2 July 2020

6111 - 6115 शाम ख़्वाहिशें हुनर तलब अजीब मुश्किल सौदा औक़ात बात बरसात साथ हालात शायरी


6111
एक तो ये रात,
उफ़ ये बरसात,
इक तो साथ नही तेरा,
उफ़ ये दर्द बेहिसाब;
कितनी अजीब सी हैं बात,
मेरे ही बसमें नही मेरे ये हालात...ll

6112
रस्सी जैसी ज़िंदगी,
तने तने हालात हैं...
एक सिरेपर ख़्वाहिशें तो,
दूजे पर औक़ात हैं.......

6113
मुश्किलोंसे कह दो,
उलझा ना करे हमसे...
हमें हर हालातमें,
जीनेका हुनर आता हैं...

6114
जिसको तलब हो हमारी,
वो लगाये बोली...
सौदा बुरा नहीं,
बस हालात बुरे हैं.......

6115
हम भी इक शाम,
बहुत उलझे हुए थे ख़ुदमें...
एक शाम उसको भी,
हालातने मोहलत नहीं दी...
                    इफ़्तिख़ार आरिफ़

1 July 2020

6106 - 6110 दिल कमाल साँस आँसू बहाना याद महोब्बत लुत्फ़ जिन्दगी माशूक़ आशिक़ शायरी


6106
कमाल हैं ना मेरी आशिकी भी...
साँस मेरी, महोब्बत मेरी, जिन्दगी मेरी,
मगर महोब्बत मुक्कमल करने के लिए...
जरुरत तेरी.......!

6107
बे-गिनती बोसे लेंगे,
रुख़-ए-दिल-पसंदके...
आशिक़ तिरे पढ़े नहीं,
इल्म-ए-हिसाबको.......!
हैदर अली आतिश

6108
हर रंगमें रहेंगे हम जिन्दगीमें कायम,
हम आशिकोंका यारों मातम कीजियेगा...
माना की ताजवरको नाकामियोंने मारा,
रोकर वकार उसका यूँ कम की जियेगा...!
                                              ताजवर सांभरी

6109
तअल्लुक़ आशिक़-ओ-माशूक़कातो,
लुत्फ़ रखता था...
मज़े अब वो कहाँ बाक़ी रहें,
बीवी मियाँ होकर.......!
अकबर इलाहाबादी

6110
चुपके चुपके रात दिन,
आँसू बहाना याद हैं...
हमको अब तक आशिक़ीका,
वो ज़माना याद हैं.......
                          हसरत मोहानी

30 June 2020

6101 - 6105 दिल प्यार महोब्बत नाज़ इंतजार सब्र लावारिस बेवफा अल्फाज आशिक़ शायरी


6101
उपर वाला भी,
अपना आशिक हैं...
इसिलीऐ तो किसिका,
होने नहीं देता.......!

6102
प्यार, मोहब्बत, आशिकी...
ये बस अल्फाज थे;
मगर जब तुम मिली...
तब इन अल्फाजोंको,
मायने मिले.......!

6103
इंतजारपर ही टिकी हैं,
ये मोहब्बत...
हर आशिक़को मैने,
सब्र करते देखा हैं...

6104
यूँ लावारिस पडी हैं,
लाश आशिककी...
दुआ करो किसी बेवफाको,
रहम आ जाये.......
मिर्जा ग़ालिब

6105
आशिक़ोंकी ख़स्तगी,
बद-हालीकी पर्वा नहीं...
हुए सरापा नाज़ तूने,
बे-नियाज़ी ख़ूब की...
                    मीर तक़ी मीर

29 June 2020

6096 - 6100 साँस गुलशन रिहाई मोहब्बत फिक्रे रिहाई आबोदाना दाम गुनाह कफस शायरी


6096
असीरानेकफसकी,
आपबीती पूछते क्या हो...
यहाँ अम्न कज्जकोंसे,
बदतर पासबाँ देखे.......
                        अम्न लखनवी

6097
मेरे ताइरे-कफसको,
नहीं बागबाँसे रंजिश...
मिले घरमें आबोदाना तो,
यह दाम तक न पहूंचे.......
शकील बदायुनी

6098
गनीमत हैं कफस,
फिक्रे-रिहाई क्यों करें हमदम;
नहीं मालूम अब,
कैसी हवा चलती हो गुलशनमें...
                           साकिब लखनवी

6099
साँसोका पिंजरा किसी दिन टूट जायेगा,
ये मुसाफिर किसी राहमें छूट जायेगा,
अभी जिन्दा हूँ तो बात लिया करो,
क्या पता कब हमसे खुदा रूठ जायेगा ll

6100
अब इससे भी बढ़कर,
गुनाह--आशिकी क्या होगा...
जब रिहाईका वक्त आया तो,
पिंजरेसे मोहब्बत हो चुकी थी.......!

6091 - 6095 खबर मतलब जरूरत असर आराम कफस वक्त बहार नशेमन शायरी


6091
तुझे ताइरे-शाखेनशेमन,
क्या खबर इसकी...
कमी सैयादको भी,
बागबाँ कहना ही पड़ता हैं...
                       जगन्नाथ आजाद

6092
निशेमन जलनेका,
हम क्यों असर लें...
मिला जब वक्त फिर,
तामीर कर लेंगे.......

6093
बस बहार तेरी,
अब जरूरत नहीं रही...
बुलबुलने कर दिया हैं,
निशेमन सुपूर्दे-जाग...

6094
कफसमें खींच ले जाये मुकद्दर,
या नशेमनमें...
हमें परवाजे-मतलब हैं,
हवा कोई भी चलती हो.....
सीमाब अकबराबादी

6095
तीर कमां में हैं,
सैयाद कमीं में...
गोशेमें कफसके मुझे,
आराम बहुत हैं.......!
                   मिर्जा गालिब

27 June 2020

6086 - 6090 दिल साथ आशियाना गुलशन फैसला बर्बाद उम्मीद बहार काबिल कफस नशेमन शायरी


6086
असीरोंके हकमें,
यही फैसला हैं;
कफसको समझते रहें,
आशियाना ll
            दिल शाहजहांपुरी

6087
खलिशने दिलको मेरे,
कुछ मजा दिया ऐसा...
कि जमा करता हूँ खार,
आशियानोंके लिये.......
त्रिलोकचन्द महरूम

6088
तुम्हारे साथ मरेंगे,
जो हमसे कहते थे...
उठाके ले गए गुलशनसे,
आशियानेको.......
                 महशर हमरोही

6089
न खतरा हैं खिजाँका,
न उम्मीदे–बहारे–गुल...
नशेमनमें कफस जैसी,
फरागत हो नहीं सकती...
अलम मुजफ्फरनगरी

6090
अदू सैयाद--गुलचीं,
क्यों हुए मेरे नशेमनके...
ये तिनके भी हैं इस काबिल,
जिन्हें बर्बाद करते हैं.......
                     साकिब लखनवी

26 June 2020

6081 - 6085 कैद चमन आशियाँ आसमाँ ख़्वाहिश हवस गम रंग कफस नशेमन शायरी


6081
बहुत  हैं,
कैदे-जिन्दगीमें मुतमइन होना...
चमन भी इक मुसीबत था,
कफस भी इक मुसीबत हैं.......
                    सीमाब अकबराबादी

6082
अगर खो गया इक निशेमन तो क्या गम,
मुकामाते–आहो–फुगाँ और भी हैं;
कनाअत न कर आलमे-रंगो–बूपर,
चमन और भी आशियाँ और भी हैं;
तू शाही हैं परवाज हैं काम तेरा,
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं ll
मोहम्मद इकबाल

6083
बे-सबाती चमन--दहरकी हैं,
जिनपे खुली...
हवस--रंग वो,
ख़्वाहिश--बू करते हैं...
                                  ऐश देहलवी

6084
वह शाखे-गुलपें हो,
या किसीकी मैयतपर...
चमनके फूल तो आदी हैं,
मुस्कुरानेके लिये.......!

6085
चमनमें इख़्तिलात--रंग--बूसे,
बात बनती हैं...
हम ही हम हैं, तो क्या हम हैं...
तुम ही तुम हो, तो क्या तुम हो...
                                   सरशार सैलानी

25 June 2020

6076 - 6080 शोला कोशिश चमन खौफ बहार हिफाजत होशियार गुलशन शायरी


6076
मेरा अज्म इतना बुलन्द हैं,
मुझे पराये शोलोंका डर नहीं;
मुझे खौफ आतशे-गुलसे हैं,
कहीं ये चमनको जला दें...
                       शकील बदायुनी

6077
कभी शाखे-सब्जा-ओ-बर्गपर,
कभी गुंचा-ओ-गुलो-खारपर...
मैं चमनमें चाहे जहाँ रहूँ,
मुझे हक हैं फस्ले–बहार पर...
जिगर मुरादाबादी

6078
गुलचींने तो कोशिश कर डाली,
सूनी हो चमनकी हर डाली,
कांटोंने मुबारक काम किया,
फूलोंकी हिफाजत कर बैठे ll
                             शकील बदायुनी

6079
बुलबुलो-गुल पै जो गुजरी,
हमको उससे क्या गरज...
हम तो गुलशनमें फकत,
रंगे-चमन देखा किए.......
असगर गौण्डवी

6080
बुलबुले-नादाँ जरा,
रंगे-चमनसे होशियार...
फूलकी सूरत बनाए,
सैकड़ों सैयाद हैं.......
      आनन्द नारायण मुल्ला

24 June 2020

6071 - 6075 बिजलियाँ आशियाँ चमन आरजू फर्क नजर बहार निशेमन आबाद कफस चमन शायरी


6071
इधर-उधर, यहाँ-वहाँ हैं,
बिजलियाँ ही बिजलियाँ...
चमन-चमन कहाँ फिरूँ मैं,
आशियाँ लिये हुए.......

6072
अहले-चमनको,
कैदे–कफसकी हैं आरजू...
सैयादसे भी बढ़के,
सितम बागबाँके हैं.......
ताजवर नजीबाबादी

6073
फूल वही, चमन वही,
फर्क नजर–नजरका हैं...
अहदे-बहारमें क्या था,
दौरे-खिजाँमें क्या नहीं...!
                जिगर मुरादाबादी

6074
यह सोच ही रहे थे कि,
बहार खत्म हुई;
कहाँ चमनमें,
निशेमन बने या न बने...
जलील मानिकपुरी

6075
रस्मे-दुनिया हैं,
कोई खुश हो, कोई आबाद हो...
जब उजड़ जाये चमन तो,
कफस आबाद हो.......

23 June 2020

6066 - 6070 दिल जमाना रहजन आबरू बागबाँ निगाह बहार क़ाँटे आशियाँ गुलिस्ताँ शायरी


6066
ये शाख काटी, वो शाख काटी,
इसे उजाड़ा, उसे उजाड़ा;
यही हैं शेवा जो बागबाँका,
तो हम गुलिस्ताँसे जा रहे हैं...
                       नफीस सन्देलवी

6067
सुनते हैं कि क़ाँटोंसे गुलतक,
हैं राहमें लाखों वीराने...
कहता हैं मगर यह अज्मे-जुनू,
सहरासे गुलिस्ताँ दूर नहीं...!

6068
जमाना जो आतिशफिशाँ हैं,
तो क्या गम...
हम आतिशकदेको,
गुलिस्ताँ करेंगे.......!
                          शकील बदायुनी

6069
इस नये दौरमें देखे हैं वो रहजन मैंने,
जो बहारोंको गुलिस्ताँसे चुरा ले जाए l
दे निगाहोंको जो धोखा तो पता भी न चले,
चाँदनी अंजुमें ताबाँसे उठा ले जाए l
इलाही आबरू रखना बड़ा नाजुक जमाना हैं,
दिलोंमें बुग्ज रहता हैं बजाहिर दोस्ताना हैं ll

6070
हमने अपने आशियाँके वास्ते,
जो चुभें दिलमें वही कांटे चुने...
                            रियाज खेराबादी

22 June 2020

6061 - 6065 लहू दीवार दामन क़ाँटे बहार अन्दाज जान बर्बाद अंजामे गुलिस्ताँ शायरी


6061
लहूसे मैंने लिखा था,
जो कुछ दीवार--ज़िंदाँ पर...
वो बिजली बनके चमका,
दामन--सुब्ह--गुलिस्ताँ पर...
                    सीमाब अकबराबादी

6062
क़ाँटे किसीके हकमें,
किसी को गुलो-समर...
क्या खूब एहतिमामे-गुलिस्ताँ हैं,
आज कल.......
जिगर मुरादाबादी

6063
खिजाँ आयेगी तो,
आयेगी ढलकर बहारोंमें...
कुछ इस अन्दाजसे,
नज्मे-गुलिस्ताँ कर रहा हूँ मैं...!
                           शफक टौंकी

6064
यूँ मुस्कुराए जान सी,
कलियोंमें पड़ गई...
यूँ लब-कुशा हुए कि,
गुलिस्ताँ बना दिया...
असग़र गोंडवी

6065
एक ही उल्लू काफी हैं,
बर्बाद 
गुलिस्ताँ करनेको;
हर शाख पै उल्लू बैठा हैं,
अंजामे-गुलिस्ताँ क्या होगा...

21 June 2020

6056 - 6060 उजाला बिजली आशियाँ नशेमन चमन अन्दाज बहार गुलिस्ताँ शायरी


6056
उजाला तो हुआ कुछ देरको,
सहने-गुलिस्ताँमें...
बलासे फूँक डाला बिजलियोंने,
आशियाँ मेरा...
                                 मिर्जा गालिब

6057
चाँदपर अब कुछ नहीं पाओगे,
गढ्ढोंके सिवा...
छोड आया हूँ मै कबका,
वो पुराना आशियाँ.......

6058
सब बाँध चुके कबके,
सरे-शाख नशेमन...
हम हैं कि गुलिस्ताँकी,
हवा देख रहे हैं.......
               जलील मनिकपुरी

6059
बिजली गिरेगी,
सेहन-ए-चमनमें कहाँ कहाँ...
किस शाख़-ए-गुलिस्ताँपें,
मिरा आशियाँ नहीं.......
सलाम संदेलवी

6060
इधर सैयाद फिरते थे,
उधर सैयाद फिरते थे,
कुछ अंदाजसे मेरे,
गुलिस्ताँमें बहार आई...!
                     जगन्नाथ आजाद

20 June 2020

6051 - 6055 जिन्दगी रौशन कफस वफा खता आशियाँ तलाश निगाह खयाल शौक बर्क शायरी


6051
यह देखकर कि बर्कका रूख,
इधर को नहीं...
निकले तलाशे-बर्कमें,
खुद आशियाँसे हम.......!

6052
बर्क क्या बर्बाद,
कर सकती हैं मेरा आशियाँ...
बल्कि यूँ कहिए कि,
रौशन आशियाँ हो जायेगा...!

6053
निगाहे-शौकको,
शाखे-निहाले-गुलकी तलाश...
हवाए--तुन्दकी यह जिद,
कि आशियाँ बने.......
                              शाहजहाँपुरी

6054
खताओंपर खतायें,
हो रही थीं नावक-अफगनसे...
इधर तीरोंसे बनता जा रहा था,
आशियाँ मेरा.......

6055
जफा सैयादकी अहले-वफाने,
रायगां कर दी...
कफसकी जिन्दगी,
वक्फे-खयाले-आशियाँ कर दी...!
                         आनन्द नारायण मुल्ला

19 June 2020

6046 - 6050 वास्ते तबाही तड़प परवाह निशेमन आशियाना शान रौशनी नजर बिजली शायरी


6046
इसी वास्ते हैं पैहम नजर,
इस पै बिजलियोंकी...
हैं सजी हुई गुलोंसे,
मेरी शाखे आशियाना...

6047
किसको होती हैं अता,
इस शानकी बर्बादियाँ...
आशियाँ हम क्या बचाते,
बिजलियाँ देखा किए.......

6048
रौशनीमें और दो तिनके,
जमा कर लेता हूँ मैं...
कौंधती हैं जब बिजली,
अपने निशेमनके करीब...!
                         असर उस्मानी

6049
मुझको तो खुद,
तबाहियाँ अपनी पसंद हैं...
बिजली तड़प रही हैं,
क्यों आशियाँसे दूर...!!

6050
जल भी जाये नशेमन,
तो परवा
ह नहीं...
बिजलियोंसे मेरा,
दोस्ताना तो हैं.......!!!

18 June 2020

6041 - 6045 दिल मुमकिन चमन ख़ौफ़ आह बर्क फूल क़फ़स बिजली शायरी


6041
मुमकिन नहीं चमनमें,
दोनोंकी ज़िद हो पूरी...
या बिजलियाँ रहेंगी,
या आशियाँ रहेगा...

6042
अब बिजलियोंका ख़ौफ़ भी,
दिलसे निकल गया l
ख़ुद मेरा आशियाँ,
मिरी आहोंसे जल गया ll

6043
बिजलियाँ भी टूटेंगी,
जलजले भी आयेंगे...
फूल मुस्कराये हैं,
और फूल मुस्करायेंगे...!

6044
हजार बर्क गिरें,
लाख आँधियाँ उठें...
वह फूल खिलके रहेंगे,
जो खिलने वाले हैं...!
साहिर लुधियानवी

6045
क़फ़ससे आशियाँ तब्दील करना.
बात ही क्या थी...
हमें देखो कि हमने,
बिजलियोंसे आशियाँ बदला...!!!
                                  महज़र लखनवी

17 June 2020

6036 - 6040 दिल उमंग चमक तड़प क़फ़स तरकीब ज़ंजीर आशियाँ बिजली शायरी


6036
उट्ठा जो अब्र,
दिलकी उमंगें चमक उठीं...
लहराईं बिजलियाँ तो,
मैं लहराके पी गया.......
                      एहसान दानिश

6037
तड़प जाता हूँ जब,
बिजली चमकती देख लेता हूँ l
कि इससे मिलता-जुलतासा,
किसीका मुस्कुराना हैं ll
ग़ुलाम मुर्तज़ा कैफ़ काकोरी

6038
क़फ़सकी तीलियोंमें,
जाने क्या तरकीब रक्खी हैं...
कि हर बिजली,
क़रीब--आशियाँ मालूम होती हैं...!
                         सीमाब अकबराबादी

6039
ये अब्र हैं या,
फ़ील-ए-सियह-मस्त हैं साक़ी...
बिजलीके जो हैं पाँवमें,
ज़ंजीर हवा पर.......
शाह नसीर

6040
ज़ब्त--नालासे,
आज काम लिया...
गिरती बिजलीको,
मैं ने थाम लिया...!!!
        जलील मानिकपूरी

16 June 2020

6031 - 6035 दिल ज़ख़्म काग़ज़ बहार ख़्वाहिशें क़िस्मत मौसम बादल बरसात शायरी


6031
दूर तक छाए थे ,
और कहीं साया था...
इस तरह बरसातका मौसम,
कभी आया था...
                          क़तील शिफ़ाई

6032
वो अब क्या ख़ाक आए,
हाए क़िस्मतमें तरसना था...
तुझे ऐ अब्र-ए-रहमत,
आजही इतना बरसना था...?
कैफ़ी हैदराबादी

6033
अब भी बरसातकी रातोंमें,
बदन टूटता हैं;
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें,
अंगड़ाई की...
                                परवीन शाकिर

6034
घटा छाती, बहार आती,
तुम्हारा तज़किरा होता...!
फिर उसके बाद गुल खिलते कि,
ज़ख़्मे-दिल हरा होता.......

6035
रहने दो कि अब तुमभी,
मुझे पढ़ सकोगे...
बरसातमें काग़ज़की तरह,
भीग गया हूँ मैं.......

15 June 2020

6026 - 6030 दिल याद दुख उम्र दीवार दीवाना ज़ख़्म राह बादल बरसात बारिश शायरी


6026
क्यूँ माँग रहें हो,
किसी बारिशकी दुआएँ...
तुम अपने शिकस्ता,
दर--दीवार तो देखो.......
                      जाज़िब क़ुरैशी

6027
कच्चे मकान जितने थे,
बारिशमें बह गए;
वर्ना जो मेरा दुख था,
वो दुख उम्रभर का था...
अख़्तर होशियारपुरी

6028
हमसे पूछो,
मिज़ाज बारिशका...
हम जो कच्चे मकानवाले हैं...!
                       अशफ़ाक़ अंजुम

6029
कैफ़ परदेसमें
मत याद करो अपना मकाँ...
अब के बारिशने,
उसे तोड़ गिराया होगा...
कैफ़ भोपाली

6030
बरसातका बादल तो,
दीवाना हैं क्या जाने...
किस राहसे बचना हैं,
किस छतको भिगोना हैं...
                    निदा फ़ाज़ली

6021 - 6025 रौशनी बिजली निगह शराब पत्थर निशाँ आशियाना बारिश शायरी


6021
फ़रेब-ए-रौशनीमें आने वालो,
मैं न कहता था कि,
बिजली आशियानेकी,
निगहबाँ हो नहीं सकती...
                       शफ़ीक़ जौनपुरी

6022
हर एक सम्त,
जहाँ पत्थरोंकी बारिश हैं,
वहाँ यह हुक्म कि,
शीशेका कारोबार करें...

6023
बारिश शराब-ए-अर्श हैं,
ये सोच कर अदम...
बारिशके सब हुरूफ़को,
उल्टाके पी गया...
                अब्दुल हमीद अदम

6024
क्या कहूँ दीदा-ए-तर,
ये तो मिरा चेहरा हैं...
संग कट जाते हैं,
बारिशकी जहाँ धार गिरे...
शकेब जलाली

6025
अब के बारिशमें तो,
ये कार-ए-ज़ियाँ होना ही था;
अपनी कच्ची बस्तियोंको,
बे-निशाँ होना ही था ll
                        मोहसिन नक़वी

13 June 2020

6016 - 6020 दामन कबूल नज़र अश्क मोहब्बत गुज़ारिश मज़ा कबूल बारिश शायरी


 

6016
तू हैं गर बारिशमें तर,
तो नम नमसा दामन इधर भी हैं...
वहाँ बरस रही हैं घटा,
तो अश्कोका सावन इधर भी हैं...!

6017
दुआए कुछ ऐसे कबूल हो जाय...
भीगती रहूँ मैं और,
मोहब्बत तुजे हो जाय...!

6018
याद आई वो पहली बारिश,
जब तुझे एक नज़र देखा था...
                             नासिर काज़मी

6019
और बाज़ारसे क्या ले जाऊँ...
पहली बारिशका मज़ा ले जाऊँ...!
मोहम्मद अल्वी

6020
धूपने गुज़ारिश की,
एक बूँद बारिशकी...!
                     मोहम्मद अल्वी