बहुत मुश्किलसे आती हैं,
ये कुदरती आहट.......

6512
ख़ुदाका शुक्र कि,
आहटसे ख़्वाब टूट गया...
मैं अपने इश्क़में,
नाकाम होने वाला था़.......
राना आमिर लियाक़त

6513
कभी आहट कभी ख़ुशबू,
कभी नूरसे जाती हैं...
तेरे आनेकी ख़बर मुझे,
दूरसे जाती हैं.......!

6514
कोई दस्तक, न कोई आहट थी;
मुद्दतों वहमके शिकार थे हम...
पी. पी. श्रीवास्तव रिंद

6515
शाम ढले आहटकी,
किरनें फूटी थीं...
सूरज डूबके मेरे,
घरमें निकला था...
                  ज़ेहरा निगाह

19 September 2020

6506 - 6510 मोहब्बत ऐतिबार शिकवे याद सुबूत मजबूरी चाँद वक्त कफ़न वादा शायरी

 

6506
तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त,
मगर...
तूने वादा किया था,
याद तो कर.......
                   नासिर काज़मी

6507
सुबूत हैं ये मोहब्बतकी,
सादा-लौहीका...
जब उसने वादा किया,
हमने ऐतिबार किया...
जोश मलीहाबादी

6508
तमाम शिकवे भुलाकर,
मुस्करा दूंगा मैं भी...
गर करे वादा तू मिलनेका,
वक्त-ए-कफ़नपर.......

6509
मुझे हैं ऐतिबार-ए-वादा लेकिन,
तुम्हें ख़ुद ऐतिबार आए न आए...
अख़्तर शीरानी

6510
भरोगे एक दिन तुम,
सबकी झोली चाँद तारोंसे...
मुहब्बतमें फ़क़ीरोंसे,
ये वादा क्यों किया तुमने.......?