8 March 2017

1058 ज़िन्दगी मोहब्बत रूठ वक़्त गँवा जरूरत शायरी


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ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम हैं,
मोहब्बतके लिए;
फिर एक दूसरेसे रूठकर,
वक़्त गँवानेकी जरूरत क्या हैं

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